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आजकल मैं कहानियाँ कम लिख रहा हूँ। मेरी आखरी कहानी करीब डेढ़ साल पहले लिखी गयी हैं। कहानी पब्लिश होने में भी वक्त लगता हैं जिसके चलते मेल अकाऊँट ऑपरेट करना कम हो जाता हैं। बहुत सी बार पाठकों के मेल से पता चलता हैं कि कोई कहानी पब्लिश हुई है।
कहानी लिखूँ, ना लिखूँ इस कश्मकश था इसलिये लंबे समय से नई कहानी लिखी नहीं गयी थी। कहानी जब पब्लिश होती है तो काफी सारे मेल आते हैं। कुछ मेल तो सेक्स की मांग होती हैं। ऐसे में बड़ा मुश्किल होता है पाठकों को समझा पाना कि हकीकत की दुनिया कहानियों जैसी आसान नहीं होती।
इस कहानी की शुरुआत भी कुछ इसी तरह से हुई थी। मेरी एक कहानी को पढ़ के लोगों ने मेल करना शुरू किया था। ऋचा, गीता, प्रिया उन्हीं लोगों में से थी।
ऋचा साँवले रंग की तीखे नाक नक्शे की यंग लड़की थी। दिखने में सुंदर थी पर किसी से प्यार नहीं करती थी। उसने पहले कभी सेक्स नहीं किया था, सेक्स स्टोरीज़ कभी कभार पढ़ती थी।
गीता गेहुँए रंग की खूबसूरत औरत थी। वह एक प्राईवेट कंपनी में जॉब करती थी और पति से तलाक ले चुकी थी। तलाक क्यों हुआ था मैंने कभी पूछा नहीं। तलाक के बाद से सेक्स नहीं किया था, उसे सेक्स स्टोरीज़ पढ़ने में मजा आता था।
प्रिया दूधिया सफेद रंग की मलाईदार त्वचा की खूबसूरत महिला थी। वह जवानी में ही विधवा हुयी थी। पति के मृत्यु के बाद घरवाले दूसरी शादी का दबाव डाल रहे थे पर वह उसके लिए तैयार नहीं थी। तन की अग्नि को शांत करने के लिए सेक्स स्टोरीज़ पढ़ती थी।
सेक्स स्टोरीज़ की वजह से मेरी इन तीनों से सेक्स चैट हो रही थी। मैं सिर्फ बातचीत करता हूँ रियल लाईफ में पत्नी के अलावा किसी और से सेक्स नहीं करता यह मैंने क्लीयरली बता दिया था उनको। वे तीनों भी सिर्फ सेक्स चैट में ही खुश थी।
पर एक समय ऐसा आया जब हमें एक दूसरे से मिलने का मन करने लगा। यह इत्तेफाक था कि तीनों महिलायें एक ही शहर की अड़ोस पड़ोस में रहने वाली थी और मैंने बातों ही बातों में तीनों का जिक्र एक दूसरे के चैट में किया था। कुछ महीने तो हम चारों ने ग्रुप चैट भी किया था जिसकी वजह से हम चारों खुलकर सारी बातें करते थे।
एक दिन गीता ने ग्रुप चैट में कहा- क्यों ना हम सब उसके घर पर एक छोटी सी मीटिंग करें? “अपना खुद पे कंट्रोल ना रहा तो?” प्रिया ने शंका जतायी। “तो सेक्स कर लेंगे।” ऋचा ने मजाक में कहा। “मुझमें इतना दम नहीं है कि मैं तुम तीनों को चोद सकूँ।” मैंने भी मजाक में लिखा। “डोंट वरी रवि जी! हम तीनों मिलकर आपको चोद लेंगी।” बड़ी बड़ी स्माईली के साथ गीता ने लिखा।
“मेरी प्यारियो, मैं नहीं आ रहा हूँ आप लोगों से मिलने। अगर आऊँगा भी तो आप लोगों के लिए डिल्डो या स्ट्रेप-ऑन लेकर आऊँगा, फिर तीनों मिलकर आपस में लेस्बियन करते रहना। “हमें लेस्बियन करवाकर आप छूट जाओगे … यह मत सोचना।” ऋचा बोली। “सही कहा ऋचा! रवि जी को मौका ही नहीं देंगे भागने का!” प्रिया बोली। “फिर तो मैं आऊँगा ही नहीं।” मैंने कहा। “नहीं आओगे तो हमारी दोस्ती टूट जायेगी।” गीता ने लिखा। “हाँ सही है।” प्रिया बोली। कुछ इसी तरह के चैट्स से उस दिन की बात खत्म हो गयी।
जिस दिन मिलना था उस दिन मैं सच में डिल्डो, स्ट्रेप ऑन ले गया था।
जैसे ही मैं गीता के घर पर पहुँचा, तीनों सुंदरियों ने मेरा स्वागत बड़े ही प्यार से किया। प्रिया और ऋचा पहले ही आ गयी थी। हमने चाय नाश्ता किया फिर यहाँ वहाँ की गपशप करने लगे।
“बैग में क्या है?” गीता ने पूछा। जवाब में मैं सिर्फ हँसा। “हंस क्यों रहे हो?” प्रिया ने पूछा। जवाब में मैं फिर से हँसा।
“ऋचा! देखो तो जरा। यह हँसी कुछ कह रही है।” गीता बोली। ऋचा ने तुरंत मेरा बैग छीन लिया और अंदर देख कर चिल्लायी- ओह माय गॉड! “क्या है दिखा? रवि जी आप भी ना!” गीता ने भी बैग देखकर रिएक्शन दिया। प्रिया ने बॅग देखा और डिल्डो और स्ट्रेप ऑन बाहर निकाले- लगा नहीं था कि आप सच में ये सब ले आओगे। “प्रिकॉशन के लिए लाया हूँ।” मैंने कहा।
गीता ने एक डिल्डो उठाया और अपने मुँह में भरकर उसे नशीली अदाओं के साथ चूसने लगी। कुछ देर चूसने के बाद उसने डिल्डो को प्रिया की जांघों पे फेरना शुरू किया। प्रिया ने साड़ी पहनी थी।
जैसे जैसे गीता डिल्डो घुमाती रही, वैसे वैसे प्रिया अपनी साड़ी ऊपर करती गयी। उसकी मलाई जैसी टांगें बेहद खूबसूरत लग रही थी, उसके ऊपर सेक्स का नशा चढ़ने लगा था। उसको मस्त होते देख ऋचा ने भी एक डिल्डो उठाया और प्रिया की दूसरी टांग पर डिल्डो फेरने लगी। देखते ही देखते तीनों ने सेक्स करना शुरू कर दिया था। प्रिया ने भी बैग में से दो स्ट्रेप ऑन निकाले, अपने दोनों हाथों में एक एक स्ट्रेप ऑन पकड़कर ऋचा और गीता की जांघों पर फेरने लगी।
मैं चुपचाप बैठा उनकी हरकतों को देख रहा था। शायद मेरे रूम पर जाने से पहले उन तीनों ने सेक्स की शुरुआत की होगी या कुछ सेक्सी प्लान्स बनाये होंगे। मुझे पता नहीं था पर मैं उन तीनों की हरकतों से हैरान था। हालांकि मैं खुद डिल्डो और स्ट्रेप ऑन ले गया था पर वो तीनों इसे तुरंत यूज करेंगी ऐसा नहीं लगा था।
ऋचा ने जीन्स टीशर्ट पहनी थी, गीता ने चूड़ीदार … इसलिये उनके कपड़ों के उपर से ही प्रिया स्ट्रेपऑन से उनकी जांघें और चूत को सहला रही थी। “आर यू इन?” प्रिया ने पूछा। “नो!” कहते हुए मैं उठा और चेहरे पर मुस्कान लिये तीनों महिलाओं को चूम लिया। “चलो, बेडरूम में चलते हैं।” गीता ने कहा। उसकी बात मानकर हम चारों उसके बेडरूम में चले गये।
“वैसे तो हमारे पास सेक्स टॉयज् हैं, फिर भी आपके ओरिजनल लंड की जरुरत पड़ी तो आपका लंड यूज करेंगे.” गीता ने मजाक में कहा। मैंने उसको पकड़ा और किस करने लगा। मेरे किस को देखकर ऋचा पीछे से आकर चिपक गयी, बगल से प्रिया भी आकर सट गयी। हम बारी बारी एक दूसरे को किस करने लगे।
प्रिया ने किस करते करते हमारे कपड़े उतारने शुरू किये। मैंने भी प्रिया की साड़ी और ब्लाऊज उतार दिये। हम चारों अब नंगे थे। शर्म बिल्कुल भी नहीं थी। ऐसा लग रहा था जैसे हमारा पुराना सेक्स ग्रुप है।
गीता ने एक डबल डिल्डो लिया और उसे खुद की चूत में डाल दिया, फिर ऋचा को पकड़ कर बेड पर चली गयी। काफी सारा लुब्रिकंट ऋचा की गांड में लगाकर उसने डिल्डो का दूसरा सिरा उसकी की गांड में डाल दिया। ऋचा की उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल गयी.
प्रिया ने भी एक डबल डिल्डो अपनी चूत में सेट किया और उसका दूसरा सिरा ऋचा की लुब्रिकेटेड चूत में डाल दिया। यानि गीता नीचे से और प्रिया ऊपर से ऋचा को चोद रही थी।
मैं भी ऋचा के पास पहुँचा और उसके मुँह में अपना लंड डालकर उसे चोदने लगा।
“कैसा लग रहा हैं ऋचा? तेरा तो पहला सेक्स इतना जबरदस्त हो रहा है।” प्रिया ने पूछा। मेरा लंड उसकी मुँह में होने की वजह से वो बोल नहीं पाई पर हाथ से इशारा करके बता दिया कि बड़ा मजा आ रहा है। उसके मुँह से सिसकारियां भले नहीं निकल रही थी पर ऊ ऊ ऊ आवाजें आ रही थी। इसका मतलब उसे बड़ा मजा आ रहा था। अह अ ओह उह उम्म करते करते वह झड़ गयी।
मैं भी झड़ने वाला था इसलिये मेरा लंड उसके मुँह से निकाल कर प्रिया की गांड में डाला। “ओह अह उह …” करती हुई प्रिया मेरे लंड को अपने गांड में ले रही थी। आखिरकार मैं भी उसकी गांड में झड़ गया।
पहला राउंड खत्म होने के बाद कुछ देर हम लोग यों ही एक दूसरे के बदन को सहलाते हुए लेटे रहे।
कुछ देर बाद प्रिया नीचे हो गयी, गीता बीच में थी, ऋचा ऊपर थी। यानि प्रिया गीता की चूत चोद रही और ऋचा गांड मार रही थी। मैं पहले जैसा ही बीच में लेटी हुई गीता के मुँह को चोद रहा था। अब गीता के मुँह से अममह अह अ उम्म उहह की आवाजें निकल रही थी।
कुछ देर गीता का मुँह चोदने के बाद मैंने ऋचा की गांड मारना शुरू किया। “आह ओह … येस फक मी … फक मी …” करके गीता चिल्लाने लगी। “और जोर से गांड मारो, मजा आ गया … मारो मारो मारो … यस फक हार्ड।” ऋचा भी मजे से बड़बड़ाने लगी।
यह दौर भी ऐसे ही कुछ देर चला और गीता के झड़ने के साथ खत्म हुआ।
फिर हम तीनों थोड़ा रेस्ट किया और प्रिया को बीच में ले लिया। अब नीचे ऋचा थी, बीच में प्रिया थी, गीता ऊपर थी। मैंने कुछ देर प्रिया का मुँह चोदा फिर गीता की गांड मारने लगा।
“चलो फकर्स … यह आख़री राउंड होने वाला हैं आज का! खूब चोदो, खूब मजे लो!” गीता बोली। “मुझे तो कभी नहीं लगा था इतना ज्यादा मजा करने को मिलेगा।” ऋचा बोली। “ईट्स ऑल बिकॉज़ ऑफ यू रवि जी! आप नहीं होते तो हम चारों कभी नहीं मिलते!” प्रिया बोली। “थॅक्स तो गीता को कहना चाहिए। उसने अपने घर पर यह मीटिंग अॅरेंज करवा दी।”
हम लोग बात कम कर रहे थे चुदाई में ज्यादा ध्यान था। “अ अ अ … या या या … ओह … यस … फक फक हार्ड … यार मजा आ गया!” हम चारों के मुँह से ऐसी ऐसी आवाजें आ रही थी कि पता ही नहीं चल रहा था कौन क्या बोल रहा था। पर मजा सभी को आ रहा था।
यह दौर भी मजे में गुजर गया और गीता भी झड़ गयी।
हम लोग काफी थके हुए थे कुछ देर यूं ही पड़े रहे, फिर नहा धोकर फ्रेश हो गये। फिर थोड़ा चाय नाश्ता लिया और हम सब अपने अपने घर चले गये।
मेरी यह कहानी भी बाकी कहानियों की तरह काल्पनिक है। मेरी कहानियों में रियलिटी नहीं होती। काफी दिनों से विधवा औरत और तलाक शुदा औरत पर कुछ लिखना चाह रहा था, इसलिये इस कहानी में प्रिया को विधवा और गीता को तलाकशुदा दिखाया गया है। आगे कभी इस विषय पर अलग से कहानी लिखने की कोशिश करूंगा।
पाठकों से अनुरोध हैं कि वो फालतू मेल ना करें। आपके अच्छे सुझाव नई कहानी में इस्तेमाल किये जा सकते हैं। बातचीत सिर्फ कहानियों को लेकर होगी। [email protected]
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