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प्रणाम दोस्तो, मेरा नाम तनु है। मेरी उम्र 23 साल की है. मैं एक विवाहित युवती हूँ। अन्तर्वासना के बारे में मुझे पता चला मेरे पार्लर पर काम करने वाली लड़की सोनम से. उसके बाद मैं इसकी नियमित पाठक बन चुकी हूं और आज अपनी ज़िंदगी की एक मस्त चुदाई लेकर आई हूं. मैं एक साधारण घर में पैदा हुई। साधारण से सरकारी स्कूल में पढ़ाई की, मगर भगवान ने मुझे मदहोश कर देने वाली जवानी से नवाज़ा।
आम से दिखने वाले कपड़ों में भी लड़के मेरी खूबसूरती पर मर मिटते थे। कब जवानी चढ़ गई पता भी नहीं चला मुझे। पता तब चला जब मैं गली से गुजरती और लड़कों की नज़र अपनी उभरती हुई छातियों पर गड़ी हुई देखती। तब एहसास हुआ कि मेरी जवानी अब शोला बन चुकी है। कई भंवरे मेरा रस चूसने को बेताब होने लगे।
मेरी कई ख्वाहिशें थीं जो हर लड़की की होती हैं; पर सब दब कर रह जातीं। लड़कों की नजरें जब अपने जिस्म पर गड़ी देखती तो अजीब सा अहसास होता। एक रोज़ कपड़े बदलते वक्त मैंने अपने हुस्न को गौर से देखा, उस वक्त की बात है जब मैं बारहवीं क्लास में थी। अपनी बड़ी बड़ी छातियों को जब गौर से शीशे में देख उनको हाथ से छुआ तो अजीब सी तरंगे जिस्म से निकलीं। महसूस हुआ कि इस बाग को जल्दी ही किसी माली की ज़रूरत पड़ने वाली है।
मेरी एक सहेली थी पिंकी जो एक बड़े घर से थी. वो जब मुझे अपने किस्से सुनाती तो बदन में सिरहन सी होने लगती। उसके पास सब कुछ था फ़ोन, अच्छे कपड़े, आशिक़ … वह सब कुछ जो एक जवान लड़की के पास होता है। उसके ज़रिये कई लड़कों ने मुझे परपोज़ किया पर मैं अपने परिवार से डरती थी, अपनी जवानी पर कंट्रोल करती थी। बीतते हुए समय के साथ मैं और भी मस्त हो चुकी थी। तराशे हुए जिस्म, उभरी हुई गांड की मालकिन हो चुकी थी।
एक दिन पिंकी के घर हम अकेले थे. पिंकी बोली कि मेरी यह सेक्सी ड्रेस पहन कर दिखा। उसके ज़ोर देने पर मैंने अपना सूट उतार दिया और सलवार भी. पिंकी ने गौर से मेरे जिस्म को देखा तो उसका मुहं खुला रह गया. वह बोली- वाओ तनु … तू तो आग है. उसने मुझे बांहों में दबोच लिया. मैंने उसको रोका पर उसने पकड़ कर मेरे स्तन दबा दिए।
उसने अपने कपड़े उतारे और मुझे पकड़ कर बिस्तर पर ले गई. उसने अपनी छाती को मेरी छाती से घिसा कर देखा तो मुझे बहुत आनंद आया. उसने मेरी चूत पर हाथ फेरा तो मैं तड़पने लगी. फिर उसने झुकते हुए मेरी चूत को चूम लिया और ज़ुबान से मेरी चूत को कुरेदने लगी. पहली बार किसी ने चूत चाटी थी।
पिंकी उठी औऱ मेरे मुंह के ऊपर अपनी चिकनी चूत टिका कर बोली- मेरी चाट … मैं तेरी चाटूंगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। उस दिन ज़िंदगी में पहली बार उसने मुझे चरम सीमा तक पहुंचाया और मैंने भी उसको चरम पर पहुंचाया। काफी देर तक हम दोनों सहेलियां नंगी लेटी रही। उस दिन के बाद मैं अक्सर पिंकी के घर तब जाती जब कोई ना होता. हम दोनों ब्लू फिल्में भी देखती और एक दूसरे के अंगों से खूब खेलती। बिना लड़के के मैं पिंकी से मज़े करती। मुझे चूत चटवाने की बुरी आदत पड़ गई थी।
पिंकी की चूत थोड़ी खुली हुई थी क्योंकि वो लंड खा चुकी थी। पिंकी उंगली तो मेरी चूत में घुसा देती थी मगर चूसते चूसते मेरा दिल भी करता कि लंड चूत में डलवा कर मज़े लूं मगर फिर डर जाती।
स्कूल के साथ ही मैंने साथ-साथ ब्यूटी पार्लर का काम भी सीखना शुरू कर दिया था। मैं अच्छे से सीखती थी क्योंकि मैं चाहती थी कि आगे चलकर अच्छी ज़िंदगी जीऊं। तभी पिंकी के ज़रिए शुभम ने मुझे परपोज़ किया और अब बात अलग थी, मुझे सेक्स का स्वाद लग चुका था। मैंने स्वीकार भी कर लिया और पार्लर का काम सीखने जब जाती तो उससे मिलने लगी। उसकी बांहों में मुझे ज्यादा मज़ा आता था।
एक दिन पार्लर से बंक मारकर मैं शुभम के साथ एक कमरे में गई और उस दिन पहली बार किसी लड़के ने मुझे नंगी किया और उसके बदन से जब मेरा बदन घिसा तो मुझे पिंकी से ज्यादा मज़ा आया. उसने दबा कर मेरे यौवन का रस चूसा औऱ पहली बार किसी लड़के का लंड देखा. मैंने लंड को चूसा और उससे चूत चटवा कर अलग ही सुख महसूस हुआ जिसको मैं बयान नहीं कर सकती.
उसने मेरी चूत की सील तोड़ डाली. बहुत दर्द सहन करना पड़ा लेकिन मजा भी बहुत ही ज्यादा मिला मुझे. मौका मिलते ही हम मिलने लगे और मज़ा करने लगे. काम भी बहुत सीख लिया था. बारहवीं के पेपर भी दे दिए और पेपरों के बाद एक दिन मेरे और शुभम के रिश्ते का घर पर पता चल गया और मेरी खूब पिटाई हुई और मुझे घर पर बिठा दिया गया. मेरे घरवाले मेरे लिए लड़का ढूंढने लगे.
साढ़े अठारह साल की छोटी उम्र में ही मेरी शादी हो गई। मौसी ने अच्छे घर का लड़का ढूंढ़ लिया क्योंकि मैं खूबसूरत थी और जवान भी थी। लड़के की अपनी दुकान थी ऑटो रिपेयर की. दुकान काफी बड़ी थी जो अच्छी चलती थी। घर से खुशहाल थे, सभी सुख सुविधा मौजूद थीं।
मैं दुल्हन बन कर सोनू के घर आ गई। बाकी तो ठीक था सब … उनका लंड भी ठीक था. सुहागरात पर सब कुछ हुआ. पर जो लत पिंकी और शुभम ने लगाई चूत चटवाने की, वह इच्छा पूरी नहीं हुई और उसके बिना मुझे बेचैनी सी महसूस होती थी।
पति से कहकर शादी के 4 महीनों के बाद ही मैंने पार्लर खोल लिया और पहले खुद मेहनत करती रही. अच्छा काम करती. पार्लर काफी चल निकला और फिर लड़की रख ली। मायके जाती तो पिंकी से मिलकर चूत चटवाती। मेरी एक पुरानी कस्टमर बन चुकी थी जिसका नाम शिखा था. वह मेरे पार्लर की सबसे पुरानी कस्टमर थी, मुझसे काफी खुल चुकी थी। मैंने पार्लर में काफी सुविधाएं बढ़ा दी थीं. शिखा मेरे पार्लर में पूरी बॉडी वेक्स करवाती थी. फेशिएल के साथ-साथ वह अपनी चूत भी वैक्स करवाती थी.
एक दिन मैंने पूछा- दीदी, आप क्रीम क्यों नहीं यूज़ करती? तो वह बोली- वेक्स से बहुत देर से बाल निकलते हैं और तेरे जीजू को चिकनी चूत पसंद है. मैंने पूछा- क्यों? वह बोली- उनको चूत चाटकर बहुत मज़ा आता है। मैंने मज़ाक में कहा- दीदी आपकी चूत तो अब काफी बड़ी हो गई है. वह बोली- तेरे जीजू बहुत चुदाई करतें हैं. उनका बहुत बड़ा है. वो मुझे छोड़ते ही नहीं।
इधर मैं परेशान थी कि पति दुकान से आते और साधारण चुदाई करके सो जाते।
एक दिन मैंने शिखा को सोशल मीडिया साइट पर रिक्वेस्ट भेज दी। उसकी बातों ने मुझे पागल कर रखा था। जब भी आती, ऐसा कोई किस्सा सुना देती।
इंटरनेट पर फ्रेंड बनकर एक दिन उसकी प्रोफ़ाइल खोली तो देखा कि सच में उसका मर्द बहुत ज़बरदस्त था. देखने से ही वो औरत का रसिया लगता था। मैंने एक खूबसूरत आकर्षक डी.पी. लगा ली क्योंकि मेरे पति तो सोशल मीडिया साइट यूज़ नहीं करते थे और मैं शिखा के हस्बेंड के साथ ली गई उसकी पिक को लाइक करती और कमेंट भी करती। और मेरे किये कमेंट को उसका पति लाईक करता और आखिर एक दिन मेरा अंदाज़ा और तीर सही जगह लगा.
उसने मुझे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी और मैंने स्वीकार भी कर डाली और मेसेंजर पर उसने मुझे वेव किया हाथ हिला कर. मैंने भी उसको वेव बैक कर दिया। उसने पूछा- आप कौन हो? आपके बहुत कॉमेंट आते हैं. मैंने जवाब दिया- मैं तनु … मेरा पार्लर है जहां शिखा दीदी आती है। उसने लिखा- ओह्ह … वह आप हो जो हमारी बीवी को औऱ खूबसूरत करती हो। मैंने लिखा- जी हाँ, वही हूँ। वह बोला- मेरा नाम राजीव है और आप तो वैसे ही बहुत खूबसूरत हो। मैंने कहा- धन्यवाद, राजीव जी।
इस तरह अक्सर उसके मैसेज मुझे आने लगे और हम काफी सहज होकर बात करने लगे। उसने मुझसे दोस्ती करने को कहा जिसे मैंने स्वीकार किया।
मैंने एक दिन उसको कहा- दीदी आपकी बहुत बातें सुनाती हैं। वह बोला- कैसी बातें? मैंने कहा- बस बताती हैं कि आप उनको बहुत प्यार देते हो। वो बोले- प्यार तो मुझे तेरे साथ भी हो गया है। करने दोगी मुझे प्यार? मैंने लिखा- अगर दीदी को पता चल गया तो? वो बोले- उसको कैसे पता चलेगा? मतलब वैसे तुम्हें एतराज नहीं है? मैंने कहा- नहीं, मुझे कोई ऐतराज नहीं है। वह बोले- तुम मेरी बीवी को खूब चिकनी करके भेजती हो. मैंने कहा- वह खुद ही कहती है मुझसे ये सब करने के लिए. वह बताती हैं कि जीजू को चिकनी चीजें बहुत पसंद हैं.
“तुम भी तो चिकनी हो क्या?” उसने पूछा। मैंने कहा- वो तो आपको मिलने के बाद ही पता लग सकता है. वह बोले- ठीक है, मिल लो फिर. मैंने कहा- पर मिलेंगे कहाँ? वह बोले- मेरे फार्महाउस में चलोगी मेरे साथ? मैंने कहा- सोच कर बताऊंगी. थोड़ा समय दो।
फिर मैंने सोचा कि पार्लर से ही निकल सकती हूँ. वहीं से टाइम निकाल कर ही अपने जिस्म की अधूरी चाहतें पूरी कर सकती हूं। मैंने सुबह उनको मैसेज किया कि राजीव आप मुझे रतन चौक वाले कॉर्नर वाले पंप से पिक कर सकते हो क्या? वह बोले- क्यों नहीं मेरी जान!
मैंने लड़की को कहा- पार्लर खोल लेना. अगर कोई आये तो कहना कि मैं पार्लर का समान खरीदने गई हूँ। मैंने काले रंग का फिटिंग वाला सूट पहना और नीचे रेड ब्रा और रेड ही पैंटी पहन ली। तैयार होकर घर से ऑटो लेकर पार्लर के लिए निकली पर रतन चौक उतर गई औऱ वहां पंप पर खड़ी हो गई।
कुछ देर बाद काली बड़ी सी कार आकर रुकी और शीशा नीचे हुआ और राजीव जी मुस्कुराते हुए बोले- बैठो मेरी जान। मैं बैठ गई तो उन्होंने शीशा ऊपर किया और गाड़ी चल पड़ी. सच में राजीव बहुत हैंडसम थे। “तनु, बहुत खूबसूरत हो तुम!” कहकर उसने मेरी जांघें सहलाना शुरू कर दिया.
उसने गाड़ी चलाते हुए मेरी गर्दन पर किस कर दिया। ऐसे प्यार भरे माहौल में चलते-चलते एक बहुत बड़े फार्महाउस में हम पहुंच गए। एक नौकर ने हमको सलाम किया और वहां से निकल गया। हम खूबसूरत आलीशान कमरे में पहुंच गए।
दरवाज़ा बंद करते ही राजीव ने मुझे बांहों में भर लिया। राजीव- तनु बहुत ज़बरदस्त हो तुम … मर मिटा हूं तेरे ऊपर। उसने मेरे चेहरे से बालों को हटाते हुए मेरे होंठों को चूम लिया। उनके सीने पर हाथ फेरते हुए मैंने कहा- आप भी बहुत ज़बरदस्त हो. उन्होंने मेरी चुनरी खींच दी. मेरी कसी हुई छातियों को दबाते हुए बोले- खुदा ने खूब तराशा है।
मैंने बांहें उनके गले में डालते हुए कहा- आप जैसे कद्रदानों के लिये तराशा है। कर लो अपनी चाहतें पूरी और इस अधूरी तनु को अपने जोश से संपूर्ण कर दीजिए। “लगता है हुस्न के इस बगीचे का माली कमज़ोर है.” राजीव ने मुझे छूते हुए कहा. फिर मुझे खींच कर बांहों में कस मेरे होंठ चूमने लगे और धीरे-धीरे मेरी कमीज उतार दी।
उफ्फ … तनु … मुझे लाल ब्रा में देख वो पागल हो गए. उनके मज़बूत हाथ मेरे जिस्म पर रेंग रहे थे. मस्ती में आंखे बंद कर मैं अपना होंठ चबाने लगी। उन्होंने अपनी शर्ट उतारी और फिर जीन्स उतार दी. आह्ह् … फ्रेंची में उनका उभरा हुआ लंड देख मेरे बदन में आग लग गई। उनके सीने पर घने बाल थे. एक भरपूर मर्द सामने था. छाती के बालों में मेरी उंगलियां रेंग रही थीं.
उन्होंने पीछे से हुक खोल दी और मेरे फड़फड़ाते कबूतर आज़ाद हो गए. उन्होंने झुकते हुए मेरी चूची पर होंठ लगाए तो मैं मचल उठी. उन्होंने मेरे तने हुए गुलाबी निप्पल को ज़ुबान से कुरेदा. सी … सी … उफ्फ आह … राजा … मेरे नाखून उनकी पीठ पर गड़ने लगे. उनके बालों में हाथ फेर चूचियों को चुसवाने लगी. उन्होंने मेरा नाड़ा खींच दिया, सलवार नीचे गिर गई. उन्होंने जैसे ही नीचे देखा, दूध सी सफेद चिकनी जांघें देख वह अपना आपा ही खो बैठे और मेरी रेशमी जांघों को बेहताशा चूमने लगे.
उन्होंने मेरी पैंटी को खींच दिया. “ओह माई गॉड … क्या कसी हुई चिकनी चूत है तेरी!” राजीव ने हैरान होकर कहा.
उन्होंने अपने होंठ मेरी चूत पर टिका दिए. मैं अपने होंठ काटते हुए मुख मैथुन का भरपूर सुख लेने लगी. मेरे दोनों चूतड़ों पर हाथ टिका कर उनको दबा-दबा कर राजीव मेरी चूत चाटने लगे. उन्होंने मुझे उठाया, बिस्तर पर लिटा दिया और मैने उनके लंड को फ्रेंची से निकाल कर सहलाया.
राजीव बोले- कैसा लगा? मैंने कहा- बहुत मस्त है.
मेरे मुंह पर आकर लंड मुंह में डाल दिया और उधर मेरी चूत में ज़ुबान घुसा कर चाटने लगे. मैं पागलों की तरह लंड चूस रही थी. फिर उन्होंने घुटनों के बल बैठ मेरी टांगें कंधो पर टिका कर कुछ देर और मेरी चूत को चाटा और अपना लंड चूत पर रख झटका दिया. मुझे पहली बार एहसास हुआ कि असली लंड जब घुसता है तो कितना मज़ा आता है. दर्द भी हुआ क्योंकि इतना मोटा लंड पहली बार घुसवाया था. धीरे-धीरे पूरा लंड चूत में घुस गया. पूरी रफ्तार से राजीव मुझे चोद रहे थे. मेरी चूचियां उछल रही थीं. आह … उह … फक मी … यस … फक मी … जैसी कामुक आवाजें मेरे मुंह से निकल रही थीं.
मैं झड़ने वाली थी. मैं चूतड़ उठाने लगी तो उनका जोश बढ़ने लगा और तेज़ झटके लगने लगे. कुछ ही झटकों के बाद मेरी चूत पानी छोड़ने लगी. मगर अब भी चुदाई को जारी रखते हुए राजीव लगे रहे और कुछ देर बाद उन्होंने पानी की बौछारें छोड़ दीं. एकदम लंड खींच मुँह में घुसा दिया और सारा का सारा माल मेरे मुंह में गिरा दिया. मैंने उनके लंड को खाली करके बिल्कुल साफ कर दिया.
वह बोले- तनु, तुम्हें पाकर तो मैं शिखा को भी भूल गया. मैं उनके मुंह से अपनी ऐसी तारीफ सुनकर फूली नहीं समा रही थी. मैंने कहा- असली मर्द का सुख भोग कर पहली बार मुझे भी इतना मजा आया है मेरे राजा! 2 बजे तक राजीव जी ने मुझे भरपूर सुख दिया।
मैं राजीव जी के पास से औरत होने का पूरा एहसास लेकर वहां से लौटी।
यह थी मेरी ज़िंदगी की यादगार चुदाई। मैं अगली बार एक नई आपबीती के साथ जल्दी वापस लौटूंगी. [email protected]
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