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इस सेक्सी कहानी के तीसरे भाग में आपने अब तक पढ़ा कि मुझे झाड़ियों में दो लड़कों ने चोदने की नीयत से पकड़ लिया था. मगर किस्मत से मैं छूट गई थी और मेरी पेंटी न मिली तो मैं बिना पेंटी के चली आई. इधर शादी में मुझे वे लोग मिल गए, जिनके आ जाने के कारण मैं झाड़ियों में चुदने से बच गई थी. वे लोग मेरी पेंटी लिए थे और उसमें से एक ने मुझे एकांत में बुलाया. अब आगे:
मैं उसके पास चली गई, तो उसने मुझे पीछे दीवार की तरफ खड़ा होने को बोला. मैं दीवार से सट कर खड़ी हो गई. तब वो आदमी मेरे सामने मेरी पैंटी को अपनी नाक के पास ले जाकर सूंघने लगा. वो बोला- बहुत मस्त सुगंध है तुम्हारी उसकी. उसने मेरा हाथ पकड़ के मुझे अपने पास खींच लिया, जैसे उसने हाथ पकड़ा. मैं घबरा गई. मुझे उसका इरादा ठीक नहीं लगा.
वो बोला- झाड़ी के पीछे तुम्हारी चुदाई अच्छे से पूरी हो गयी थी कि नहीं? मैं कुछ नहीं बोली, तो वो खुद से फिर बोला कि वो लड़के भागे जिस तरह से मुझे लगा कि ठीक से नहीं चोद पाये होंगे. इसीलिए मैं तुम्हें यहां लेकर आया कि तुम्हारा काम पूरा कर दूं. मैंने न खुद किसी से बताया है और न बताने दिया है. मेरे वो साथी बोले कि सबको बता दो, पर मैंने उनको मना कर दिया. ठीक किया न? मैंने हां में सिर हिलाया.
वो बोले- तू शरमाती बहुत है. और इतना कहकर और अपनी ओर मुझे खींचा और पीछे दीवार से चिपका दिया. दीवार कच्ची थी, जिससे मैं पीछे हटते हुए सट गयी. वो मेरी ओर आके सीधे लिपट गए और मेरे सीने में अपना हाथ रख दिया. कुर्ते के ऊपर से ही मेरे बूब्स दबाने लगे. मैं बोली- ये गलत है प्लीज ये मत करिए, मैं आपसे बहुत छोटी हूं. मुझे जाने दो. उत्तेजना तो मेरे बदन में भी भारी हुई थी लेकिन वो अंकल की उम्र से मुझे थोड़ी हिचक हो रही थी.
वो बोले- सिर्फ थोड़ी देर देख ले … तुझे अच्छा नहीं लगेगा, तो चली जाना. बाकी अगर कोई हरकत करेगी, तो वो मेरे दोस्त सभी को तेरी पूरी झाड़ी के पीछे की करतूत सबको बता देंगे … वो भी तुझे सामने खड़ी करके सबसे कहेंगे. तो तुझे कैसा लगेगा. चलना है, तो चल बताते हैं सबको. मैं बोली- प्लीज ऐसा नहीं करना अंकल. तब वो बोले- फिर चुपचाप खड़ी रह और पांच दस मिनट की बात है. बोल क्या करना है? मैं बोली- ठीक है, अंकल खड़ी हूं.
तभी वह मेरे को अपने सीने से चिपका लिए और मेरे कानों को चूमने लगे. कानों में अपनी जीभ सटा कर चाटने लगे. मेरे को उनकी इस हरकत से कुछ कुछ पता नहीं, पर क्या हो रहा था. ये मुझे पता नहीं, पर मुझे कुछ कुछ होने लगा. मेरी उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी.
तभी पीछे तरफ से उन अंकल ने मेरे कुर्ता के अन्दर और समीज के अन्दर अपने दोनों हाथ डाल दिए और मेरी पीठ को अपने हाथ से सहलाने लगे. फिर मुझे और कस के पकड़ लिया और मुझे अपने सीने में चिपका लिया. मेरा सीना उनके सीने से लगा हुआ था. कमर मेरी उनके कमर से चिपक गई थी, तभी मेरे सलवार के ऊपर से ही कमर के नीचे जांघों में कोई सख्त चीज चुभ रही थी. वो उस सख्त चीज को मेरी जांघ के बीच में सलवार के ऊपर से ही जहां मेरी फूली जगह थी, वहां आगे पीछे कमर करके झटके मार मार कर रगड़ रहे थे.
उनकी वो सख्त चीज की रगड़ से मुझे अजीब सी फीलिंग आ रही थी. उसके बाद वो मुझे आगे करके खुद पीछे हो गए और मुझे पीछे घुमा दिया.
मैं कुछ भी समझ नहीं पा रही थी कि तभी उन्होंने मेरे पिछवाड़े में वही चीज बहुत सख्त सी, उनकी पैंट की जिप के पास से चुभने लगी और अब वह पीछे से हाथ मेरे आगे लाकर कुर्ता और समीज के अन्दर से मेरे पेट को सहलाने लगे. नाभि के पास भी अपनी उंगली घुमाने लगे. इससे मेरे शरीर में अजीब सी हलचल मचने लगी. वो बार बार मेरी नाभि में उंगली डाल कर घुमाने लगे, तो मेरी सांसें तेज हो चली और सीना तेजी से धड़कने लगा.
तभी वह मेरे पेट से ऊपर अपने हाथ ले जाने लगे. समीज और कुर्ते को ऊपर चढ़ाते हुए अपनी हथेली को मेरे दूधों पर पहुंचा दिए. जैसे ही मेरे दोनों दूध एक एक हाथ से पकड़े, मेरे मुँह से अपने आप हिचकी निकल गई. वो पूछने लगे- क्या हुआ बेटी? मैं कुछ नहीं बोली.
तभी वह मेरे दूधों को दबाने लगे और मुझे बोले- तेरे दूध तो बहुत छोटे छोटे हैं. इन्हें जल्दी से बड़ा करवाने की कोशिश कर. लड़की के बूब्स बड़े हों, तो ही उसका फिगर जमता है. तू जिस भी लड़के या मर्द से मिले, उससे इन्हें ज्यादा से ज्यादा दबवाना और चुसवाना. उससे तेरी फिगर और मस्त हो जाएगी. यह कहते हुए वो मेरे दूधों को दबाने लगे, फिर मुझसे बोले- तू हल्का सा झुक जा.
मैं नहीं झुकी तो उन्होंने मेरे को दबाकर झुकाया और अपनी पैंट की जिप के पास की सख्त चीज को मेरी सलवार के ऊपर से ही पिछवाड़े पर जहां मेरी गांड है, उस पर फिट करके रगड़ने लगे. उन्होंने अपनी सख्त कड़क चीज को ऐसा दबाया कि बिल्कुल वहीं पर वह चीज फिट हो गई … जहां मेरी पिछवाड़े का होल है. मुझे अजीब सी फीलिंग आने लगी … बहुत गुदगुदी सी भी लगने लगी. मैं कुछ भी कहने की हालत में नहीं थी और वह मेरे पिछवाड़े में जोर से रगड़ने लगे. मेरे दूधों को भी दबाने लगे. वो भी बहुत तेजी से अब दबा दिए.
मेरे मुँह से चीख निकल गई. तब वे बोले- आवाज नहीं निकालना … नहीं तो कोई आ जाएगा. फिर और तेजी तेजी से दबाने लगे. पीछे भी मेरे सलवार के ऊपर से ही अपनी पैंट के अन्दर की सख्त चीज को धक्के मार के रगड़ रहे थे. पता नहीं मैं क्या से क्या होने लगी और मेरे मुँह से अपने आप ही सिसकारी निकलने लगी थी.
करीब तीन चार मिनट तक ऐसे ही करने के बाद मुझे छोड़ा और मुझे दीवार से सटा कर खड़ी करके खुद मेरे सामने आ गए और मुझे दीवार से अच्छे से चिपका कर फिर मेरी सलवार का नाड़ा खोलने लगे.
जैसे ही मेरी सलवार को खोलने के लिए बैठे, मैं घबराने लगी. मैंने कभी ये काम करवाया नहीं था पर सहेलियों और भाभियों से सब सुन चुकी थी कि जब पहली बार लड़की की चुदाई होती है, तो खून निकलता है और जब सील टूटती है, तो बहुत दर्द होता है. मुझे डर लगने लगा, मुझे लगा कि अब ये सलवार खोलकर लंड घुसायेंगे और चुदाई करेंगे.
यह सोचकर मुझे अन्दर से बहुत डर और घबराहट होने लगी. तो मैं बोली- मुझे जाने दो प्लीज … यह सब नहीं करिए. आपकी बेटी से भी मैं छोटी हूं. यह गलत बात है … मुझे जाने दो. वह आदमी बोला- तुम अगर मना करोगी, तो मैं चलकर सबको तुम्हारी पूरी करामात बता दूंगा कि तुमने झाड़ी के पीछे क्या क्या किया है. हालांकि मेरे मन में था कि एक बार इन अंकल से कर लूँ, ये ताजूर्बेकार हैं तो आराम से करेंगे. लेकिन फिर भी पहली चुदाई में होने वाले दर्द से डर कर मैं बोली- मैं हाथ जोड़ती हूं अंकल मुझे जाने दो. मुझे बहुत डर लग रहा है.
उस आदमी ने तुरंत जेब से अपने 500 का नोट निकाला और मेरे हाथ में रख दिया. बोला- यह पकड़ ले … अपने लिए 2-3 अच्छी-अच्छी पैंटी और जो भी तुम्हें लेना हो, अपनी पसंद का ले लेना. तुम बस 5 मिनट रुको, जो मैं करूं, करने दो. फिर चली जाना और यह पैंटी याद के रूप में मैं रखूंगा, तुम नयी ले लेना.
बस वो अंकल बैठ कर मेरी सलवार का नाड़ा खोलने लगा. मैं उससे फिर से बोली- यह गलत है अंकल जाने दो मुझे. वह बोला- सब चलता है … बस 2 मिनट चुप खड़ी रह … कुछ नहीं करूंगा बस थोड़ा ऊपर ऊपर से मजे लेने दे, तुम्हारी कोई बात बाहर नहीं जाएगी, वर्ना वह लोग नहीं मानेंगे. वो मेरे दोस्त जो आंगन में बैठे हैं, सबको तेरी झाड़ी वाली करतूत बता देंगे … और फिर तुझे दिक्कत हो जाएगी.
मैं कुछ नहीं बोली. मुझे लगा कहीं ये लोग सबको बता देंगे, तो मैं किसी को मुँह कैसे दिखाऊंगी. इसलिए खुद को उनके लिए ढीला छोड़ दिया. अंकल ने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार मेरी घुटनों में पैर के पास खिसक के आ गई. उसने बोला- तू इतनी मस्त है कि तुझे छूते ही मेरा लौड़ा खड़ा हो गया. आज तक इतनी जल्दी मेरा लंड खड़ा नहीं हुआ.
मेरी सलवार नीचे आते ही मैं पूरी नीचे नंगी हो गई क्योंकि पैंटी तो उसी के हाथ में थी. जो झाड़ी के पीछे गुम गई थी.
उसने वो तुरंत सीधे मेरी चुत में अपना हाथ रखा और बोला- वाह, तेरी चुत में तो अभी बाल भी नहीं आए हैं. नाम क्या है तेरा? मैं कुछ नहीं बोली, तो बोला- अरे नाम तो बता दे. मैं धीरे से बोली- मेरा नाम बंध्या है. तो बोला- बहुत प्यारा नाम है, तू कहां की रहने वाली है? मैं बोली- इसी गांव की हूं, यह मेरी सहेली सोनम की दीदी की शादी है. मैं और सोनम साथ एक क्लास में पढ़ती हैं.
तब वह बोला- अच्छा मैं तेरी सहेली सोनम के बड़े पापा का सगा साला हूं. सोनम की बड़ी मम्मी मेरी बहन है. मेरा झाली गांव है, जैतवारा के पास है. मैंने उस गांव झाली का नाम सुना हुआ था. मैं बोली- मुझे जाने दो, मैं भी आपकी भांजी हुई. आप सोनम के मामा हैं … तो मेरी भी मामा ही हुए. मैं आपकी भांजी हूं, मुझे जाने दीजिए.
तभी वह मेरे नीचे मेरी नंगी टांगों से लिपट कर एक उंगली, मेरी चुत की जो रेखा थी, उस पर चलाने लगे और बोले- हां तू मेरी सेक्सी भांजी है. तुझे जाने दूंगा, पर ऐसे नहीं थोड़ा तो देख लूं, अपनी भांजी बंध्या की चढ़ती जवानी का जलवा. अभी एक घंटे पहले तो तू एक नहीं तीन चार लड़कों से झाड़ी के पीछे चुदवा ही रही थी. पता नहीं वो कौन थे, फिर मैं तो तेरा करीबी निकला और मैं तुझे उन लड़कों से ज्यादा प्यार से करूंगा और बहुत मजा दूंगा. तू कोई दूध की धुली तो है नहीं.
मैं बोली- वो झाड़ी के पीछे सिर्फ दो लड़के थे … कोई तीन चार नहीं. वो बोले- चल मान लिया दो ही कर रहे थे, पर दो तो कर रहे थे न. मैंने हां में मुंडी हिलाई कि मामा मेरी जांघों से लिपट गए और बोले- अभी तू थोड़ी देर चुपचाप मेरा साथ दे बंध्या.
मैंने कहा- मामा जी कोई आ गया तो मैं कहीं की नहीं रहूंगी. वे बोले कि कुछ नहीं होगा, कोई नहीं आएगा. बस पांच मिनट शांत रह बस पूरा ध्यान यहीं लगा दे बंध्या. तुझे बहुत अच्छा लगेगा. पांच मिनट बाद अगर तुझे खराब लगे, तो तू तुरंत चली जाना. सिर्फ पांच मिनट मेरा साथ दे बंध्या. मैं कुछ भी जबरदस्ती नहीं करूंगा.
मैं उसकी इस बात से भी नहीं समझी और मुझे घबराहट हो रही थी. तभी सोनम के वह जो मामा थे, उन्होंने अपने हाथों से मेरी एक टांग को थोड़ा सा चौड़ा किया और फिर मुझसे बोले कि हल्का सा कमर को नीचे कर बंध्या.
पर मैंने नहीं की, तो उन्होंने खुद से कमर पर हाथ लगाकर मुझे दबाया और मेरे टांगों पर नीचे लिपट कर अपनी उंगली चुत की रेखा पर चलाते हुए अपनी नाक भी मेरी चुत में रख दिए.
इससे न जाने कैसे कि मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई. मामा ने पूछा- तुझे क्या हुआ? मैं बोली- कुछ नहीं. फिर तभी मामा अपनी एक उंगली मेरी चुत में हल्के से डालने लगे.
उन्हें जो कुछ भी लगा हो, वे बोले- तेरी चुत तो बह रही है … गीली है. वो लड़के झाड़ी के पीछे तुझे ठीक से नहीं चोद पाए क्या. अभी भी तू चुदासी है. मैं यह सब कुछ नहीं जानती थी, बस उनकी बातें सुने जा रही थी. मुझे कुछ नहीं पता था … ना ही इस सब के बारे में कोई जानकारी थी.
उन्होंने हल्के से चुत को मेरे अपने दोनों हाथों से फैलाये और फिर अपनी जीभ को जैसे ही चुत में टच कराया, मैं उछल पड़ी. मुझे कुछ भी होश नहीं रहा.
तभी मामा बोले- बंध्या, तेरी चूत की महक बहुत मस्त है, तू बहुत चिकनी है. तू अपनी चुत में कोई परफ्यूम लगाती है क्या? तेरी छोटी सी गोरी गोरी चिकनी चुत बहुत प्यारी है. मैं कुछ भी नहीं बोल रही थी, बस सुन रही थी. पहली बार ये सब मेरे साथ हो रहा था और पहली बार इस तरह कोई मर्द मुझे बोल रहा था.
मैं अपनी इस पहली सम्भोग यात्रा के अनछुए पहलू एक एक करके आपके सामने लाती रहूंगी. इसके बाद क्या हुआ, वो मैं अगले भाग में पेश करूंगी. आपके मेल मिल रहे हैं बड़ा अच्छा लग रहा है कि मेरी भावनाओं को आपने समझा. आगे भी मुझे मेल करते रहिएगा. [email protected] कहानी जारी है.
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