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दोस्तो, मैं अन्तर्वासना साईट पर हिंदी सेक्स कहानियां पिछले 2010 से पढ़ रहा हूं. किसी की कहानी सच्ची लगती तो किसी की कल्पना पर आधारित होती. पर मेरा एक दिन भी ऐसा नहीं जाता था, जब मैं कहानी न पढ़ूँ और मुठ ना मारूं.
मैं आपका रवि खन्ना, एक बार फिर हाजिर हूँ अपने जीवन की सच्चाई के साथ. मुझे उम्मीद है कि ये घटना आपको पसंद आएगी.
आप मुझको जानते है … मैं शरीर से हट्टा कट्टा हूँ और 5 फुट 10 इंच का जवान लड़का हूँ. मैं दिखने में काफी आकर्षक हूँ. लड़कियां मेरी तरफ खिंची चली आती हैं … और ये तय मानिए कि जो लड़की एक बार मेरे पास आ गई और उसने मेरे 8″ लम्बे और 3″ मोटे लंड का स्वाद चख लिया, फिर उसको इसकी आदत पड़ जाती है.
अपनी पिछली कहानी दोस्त की बहन की चुदाने की चाहत में मैंने बताया था कैसे ज्योति को मैंने बीच गांव में चोदा था. उसके बाद हमें ऐसा मौका नहीं मिला. उसका सिलाई सीखने जाना बंद हो गया था. उसकी शादी नजदीक थी, इसलिए उसके बाद हम जब भी मिले, बस बात किस तक रही. ज्यादा से ज्यादा मैं उसकी चुचियों को दबा लेता था. उसकी शादी के बाद, ना उसने मुझको याद किया, ना मैंने उसकी शादीशुदा जिंदगी में आग लगाने की सोची.
मेरी आगे की जिंदगी में जो हुआ, आज मैं वो आपको बता रहा हूँ. यह बात तब की है, जब घर वालों ने मुझको एम.एस.सी. की पढ़ाई के लिए सोनीपत भेज दिया था.
वहां मैं एक और अपनी तरफ वाले लड़के के साथ एक पंजाबियों के घर में रहा. उस घर में हमारा रूम ऊपर था, नीचे मकान मालिक रहते थे. जिनकी दो लड़कियां थीं, जो अभी कुंवारी थीं. उनके माँ बाप 50-55 साल की उम्र के थे.
अंकल की बड़ी लड़की मेरे रूम मेट से सैट थी, जो चुदक्कड़ टाइप की थी. उसके यार हमेशा उसके घर के आस पास इस उम्मीद में घूमते थे कि ना जाने कब उनकी बारी आ जाए. मैं उससे दूर ही रहता था.
अंकल की छोटी लड़की सोनू (बदला हुआ नाम) मेरी अच्छी दोस्त बन गयी थी. उसका भी एक बॉयफ्रेंड था, पर शायद वो कभी उसके साथ सोई नहीं थी. तभी वो उसके पीछे ज्यादा पड़ा रहता था. मेरे समझाने पर वो उसको वो नहीं दे रही थी, जो वो उससे चाहता था.
अब असली बात पर आते हैं. सोनू की एक जाटनी सहेली फ्रेंड थी नीरजा (बदला हुआ नाम), जिसका घर हमारे बगल में ही था. वो मुझको पसन्द करती थी. उसके छुप छुप कर मुझको दखने से, मुझको ये पता चल गया था. मैं ठहरा खिलाड़ी चोदूमल, मैंने समझने में देर नहीं की कि वो मुझसे क्या चाहती है.
मैंने सिग्नल दिया तो उसने भी ग्रीन लाइट दिखा दी. मैं उसके पीछे ही पड़ गया. अब मैं छत पर ही बैठा रहता, उसको देखता ही रहता. उससे कहता कुछ नहीं, मुझे उसमें फीलिंग्स की आग जो लगानी थी.
वो इस बात से परेशान थी कि बन्दा कुछ कहता भी नहीं, बस देखता रहता है.
वो जवान जाटनी थी, बारहवीं में पढ़ती थी. उसकी लंबाई मुझसे एक इंच ज्यादा ही थी. जब वो उछल कर चलती थी, तब एकदम घोड़ी जैसी लगती थी. एक ऐसी मस्त घोड़ी, जिसकी सवारी हर कोई करना चाहता था.
वो हल्के सांवले रंग की थी, पर देखने में मस्त लगती थी. इतनी दिलकश कि कोई भी बस उसको चोदने की सोचने लगता था. मुझे सोनू ने बताया भी था कि नीरजा का जीजा उसे बहुत दिन से चोदता है, जो नीरजा ने सोनू से खुद कहा था.
मुझको भी बस उस जाटनी को नंगी करके जबरदस्त चोदना था … ना कि उससे प्यार करना था. मुझको तो बस उसकी चूत चाहिए थी.
उसके लम्बे लम्बे हाथ, लम्बा सा चेहरा, लम्बी नाक … उस पर कयामत ढहाते उसके पतले पतले होंठ. जब वो अपनी गांड मटकाकर चलती थी, तो बस मैं दिल में ये ही सोचता कि इसकी लम्बी गांड जब नंगी होगी, तब कैसी लगेगी.
फिर एक दिन वो अपनी छत पर पढ़ रही थी. मैं छत पर ऊपर था. मैं धीरे धीरे अपने प्यार का इजहार करने लगा, बिना उसकी तरफ देखे. मैंने उससे जवाब मांगा, तो वो वहां से नीचे चली गई. वो सोनू के पास गई और उसे सब बताया, जो सोनू ने बाद में मुझको बताया कि वो तब उसके पास आई थी.
सोनू मेरी फ्रेंड थी, तो उसने बगल वाली से हां बोलने को कहा.
अगले दिन मैंने जवाब मांगा, तो उसने हां कह दिया, पर साथ मैं कहने लगी कि आप ऊपर मत आया करो, मम्मी को शक होता है. मैंने कहा- फिर बात कैसे होगी? वो बोली- मैं नंबर भी नहीं दे पाऊंगी, अपना क्योंकि फ़ोन घर ही रहता है. मैंने कहा- ऊपर आ सकती हो मेरे रूम में? वो उसके लिए भी मना करने लगी. मुझको गुस्सा आया और मैं ये सोच कर नीचे आ गया कि और क्या तेरा अचार डालूँगा मैं.
मैं छुट्टियों में एक महीने के लिए घर गया. इस बीच उसका कोई फ़ोन नहीं आया.
मैं भी उसको भूलने लगा, फिर मैं सोनीपत पहुंचा, पर ऊपर छत पर नहीं गया. कुछ दिन मैंने उसे नजरअंदाज किया.
नतीजा सामने आया. कुछ दिन बाद सोनू मेरे रूम में आई, तब मैं पढ़ रहा था. उसके साथ नीरजा भी थी. सोनू बोली- भईया, नीरजा कुछ आपसे अकेले में बात करना चाहती है. अपने रूममेट दोस्त को मैंने कहा- यार जरा बाहर जाओगे? वो चला गया. सोनू भी चली गई.
नीरजा अन्दर आ गई और मैंने गेट लगा लिया. नीरजा इस वक्त क्या माल लग रही थी. आज उसने अपने अपने लंबे बालों को जूड़ा में बांधा था और ब्लू सूट में वो कयामत लग रही थी. मेरा मन बस उसे देख कर ही डोल गया था. सोनू सेफ्टी के लिए गेट के बाहर ही रही.
नीरजा से मैंने कहा- कहो क्या बात है? वो मुझको गले लगा कर बोली- आई लव यू रवि … प्लीज मुझे माफ कर दो. मैं बोला- बात कैसे होगी, अब नंबर तुम दोगी नहीं … ऊपर आता हूँ तो बोलती हो कि मम्मी शक करती हैं. नीरजा बोली- मैं रोज यहां आ जाऊंगी. मैं बोला- पर हम यहां रोज क्या करेंगे? वो हंसते हुए बोली- ये अब तुम देखना कि हम क्या क्या करेंगे.
वो हंसकर जाने लगी तो मैंने उसे पीछे से पकड़ा और अपनी बांहों में कस के जकड़ लिया. मैं- रोज बस इतने टाइम के लिए ही आओगी क्या? वो बोली- वो तो तुम्हारे ऊपर है कि मुझको यहां कितना टाइम रोक सकते हो.
मैंने उसके पेट से हाथ हटा कर उसके चुचे पकड़ लिए. आह उसके मम्मों का साइज 32 इंच का था. उसके कसे हुए चुचे सूट के अन्दर एकदम टाईट थे, उसने मम्मों को सहारा देने के लिए ब्रा भी नहीं पहनी थी.
फिर मैं उसके आगे आ गया और अपने होंठ उसके गुलाबी होंठों पर रखकर किस करने लगा. अपने हाथ उसके पीछे ले जाकर उसके दोनों चूतड़ जोर से दबा दिए. उसने मुझको अपनी बांहों में कस के जकड़ लिया. फिर मैंने उसे अपनी गोद में उठाया. नीचे बिस्तर लगे थे. वहां से अपनी बुक्स हटाईं और उसे वहां लिटा दिया. इस वक्त चारपाई बाहर पड़ी थी.
उसको नीचे लिटा कर मैं उसके ऊपर चढ़ गया. मैंने उसके गर्म और नर्म होंठों पर अपने होंठ फिर से रखे और किस करने लगा. वो मेरा पूरा साथ दे रही थी. या यूं कहूँ कि वो खुद मुझसे ज्यादा मुझे किस कर रही थी.
फिर मैंने उसके पैर चौड़े किए और बीच मैं आकर अपने लंड को, जो इस समय फटने की स्थिति में आ चुका था … उसे उसकी सलवार के ऊपर से ही सही जगह लगाया और लंड का दवाब चूत पर डाल कर झटके मारने लगा.
वो धीरे से बोली- बाबू आज ही सब कर लोगे … बाकी कल कर लेना. बाहर सोनू इंतज़ार कर रही है. मैंने सोनू को आवाज लगाई- सोनू! वो बोली- हां रवि भईया? मैं बोला- बाबू तुमको कोई दिक्कत तो नहीं … अगर मैं कुछ और टाइम ले लूँ तो? वो बोली- रवि भैया आप नीरजा की दिक्कत आज पूरी तरह से खत्म कर दो … मुझको कोई दिक्कत नहीं है. मैंने कहा- बस नीरजा, अब तुम बताओ कोई दिक्कत तुमको? वो बोली- नहीं बाबू.
ये बोल कर उसने मुझको अपने सीने से चिपका लिया. मैं उसको फिर किस करने लगा और उसकी चुचियों को अपने हाथ से मसलने लगा. अब मुझसे नहीं रुका जा रहा था. मैं अतिउत्तेजना में उसके होंठ खा गया और साथ ही उसके चुचे जोर से दबा दिये.
ये दोनों काम एक साथ हुए, तो उसकी चीख निकल गई- अअअअअह … मार डाला. मैंने उसके मुँह पर हाथ रखा. तभी सोनू दरवाजे पर आई और बोली- भईया धीरे करो … वो मर जाएगी. यह कहते हुए वो हंसने लगी. मैं आवाज देते हुए बोला- नहीं सोनू … तेरी फ्रेंड इतनी कमजोर नहीं है.
अब मैंने नीरजा का कुरता उतारा. साली ने इसके नीचे कुछ नहीं पहना था. उसके मम्मों पर ब्रा ही नहीं थी. लेकिन भाइयो, क्या मम्मे थे उसके … साले एकदम मुसम्मी जैसे गोल और कड़क थे. उनको दबाने से लग रहा था जैसा इनका रस अभी ही निकल पड़ेगा.
फिर मैं उसकी एक चूची अपने मुँह में लेकर चूसने लगा. वो मस्त हो गई और बोली- बस रवि जो करना है … जल्दी करो … मुझसे रहा नहीं जाता. मैं बोला- तुमको चुदने की जल्दी है. वो मुस्कुरा कर बोली- हां.
मैं उसके पैरों की तरफ गया और उसकी सलवार खींच कर उतार दी. उसकी पिंक पैंटी के ऊपर से ही अपनी उंगली उसकी चूत की दरार में डालने की कोशिश की, जो गीली हो चुकी थी. जबसे उसको देखा था, मेरा तभी से उसकी लम्बी और सुडौल जांघें देखने का मन था. मैं आज ये मौका कैसे अपने हाथ से जाने देता.
कमरे में अँधेरा सा था, तो मैंने उठकर लाइट जला दी. उसने झट से एक कपड़े से अपने आपको ढक लिया. मैं उसके पास गया, उसके ऊपर से कपड़ा खींच लिया. उसने अपने पैरों को वी बना कर मोड़ दिया. मैं अपने घुटने उसकी जांघों से लगा कर, अपना हाथ उसकी जांघों पर फेरने लगा.
शायद उसको चुदने की जल्दी थी. वो खुद अपनी पैंटी उतारने लगी. मैंने उसकी चुदास देखी, तो खुद अपने हाथ से उसकी पैंटी उतार दी.
दोस्तो, मुझको देखने से लगा जैसे उसकी चूत उसकी नाभि से लेकर उसकी गांड के छेद तक चिरी हो. वो चूत की झांटों के बाल साफ करके आई थी. मैंने अपनी दो उंगलियों से उसकी चूत के आसपास की भूरी फांकों को हटाया और देखा तो उसकी चूत का छेद, जिसमें मुझको अपना लंड डालना था, वो वैसा ही था, जैसे छेदों में अब तक मेरा लंड जा चुका था.
मैंने अपने कपड़े जल्दी उतारे और उसके सामने बिना शर्म के अपना भयानक लंड लेकर जाकर खड़ा हो गया.
वो भी मेरा हल्के काले रंग और 8″ और 3″ मोटा लंड देख कर घबरा गई और अपनी नजरें झुका लीं. मेरा लंड हल्का सा केले सा मुड़ा हुआ था और उसका सामने वाला गुलाबी टोपा आगे से नुकीला था. शायद ऊपर वाले ने मेरे लंड को इस तरह का सील तोड़ने के लिए ही बनाया था.
मुझसे अब नहीं रुका गया. मैंने लंड को नीरजा की चूत पर लगाया और पूछा हां नीरजा बोलो … डाल दूँ? वो बोली- अब डालो भी ना.
मैंने लंड चूत पर सैट किया और जब तक नीरजा संभलती, मैंने एक शॉट में अपना पूरा 8″ का लंड नीरजा की चूत में पेल दिया.
वो एकदम से लंड घुसने से दर्द से मचल उठी और मेरे नीचे से मछली की तरह फड़फड़ा कर भागने की कोशिश करने लगी. मैं भी खिलाड़ी था, मैंने उसकी जांघें मोड़ कर वी बना रखी थीं और मेरे हाथ उसके कंधों पर थे, जो उसको ना आगे जाने दे रहे थे, ना मेरे पैर उसको पीछे होने दे रहे थे. बीच में मेरा लंड उसकी चूत के छेद में घुसा हुआ था. इस सबसे उसकी सांसें रुक रही थीं.
शायद उसको चुदे काफी दिन हो गए थे. मुझको चूत चोदते चोदते इतना अधिक अनुभव हो गया था कि किस चूत को किस तरह से चोदना है, मुझे इस बात की पूरी जानकारी थी. जरूरत से ज्यादा चुदाई करने के कारण मेरा लंड और भी ज्यादा मोटा और लंबा हो गया था.
जब मैंने लंड लगाया था, तब शायद उसको लगा था कि मैं धीरे से लंड डालूँगा. पर साली ने मेरे नीचे आने में अब तक जितने नखरे किए थे … उससे मैं बहुत गुस्से में था. इसीलिए मैंने नीरजा की चूत का भोसड़ा बनाने की नियत से एक बार में ही पूरा लौड़ा पेल दिया था. उस दर्द को वो आज भुगत रही थी.
उसकी चिल्लपों को देखते हुए मैंने अपने होंठ उसके होंठों से नहीं हटाए. कुछ देर में जब वो कुछ नार्मल हुई, तो मैंने अपना लंड लगभग सुपारे तक बाहर निकाला, बस एक इंच लंड चूत के अन्दर रहने दिया. उसने लंड निकलने से शायद अभी राहत की सांस ली होगी कि तभी मैंने पूरी ताकत से पूरा लंड वापस उसकी चूत में ठोक दिया.
वो इस बार का मेरा हमला बर्दाश्त नहीं कर पाई … औऱ अपने होंठ मेरे होंठों से छुड़वाकर वो चिल्ला उठी- आई मां … आई अअअअअ … मर गई मैं … बस निकालो … उम्म्ह… अहह… हय… याह… जल्दी निकालो प्लीज.
यह बोल कर नीरजा अपनी आंखों में आंसू ले आई. तभी बाहर से सोनू हंसते हुए बोली- धीरे भैया … झंडा गाड़ना है … कोई पिलर नहीं … ही ही ही.. मैं बोला- सोनू कुछ नहीं हुआ है, ये पागल है. सोनू बोली- मैं नादान नहीं हूँ भैया. तब नीरजा दर्द से कराहते हुए बोली- साली बच्ची नहीं है, तो आ जा अन्दर … लेकर देख अपने भईया का … कितना मोटा लेकर बैठा है ये … साली सोनू रंडी, तूने मरवा दिया आज … मेरा भईया ऐसे हैं वैसे हैं … बहुत अच्छे हैं … इससे सैटिंग करके देख … खुश रहेगी. साली कुतिया आज मेरी फट गई. बाहर से सोनू गुस्से में बोली- कुतिया कहीं की साली … क्या मैंने कहा था आज ही खुजली मिटाने को … अब भुगत. … भईया इसको बाहर रुला के ही भेजना आज कसम है आपको …
उनकी ऐसी बात सुनकर मुझमें और जोश आ गया. मैंने दूसरी बार फिर झटके से लंड बाहर निकाल कर फिर से पूरा अन्दर डाल दिया. नीरजा ‘ऊई माँ अअअहह..’ करती रही. मैं नीरजा की चूत में लंड के झटके मारता रहा. कुछ देर बाद वो मीठी और चुदासी सीत्कारें भरने लगी- आह हम्मम्म आई अअअअअ … मजा आ गया … आह चोद और तेज चोद … फाड़ दे अअअह … अअअह …
मैं धकापेल चुदाई करने लगा. दस मिनट बाद मैंने उसे वहीं नीचे फर्श पर घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी गांड देखी, जो बड़ी मस्त लग रही थी. मैंने उसके चूतड़ों पर हाथ फेरा और गांड के छेद पर उंगली रखी. गांड के छेद पर उंगली का स्पर्श पाते ही नीरजा इस डर से घोड़ी बनी हुई ही आगे को भाग गई कि मैं उसकी गांड में लंड डालूँगा. ये शायद वो बर्दाश्त नहीं कर पाती.
मैंने उसके पीछे जाकर उसकी जांघें पकड़ लीं. अब वो दीवार से लग गई थी, तो और आगे नहीं जा सकती थी. नीरजा बोली- प्लीज, इसमें नहीं डालो प्लीज. मैंने उसे बिना बोले लंड चूत पर सैट किया और डाल दिया. उसको चूत में लंड मिला तो मस्त हो गई. अब वो भी आगे पीछे होकर चुदने लगी और कामुक सिसकारियों भरी आवाजें निकालने लगी- आह … ह्म्म्म … हम्मम्म ओह … अअअअअ चोद दे … आई माँ.
कुछ ही झटकों के बाद नीरजा झड़ गई. उसके झड़ते ही मैं और तेज लंड अन्दर बाहर करने लगा. उसकी चूत से पानी निकलने से ‘थप थप..’ की आवाजों से रूम गूँज रहा था. फिर मैंने अपना अंतिम झटका उसकी चूत में मारा और लंड बाहर निकाल कर अपना माल उसके दोनों चूतड़ों पर गिरा डाला. उसकी बॉडी में उसके मादक और उठे चूतड़ बहुत ही ज्यादा पसन्द हैं.
हम कपड़े पहनने लगे, जाते जाते उसने मुझको किस किया और बाय बोल कर जाने लगी. गेट खोल कर देखा सोनू बाहर खड़ी उसे देख कर हंस रही थी. मैंने गेट लगा लिए और उनकी बातें सुने लगा. सोनू बोली- मन नहीं भरा हो तो और चुद ले साली … नीरजा तृप्त भाव से बोली- नहीं अब दस बीस दिन नहीं चुदना … साले ने एक ही बार में मेरी हालत खराब कर दी. सोनू बोली- ज्यादा मोटा था क्या? नीरजा बोली- हां यार साले का मूसल जैसा था … जब जब अन्दर जाता … समझो जान ही निकाल देता.
नीरजा ‘आआ …’ करके चलने लगी. शायद उसकी कमर में लचका आ गया था. सोनू बोली- ठीक से चल … मरवायेगी क्या साली … कोई देखेगा तो क्या कहेगा. नीरजा बोली- सोनू, तू लेकर देख कुतिया … तुझसे तो चला भी नहीं जाएगा. सोनू- नहीं यार, मेरे बस का नहीं है, कभी किया नहीं है ना. तू तो अपने जीजा से कई बार करा चुकी है, तो तेरे लिए तो कोई बात नहीं थी. नीरजा- हां पर उनका लंड इसके सामने आधा था … इसका स्पेशल था.
वे दोनों ये सब बोलते बतियाते नीचे चली गईं. आगे क्या हुआ … वो मैं अगली कहानी में बताऊंगा. जब सोनू को ना चाहते हुए भी मुझको चोदना पड़ा.
दोस्तो, हरियाणा की जाटनी की चुदाई की मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी, मेल करके जरूर बताना. आपका अपना रवि खन्ना [email protected]
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