This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
अब तक की कहानी में आपने पढ़ा कि सलोनी की चूत से पहली छूट निकलने के बाद उसने अपने जिस्म को चादर में लपेट लिया. लड़की होने का अधूरा अहसास उसको हो चुका था और अब बारी थी उसको लड़की होने का पूरा अहसास कराने की. मैंने उसको चूमते-सहलाते हुए फिर से गर्म कर दिया और कुछ ही देर में मेरा लंड भी दोबारा अपने आकार में आ गया. जब सलोनी से बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने मुझसे गुहार लगानी शुरू कर दी. अब आगे:
सलोनी- क्यों तड़पा रहे हो? आओ ना … देर मत करो! मेरा एक पैर जमीन पर और दूसरा बर्थ पर था. मुझे मालूम था कि सलोनी का ये पहली बार है. उसको कम से कम दर्द हो, मेरा यही इरादा था लेकिन दर्द तो होना ही था. एहतियात मैं बरत रहा था क्योंकि मुझे ये भी ख्याल था कि हम ट्रेन में हैं और सब कुछ लिमिट के अंदर ही करना होगा.
मेरा लण्ड सही जगह रख कर मैंने धीरे-धीरे दबाव बनाना शुरू किया तो मेरा सुपारा थोड़ा अंदर गया … मेरी आंखें सलोनी के चेहरे पर ही थीं. उसकी आँखों की पुतलियां फ़ैल सी गई थीं. थोड़ा और दबाव बनाया मैंने. अब मेरा पूरा सुपारा अंदर था. सलोनी की आँखों से आंसू की धारा बह निकली. मैं रूक सा गया. प्यार से उसके आसूँ को अपने होंठों से पी गया और उसके होंठों को अपने होंठों से चूसने लगा.
मेरे हाथ उसकी चूचियों को मसल रहे थे. कुछ पल में ही मुझे लगा कि उसकी चूत फड़फड़ा बंद और खुल रही थी. मैंने उसी अवस्था में अपने एक हाथ का सहारा लिया और अपने चूतड़ को हल्का पीछे खींचा और थोड़ा जोर से धक्का मारा तो मेरा लण्ड सरसराता हुआ आधे से ज्यादा चूत के अंदर घुस गया. सलोनी की घुटी-घुटी सी चीख उसके मुँह में ही रह गई ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
उसके नाख़ून मेरी पीठ में घुसते चले गए. पीड़ा तो मुझे भी हुई. चूत से कुछ बहता सा फील होने लगा. सलोनी सहन करने की कोशिश कर रही थी लेकिन दर्द ज्यादा ही था. मैं रुक कर उसकी चूचियों को मुँह में भर कर चूसने लगा. दूसरी चूची की निप्पल को दोनों उंगलियों से मसल रहा था. खींच रहा था.
कुछ ही पलों में सलोनी चूतड़ हिलाने लगी. मैं उसी अवस्था में धीरे-धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा. सलोनी की चूत में मेरा लण्ड अपनी जगह बना चुका था. चूत ने भी अपनी धार छोड़ थी मेरा लण्ड अब आराम से अंदर बाहर होने लगा. समय था चूत की जड़ तक जाने का. मैंने अपने चूतड़ों को पीछे खींचते हुए सलोनी को संभलने का मौका दिए बगैर एक जोरदार धक्का दिया और मेरा लण्ड पूरा चूत की जड़ तक समा गया.
सलोनी की आंखें फ़ैल गईं. उसने अपनी दर्द से भरी आवाज़ को रोकने के लिए उसने अपने दाँतों को भींच लिया. फिर भी एक और दबी-घुटी हुई हलकी सी चीख निकल ही गई- ई ई माँ … ऊऊ ऊ आ … आ आ ई ई माँ … आ आ आ … मर र र र गई … ईई ई ईई … सी … सी. आआह्ह्ह … मैं भी अपनी सांसों को दुरूस्त करने के लिए रुक गया. उसको सहलाता रहा.
सलोनी की चूत में मेरा पूरा लण्ड था. माहौल भी था. चिकनाई भी थी और मैंने धीर-धीरे अपने लण्ड को निकाला और एक शॉट में अंदर कर दिया. सलोनी- उई माँ … मर गई … धीर् रे … और मैंने फिर एक रिदम में लण्ड को धक्के लगाना शुरू किया। कुछ ही पलों में सलोनी दर्द भूलने लगी और मेरी सिसकारियां ट्रेन के शोर के साथ सुर मिलाने लगीं.
मेरी जांघों की थाप जब उसके चूतड़ों पर पड़ती तो उस आवाज़ से वातावरण कामुक हो उठता. सिर्फ उह … आह … उह्ह … आअह … हम्म … हम्म … बस … जैसी आवाजें हम दोनों के ही मुंह से निकल रही थीं. दोनों के जिस्म पसीने से नहा गए. सांसें उखड सी गईं. बस लण्ड और चूत का मिलन हो रहा था. सलोनी की सिसकारी, पीठ में गड़ते नाख़ून … ओह राहुल … आह हम्म्म्म … ओह्ह्ह राहुल … जितना लण्ड अंदर जाता उतना ही सलोनी सिसकती … आह्ह … अह्ह्ह … जो र र र से … उफ़ राहुल!
सलोनी की चूत से निकलता रस लण्ड की राह आसान बना रहा था. जैसे ही लण्ड पूरा चूत में जाता सलोनी की सिसकारी रेलगाड़ी के शोर में दब जाती, मगर मेरे कानों में सुनाई देती और मेरे वहशीपन को और कामुक बनाती. थोड़ी देर लण्ड से चूत की मालिश करने के बाद मैंने लण्ड को निकाला तो सलोनी की बंद आँख खुल गई और वह मेरी तरफ देखने लगी जैसे पूछ रही हो- लण्ड क्यों निकाला?
मैंने उसको उठाया और उसको खड़ा करके उसका चौपाया बनाया और उसके जिस्म को आगे सीट पर झुका दिया. या यूं कहें कि उसका सर एक तरह से सीट पर लगा दिया. उसकी गांड मुझे अच्छे से दिख रही थी और मैंने उसके चूतड़ को थोड़ा उठाया तो उसकी चूत खुल कर सामने आ गई. मैंने उसके चूतड़ में दो तेज चांटे मारे. सलोनी- आराम से राहुल … आह्ह्ह् … दर्द हो रहा है. लेकिन अब मैंने सलोनी पर तरस खाना बंद कर दिया था. अब मैं उसको भोगने के पूरे मूड में आ चुका था.
सलोनी जितना दर्द से कराह रही थी उतनी ही उसके चेहरे पर एक आनंद की चमक भी दिखाई दे रही थी. सलोनी और मैं एक रिदम में थे. जितनी तेज़ी से मेरा लण्ड चूत के अन्दर जाता उतनी तेज़ी से सलोनी अपनी गांड मेरी जांघों से पीछे करके सटा देती, सलोनी बार-बार अपनी गांड को पीछे करके लण्ड को चूत में ले रही थी, कभी मैं उसकी चूची मसलता तो कभी पीठ पर चुंबन करता तो कभी उसके चूतड़ पर चांटे लगाता. सलोनी की सिसकारी और दर्द भरी आहों से मेरे जोश में और उबाल आ जाता- आह आह आह … राहुल … फक मी … आह्ह्ह् … उम्म्ह … अहह … हय … याह …
मेरे मोटे लंड से सलोनी को उसकी चूत में तकलीफ हो रही थी, पर मैं भी दांतों को भींचे हुए उसकी चूत में डाल कर तेज़ धक्के लगा रहा था. हालाँकि कुछ ही देर में रस के कारण चूत ने दर्द को भुला दिया और सलोनी भी अपनी गांड उठाकर चुदवाने में साथ देने लगी। कुछ देर बाद पूरा लंड चूत की जड़ तक अन्दर-बाहर होने लगा और धमाकेदार धक्कों से सलोनी की चूत का बाजा बज उठा. सलोनी- आह्ह्ह राहुल धीरे … दर्द होता है … उफ्फ … मैंने उसकी कमर को कसकर पकड़ लिया और उसकी चूत में अच्छे से लण्ड को तेजी के साथ अंदर बाहर करने लगा. सलोनी का शरीर कांपने लगा. मैं भी समझ गया कि एक बार फिर वो चरम की ओर है, मैं भी अपने जोर पर था. मेरा भी रक्त गर्म होने लगा था.
सारा खून जैसे एक जगह एकत्र होने लगा हो और तभी सलोनी जोर से चिल्लाती हुई झड़ गई- आअह … राहुल … ओह्ह्ह ऊ ऊ ऊ आ आ आ आ आ ई ईई ई रा रा रा रा हुल … उम्म … आ … मेरा तो अभी हुआ नहीं था तो मैं अभी भी उसकी चूत में लण्ड अंदर बाहर कर रहा था. एक दो बार अवश्य और कामुकता में आकर उसके चूतड़ों पर जोर से चांटे मार देता. मैं उसके झड़ने के कारण थोड़ा रुक सा गया. जिससे मेरे झड़ने का टाइम थोड़ा बढ़ सा गया. सलोनी- आआह … ऊई ई ई … माँ …
उसने गर्दन घुमा कर मेरी तरफ देखा, मगर हवस, वासना का आवेश ऐसा था कि मैं उसमें आनंद पा रहा था. काले रंग के चहरे पर काले लम्बे बाल बिखरे थे. बड़ी-बड़ी आंखें जिसमें लाली उभरी हुई थी. सलोनी के जोश में कोई कमी नहीं थी. वो पलट के मुझे जोर से बाँहों में जकड़ लेती थी. लण्ड अभी भी चूत में था और मैं साफ महसूस कर रहा था कि चूत खुल रही है और बंद हो रही है. सलोनी को मैंने पीठ के बल सीट पर लिटा दिया और एक बार फिर चूत में लण्ड डाल कर धक्के लगाने शुरू कर दिए. चंद पलों में सलोनी ने नीचे से अपनी गांड उछालनी शुरू की और मैंने भी लण्ड को चूत के अंदर-बाहर करना शुरू किया.
दोनों ने एक साथ रफ़्तार पकड़ ली. चूत और लण्ड एक दूसरे में समा रहे थे. लण्ड चूत के अंदर तक समाकर चूत की दीवारों में घर्षण पैदा कर रहा था तो चूत लण्ड को अपने में जकड़ लेने की कोशिश कर रही थी. दस मिनट की जोरदार झटकों की बारिश के साथ ही लण्ड महोदय अपने चरम पर आ गए और चूत रानी भी पिघल कर लण्ड के स्वागत के लिए तैयार हो गई थी.
कामुक सिसकारियों से भरी जोर की आवाज़ के साथ लण्ड ने आत्म-समर्पण करते हुए चूत में रस की बौछार कर दी और चूत ने भी अपने को समर्पित करते हुए अपने रस को छोड़ दिया. दोनों के रस का संगम चूत में हो गया.
काफी देर तक हम दोनों अपनी सांसों को व्यवस्थित करते रहे. सलोनी अभी भी नग्न अवस्था में मेरे नीचे थी. उसकी बांहें और पैर मुझे अभी भी जकड़े हुए थे. लण्ड भी धीरे-धीरे सिकुड़ कर चूत से बाहर आ गया. साथ ही चूत से मेरे और सलोनी के रस की धारा भी बह निकली.
एक बार मैंने उठने की कोशिश की किंतु सलोनी ने और जोर से अपनी बाँहों में मुझे बांध लिया. मानो वो मुझे छोड़ना ही न चाहती हो. मैंने भी उसकी भावना को समझ कर दूर होने का कोई प्रयास नहीं किया. हम दोनों ही न जाने कब नींद के आगोश में चले गए. जब नींद खुली तो हम दोनों ही नग्न एक दूसरे की बाँहों में थे. एक दूसरे की बांहों में लिपटे हुए एक अजीब सी सुगंधनुमा महक सलोनी के जिस्म से आ रही थी. वो मुझे नशा सा दे रही थी. ट्रेन कहीं रुकी हुई थी क्योंकि काफी शोर था बाहर. लण्ड एक बार फिर अपनी पुरानी अवस्था में आ चुका था. सलोनी का गर्म जिस्म मुझे फिर से गर्म कर रहा था. मेरे हाथों की हरकत से सलोनी भी जग गई और फिर शुरू हुआ एक और दौर. उह … आह … आउच … धीरे से … की आवाज़ों के बीच एक दौर संपन्न हुआ.
फिर हम अलग हुए. मैं एक शॉर्ट डाल कर बाथरूम में गया. जब फ्रेश हो कर आया तो सलोनी भी कपड़े पहन चुकी थी. अभी भी 10 घंटे का सफर बाकी था. मैंने महसूस किया कि सलोनी मेरी नज़रों से नज़रें नहीं मिला रही थी. शायद जो कुछ हुआ उसके कारण शर्म की चादर बीच में आ गई. उसको बाँहों में लेकर मैं बातें करने लगा. काफी देर मैं उसके बारे में पूछता रहा. उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी. हम दोनों में बातें होने लगीं.
सलोनी ने कहा- मेरे पास कोई नहीं आता था, मेरा भी दिल करता था कि कोई मुझे प्यार करे, मेरे साथ की सब लड़कियों के बॉयफ्रेंड थे. सब उनके साथ खूब एन्जॉय करती थीं और सेक्स भी काफी नार्मल था उनके बीच. लेकिन मेरी लाइफ में सिर्फ और सिर्फ किताबें थीं. सेक्स तो बहुत दूर की बात थी, सेक्स के प्रति मेरी बहुत सी जिज्ञासा थी. जानकारी भी थी, इंटरनेट पर पॉर्न भी देखी थी. सेक्स के बारे में काफी कुछ इंटरनेट पर पढ़ कर समझा था, मगर कोई मिला नहीं जिसके साथ मैं कुछ कर पाती. मैं भी एक नॉर्मल लड़की हूँ. मेरा भी दिल करता है कोई मुझे छूए, सहलाए, प्यार करे, मगर ऐसा हो न सका. जब आप मिले तो आपने मेरे रंग पर ध्यान ही नहीं दिया. बिना किसी जानकारी के मेरी मदद की. आपने मेरे बारे में पूछा, मेरा साहस बढ़ाया, तब मुझे लगा कि आप वो शख्स हो सकते हैं जिसको मैं अपना पहला पुरुष मान सकूं, ऐसे में जब आप ने मेरा हाथ पकड़ा तो मैं पिघल सी गई क्योंकि इतने दिनों से अंदर की छिपी भावनाएँ, ज्वालामुखी बनकर सब बाहर आ गया और जब आप पहल करने में हिचकिचा रहे थे तो मुझे आप पर प्यार सा आ गया और बस फिर हो गया. आमतौर पर लड़की पहली बार में किसी मर्द को अपना सब कुछ नहीं सौंपती, पर मैं भी नए ज़माने की लड़की हूँ, मुझे पता था की इस सफर के बाद हम दोनों के रास्ते अलग हो जायेंगे और शायद हम फिर कभी भी न मिलें, तो मुझे आपके साथ सेक्स करने में कोई हर्ज़ महसूस नहीं हुआ क्योंकि एक तो आप अन्जान थे, दूसरा आपसे मुझे कोई डर नहीं था. मैंने भी प्रक्टिकली सोचा और बस फिर हो गया.
सलोनी ने यह सब बातें कहकर मेरा दिल जीत लिया.
अगले दो दिन हम दोनों की लाइफ में धमाकेदार थे, मैंने अपना काम ख़त्म किया और उसने अपना एग्जाम दिया. बाकी समय हम दोनों ने सेक्स और घूमने फिरने में बिताया और फिर एक दूसरे से बिछड़ गए।
तो यारो, ये थी मेरी और सलोनी के बीच बने सम्बन्धों की आपबीती, ये अलग बात है कि हमारे रास्ते अलग नहीं हुए. हम एक दूसरे के कॉन्टेक्ट में हैं, आज वो छत्तीसगढ़ का एग्जाम क्लियर करके जल्द ही जगदलपुर में अपना चार्ज सँभालने वाली है. जिस शहर की वो थी, उसी शहर में एक उच्च अधिकारी बनकर आना एक सम्मान की बात है, अब शायद रंग उसकी तरक्की में आड़े नहीं आएगा. दोस्तो, आज की लड़की आत्मनिर्भर है, जागरुक है, अब वो चाहे किसी गांव की हो या फिर किसी बड़े शहर की हो, कोई भी क्षेत्र हो, लड़कियां आपको लड़कों के साथ कदम से कदम मिला कर चलती नज़र आएंगी.
मेरी ये कहानी स्मिता (बदला हुआ नाम) जैसी उन सभी लड़कियों को समर्पित है जिन्होंने अपनी सीमा रेखा से ऊपर उठ कर कुछ करने की ठानी है! आपको मेरी यह आपबीती पसंद आई या नहीं, मुझे ईमेल करें. यदि आपको मुझसे कहानी के बारे में कुछ और कहना है अथवा अपने विचार रखने हैं तो आपका स्वागत है. [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000