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दोस्तो, आज मैं आप सबको मेरी कहानी सुनाने जा रही हूँ. आशा है कि आप सबको पसंद आएगी. यदि कुछ गलती हो जाए, तो माफ कर दीजिएगा.
मैं भाविका चंद्रवाडिया उर्फ भाव (मेरे प्रेमी द्वारा दिया गया नाम) गुजरात के एज्यूकेशन हब आणंद की रहने वाली हूँ. मेरी उम्र 25 साल है व मेरा फिगर साईज 36-28-38 का है. मेरा रंग गोरा बिल्कुल दूध जैसा है. मुझे अपनी इस खूबसूरती के लिए अब तक कोई ब्वॉयफ्रेंड बनाने लायक लौंडा नहीं मिल सका था. मेरे पापा का यहां बिजनेस था, तो मैं जब छोटी थी, तब से ही उपलेटा राजकोट से आणंद में रहने आ गए थे. मेरे घर में मम्मी पापा और एक छोटा भाई है. पापा का बिजनेस अच्छा चलता था, तो बचपन से ही हमें किसी चीज की कमी नहीं थी.
यह बात आज से 3 साल पुरानी हैं. बैचलर डिग्री लेने के बाद मैंने अपने इन्टरेस्ट के चलते एक कोर्स ज्वाइन किया, जो दो साल का था. मैं अपने कोर्स और कॉलेज का नाम नहीं बता सकती. यह मेरी गोपनीयता का मामला है.
खैर … इस कोर्स में बहुत कम ही लोग एडमिशन लेते हैं. मेरे साथ के बैच में 30 स्टूडेंट थे. हमारे कॉलेज में यह कोर्स तो काफी सालों से चल रहा था, मगर मेरे बैच के शुरू होने के साल से ही अकेले हमारे कोर्स के लिए नई बिल्डिंग का इन्तजाम किया था. ब्वॉय्स और गर्ल्स के लिए हॉस्टल भी नए बना दिए गए थे … जो कि स्टूडेंट्स की संख्या से काफी बड़े और ज्यादा कमरों वाले थे.
अगले साल से कॉलेज का मैनेजमेंट इस कोर्स के बैच बढ़ाना चाहता था, शायद इसीलिए ये सब सुविधाएं दी जा रही थीं. हमारा बैच लक्की था कि हमें कॉलेज की नई बिल्डिंग और नया हॉस्टल मिला था.
इस कोर्स में ज्यादातर स्टूडेंट्स लोकल या आसपास के ही रहने वाले थे, तो हॉस्टल में बहुत कम लड़के लड़कियां रहते थे. मैं भी लोकल थी तो मैं भी हॉस्टल में नहीं रहती थी. मेरे घर से 6 किलोमीटर कॉलेज दूर था, तो मैं अपनी एक्टिवा से आया जाया करती थी.
हमारे साथ क्लास में तीन नीग्रो युवकों ने भी एडमिशन लिया था. दो नीग्रो लड़के एक ही देश के थे, तो वो हमेशा साथ में ही रहते थे. जबकि तीसरा लड़का, जिसका नाम निकोलस था … वह अलग देश का था. उसको वे दोनों नीग्रो अपने साथ नहीं रखते थे. वे तीनों नीग्रो हॉस्टल में रहते थे. उनके सिवाय अभी हॉस्टल में कोई नहीं रहता था. हमारे शहर में अलग अलग कॉलेजों में विदेशी स्टूडेंट्स बहुत थे.
इस कोर्स की पढ़ाइ शुरू हुई तो प्रेक्टिकल के लिए 3-3 स्टूडेंट्स के ग्रुप बनाये गए थे. मेरे ग्रुप में मैं और एक लड़की तथा निकोलस थे. वह लड़की कम कॉलेज आती थी, तो ज्यादातर प्रेक्टिकल्स मैं और निकोलस ही किया करते थे. शुरुआत में मैं उससे कम बात किया करती थी. जरूरत से ज्यादा बात नहीं करतीं थी … क्योंकि मैं तो उससे डरती थी. वो बेहद काला और बदसूरत लगता था. उसकी बड़ी बड़ी आंखें थीं, पूरे 6 फिट लंबाई और मजबूत कसरती शरीर का सांड जैसा लगता था. जबकि वो उम्र में मुझसे एक साल छोटा था. वह अच्छी इंग्लिश जानता और बोलता था और पढ़ाई में भी अच्छा था. प्रेक्टिकल्स में वो ही सब टेस्ट वगैरह करता था, तो मुझे ज्यादा टेंशन नहीं होती थी.
कोर्स के 4 महीने बीतने के बाद मैंने कभी उसके चेहरे पर मुस्कान नहीं देखी थी. मैं धीरे-धीरे उससे खुल के बातें करने लगी थी. पर वह कभी हंस के रिप्लाई नहीं करता था. हमेशा उदास चेहरे में ही दिखता था.
मुझे उस पर तरस आ गया और एक दिन मैंने प्रेक्टिकल में पूछ लिया- तुम हमेशा उदास क्यों रहते हो? उसने ‘नथिंग’ कह के बात उड़ा दी. फिर 2-3 बार पूछने के बाद उसने बताया कि वह यहाँ बिल्कुल अकेला है और कोई दोस्त या साथी नहीं है, कोई उससे ठीक से बात भी नहीं करता है.
मुझे उसकी बात सुनकर बड़ी दया आयी. मैंने उससे बोला कि वह अपने आपको कभी अकेला ना समझे. जरूरत पड़ने पर मुझे फोन कर लिया करे और मुझे अपनी दोस्त समझे. यह सुनकर उसे अच्छा लगा. मैंने उसको अपना मोबाइल नंबर भी दे दिया.
अब हम व्हाट्सैप पर हाय हैलो गुड मॉर्निंग और पढ़ाई की बातें करने लगे थे. मिड-टर्म एग्जाम के समय हमारी काफी बात पढ़ाई को लेकर होती थीं. उसने मेरी बहुत मदद की, जिससे मेरी काफी अच्छी पर्सेंटेज आयी. मैं अब उससे बहुत अटैच हो चुकी थी. एग्जाम में उसकी मदद का अहसान मानने लगी थी. मैं उसके अहसान का बदला चुकाना चाहती थी.
धीरे धीरे हम मस्ती मजाक भी करने लगे थे. उसने अपने देश में अपने लोगों को बता दिया था कि उसकी इंडिया में मैं अच्छी दोस्त बन गयी, उसी से उसके चेहरे पर मुस्कान आयी और अब वह अपनी पढ़ाई अच्छी तरह से कर सकता था. वो मुझे मजाक में चैट के दौरान गुजराती ब्यूटी कहता था. मैं उसको निक कह कर बुलाती थी.
एक दिन उसका बर्थडे था. मैंने उसको सरप्राइज देने का सोचा. पांच बजे कॉलेज खत्म होने के बाद वह कॉलेज से हॉस्टल चला गया. मैं उसके पीछे थोड़ी देर बाद साढ़े पांच के करीब उसके रूम पे पहुंच गई. बाकी दोनों नीग्रो लड़के ज्यादातर बाहर ही अपने देश के दूसरे लड़कों के साथ उनके रूम पे रहते थे और लेट नाईट हॉस्टल में आते थे. कभी कभी तो आते ही नहीं थे, वहीं अपने दोस्तों के कमरे पर ही सो जाते थे. इस वजह से निकोलस अकेला ही रूम पे रह जाता था.
उस दिन भी शायद यही स्थिति थी. मैंने निकोलस के कमरे के दरवाजे को नॉक किया, तो उसने खोला. मैं सरप्राइज देने के मकसद से उसे हैप्पी बर्थडे कहते हुई उसके रूम में घुस गयी. उसको मेरी इस बात पर बहुत आश्चर्य हुआ. उसने सोचा भी नहीं होगा कि मैं उसके रूम पे आ सकती हूं.
उस समय वह केवल हाफ पैंट पहने हुए था. उसने जल्दी से अपनी टी-शर्ट डाल ली. मैं यह देखकर हंसने लगी. मैंने उसको गिफ्ट दिया. उसने मुझे थैंक्यू बोला … फिर कुछ ही पल बाद मैं वहां से निकल गयी.
रात को उसने चैट में बताया कि वह बहुत खुश था कि उसको किसी ने बर्थडे विश किया था. उसने मुझे बहुत बार थैंक्यू बोला और मेरी बहुत तारीफ की.
फिर 3-4 दिन बाद कॉलेज से छूटने के बाद फिर से मैं उसके रूम पे पहुंच गई.
मैंने देखा उसका रूम साफ नहीं था और सारा सामान बिखरा पड़ा था. तो मैंने उसे डांटा और रूम में सफाई करने लगी. वह भी मेरे साथ काम करने लगा और हम दोनों ने मिलके सारा रूम साफ कर दिया. मैंने उसे मना करते हुए बोला- यह सब लेडीज का काम है, तुम लड़के ठीक से नहीं कर सकते हो.
फिर हमने बैठ के पढ़ाई और दूसरी इधर की बातें की … और इसके बाद मैं घर लौट गयी.
अब तो मैं अक्सर उसके रूम पे जाती रहती थी और कभी उसका रूम साफ करने में मदद करती. कभी मैं उसके लिए नाश्ता स्नेक्स वगैरह भी ले जाती थी, कभी वो मेरे लिए भी लाता था.
धीरे धीरे अब तो ये हालत हो गई थी कि मैं उसके रूम पे एक दो दिन न जाऊँ, तो वह उदास हो जाता और फोन पर कहता कि वो मुझे बहुत मिस कर रहा है. कॉलेज और उसके रूम के सिवाय हम और कहीं मिल भी नहीं सकते थे.
अब उसके दिमाग में कुछ और चलने का मुझे अंदेशा सा होने लगा था क्योंकि जब मैं उसके रूम पे जाती, तो वह टी शर्ट नहीं पहनता था, सिर्फ हाफ पैंट में ही रहता. मैं भी उसके ताकतवर काले बदन को देख कर प्रभावित हो जाती.
एक दिन में उसके रूम में झाड़ू लगा रही थी, तो वह अपने बेड पर बैठे हुए हसरत भरी निगाहों से मेरी गहरे गले की टी-शर्ट में झांक रहा था. मैंने नोटिस किया कि इस तरह से देखने से उसके हाफ पैंट में तंबू बन गया था. वह मेरी दोस्ती गंवाने के डर से कुछ बोल नहीं सकता था. मुझे भी कुछ कुछ हुआ, पर मैं उसके कमरे से चली आई.
दो तीन दिन बाद मैंने अपनी सहेली के मोबाइल में एक ब्लू फिल्म देखी, जिसमें एक नीग्रो आदमी एक इन्डियन पोर्न एक्ट्रेस को चोद रहा था. वह एक्ट्रेस उस नीग्रो का मूसल सा लंबा और काला लंड बड़े चाव से चूस रही थी और फिर वह नीग्रो उसे मस्ती से चोद रहा था.
यह देखकर मैं अपने और निकोलस के बारे में सोचने लगी थी. मेरी सहेली ने बताया था कि नीग्रो लोगों के लंड बहुत बड़े होते हैं … और वह काफी लंबे समय तक चुदाई कर सकते हैं.
इसके बाद मैं रात में अपने और निक के बारे में सोचती रहती कि उसका लौड़ा कितना बड़ा होगा. क्या मेरी चूत उसके लंड को झेल पाएगी. उसकी आंखों में मेरे लिए हवस तो मैं देख ही रही थी. अब तक तो मैं उसे अच्छा दोस्त और मददगार समझ रही थी, पर अब मेरे मन में उसके लिए भावनाएं बदल रही थीं.
एक रात मैंने सपना देखा कि मैं निक के रूम पे बिल्कुल नंगी हूँ और उसका बड़ा लंड चूस रही हूँ. फिर वह मेरी चुत में अपना लौड़ा डाल कर मुझे चोदने लगा था.
दूसरे दिन से मैं उस सपने के बारे में ही सोचने लगी. मैंने सोचा कि वह कुछ भी पहल करे, तो मजा आए. वैसे भी डेढ़ साल ही वो यहाँ इन्डिया में रहने वाला था और किसी को कुछ बता भी नहीं सकता था. इस गोपनीयता के चलते सोसायटी में मेरा नाम खराब होने का चांस बहुत कम था. मेरी जैसी खूबसूरत लड़की एक काले विदेशी के साथ चालू हो सकती है. ऐसा किसी के मन में ख्याल भी नहीं आएगा.
अब मैंने थोड़ा मजा लेने का तय किया. वह भी मुझसे रात को देर तक ज्यादातर इनडायरेक्टली रोमांस और लव की बातें किया करता था. उसकी बातों में अब ये बातें भी स्थान लेने लगी थीं कि मुझे किस तरह का ब्वॉयफ्रेंड पसंद है वगैरह वगैरह.
मैं भी इनडायरेक्टली उसके तरफ ही इशारा किया करती, जिससे वह कुछ करने के लिये पहल करे. मैंने उसे बताया कि मुझे जाति या रंग से ज्यादा आदमी की अच्छाई और अपनापन पसंद है. इस तरह सेक्स के लड्डू दोनों और फूट रहे थे.
एक बार देर रात तक हम दोनों चैट में बात करते रहे. वह ज्यादातर लव रोमांस की बातें ही कर रहा था कि कॉलेज में इसका उसका चक्कर चल रहा है, फलाना किस लड़की के साथ क्या बात करता है. मैं भी उसकी इन बातों में मजा लेते हुए उससे बात कर रही थी और उसे ज्यादा से ज्यादा ओपन करने की कोशिश कर रही थी.
फिर उसने मुझे गुड नाईट कह दिया. पर पांच मिनट बाद उसका मैसेज आया, जिसमें उसने साफ साफ आई लव यू कहा था. मैंने उसका कोई रिप्लाई नहीं दिया.
दूसरे दिन प्रेक्टिकल्स में हम दोनों एक दूसरे से नजर नहीं मिला पा रहे थे. मैं उसकी नजरों से बचती रही और वह चोरी चोरी मुझे देखने की कोशिश करता रहा. उसकी नजरों में मेरे जवाब का इंतजार कर रहा था. मैंने भी उसे तड़पाने का तय किया. दो दिन उसके किसी मैसेज का जवाब नहीं दिया.
इस कहानी का अगला भाग आपके लंड या चूत से पानी निकाल देंगे. यदि ऐसा कुछ हो जाए तो कहानी के नीचे कमेंट्स जरूर करना. कहानी जारी है. लेखिका के आग्रह पर इमेल आईडी नहीं दी जा रही है.
कहानी का अगला भाग: मेरे नीग्रो सैंया जी-2
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