This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
मेरे प्यारे दोस्तो, मेरा नाम राजवीर सिंह है. मैं साधारण सा दिखने वाला 28 साल का आदमी हूँ. मेरे लंड का आकार सामान्य ही है, जो कि 6 इंच लम्बा 2 इंच मोटा और थोड़ा आगे से मुड़ा हुआ है.
मैं राजस्थान के झुंझुनू जिले के एक गांव का रहने वाला हूँ और अभी अजमेर में रहता हूँ. ये कहानी मेरी मेरी और भाभी की है.
मेरे परिवार में मैं मम्मी सुमन, पापा रघुनाथ सिंह और मेरी पत्नी माया रहते हैं. कभी कभी हम लोग गांव आते जाते रहते हैं. वहां हमारे ताऊजी के एक लड़के हैं, जिनकी बीवी का नाम सरोज है. सरोज भाभी का मस्त गदराया बदन है. उनका 34-28-35 का फिगर एकदम मदमस्त है. सरोज भाभी एक देसी माल हैं. मैंने सुना भी था कि वो थोड़ी चालू टाइप की औरत हैं.
पहले जब मैं गांव में किसी काम से गया था … तो उस वक्त मैं पड़ोस के एक घर में गया हुआ था. वहां मुझे कुछ भारी सामान छोड़ना था, तो मैं थोड़ा थक गया था. इसलिए मैं पानी पीने जब अन्दर गया, तो सरोज भाभी और उनके साथ दो भाभियां और थीं, जो आपस में बातें कर रही थीं.
मैंने जब पीने के लिए पानी मांगा तो सरोज भाभी बोलीं- बहुत थक गए क्या? मैंने हां कहा. तो भाभी हंस के बोलीं- किस पर इतनी मेहनत की है? मैं शर्मा के वहां से चला आया.
भाभी की इस बात से मुझे समझ आ गया था कि भाभी एक चालू माल हैं और इसको लंड की जरूरत है.
कुछ दिन बाद मेरी मम्मी ने कुछ कपड़े सरोज भाभी को देने के लिए कहा, तो मैं कपड़े ले कर उनके यहां गया. मैंने देखा कि वहां भाभी और उनका लड़का था. मैं कपड़े देकर वापस आने लगा. तो भाभी बोलीं- बैठ जाओ … चाय पीकर चले जाना.
मैं वहीं बैठ गया. मैंने उसके लड़के को चॉकलेट लेने दुकान पे भेज दिया और उससे बातें करने लगा.
मैंने उससे कहा कि उस दिन वो किस मेहनत की बात कर रही थी? तो सरोज भाभी ने कोई जवाब नहीं दिया बस मुस्कुराने लगी.
मेरी हिम्मत बढ़ गयी और मैंने उसका हाथ अपनी पेंट के ऊपर से ही लंड पर रख दिया. उसने हाथ हटा लिया और मुस्कुराने लगी.
मैंने चैन खोल कर उसका हाथ अपनी चड्डी में डाल कर लंड उसके हाथ में दे दिया. उसने वापस हाथ निकाल लिया और वो हंसते हुए चाय बनाने के लिए रसोई में चली गयी. मैं भी भाभी के साथ रसोई में आ गया.
जैसे ही भाभी ने चाय का पानी स्टोव पे रखा, मैंने उसे पीछे से छूना शुरू कर दिया. भाभी धीरे धीरे हंस रही थी. मुझे लगा कि लाइन क्लियर है, तो मैंने उनको पीछे से पकड़ लिया. मैं ऊपर से ही उनके चूचों को दबाने लगा. वो इस अचानक हुए हमले से घबरा गयी और मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी.
तभी मैंने उनको पीछे से ही झुका कर उनका घाघरा (लहंगा) ऊपर उठा दिया और उनकी गोरी गोरी जांघों को सहलाने लगा. जब मैंने उनका घाघरा और ऊपर किया, तो मैंने देखा उसने पेंटी नहीं पहन रखी थी. जिससे मुझे उनकी मोटी गांड दिखाई देने लगी. मैंने 2-3 चांटें उनकी गांड पे मार कर दबाने लगा.
भाभी की गांड लाल हो गयी और उसकी आंखों से पानी आने लगा. फिर मैं धीरे धीरे हाथ उसके आगे ले जाने लगा. तभी मेरी नजर दरवाजे पे पड़ी, तो देखा वहां उसकी छोटी बहन खड़ी थी और हमें ही देख रही थी. मैंने झट से सरोज भाभी को छोड़ दिया और चाय बनाने का बोलने लगा.
फिर जल्दी से चाय पी कर मैं घर आ गया. रात को मैंने उसकी गांड को याद करके 2 बार मुठ मारी और सो गया.
कुछ दिन बाद अजमेर में हमने नया मकान लिया, तो वो भाभी भी भैया के साथ आई. उस समय मेरी बीवी पेट से थी, तो मैंने कई दिनों से सेक्स नहीं किया था.
सरोज को देखते ही मेरी आंखों में चमक आ गयी. वो जब रसोई में काम कर रही थी, तो मैं बार बार रसोई में जा कर उसके चुचे और गांड मसल रहा था. वो बोली- कोई आ जाएगा, मत करो. तो मैंने कहा- आज तो तेरी चूत चाहिए. वो बोली- शाम को करेंगे. मैं यह सुन कर खुश हो गया और सरोज भाभी के कपड़ों के ऊपर से ही जोर से एक बार उसकी चूत मसल कर बाहर आ गया.
शाम को पापा ने मुझे कहा कि तेरी भाभी को उनके किसी रिश्तेदार के यहां जाना है … तो गाड़ी में ले जा और वापस भी ले आना. यह सुनते ही मेरा लौड़ा सलामी देने लगा. मैंने उसे ड्राईवर के पास वाली सीट पे बैठाया और ले कर चल दिया. बीच में सुनसान रास्ते में पहुंचते ही मैंने जेब से सिगरेट निकाल कर जला ली.
वो बोली- तुम सिगरेट भी पीते हो? तो मैंने कहा- मैं तो और भी बहुत कुछ पीता हूँ. वो हंस दी.
मैंने भाभी की चुचियों को जोर से दबा दिया. वो बोली- अभी नहीं, चालू रोड है, कोई देख लेगा.
मैंने गाड़ी साइड में पार्क की और उसे किस करने लगा. वो मना कर रही थी, फिर भी मैंने उसकी पेंटी निकाल दी. मैं उसकी चूत में उंगली करने लगा. वो आहें भर रही थी- आआअह्ह ऊऊओह्ह ह्हह … ह्म्म्म..’ करके मेरे सर में हाथ फिरा रही थी. जैसे ही मैंने उसकी चूत पे मुँह लगाया, वो मना करने लगी कि कोई देख लेगा.
तभी मेरे मन में ख्याल आया कि क्यों न उसे अपने पुराने घर ले जाऊं, वहां वैसे भी कोई नहीं था. मैंने उसके हाथ में अपना लंड दिया और कहा- तुम इसे प्यार करो. मैं खुद कार ड्राइव करने लगा. थोड़ी देर में हम हमारे पुराने घर के बाहर पहुंच गए. मैंने उसे अन्दर चलने को कहा, तो वो मना करने लगी कि देर हो जाएगी. मैंने कहा- बस 5 मिनट में फ्री कर दूंगा.
भाभी मेरे साथ अन्दर आ गयी. अन्दर आते ही मैंने गेट बंद किया और उसे चूमने लगा. वो बोलने लगी- जल्दी करो, देर हो रही है.
मैंने जैसे ही उसकी ओढ़नी उतारी, तो वो फिर मना करने लगी कि कपड़े मत उतारो, ऐसे ही खड़े खड़े कर लो.
उसे मैंने दीवार से टिकाया और उसका घाघरा ऊपर किया, तो देखा उसकी चूत बुरी तरह पानी छोड़ रही थी. मैंने अपनी पेंट की चैन खोली और लंड निकाल कर उसके मुँह में दे दिया. थोड़ा चूसने के बाद मैंने अपना लंड उसके मुँह से निकाला और खड़े खड़े ही उसकी चूत में घुसा दिया. वो दर्द से कराह उठी.
हम 5 मिनट ऐसे ही खड़े ही चुदाई करते रहे. फिर मैं उसके होंठों और गालों को चूमने लगा. मैं एक हाथ से में उसके चूचों को दबा रहा था. मैंने उसकी कुर्ती और कांचली (राजपूती कपड़ों) को ऊपर करके उसके निप्पल को चूसना शुरू कर दिया.
उसके गोरे चूचों पर काले निप्पल बहुत प्यारे लग रहे थे. मैंने धीरे से उसके निप्पल को जीभ से चाटा और मुँह में भर कर चूसने लगा. उसकी पूरी चूची मेरे मुँह में भी नहीं आ रही थी. सरोज भाभी लम्बी लम्बी सिसकारियां लेने लगी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ तो मुझे लगा ये सही समय हैं मैंने बिना देखे ही 3 खतरनाक धक्के लगा दिए. मेरा लंड पूरी तरह उसकी चूत में फिट हो गया. उसकी चूत काफी टाइट थी. वो दीवार से टिकी हुई बार बार काम वासना से भरी सिसकारियां भरने लगी.
मैं भी जल्दी जल्दी उसे चोदने लगा. दस मिनट लगातार चोदने के बाद मेरा होने वाला था. मैंने उससे कहा- माल कहां गिराऊं? वो बोली- अन्दर ही आने दो. तो मैंने अपना माल उसकी चूत में ही छोड़ दिया. तब तक वो भी दो बार झड़ चुकी थी.
चुदाई का मजा लेने के बाद उसने अपनी चूत को अपने घाघरे से पौंछ लिया और मुस्कुराते हुए मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चाट चाट कर साफ़ कर दिया. फिर मैंने अपने कपड़े सही किये और हम दोनों वहां से निकल गए.
मैंने इसके बाद उससे पूछा कि उस दिन रसोई में तुम्हारी छोटी बहन ने देखा था तो उसने कुछ कहा था. वो मुस्कुरा कर कहने लगी- उसको भी तुमसे चुदवाना है. मैं खुश हो गया और लंड को थपकी देकर बोला- वाह एक के साथ एक फ्री.
इसके बाद मैंने उसकी बहन को और उसे गांव के खेत में कैसे चोदा, उसकी कहानी भी जल्दी ही लिखूंगा.
दोस्तो, मेरी ये सच्ची कहानी कैसी लगी जरूर बताएं. मुझे ईमेल करके अपनी राय जरूर दें. आपका अपना राजवीर शेखावट [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000