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नमस्कार मित्रो … मेरा नाम राज है और मैं गुना (म.प्र.) का रहने वाला हूँ. मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ.
दोस्तो, हम एक संयुक्त परिवार में रहते हैं और मेरे परिवार में मुझे मिलाकर 25 लोग हैं.
यह बात आज से पूरे एक साल पहले की है, जब मेरी बुआजी की बेटी की शादी थी. शादी इंदौर से थी, तो सभी लोग इंदौर जाने के लिए एक दिन पहले ही तैयार हो गए थे.
मेरी प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा के कारण मैं घर पर ही था और मेरी चचेरी भाभी सोनम, जिनकी अचानक ही तबीयत बिगड़ गयी थी, वे भी घर पर ही रुक गई थीं. चूँकि घर पर मैं था, तो किसी को भाभी के घर पर रुकने से कोई ऐतराज़ नहीं हुआ.
रात को सभी लोग इंदौर के लिए निकल गए. घर पर कोई ना होने के कारण मैं और भाभी, भाभी के कमरे में ही सो रहे थे. भाभी की तबीयत ठीक ना होने के कारण मैंने ही दूध गर्म किया और भाभी और मैं साथ में दूध पीकर सो गए.
रात को करीब 2 बजे मुझे एहसास हुआ जैसे कोई मेरे लंड को आगे पीछे कर रहा है. पहले मुझे लगा शायद मैं सपना देख रहा हूँ और मैं नींद में ही रहा. लेकिन थोड़ी देर बाद मुझे अपने लंड पर गीला गीला सा महसूस हुआ.
मैं अचानक से उठा और देखा तो सोनम भाभी मेरा लंड मुँह में लेकर चूस रही थीं. मैंने भाभी से कहा- भाभी आपकी तो तबीयत खराब थी, और ये सब आप क्या कर रही हैं? तो भाभी रोने लगीं.
मैंने अपना लंड पैन्ट के अन्दर किया और भाभी को संभालते हुए उनके आंसू पोंछने लगा. मैंने उनसे इस सबकी वजह पूछी. उन्होंने मेरी गोद में सिमटे रह कर बताया कि भैया से मैं बिल्कुल भी खुश नहीं हूँ. तुम्हारे भैया दुकान से रात को घर आते हैं और थकान के कारण जल्दी सो जाते हैं. मैं उनकी बात सुनकर अवाक था.
उन्होंने आगे बताया कि शादी के बाद से मैं बस 8-9 बार ही चुदी हूँ और भैया का लंड भी छोटा सा होने के कारण पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हो पाती हूँ, इसीलिए आज मैंने तबीयत खराब होने का बहाना बनाया था. जिससे मैं आपके साथ चुदाई कर सकूं. यह कहते हुए भाभी ने फिर से मेरे लंड को पकड़ लिया.
मैंने भाभी की खुल्लम खुल्ला बात सुन उनके गाल पर चुंबन धर दिया और कहा- मेरी प्यारी भाभी अगर तुम्हें चुदना ही था … तो इतने दिनों तक इंतज़ार करने की ज़रूरत क्या थी. मुझे एक बार कहा होता, मैं तुम्हारी फुद्दी फाड़ डालता. मेरे मुँह से ये सुनकर भाभी खुशी के मारे फूली नहीं समाई और मुझे ज़ोर ज़ोर से चूमने लगीं.
करीब 15 मिनट तक चूमने के बाद मैंने भाभी से कहा- कल मेरा एग्जाम है तो सुबह मुझे जल्दी उठना होगा. अभी 3 दिनों तक घर पर कोई आने वाला नहीं है तो कल मेरे एग्जाम देकर आने से पहले तुम तैयार रहना. तुम अपनी सुहागरात की तैयारी करना. भाभी खुश हो गईं. इसके बाद हम दोनों एक दूसरे की बांहों में बांहें डाल सो गए.
मैं अगले दिन सुबह 6 बजे उठ गया था और अपनी पढ़ाई कर रहा था. मैंने भाभी को नहीं उठाया था, लेकिन कुछ ही देर बाद भाभी मेरे कमरे में आईं और पीछे से आकर मुझे चूमने लगीं. मैंने भाभी से कहा- भाभी थोड़ा कंट्रोल करो. लेकिन वो नहीं मानी और मेरा लंड चूसने की ज़िद करने लगीं. आख़िरकार उन्होंने मेरा लंड पैन्ट में से निकालकर चूसना शुरू कर ही दिया.
आह … क्या मस्त लंड चूस रही थीं भाभी. ऐसा लग रहा था मानो बहुत ही अनुभवी और चुसक्कड़ रही हों. उनसे लंड चुसवाने से मेरे सारी शरीर में एक लहर सी दौड़ गयी थी. लगभग दस मिनट की लंड चुसाई के बाद मैंने अपना माल भाभी के मुँह में ही निकाल दिया और वो एक प्यासी औरत की तरह सारा का सारा माल एक ही घूंट में पी गईं.
फिर मैं तैयार होकर एग्जाम देने चला गया. एग्जाम हाल में एग्जाम देने से ज़्यादा मेरा दिमाग़ भाभी को चोदने में लग रहा था. आख़िर ये मेरी पहली चुदाई का मौका था. मैं बस भाभी के मम्मे और चुत के बारे में सोच सोच कर ही पागल हुआ जा रहा था.
आख़िरकार दो बज ही गए और मेरे इंतज़ार की घड़ी ख़त्म हुई. एग्जाम खत्म हुआ और मैं तुरंत कॉलेज से बाइक उठाकर मेडिकल स्टोर गया और वहां से एक पैकेट कंडोम का लिया.
घर पहुंचते ही देखा तो भाभी गैलरी में से ही मेरी राह देख रही थीं. मुझे देखते ही जल्दी से नीचे दरवाज़ा खोलने आ गईं. भाभी ने जैसे ही दरवाज़ा खोला, मैंने उन्हें तुरंत बांहों में ले लिया और भाभी ने अपने हाथों से गेट को बंद कर दिया. मैं भाभी को अपनी गोद में उठाकर बेडरूम में ले जाने लगा. तो भाभी ने कहा- बेडरूम में नहीं हम हॉल में ही मजा करेंगे. मैंने सारे इंतज़ाम यहीं कर लिए हैं.
मैं भाभी को हॉल के पलंग पर लिटाया और जूते खोल कर उनके ऊपर चढ़ गया. भाभी की वासना उनके चेहरे से ही दिखाई दे रही थी. ऊपर से उन्होंने जो पर्फ्यूम लगाया था, वो मुझे भी मदहोश किए जा रहा था.
एक लंबे चुंबन के बाद भाभी ने मुझे रोका और किचन में जाकर दो ग्लास में हल्दी का दूध लेकर आ गईं. मैंने पूछा- इसकी क्या ज़रूरत थी. तो उन्होंने कहा कि हल्दी के दूध से कामशक्ति मिलती है और मैं तुमसे अपना बच्चा चाहती हूँ.
यह बात सुनकर मेरे होश उड़ गए. मेरा खड़ा लंड बैठ गया. मैंने भाभी से कहा कि लेकिन भाभी ये तो भैया का अधिकार है. वो कहने लगीं- अधिकार है, लेकिन इसके लायक उनमें शक्ति ही नहीं है. तुम्हारे भैया बच्चा पैदा नहीं कर सकते. मैंने भाभी से पूछा- क्या ये बात भैया को पता है? तो उन्होंने बताया कि भैया को अभी इस बारे में कुछ पता नहीं है. मैंने डॉक्टर की रिपोर्ट्स के बारे में किसी को नहीं बताया है. इतना कह कर भाभी मुझसे अपने बच्चे की भीख मांगने लगीं.
कुछ देर सोचने के बाद मैंने भाभी से कहा- मैं तो कंडोम लेकर आया था लेकिन आपने तो मेरे पैसे बचा लिए.
ये सुनकर भाभी मुस्कुरा उठीं और मुझे पर टूट पड़ीं. हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे. भाभी एक हाथ से मेरे लंड को सहलाए जा रही थीं और मैं अपने दोनों हाथों से उनके मम्मों को दबाए जा रहा था.
एक एक करके मैंने भाभी के सारे कपड़े उतार कर भाभी को नंगी कर लिया और उन्होंने भी मुझे पूरा नंगा कर दिया. नंगी भाभी को देखकर तो मेरा 6 इंच का लंड अपने पूरे ज़ोर पर आ गया था और भाभी को सलामी देने लगा. भाभी के चूचे क्या मस्त थे. लगभग 36 के रहे होंगे. मैं अपने एक हाथ से भाभी की चिकनी चुत में उंगली करने लगा और दूसरे से भाभी के निप्पल दबा कर चूसने लगा.
भाभी इस दौरान एक बार झड़ चुकी थीं. अब बारी थी चुत चोदने की और भाभी से भी रहा नहीं जा रहा था.
मैंने भाभी को लेटाकर अपना लंड भाभी की चुत पर रखा और एक ज़ोर का धक्का लगा दिया. मेरा लंड मोटा होने के कारण लंड पूरा अन्दर नहीं गया और भाभी के मुँह से एक आह निकल गयी. वो पहली बार मोटा लंड ले रही थीं, इसलिए उनको दर्द होने लगा. मैं थोड़ा रुका और फिर एक ज़ोर का धक्का लगाया, जिससे मेरा लंड भाभी की चुत फाड़ता हुआ सीधा अन्दर घुस गया. भाभी ज़ोर से चीख उठीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद मैंने धक्के लगाने शुरू किए और दोनों हाथों से भाभी के चूचे मसल कर उनको चोदे जा रहा था. भाभी भी कमर हिला हिला कर मेरा साथ दे रही थीं और उनके मुँह से ‘ऊहह … आहह … सी..’ की आवाज़ें लगातार आ रही थीं. सारा घर खाली होने की वजह से हमारी चुदाई की आवाज़ भी सारे हॉल में गूँज रही थी.
अब भाभी और मैं दोनों ही जोश में आ गए थे और मैं भी उन्हें ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा था. कुछ ही देर बाद भाभी गांड उठाते हुए झड़ गईं और मैं भी उनकी चुत में ही झड़ गया और भाभी के ऊपर ही लेट गया.
हम दोनों की नींद कब लग गयी, हमें पता भी नहीं चला. फिर करीब 4 बजे जब मेरी नींद खुली, तो मेरा लंड अभी भी भाभी की चुत में ही था. मैं उठा और भाभी की चुत पर किस करके बाथरूम में चला गया.
मैं बाथरूम में गया ही था कि पीछे से भाभी अपनी नंगी जवानी को लिए अन्दर आ गईं. हम दोनों ने एक दूसरे को साफ़ किया और उधर ही शावर के नीचे खड़े होकर नहाने लगे. भाभी ने नीचे बैठ कर मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया और फिर से लंड ने अपना भीमकाय रूप धर लिया.
भाभी ने मेरे आंडों को चूस चूस कर मुझे एकदम से गर्म कर दिया था. मैंने उन को गोद में उठाया और बिस्तर पर ले आया और फिर उनकी चूत में डंडा पेल कर उनकी धकापेल चुदाई चालू कर दी. इस बार भाभी मेरे ऊपर आ गईं और उनकी झूलती चूचियों को पीते हुए मैंने उनकी चूत में नीचे से ठोकरें लगानी शुरू कर दीं. भाभी भी अपनी गांड उठा उठा कर मेरे लंड पर अपनी चूत पटक रही थीं. करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद भाभी मेरे लंड के नीचे थीं. वे मेरे लंड के पानी का इन्तजार कर रही थीं. उनकी सूखी चूत में मेरे लंड ने अपने रस की बारिश की और भाभी ने मुझे अपने सीने से लगा कर मेरे लंड के रस एक एक बूंद को आत्मसात कर लिया.
इसके बाद हम दोनों का ये रिश्ता अब भी चल रहा है. आज भाभी के दो बच्चे हैं, वे दोनों मेरी ही औलादें हैं.
दोस्तो, यह थी मेरी और भाभी की प्यासी जवानी की कहानी. आप लोगों को कैसी लगी मुझे ज़रूर बताइए. [email protected]
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