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मेरी पहली बार चुदाई कैसे हुई आपने पिछले भाग में पढ़ा. मेरे मामा के बेटे ने मुझे उस रात तीन बार चोदा और पूरी चुदक्कड़ और लंड की प्यासी बना दिया. उसके बाद से मौक़ा मिलते ही भाई बहन सेक्स का यह खेल खेला जाता रहा.
जब से मैंने धीरज से चुदवाना शुरू किया मेरी चुदाई की भूख बढ़ती ही जाती थी. पहले मेरी छाती लगभग सपाट ही थी मगर मेरे भाई धीरज ने मेरे चने जैसे निप्पल को खींच खींच कर चूसना शुरू किया और वहाँ पर जोर ज़ोर से दबा कर वहाँ का मांस खींचता था जिसका परिणाम यह हुआ कि मेरे मम्में भी अब जोरशोर से निकलने लगे और जो दाना पहले चने के बराबर था अब किशमिश की तरह का बन गया. अब जब मैं खुद को शीशे में देखती तो मुझे अपने मम्मे भी नज़र आने लगे जो दिन दूनी रात चोगुणी तरक्की कर रहे थे.
क्योंकि धीरज अपने माँ बाप का इकलौता लड़का था, उसकी कोई और बहन या भाई नहीं था और मेरी भी कोई और नहीं था इस लिए दोनों ही परिवार वाले हमें सगे भाई बहन की तरह ही मानते थे. मुझ बहुत बाद में पता लगा कि धीरज मेरा कज़िन नहीं बल्कि मेरा सौतेला भाई है. उसकी माँ को मेरे बाप ने चोद चोद कर उसको यह लड़का गिफ्ट किया था. यह भी मुझे तब पता लगा जब मेरी माँ अपनी बहन यानि मेरी मौसी के घर गई हुई थी और घर में काम काज के लिए मेरी मामी यानि धीरज की माँ कुछ दिनों के लिए हमारे घर आई हुई थी. उस समय मैंने देखा कि मेरा बाप कुछ ज़्यादा ही मेहरबान बना हुआ था क्योंकि मैं तब तक चुदाई के मामले में पूरी ट्रेंड हो चुकी थी तो मैंने उन पर नज़र रखनी शुरू की. एक दिन मैंने पापा और मामी को चुदाई करते हुए भी देख लिया. उनकी फुसफुसाहट भरी बातें भी सुनी जिसमें मेरा बाप कह रहा था- आख़िर धीरज मेरा बेटा है, उसे मैं किसी चीज़ की कमी नहीं होने दूँगा. मैं अपनी जायदाद में भी उसे हिस्सा देकर जाऊँगा जिससे मेरे रहते हुए किसी को यह ना पता लगे कि वो मेरा बेटा है. दुनिया की नज़र में वो मेरे साले का लड़का है और यही रहना चाहिए. मगर मेरा भी फ़र्ज़ बनता है कि मैं अपने बेटे के लिए कुछ करूँ.
मेरी मामी यानि धीरज की माँ कह रही थी- इन बातों का आप जानें … मुझे तो आप अपने लंड से खुश करो. आपके साले तो मुझे अच्छी तरह से नहीं चोद पाते. उनका लंड तो बहुत छोटा है और खड़ा भी कुछ टाइम के लिए ही होता है, मुझे प्यासी ही छोड़ कर सो जाते हैं इसीलिए मैं तुम्हारे पास भागती हूँ चुदवाने के लिए. इस चूत पर मैंने तुम्हारे लंड का नाम लिखा हुआ है. तुम्हारे लंड की निशानी भी निकाल दी है इसी चूत से. तुम जब हर रविवार को हमारे घर पर आते हो तो तुम्हें देखते ही मेरी चूत बिलबिलाने लगती है. जब तुम चोद देते हो तभी तसल्ली मिलती है.
अब मुझे पता लगा कि पापा हर रविवार को ऑफिस के काम का बहाना बना कर कहाँ जाते हैं. खैर जब मैं नहीं रह पाती लंड के बिना … तो बेचारी मामी कहाँ रह पायेंगी. मुझे अब उस पर हमदर्दी हो रही थी.
हर राखी और भाईदूज पर मैं धीरज को राखी बाँधती और तिलक करती थी जिससे सब हमें सगे भाई बहन समझा करते थे. मगर रात तो वो मेरे कमरे में आकर अपने लंड पर मुझ से राखी बन्धवा कर मेरी चूत को चोदता था. बोलता था- देख ले तेरी राखी मेरे लंड पर बँधी है और तेरी चूत को सलाम करके चूत में ही समाने की कोशिश कर रही है. मतलब की राखी उसके लंड पर बँधी होती थी और मेरी चूत राखी बँधे लंड से चुदा करती थी. भाईदूज वाले दिन लंड के सुपारे पर तिलक करवा कर वो मेरी चूत पेलता था और कहा करता था- देख ले साला यह लंड पूरा बहनचोद है. शर्म भी नहीं आती इसको! जिससे तिलक लगवाया, उसी की चूत में घुस कर पानी छोड़ता है.
क्योंकि धीरज मेरी चूत में ही अपने लंड का पानी निकाला करता था और कहता था कि पूरा मज़ा चुदाई का लेना है तो चुदाई के समय कोई सावधानी ना करो. यह मैं भी समझ गई थी क्योंकि जब लंड का पानी चूत में निकलता था तो चूत पूरी गर्मी में भी ठंडक महसूस करती थी. वो हर चुदाई के बाद मुझे गर्भनिरोधक की गोली खिला देता था जिससे कुछ नहीं होता था.
कुछ दिनों बाद मैंने महसूस किया कि धीरज अब मुझसे चुदाई करने में कुछ ज़्यादा इंटेरेस्ट नहीं लेता. एक दिन आख़िर उसने कह ही दिया- पुन्नी यार, कोई नई चूत दिलवा ना. मैं सुन कर हैरान हो गई कि यह क्या कह रहा है.
उसने फिर कहा- अगर तुम चाहो तो मैं भी तुम्हारे लिए कोई नया लंड ढूँढ कर दिलवा दूँगा. मैंने कहा- नहीं, मैं सबके सामने नंगी नहीं हो सकती. तब वो बोला- खैर तुम्हारी मर्ज़ी! मगर मैं तो अपना लंड नई लड़की को दिखला सकता हूँ ना? मैंने कोई जवाब नहीं दिया तब वो बोला- तुम्हारी चुप्पी ही मेरे लिए हां है. मैं तुम्हें कल एक चुदाई वाली मॅगज़ीन दूँगा, तुम अपनी किसी सहेली को दिखलाना और उसको ध्यान से देखना कि क्या वो उसमें कुछ मज़ा ले रही है. अगर हां तो बोलना कि तुम्हें यहाँ पर देखने में कोई मुश्किल आ सकती है तुम इसे अपने घर पर ले जाओ और रात को आराम से देखना, फिर कल वापिस कर देना.
मेरा दिल तो नहीं मान रहा था मगर मैं धीरज को इन्कार ना कर सकी. स्कूल में मैंने अपनी एक सहेली आरती से कहा- आ तुझे एक नई चीज़ दिखाती हूँ. आरती मेरे साथ किसी एकन्त कोने में आ गई तो मैंने उसे वो मॅगज़ीन दिखाई और कहा- यह मैंने कल अपने भाई के कमरे से चुराई है. उसे नहीं पता, वो दो दिन के लिए बाहर गया हुआ है. अगर तुम्हारा दिल कर रहा है देखने को तो तुम मुझे यह देख कर कल वापिस कर देना, मैं इसे वहीं पर रख दूंगी जिससे उसे कुछ नहीं पता लगेगा.
जैसे ही आरती ने पिक्चर देखी तो मेरे तरफ देखती हुई बोली- यार, क्या मैं सच में इसे अपने घर ले जा कर देख सकती हूँ? यहाँ पर कोई भी आ सकता है. मैंने उससे कहा- क्यों नहीं, तुम मेरी सब से प्यारी सहेली हो तभी तो तुम्हें यह दिखाने के लिए यहाँ लाई हूँ. मैं तो इसे कल सारी रात भर देखती रही हूँ. वापिस रखने से पहले सोच क्यों ना तुम्हें भी दिखला दूं … फिर मौक़ा मिले या ना मिले. भाई ने अगर इसे कहीं और रख दिया तो फिर नहीं मिलेगी. वो बहुत खुश हो गई और अगले दिन उसने वापिस करते हुए कहा- यार, सारी रात इसे ही देखती रही और नींद ही नहीं आई. मैं तो अपने हाथ से अपनी चूत को सहलाती रही. देख यार अगर कोई और मिले तो देखना! मैंने कहा- मुश्किल है! मगर अगर मिली तो ज़रूर दिखा दूँगी.
जब भाई तो यह सब बताया तो उसने मुझे 3-4 और वैसे ही मॅगज़ीन दी और साथ में कुछ चुदाई वाली कहानियाँ भी दी जिनको मैंने आरती को देते हुए कहा- तुम आराम से देखो और पढ़ो. हां, मगर 5-6 दिन में मुझे वापिस दे देना क्योंकि मैंने भाई की अलमारी से चुराई हैं. इस तरह से उसको पूरा सेक्सी बना दिया.
फिर एक दिन मैं आरती से बोली- यार इन सब को पढ़ने और देखने से क्या होता है, असली लंड भी तो मिलना चाहिए ना. आरती ने कहा- हां यह बात तो है … मगर कैसे मिले? मैं तो अब चुदवाना चाहती हूँ मगर कोई ऐसे लंड मिले जो किसी से कुछ ना कहे! वरना बहुत बुरा हो जाएगा मेरे साथ. मैंने कहा- अच्छा मैं अपने भाई से पूछूंगी और उसको बोलूँगी कि तुम यह सब गंदी किताबें क्यों घर पर रखते हो. उसको धमकी भी दूँगी कि मैं मम्मी पापा से कह दूँगी कि तुम क्या क्या देखते और पढ़ते हो. तब उसने कहा- यार मगर उसे यह ना बताना कि तुमने मुझे भी ये सब देखने को दी थी. मैंने कहा- आरती, तुम देखती जाओ कि उसको मैं कैसे काबू करती हूँ. उसी से चुदवा भी दूँगी और वो किसी को कुछ बोल भी नहीं पाएगा, क्योंकि उसको मैं कहूँगी कि अगर कुछ भी बोला तो मम्मी पापा को तुम्हारी यह किताबें दिखला दूँगी जो अब मैं उसे वापिस नहीं करूँगी. इन्हें अपने पास रखूँगी और वो डर के रहेगा और मुझ से वापिस माँगता रहेगा.
मैंने फिर अपने सहेली को फुसला कर भाई से चुदवा दिया. मगर मुझे बाद में पता लगा कि वो तो मेरे भाई की पूरी दीवानी बन गई थी चुदवा कर … और उसको कहा करती थी- अब तुम ही मेरे सैंया बनो शादी करके मुझसे. तुम्हारा लंड बहुत जोरदार है और मेरी चूत तो तुम देख ही चुके हो, यह भी तुम को मस्त रखेगी. उसने पता नहीं भाई को क्या खिलाया और कैसे पटाया कि बाद में उसी से उसकी शादी भी हो गई.
खैर यह तो बाद की बात है. अब भाई मुझ पर कुछ ज़्यादा ही मेहरबान हो गया तो मुझे मस्त करके चोदा करता था और बोलता था- पुन्नी, तुमने सच में मस्त चूत दिलवाई है. वो चुदाई की असली महारानी है. लगता है अब उसकी चूत पूरी जिंदगी भर नहीं भूल सकता. उसका बाप भी ऊँचा अधिकारी है. उसे अगर मस्त कर के रखा तो कई काम बन सकते हैं. मैंने उससे कहा- अगर कहो तो तुम्हारी शादी की बात ना करवा दूं आरती के साथ? तब वो बोला- ख्याल तो सही है मगर अभी पूरी पढ़ाई कर लूँ, तब ही इस बारे में सोच सकता हूँ. अभी तो किसी से भी यह बात करना पागलपन की निशानी होगी.
मेरी सहेली आरती मेरे भाई से कई बार चुदी और उस को बुलवा भी लेती थी जब कभी मौक़ा मिलता था ताकि उस के लंड का मज़ा ले सके. दिन इसी तरह से बीतते रहे और भाई पूरा इंजिनियर बन गया. मैंने भी एम भी ए कर लिया और आरती भी एम ए कर चुकी थी.
क्योंकि मैं नौकरी की तलाश में थी और एक दिन किसी ऑफिस में गई इंटरव्यू के लिए तो वहाँ पर आरती मिल गई. मैंने उससे पूछा- यहाँ कैसे? तब उसने बताया कि वो अपने पिता से मिलने आई है जो अब इसी ऑफिस में एक उच्च अधिकारी हैं. जब उसने मुझसे पूछा तो मैंने उसको बताया- मैं यहाँ जॉब के लिए आई हूँ. फिर क्या था … आरती मुझे अपने पापा से मिलवाने के लिए ले गई और उनसे सब कुछ बताया कि यह यहाँ पर जॉब के लिए आई है. उसके पापा ने जब सब कुछ सुन लिया तो बोले- बेटी, जाओ आराम से घर जाओ और कल परसो तुम्हें ऑफिस जाय्न करने का लेटर मिल जाएगा क्योंकि यह जॉब मेरे ही नीचे है. तुम सेलेक्ट हो चुकी हो क्योंकि तुम मेरी बेटी आरती की सहेली हो. जाओ ऐश करो. फिर उन्होंने आरती से कहा- इसे अच्छी तरह से चाय कॉफी पिलाओ.
कहानी जारी रहेगी. लेखिका पूनम चोपड़ा की इमेल नहीं दी जा रही है.
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