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मेरी सेक्स कहानी के पहले भाग पड़ोस की भाभी की गर्म चूत में मेरा लंड-1 में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने अपने पड़ोस की एक भाभी को पहले कपड़े बदलते अधनंगी देखा, फिर उसे किसी गैर मर्द से चुदाई करवाते देखा. मैंने भी भाभी को चोदना चाहा, और भाभी के पराये मर्द से सम्बन्ध का वास्ता देकर भाभी को चुदाई के लिए मना भी लिया लेकिन मैं ज्यादा कुछ नहीं कर पाया.
मैंने भाभी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए. भाभी के ब्लाउज के ऊपर से चुचे दबाने लगा. भाभी भी विरोध नहीं कर रही थीं. मैंने भाभी को जल्द से चोदना बेहतर समझा और भाभी को नंगी करके चित लिटा दिया. मैंने भाभी की बुर में लंड डाल दिया, लेकिन दोस्तों अति उत्तेजना की वजह से मैं न जाने क्यों 2 मिनट भी टिक नहीं पाया. भाभी मुझ पर हंस पड़ीं और कपड़े पहन कर चली गईं.
उसके बाद भाभी ने मुझे शिकायत करने की धमकी दी और मैं भी अपनी मर्दानगी साबित नहीं कर पाया था.< उस दिन तो मैं भाभी को ज्यादा समय तक चोद नहीं पाया था तो मुझे खुद पर गुस्सा आ रहा था. भाभी ने भी अपना राज खुलता देखा, तो वे भी कुछ दिनों बाद इस शहर छोड़ कर चली गईं. अब वो नागपुर में रहने लगी थीं. भाभी के जाने के बाद मैं भी अपनी पढ़ाई की ओर ध्यान देने लगा. मैंने अपनी पढ़ाई पूरी की और जॉब करने लगा. मुझे भाभी से मिले हुए काफी समय हो चुका था. मैं भी जॉब के कारण नागपुर में शिफ्ट हो गया था. एक दिन मैं शाम को ऑफिस से घर जा रहा था, तब मुझे भाभी बस स्टॉप पर दिख गईं. मैं थोड़ी देर हैरान हुआ, मैं भाभी को काफी समय बाद देख रहा था. मैं कुछ सोच में था कि भाभी से मिलूं या न मिलूं. मुझे उनकी सूरत देख कर भी कुछ भ्रम हो रहा था कि ये भाभी ही हैं या कोई उनसे मिलती जुलती हुई अन्य लेडी हैं. काफी देर देखने के बाद मैं पक्का हो गया. फिर मैं भाभी की ओर चल दिया. मैं भाभी से जाकर बात करने लगा. उन्होंने मुझे पहचाना नहीं, क्योंकि अब मैं दाढ़ी मूंछ रखने लगा था और थोड़ा वजन भी बढ़ गया था. फिर भाभी ने मुझे पहचान लिया. हम दोनों बातें करने लगे. थोड़ी देर मैंने उनसे उनका नम्बर मांगा, भाभी ने मुझे नम्बर दे दिया. इसके बाद मैं अपने घर चला गया. इसके बाद मेरा अपने होम टाउन जाना हुआ, तो मैं भाभी से फोन पर बात ही नहीं कर सका. लेकिन कुछ दिनों बाद मैं वापस नागपुर आ गया. मैं एक दिन भाभी को कॉल किया, उनको मिलने के लिए अपने घर बुलाया. भाभी आईं हम दोनों ने साथ में डिनर किया. मेरी हिम्मत अब भी उनसे कुछ कहने की नहीं हुई. कुछ दिनों बाद भाभी का कॉल आया और वे कहने लगीं- आज रात को खाना खाने मेरे घर आ जाओ. मैंने हां कर दी. शाम को मैं भाभी के घर गया. इस बार मैं कोई चान्स नहीं छोड़ना चाहता था. आज मैं कंडोम साथ में लेकर चला गया था. हमारा खाना हो गया और मैं सोफे पर पसर कर आराम करने लगा. मैं भाभी की राह देख रहा था कि वे मुझे रुकने की कहें, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं बोला. फिर मैंने ही हालात को समझते हुए बोल दिया कि अब आज आपके घर से जाने का मन नहीं कर रहा. बहुत दिनों बाद घर का खाना खा लिया, तो आराम करने का मन कर रहा है. तो भाभी भी बोल पड़ीं- रुक जाओ फिर. मैंने भी झट से हां कर दी. हम दोनों बातें करने लगे. भाभी- अच्छा प्रणय, तुमने अभी तक कोई जीएफ पटाई या नहीं? मैं- हां भाभी पटाई है न. भाभी- अच्छा उसको लेकर कुछ और भी बताओ न. मैं- आप ही बताओ भाभी कैसी चल रही है जिंदगी. भाभी- मजे में है. सब ठीक है ... भंडारा से अधिक अच्छा लगता है यहां. मैंने पुरानी बातें छेड़ दीं, तो भाभी इस बार खुलके बात करने लगीं. मैं उनकी सेक्स लाइफ के बारे में पूछने लगा. उन्होंने कहा- सब ठीक है. मैं भाभी के और करीब हो गया और उनके चुचे दबाने लगा. भाभी अब तक हरकतों से रंडी बन चुकी थीं. भाभी ने कहा- तू सुधरेगा नहीं ... अहह साले धीरे दबा न. मैं जोर जोर से भाभी के मम्मे दबाने लगा. भाभी इस वक्त एक गाउन में थीं. मैं काफी देर चुचे ही दबा रहा था. भाभी बोलीं- हो गया ... मेरे आम कितनी देर दबाएगा? आम का रस बाहर निकलने को बेचैन है. मैं समझ गया और मैंने भाभी का गाउन उतार दिया. अब मैं उनके नंगे चुचे चूसने लगा. भाभी सिसकारियां लेने लगीं- शश ... आहहह ... हम्म. वो अति उत्तेजना में मेरे बाल खींचने लगीं, मैं भी भाभी की पीठ को जोर जोर से दबाए जा रहा था और चुचे चूसे जा रहा था. दोस्तो, मैं अब तक इतना कामुक लड़का हो चुका था कि अब तक मैं लगभग 20 लड़कियों भाभियों और आंटियों के साथ सेक्स कर चुका था. मुझे पता चल चुका था कि चुदाई से पहले लड़की को कैसे ज्यादा गर्म किया जाता है और उसको कैसे ज्यादा मजा दिया जाता है. भाभी इतने में ही गर्म हो गयी थीं. शायद उनको काफी समय बाद सेक्स करने को मिल रहा था. भाभी मेरी शर्ट खोलने लगीं. अब मैं सिर्फ पैंट में रह गया था और भाभी पैंटी में आ गई थीं. उन्होंने नाइटी के नीचे सिर्फ पेंटी ही पहनी थी. भाभी के चुचे चूसते चूसते मैं उनकी चूत में भी उंगली कर रहा था. भाभी की चुत से पानी टपकने लगा था. मैं भाभी को और गर्म करना चाहता था, ताकि लंड के कुछ ही झटके में भाभी झड़ जाएं. दोस्तो, ये तय बात है कि अगर किसी औरत को पूरा सैटिस्फैक्शन देना हो, तो उसे पहले खूब गर्म करो. मैं जोर जोर से सांसें लेते हुए भाभी को इधर उधर चूमे जा रहा था. उनके कान के पास जाकर धीरे से कुछ बोल लेता था, इससे भाभी और गर्म हो जा रही थीं. अब भाभी पूरी गर्म हो चुकी थीं. भाभी ने मेरा पैंट उतारा और मेरे बाबूराव को हाथ में पकड़ कर उससे खेलने लगीं. भाभी- ये तो कितना मोटा और काला हो गया है रे. मैं- हां तो भाभी ... मैं भी तो बड़ा हो गया हूँ. भाभी मेरा लंड चूसने लगीं. उनकी बेताबी से ऐसा लग रहा था कि वे न जाने कितने जन्मों की प्यासी हैं. मुझे भी मजा आने लगा. वो लंड चूसे जा रही थीं, मैं उनके बाल खींच रहा था, पीठ दबा रहा था. अब मैंने भाभी को उठा लिया और बेडरूम की तरफ ले गया. बेड पे आते ही मैंने भाभी की पैंटी निकाल ली और अपने लंड पे कंडोम चढ़ाने लगा. भाभी बोलने लगी- तू पहले मेरी चुत चाट.. मैंने चूत चाटने से मना कर दिया. मैं बोला- भाभी आपके चुत पे बाल हैं. भाभी- तो बाल काट दे न. अब मैं क्या करता. मैंने भाभी के बालों पर हेयर रिमूवल क्रीम लगा दी और भाभी को किस करने लगा. कुछ मिनट बाद मैं भाभी को बाथरूम ले जाकर सफाई करने लगा और शॉवर चालू कर कर उनकी चिकनी चुत चाटने लगा. मैं भाभी की चुत के दाने पर अपनी जुबान लगा कर उससे खेलने लगा और बीच में काटने भी लगा. भाभी पानी छोड़ने लगीं. फिर मैंने कंडोम लगा कर चुत में लंड डाल दिया और चुदाई शुरू की. भाभी हल्की सी आवाज उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकाल रही थीं. कुछ देर की डॉगी स्टाइल में चुदाई के बाद मैं भाभी को बेड पे ले गया. अब मैंने उनको चित लिटा कर भाभी की चुत में लंड डाल दिया. भाभी ने अपनी टांगें मेरी कमर पर रख दीं और मेरे बालों को खींचते हुए ‘आह ... उहहम्म..’ करने लगीं. बस 10 मिनट बाद मेरा माल आने को था. मैंने चुदाई की स्पीड़ बढ़ा दी. भाभी की आवाजें तेज होने लगीं- ह्म्म्म हम्म ह्म्म्म अहछह अहद अहह. भाभी अपनी गांड ऊपर उठा कर चुद रही थीं. तभी भाभी ने कस कर मुझे पकड़ लिया और झड़ने वाली थीं. मैं भी झड़ने वाला था. मैंने स्पीड बढ़ा दी. मैं लंड का टोपा चुत के बाहर तक लाकर अन्दर बाहर करने लगा. ऐसी चुदाई से भाभी को दर्दीला आनन्द मिल रहा था. कुछ ही पलों बाद हम दोनों साथ में झड़ गए. भाभी और मैं निढाल हो कर एक दूसरे को चिपका कर लेट गए. थोड़ी देर बाद भाभी फिर से शुरू हो गईं. भाभी को पूरा अनुभव था. उन्होंने मेरा लंड चूस चूस के खड़ा कर दिया. हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए थे. मैं फिर से उनके चुचे चूसने लगा. अबकी बार मैं चित लेट गया और भाभी ने मेरे ऊपर आकर अपनी चुत में मेरा लंड घुसा लिया. मैंने भाभी के हाथ में अपने हाथ में पकड़ लिया और भाभी मुझे चोदने लगीं. मैं भाभी को किस करने लगा. भाभी चुदते हुए अपने चुचे मेरे मुँह में देने लगीं. मैं बुरी तरह चूसे जा रहा था, काट भी लेता था. भाभी चुदासी औरत की तरह चुद रही थीं. पूरे रूम में पच पच की आवाज गूंजने लगी और भाभी मस्ती से चुदने लगीं. मैं भाभी की चूत के ऊपरी दाने को सहलाने लगा. कुछ ही देर में भाभी थक गईं. अब मैंने नीचे से धक्के लगाने चालू कर दिए. उनकी आवाजें और बढ़ गईं. भाभी की चूत से पच पच ... और उनके मुँह से ‘अहहहह ह्म्म्म हज्ज्ज् मममम अम्म..’ निकल रहा था. अभी भाभी को लंड का पूरा मजा देने मैं भी पूरी ताकत के साथ उनकी चुदाई कर रहा था, जिससे मेरी भी कामुक आवाजें निकलने लगीं ‘आहहह ... मेरी जान ... ले साली ... लंड खा ... यहहह यसस! काफी देर की चुदाई के बाद मैंने झटके से भाभीजी को अपने लंड के नीचे कर लिया और भाभी की दोनों टांगें उठा कर उनको धकापेल चोदने लगा. भाभी दर्द और मजे से से चिल्ला रही थीं. बाद में मैंने भाभी की टांगें अपने कंधों पे रख लीं और लम्बे लम्बे शॉट मार कर भाभी को चोदने लगा. चुदाई की रफ्तार इतनी तेज हो गई थी कि पलंग भी चूँ चूँ करने लगा था. बस 2-3 मिनट बाद मैं उनकी चूत में ही झड़ गया. इस बार भाभी के झड़ने का का पता ही नहीं चला. वो एकदम निढाल पड़ी हुई थीं. उन्हें देख कर ऐसा लग रहा था, जैसे सड़क पर रोलर चला दिया गया हो. उसके बाद मैं उस दिन वहीं रुका और बाद में भाभी की इच्छा पर 3 दिन तक रोज रात को आकर भाभी को जमके पेलता था. आज भाभी मेरी बीवी की तरह हैं. भाभी की लंड लेने की आदत से मुझे भी एक फायदा हुआ कि मेरे लंड को चूत का मजा मिलने लगा. ये थी मेरी और भाभी की चुदाई की कहानी. दोस्तो, यह मेरी सच्ची कहानी है, किसी तरह की कल्पना नहीं है. आपको शायद कहानी पढ़ने में मजा आया होगा. उम्मीद करता हूँ कि आप मुझे ईमेल करके जरूर बताएंगे. ताकि मैं आगे और भी कहानी लिख पाऊं. फिलहाल दोस्तों विदा दीजिये. मैं आपको अगली कहानी में बताऊंगा कि मैंने अपनी सील पैक सहेली को कैसे चोदा. 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