पहली चुदाई का जोश- 1

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000

100% रियल सेक्स कहानी में पढ़ें कि शहर में पढ़ाई के लिए मैं मौसी के घर रहने लगी. उनका किरायेदार लड़का मेरा दोस्त बन गया. उसने मेरे साथ सेक्सी शरारत की तो …

मेरा नाम अंजू है। मेरी 100% रियल सेक्स कहानी 5 साल पुरानी है, मेरा कद 5 फुट 3 इंच, हल्का जिस्म, छोटे चूचे और चूतड़ भी हल्के ही थे। उस समय मेरी उम्र लगभग 19 साल थी।

मैंने 12वीं में शहर के अच्छे कॉलेज में एडमिशन लिया. और मैं शहर में अपनी मौसी के यहाँ आकर रहने लगी।

मेरी मौसी का किरायेदार दीपक भी 12वीं में था। हम दोनों साथ ही पढ़ते थे। हम दोनों हमउम्र थे, दोस्ती भी थी। लेकिन दोस्ती से ज्यादा कुछ नहीं था और मैंने ना ही कभी सोचा था।

एक रोज मैं दीपक के सर में मेहंदी लगा रही थी। मैं पैर फैला कर सीढ़ियों पर बैठी थी और दीपक मेरे पैरों के बीच में।

दीपक ने अपनी कोहनी सीढ़ी पर ही टेक रखी थी ठीक मेरी चूत के सामने … मुश्किल से 3-4 इंच का अन्तर होगा। लेकिन मैं सहज थी क्योंकि दीपक ने आज तक कभी कोई हरकत की नहीं थी।

पर उस रोज दीपक ने धीरे धीरे अपनी कोहनी मेरी चूत तक पहुँचा दी। मुझे लगा कि दीपक अनजाने में ऐसा कर रहा है। लेकिन उसकी कोहनी से मेरी चूत में गुदगुदी सी हो रही थी।

वो अपनी कोहनी से मेरी चूत पर दबाव बढ़ा रहा था. पहली बार किसी ने मेरी चूत को छुआ था। मुझे इतना गीला महसूस हो रहा था, मुझे लगा कि मेरा महीना आ गया।

मैं थोड़ा सा पीछे हट गयी. लेकिन दीपक की कोहनी फिर से मेरी चूत तक पहुँच गयी.

अब मैं समझ गयी कि दीपक ये अनजाने में तो नहीं कर रहा है.

फिर मैंने भी हिलना डुलना बंद कर दिया और उसकी अगली हरकत का इंतज़ार करने लगी.

लेकिन उस से ज्यादा वो कर भी क्या पाता!

दीपक के मेहंदी लगा कर मैं बाथरूम में गई और देखा कि खून नहीं, कुछ चिपचिपा पानी सा था जिससे पूरी चूत गीली हो गई थी। मैंने पहली बार ऐसा महसूस किया था। कुछ अच्छा भी लगा, और अजीब भी।

लेकिन उस दिन से मैं दीपक के बारे में सोचने जरूर लगी थी। उसको देखना उसको निहारना मुझे अच्छा लगने लगा। वो नल के नीचे नहाता तो उसके बदन मैं छुप छुप कर घूरती थी। मैं नहीं जानती थी कि दीपक के दिल में मेरे लिये क्या है।

वो पढ़ने में बहुत तेज था। इधर-उधर की बातों पर ध्यान नहीं देता था।

लेकिन मैंने भी ध्यान दिया कि दीपक भी मुझे छुप छुप कर निहारता था। मैं दिखने में साधारण सी लड़की थी; वो बहुत आकर्षक नौजवान था; कसा हुआ शरीर, इसलिये कभी हिम्मत ही नहीं हुई कुछ कहने की। एक दूजे को देखने का सिलसिला यूँ ही चलता रहा।

1 महीने बाद एक रात, सभी लोग टी॰वी॰ देख रहे थे। मैं और दीपक पढ़ाई कर रहे थे।

11 बजे तक सभी लोग अपने कमरों में लेट चुके थे।

दीपक पढ़ने में मस्त था और मैं टी०वी० देखने लगी।

फिल्म में कुछ रोमांटिक सीन आ रहे थे और मैं उनका आनन्द ले रही थी। मैं चाहती थी कि दीपक भी वो सब देखे। लेकिन वो पढ़ने में खोया हुआ था।

मैं अपने पैर से दीपक के गुदगुदी करके उसे परेशान कर रही थी।

2-3 बार छेड़ने के बाद वो बोला- तू मानेगी नहीं। मैंने कहा- नहीं. और एक बार फिर से उसके गुदगुदी कर दी।

अब वो खिसिया गया और उठ कर मुझे गुदगुदी करने के लिये आगे बढ़ा।

मैं थोड़ा पीछे हटी, वो आगे बढ़ा और मेरे ऊपर ही गिर गया. उसने अपना हाथ मुझे गुदगुदी करने को बढ़ाया था, मेरे ऊपर गिरने की वजह से उसका हाथ सीधा मेरे चूची पर था और वो मेरे ऊपर।

पहली बार किसी का हाथ मेरे चूची पर था.

वो मेरी आँखों में देख रहा था। मैं शर्म से लाल हो रही थी। मैंने उसे कहा- हाथ हटाओ।

तब उसका ध्यान उसके हाथ पर गया और वो मेरे ऊपर से उठा। उसके हाथ का दबाव मेरे दूध पर बढ़ गया। और उठते उठते उसने मेरी चूची को दबा दिया.

फिर मैंने उसे धक्का देते हुए कहा- तुम बहुत बत्तमीज़ हो। और उठ कर कमरे में चली गई।

वो अगली सुबह बहुत शर्मिंदा लग रहा था। मुझसे नजरें नहीं मिला रहा था. मुझे भी अच्छा नहीं लगा उसका नजरें चुराना।

मौका देख कर मैंने उसको कहा- दीपक कल रात की बात भूल जाओ, तुमने जानबूझ कर नहीं किया वो सब! वो बोला- सच में? मैंने कहा- हाँ यार … हम लोग दोस्त हैं। कोई बात नहीं!

अब शायद उसके मन में शैतान जाग चुका था। वो बोला- तुझे बुरा नहीं लगा सच में? मैंने कहा- नहीं यार!

वो बोला-तो एक बार और छू लूं? मैंने कहा- यार, तुमको शर्म नहीं आती? बोला- तुम शर्मा तो रही हो, वैसे तुम्हारी चूची बहुत प्यारी है, एक बार और दबा लूँ!

इतना सुन के मैं शर्म से पानी पानी हो गई। बोला- तुम्हारी चूची फिर से छूना चाहता हूँ. फिर मैं वहाँ से चली गई।

अब दीपक की हिम्मत बढ़ चुकी थी, वो मुझे छूने के बहाने ढूंढ लेता था। कभी मेरे चूतड़ों पर कभी मेरी कमर पर और मौका मिला जाये तो मेरी चूची छू लेता था।

मैं समझ नहीं पा रही थी कि मुझे क्या हो रहा है … वासना की आग मेरे अन्दर भी जलने लगी थी। लेकिन एक अंजान सा डर भी दिल को सता रहा था।

दीपक एक रोज बियर पीकर आया था। इत्तेफाक़ से उस समय घर पर भी कोई नहीं था।

मैं रसोई में सब्जी काट रही थी. दीपक ने चुपके से मेरे पीछे आकर मुझे बांहों में भर लिया। हालांकि उसके हाथ मेरे पेट पर थे।

पहली बार मैंने किसी पुरुष के आलिंगन को महसूस किया। उसका लण्ड मेरे चूतड़ों की दरार में चुभ रहा था।

वो मेरी गर्दन पर चूम रहा था। मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। मेरी आंखें बन्द हो चुकी थी।

मुझे मेरी ब्रा कसी कसी सी महसूस होने लगी। चूत गीली हो रही थी। मैं कुछ नहीं बोल रही थी।

तभी अचानक से उसने अपने हाथ मेरी टीशर्ट के अन्दर डाल के मेरे पेट को छूने लगा। उसका छूना मुझे अच्छा लग रहा था।

धीरे धीरे वो अपने हाथ ऊपर की ओर सरकाता हुए मेरे चूचों पर ले आया और ब्रा के ऊपर से मेरे चूचों को मसलने लगा। मैं तो जैसे हवा में तैर रही थी।

उसने अपने हाथ मेरी ब्रा के अन्दर डालना चाहा। लेकिन मेरे चूचे फूल गए थे और ब्रा बहुत टाइट हो गई थी।

दीपक ने भी देर ना करते हुए मेरी ब्रा के हुक खोल दिये।

हालांकि उसे ब्रा के हुक खोलने में काफी दिक्कत हुई। शायद वो पहली बार ब्रा के हुक खोल रहा था।

ब्रा के हुक खुलते ही जैसे मेरे चूचों को आजादी मिल गई।

अब मेरे दोनों चूचे दीपक के हाथों में थे। दीपक मेरे चूचे ऐसे मसल रहा था जैसे उसे कोई जन्नत मिल गयी हो.

और चूचों को मसलते हुए उसने मेरे निपल भी मसल दिये बहुत जोर से! मुझे थोड़ा दर्द हुआ, मुँह से आह निकल गई और मेरे हाथ से चाकू जमीन पर गिर गया।

चाकू गिरने की आवाज से जैसे मैं जाग गई और चाकू उठाने के लिये झुकी। लेकिन दीपक की मजबूत पकड़ ने मुझे झुकने नहीं दिया और उसने अपना लंड मेरी गांड की दरार में और अन्दर घुसा दिया.

मैंने कहा- दीपक, मुझे खाना बनाने दो। यह सुन कर दीपक ने अपने दोनों हाथ मेरे टी शर्ट में से निकाल लिये और मुझसे अलग हो गया।

मैं मन ही मन खुद को कोसने लगी कि ये क्या हुआ … दीपक मुझसे नाराज हो गया। और मैं सर झुका कर सब्जी काटने लगी.

कुछ ही देरी के बाद दीपक के हाथ मेरी कमर पर फिर से थे। लेकिन मेरी चूचियाँ फिर से दीपक के हाथों का स्पर्श करना चाहती थी।

दीपक के हाथ मेरी कमर पर ही ऊपर की ओर उठ रहे थे … और साथ साथ मेरी टी शर्ट भी! मैं समझ नहीं पाई।

तब तक दीपक मेरी टीशर्ट को मेरे बगल तक उठा चुका था। मैं चौंकी और उसको कहा- दीपक क्या कर रहे हो? कोई आ जायेगा! ये कहते हुए मैं उसकी ओर घूम गई।

देखा तो दीपक अपनी टी शर्ट और बनियान पहले ही निकाल चुका था। वो खुद के कपड़े उतरने के लिए मेरे से अलग हुआ था.

उसका ऊपर का शरीर नंगा था; जिसे देख कर मेरी आंखे खुली रह गई।

उसने भी समय खराब ना करते हुए मेरी टी शर्ट भी उतार दी।

ब्रा के हुक खुले हुए थे तो ब्रा भी टी शर्ट के साथ उतरती चली गई। मैं कोई विरोध भी नहीं कर पाई.

अब हम दोनों का ऊपर का शरीर नंगा था। मैं शर्म के मारे दीपक की बांहों में सिमट गई। उसने भी मेरे नंगे बदन को बांहों में भर लिया।

पहली बार मेरा नंगा बदन किसी मर्द की बांहों में था।

उसने मेरा चेहरा ऊपर उठाते हुए कहा- अंजू क्या हुआ? मैंने फिर से सिर झुका लिया।

उसने फिर से मेरा चेहरा ऊपर उठाया और पूछा- अंजू अच्छा लग रहा है? मैंने बिना कुछ कहे हां में सिर हिलाया और दीपक से चिपक गई।

उसने एक बार फिर मेरे चेहरे को ऊपर उठाया और मेरे होटों पर अपने होंठ रख दिये। वो मेरे होंठों को चूमने और चूसने लगा। उसके मुँह से बियर का स्वाद आ रहा था।

मुझे किस करना भी नहीं आता था। मैं बस उसका साथ दे रही थी।

अब उसका लंड मेरी चूत को छेड़ रहा था. वो लगातार अपने लंड को मेरी चूत पर मसल रहा था.

दीपक मेरी पीठ पर अपना हाथ फेरते हुए अपना एक हाथ मेरे लोअर और फिर पैंटी के अंदर ले गया। अब वो मेरे चूतड़ों को मसलने लगा।

चूतड़ों की दरार में आगे बढ़ते हुए दीपक मेरी चूत को छूना चाह रहा था। लेकिन उसका हाथ मेरी चूत तक पहुँच नहीं पा रहा था।

फिर पैंटी के अन्दर ही वो अपना हाथ घुमा कर पीछे से आगे ले आया। और इतनी कोशिशों के बाद वो मेरी चूत तक पहुँच ही गया।

जैसे ही उसकी उंगली मेरी चूत की दरार में दाखिल हुई, मुझे एक झटका सा लगा। मेरे बदन में बिजली सी दौड़ गई।

मेरी चूत बहुत गीली थी। वो मेरे कान में बोला- छेद कहाँ है? मैंने कुछ ना कहते हुए अपने पैर थोड़ा सा फैला दिये ताकि वो आराम से सही जगह पहुँच सके और उसके कान में कहा- ढूँढ लो।

अब वो मेरे चूचों को चूस रहा था और उसका हाथ मेरी चूत से खेल रहा था। वो अभी भी छेद तक नहीं पहुँच पाया था.

अचानक से उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया. उसका लण्ड अभी लोअर में ही कैद था।

लेकिन लोअर के ऊपर से ही मुझे उसके लण्ड से डर लग रहा था। मैं उसके लण्ड को थोड़ा और महसूस कर पाती … उससे पहले दरवाजे पर आहट हुई।

मैंने कहा- मौसी आ गई।

हम लोगों ने फुर्ती से अपने कपड़ पहने। मैं जल्दी में ब्रा नहीं पहन पाई। दीपक ने मेरी ब्रा अपनी जेब में रख ली थी।

इस तरह से मेरी पहली चुदाई ही अधूरी रह गई थी।

इस कहानी को सेक्सी आवाज में सुनें.

खाना खाकर सब सो गये और मैं मछली की तरह तड़प रही थी।

आपको मेरी 100% रियल सेक्स कहानी कैसी लग रही है? [email protected]

100% रियल सेक्स कहानी का अगला भाग: पहली चुदाई का जोश- 2

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000