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चल अब नीचे बैठ जा घुटनों के बल और स्वर्णामृत का लुत्फ़ उठा … बाकि के दो अमृत जब जब समय आएगा तुझे पिला दूंगी.”
बाली रानी के कहे अनुसार मैं फर्श पर घुटनों के बल बैठ गया. रानी भी बेड के सिरे पर उकड़ू बैठ गयी. रानी ने मेरा सर पकड़ के चूत के पास मेरा मुंह लगा दिया और मुंह खोलने को बोला. मैं यह सब सुन कर बहुत कौतूहल में था कि ना जाने रानी की सुस्सू का स्वाद कैसा होगा … अगर मुझे पसंद न आया तो?
इससे पहले कि मैं कुछ ज़्यादा सोच विचार करता, रानी ने मेरा मुंह चूत पर सेट कर दिया और सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र की आवाज़ करते हुए अमृत की धारा मेरे मुंह में मारी. यारों आनंद से मैं पगला गया. क्या स्वाद था! वाकई में अमृत ही था. सुस्वादु अमृत !!! “क्यों कुत्ते अच्छा है ना?” रानी ने धार रोक के पूछा. “हाँ रानी मस्त है … बहुत ही मज़ेदार है … सारा पिला ना?” मैंने मचल कर गुहार लगाई. फिर क्या था, रानी ने धारा पूरी तेज़ी से छोड़नी शुरू कर दी. मैं कोशिश कर रहा था कि अमृत को अच्छे से मुंह में घुमा कर पूरा ज़ायका लेकर निगलूं, परन्तु धारा इतनी तेज़ आ रही थी कि मुंह में घुमाने का मौका नहीं था. मैं बस उस महान अलौकिक अमृत को सटकता ही चला गया. सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र … यह आवाज़ सुन के लौड़ा और भी ज़ोरों से अकड़ गया. अण्डों में ढेर सा माल भर जाने से भारी भारी से लगने लगे. बदन में बिजलियाँ दौड़ने लगीं. मैं मस्त होकर बाली रानी का स्वर्ण अमृतपान किये जा रहा था. शायद रानी को काफी ज़ोर से लगी थी. मुझे यह बाद में रानी ने बताया कि चुदाई के बाद अक्सर लड़कियों को सुस्सू आने लगती है. कई बार तो चुदाई में जब लौंडिया झड़ती है तभी सुस्सू भी थोड़ी सी निकल जाती है, विशेषकर यदि चुदाई में चूत ज़ोर से स्खलित हुई हो.
रानी के स्वर्ण मद्य को पीकर मैं नशे में हो गया था. रानी ने फिर मुझसे अपनी जांघों पर छलक के लगी हुई अमृत की कुछ बूँदें चटवाई. यारों रानी की चिकनी मुलायम जांघ से अमृत को चाट के नशा और भी बढ़ गया. रानी के शरीर का ज़ायका कौनसा किसी तेज़ दारू से कम था. एक तो नशीले बदन की नशीली जांघें और ऊपर से उस पर लगी हुई नशीले अमृत की बूदें … आअह आआह बहनचोद क्या कहने !!!
तभी बाली रानी कूद के मेरे पास नीचे आ गई और लिपट के मेरे मुंह पर चुम्मियों की झड़ी लगा दी. मैं मस्ती में डूब के कराहा- आआह आह्हः आह्ह्ह्ह रानी, रानी, मेरी रानी, हाल बिगड़ा हुआ लंड का … कुछ कर जानू इसका इलाज. हाय मर जाऊंगा … आआह्ह आआह्ह! रानी ने मेरे होंठ चूसते हुए फुसफुसाते हुए कहा- राजे, माँ के लौड़े … अभी देती हूँ तेरे संड मुसण्ड को इनाम … तूने अमृत पीकर अपनी रानी को बहुत खुश किया … अब से तू अपनी बाली रानी का गुलाम पिल्ला बन के रहेगा. मैं छटपटाते हुए चिल्लाया- हाँ हाँ रानी मैं हूँ तेरा पालतू पिल्ला … अब प्लीज़ लंड का कुछ इलाज कर … कमीना मारे डाल रहा है … देख डार्लिंग टट्टे कैसे फूल गए हैं … हाय हाय हाय अब नहीं रुका जा रहा … प्लीज़ जल्दी कर ना. रानी हंसी. बड़ी दिललुभावनी हंसी थी रानी की. यूँ लगता था कोई दूर कहीं हौले हौले से घंटियां बजा रहा हो. इन घंटियों की मधुर आवाज़ सुन कर मेरा घंटा भी तुनक तुनक के बजने लगा. “तसल्ली रख कुत्ते … सब्र का फल मीठा होता है … अभी दिखाती हूँ तुझे जन्नत के जलवे.” मैंने जवाब में सिर्फ एक लम्बी सी आह भरी.
रानी ने कहा- राजे, तू बेड पर चढ़ जा और सिरहाने से पीठ टिका के लेट जा. जो जो मैं तुझे इनाम दूँ उसको अच्छे से देखियो कमीने … तभी पूरा मज़ा मिलेगा. मैंने वैसा ही किया. रानी भी चढ़ गयी और लंड के पास एक साइड में बैठ कर लंड को प्यार से सहलाने लगी. साथ साथ लौड़े को पुचकारती भी जाती थी- हाय मेरे सण्ड मुसण्ड … कितना सख्त है तू … अब लूट अपनी मालकिन की चुसाई का मज़ा. रानी ने सुपारी की खाल पूरी पीछे कर के सुपारी नंगी कर दी और झुक के सुपारी की कई चुम्मियाँ ले डालीं. रानी ने फिर सुपारी को मुंह में होंठों से ज़ोर से दबा लिया, अंदर से जीभ से टुकुर टुकुर करने लगी और उँगलियों से टट्टों को हौले हौले से दबाने लगी.
बाली रानी के गर्म, गीले मुंह में जाकर सुपारी में भीषण उत्तेजना छा रही थी. तेज़ मज़े के लहरें लंड में ऊपर नीचे भाग रही थीं. रानी का हसीं मुखड़ा भी उत्तेजना से लाल हो गया था. उसको लौड़ा चूसते हुए देख देख के बहुत आनंद आ रहा था. सच में लौंडिया लौड़ा चूसते हुए बहुत ही अधिक अच्छी लगती है. बहुत मज़ा आता है किसी हसीन, सेक्सी लड़की को लौड़ा चूसते हुए के नज़ारे से. बहनचोद ठरक बढ़े ही जाती है. मैं लंड को बार बार तुनका रहा था. खुद बा खुद ही मेरे चूतड़ ऊपर नीचे उछलने लगे थे. मुंह से हाय हाय करते हुए सिसकियाँ निकल रही थीं.
अचानक रानी ने लौड़ा पूरा का पूरा मुंह में गड़प लिया. अब लंड दिखाई देना बंद होकर सारा रानी के मुंह में खो गया था. रानी के होंठ लौड़े की जड़ से चिपक गए थे और उसकी नाक मेरी झांटों से रगड़ खा रही थी. अब रानी ने दोनों हाथों से लंड को जड़ से पकड़ लिया और लंड के नीचे की तरफ वाली मोटी नस को उंगली से ऐसे टंकारने लगी जैसे सितार बजाने वाले सितार के तारों को टंकारते हैं. टुकुर टुकुर टुकुर … टुकुर टुकुर टुकुर. फिर टुकुर टुकुर टुकुर … टुकुर टुकुर टुकुर … मज़े से मै ज़ोर से चिल्लाया- आह आआह आआह!
फिर उसने ब़ड़े दुलार से लौड़ा मुंह में लिए लिए सुपारी के चारों तरफ जीभ घुमाई, लंड को बाहर निकाला, खाल पीछे करके टोपा पूरा नंगा कर दिया. सिर्फ टोपा मुंह के अंदर लेकर रानी ने खाल ऊपर नीचे करना शुरू किया. उसका मुंह बहुत गरम था और तर भी. लंड के मज़े लग गये.
अचानक बाली रानी ने जीभ की नोक सुपारी के छेद में घुसाने की कोशिश की. हालांकि जीभ ज्यादह अंदर घुस नहीं पायी, पर जितनी भी घुसी उससे मेरे पूरे बदन में एक बिजली जैसी सरसरी सी दौड़ गयी. मज़े की पराकाष्ठा हो चली थी. उसने तेज़ तेज़ लंड को हिलाना शुरू कर दिया. उसकी जीभ कमाल का आनंद दे रही थी. कभी वह अपनी गर्म गर्म, मुखरस से तर जीभ टोपे पर घुमा घुमा के चाटती और कभी वह दुबारा जीभ को मोड़ के नोक लंड के छेद में घुसा के एक तेज़ करंट मेरे बदन में फैला देती.
यकायक रानी ने मेरे दोनों अण्डकोश थाम लिये और लंड पूरा का पूरा मुंह में घुसा लिया. वह ब़ड़े प्यार से अंडों को सहला रही थी और तेज़ तेज़ सिर को आगे पीछे करती हुई लंड को अंदर बाहर कर रही थी. उसके घने बाल इधर उधर लहरा रहे थे. मज़े के मारे मेरी गांड फटी जा रही थी. मैं बड़ी तेज़ी से चरम सीमा की ओर बढ़ रहा था. मेरी साँसें तेज़ हो चली थीं और माथे पर पसीने की बूंदें झलक आईं थीं. रानी ने रफ्तार और तेज़ कर दी, उसे अहसास हो गया था कि मैं जल्दी ही झड़ सकता हूँ. रानी का मुंह उसके मुख रस से लबालब था, लौड़ा अंदर बाहर होता तो सड़प … सड़प … सड़प की आवाज़ें निकलती.
रानी ने मेरे लंड और गांड के बीच में जो मुलायम सा भाग होता है, उसे ज़ोर से दबा दिया. उसने अपने दोनों अंगूठे उस कोमल जगह पर गाड़ दिये. एकदम से एक तेज़ गर्म लहर मेरी रीढ़ से आर पार गुज़री, मेरे मुंह से एक ज़ोर की सीत्कार निकली और मैं झड़ा. मैंने बाली रानी के बाल भींच के एक ज़ोरदार धक्का मारा. लंड बड़ी तेज़ी से उसका पूरा मुंह पार करता हुआ धड़ाम से उसके गले से जाकर टकराया. ऊँची ऊँची सीत्कार की आवाज़ें निकलता हुआ मैं बहुत धड़ाके से झड़ा. लौड़े ने बीस पचीस तुनके मारे और हर तुनके के साथ गर्म वीर्य के मोटे मोटे थक्के रानी के मुंह में झड़े. अण्डों में जमा हुआ मक्खन निकल गया. मैं बिल्कुल निढाल होकर बिस्तर पर फैल गया और अपनी उखड़ी हुई सांसों को काबू पाने की चेष्टा करने लगा.
मेरा लंड झड़ के मुरझा चुका था और रानी की लार व मेरे लेस की बूँदों से लिबड़ा एक तरफ को पड़ा हुआ था. बाली रानी ने सारा वीर्य पी लिया था और फिर उसने लौड़े को नीचे से ऊपर तक चाट चाट कर अच्छे से साफ किया. रानी ने लंड के निचले भाग में मोटी नस दबा दबा के निचोड़ा. मलाई जैसे लेस की एक बड़ी बूंद टोपे के छेद से निकली जिसे उसने जीभ से उठाया और पी लिया. अब वह मेरे बगल में आकर लेट गई और प्यार से मेरे बालों में उंगलियाँ फिराने लगी. यह जो तूफान से मैं गुज़रा था उससे बदन एकदम ढीला सा पड़ गया था. रानी के सहलाने से उपजी मस्ती से आँख लग गयी.
थोड़ी देर के बाद मुझे अपने निप्पल्स पर कुछ महसूस हुआ तो नींद टूटी. बाली रानी का मुंह एक निप्पल के दबाये हुए था और दूसरी निप्पल पर रानी उंगली और अंगूठे से दबा रही थी. “जाग गया मेरा बब्बर शेर!” रानी की मधुर आवाज़ मेरे कानों में पड़ी. “ले दूध पी ले मेरे राज्ज्जे … ताक़त आएगी.” रानी ने मुझे कन्धों से पकड़ के उठा दिया और पास की मेज पर रखे गिलास को उठा कर मुझे दिया. उसमें केसर मिला हुआ गर्म दूध था. बहुत सारे बादाम, किशमिश, काजू और दो छुआरे भी थे. ढेर सारी मलाई पड़ी हुई थी.
तीन बार झड़ के और कुछ सुस्ता के भूख भी लग आयी थी तो फटाफट से मैंने दूध का गिलास खाली कर दिया. बहुत स्वाद दूध था. शायद जब मैं सो गया था तो रानी जाकर ये दूध तैयार कर लायी थी. रानी एक गिलास में कुछ लाल रंग का पेय पी रही थी. मैंने पूछा- क्या है? तो बोली- यह वाइन है. रेड वाइन! “तूने कभी कोई सी दारू चखी है राजे?” रानी ने एक सिप लेकर पूछा. मैंने शरमाते हुए कहा- हाँ रानी. दो चार बार मौका पाकर पापा की व्हिस्की चोरी से ली थी. बहुत थोड़ी सी ही ली ताकि उनको शक न हो कि व्हिस्की कम कैसे हो गयी.
“गुड कुत्ते … तुझे शरीर सुरा का स्वाद चखाऊँगी राजे … धीरे धीरे देखता जा तू.” “रानी जी यह शरीर सुरा क्या होती है?” मैंने अचम्भे से पूछा. “बुद्धू चंद … जब लड़की के शरीर के ऊपर से दारू पिलाई जाती है तो वो शरीर सुरा बन जाती है कुत्ते … जैसे अभी मैं तुझे एक सिप लेकर अपने मुंह से तेरे मुंह में डाल दूंगी तो वह मुख सुरा कहलाएगी … चुच्चों पर से टपकते हुए तुझे जो दारू पीने को मिलेगी वह चूचुक सुरा हो गयी … इसी प्रकार शरीर के जिस भाग से टपकाई जाने वाली दारू उसी भाग के नाम वाली सुरा हो जायगी … जैसे झांट सुरा, हाथ सुरा, चूतड़ सुरा, चरण सुरा इत्यादि … स्वर्ण अमृत के साथ मिला कर ली हुई दारू को स्वर्ण सुरा कहते हैं राज्ज्जे राजा … तसल्ली रख कुत्ते सब किस्म की सुरा मिलेगी.”
मैं आश्चर्य चकित सा यह सुन रहा था. ऐसी बातें हम लड़कों को बिल्कुल भी मालूम नहीं थीं. न किसी ने बताई, न किसी चुदाई वाली कहानी में पढ़ी और न ही किसी ब्लू फिल्म में देखी. सच में हम एकदम अज्ञानी मूर्ख ही थे.
तभी बाली रानी ने वाइन का एक सिप लिया और मेरा सर भींच के मेरे मुंह से मुंह लगा दिया. स्वतः ही मेरा मुंह खुल गया और रानी ने अपने मुंह में ली हुई वाइन मेरे मुंह में छोड़ दी. तो यह थी बाली रानी की मुख सुरा. एक सिप वाइन से तो खैर नशा क्या होता मगर रानी के मुखरस जो वाइन में मिल गया था उसने ज़रूर मुझे सरूर चढ़ा दिया. लंड झनझना के उठ खड़ा हुआ. रानी ने जब दो चार इसी प्रकार बड़े बड़े सिप लेकर जो मुझे वाइन पिलाई तो मुख सुरा का सरूर पूरा परवान चढ़ गया.
रानी ने लंड को मुस्कुराते हुए सहलाना शुरू कर दिया- यार राजे, यह तेरा सण्ड मुसण्ड तो बड़ा ही शैतान है. तीन बार झड़ने पर भी इसकी तबियत नहीं भरी. रानी की कुलकुलाती हुई आवाज़ भी नशा चढ़ाने वाली थी. पुच्च … पुच्च … पुच्च करते हुए रानी ने फूले हुए टोपे के कई चुम्बन ले डाले, फिर बोली- अच्छा राजे आज के लिए काफी हो गया … तेरे घर वाले भी फ़िक्र कर रहे होंगे … अब तू जा … वैसे दिल तो नहीं होता कि तुझे भेजूं मगर भेजना तो पड़ेगा ही … कल से तू रोज़ 4 बजे आ जाया कर … तेरे पापा के लिए मैंने एक पत्र लिख दिया है … उसमें मैंने कहा है कि तू अंग्रेजी में बहुत कमज़ोर है जिसके लिए तुझे हर रोज़ दो तीन घंटे पढ़ना पड़ेगा … यह भी लिख दिया कि तू बहुत इंटेलीजेंट लड़का है इसलिए थोड़ी सी कोचिंग मिल जायगी तो एकदम परफेक्ट हो जायगा.
रानी ने मेरा मुंह थाम के बहुत लम्बा चुम्बन लिया और लौड़े पर एक बार नीचे से ऊपर तक जीभ फिराई. ” कल के लिए भी कई मस्ती देने वाले आईडिया हैं तेरी रानी के पास … बस तू देखता जा कैसे कैसे तेरी ऐश करवाती तेरी मालकिन.” बड़ी मुश्किल से चुदाई के नशे में धुत्त मैंने कपड़े पहने, रानी से पापा के लिए लिखा पत्र लिया और रानी को गुड़ नाईट कह कर साइकिल उठाकर घर चला गया.
मेरी सुध बुध गुम थी. मन रानी के मदमाते कामुकतापूर्ण शरीर में उलझा हुआ था. बार बार रानी ने जो जो किया या कहा था वो सब एक फिल्म की तरह मेरे मन में चल रहा था. कुछ नहीं पता घर पहुंचकर क्या कहा, क्या सुना, क्या खाया, क्या पिया. बस यह याद है कि पापा को रानी वाला पत्र थमा दिया था. और कुछ भी याद नहीं. रात को सोया भी बड़ी मुश्किल से. दो बार मुट्ठ भी मारी क्यूंकि लंड था कि बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था.
कहानी जारी रहेगी. चूतनिवास [email protected]
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