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कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा था कि
एक बार के चुदाई के बाद कल्पना भाभी काफी रिलैक्स नज़र आ रही थीं, पर थकान का असर अब भी उनके चेहरे पर साफ दिख रहा था. वो पूरी नंगी ही मेरे बगल में आंखें बंद करके लेटी हुई थीं.
थोड़ी देर सुस्ताने के बाद मैं वाशरूम जाने के लिए जाने उठा, हलचल से कल्पना ने एक बार आंख को खोला, फिर आंखें बंद करके अंगड़ाई लेने लगीं.
जैसे ही मैं वॉशरूम से आया वैसे ही कल्पना उठ कर जाने को हुईं, पर उनके पैर लड़खड़ाने लगे … उन्हें चलने में तकलीफ हो रही थी. मैं उन्हें सहारा देकर वाशरूम तक लेकर गया और वॉशरूम का दरवाजा खोल कर उन्हें इशारे से अन्दर जाने को बोला. मेरा मतलब समझ कर वो दीवार का सहारा लेकर वाशरूम में चली गईं, पर उन्होंने दरवाजा बंद नहीं किया. मैं वही उनका इंतजार करने लगा.
अब आगे:
थोड़ी देर के बाद उनके कराहने की आवाज सुनाई दी मुझे, तो मैंने दरवाजे से ही झांक कर देखा, तो वो दीवार के सहारे खड़ी थीं. मैं- क्या हुआ आपको? कल्पना- पैरों के बीच दर्द कर रहा है … मुझसे चलते नहीं बन रहा है.
मैं उनके पास गया और फिर से सहारा देकर उन्हें रूम में लेकर आया … और उन्हें बेड पर लिटा दिया और पूछा- आपके पास कोई पेनकिलर है क्या? कल्पना- पता नहीं, होगा भी तो मुझे नहीं मालूम. मैं- आप रुको मैं आता हूं एक मिनट में!
कह कर मैं किचन में चला गया और पतीले में थोड़ा पानी गर्म करके लेकर आया. कल्पना मेरी तरफ ऐसे देख रही थीं, जैसे पूछना चाह रही हों कि इसका क्या करोगे. मैं उनकी मनोदशा समझ गया.
मैं- गर्म पानी की हल्की सिकाई से आपका दर्द चला जाएगा. कल्पना ने अंजान बनते हुए पूछा- किसकी सिकाई? मैं- जहां आपको दर्द कर रहा है. कल्पना- कहां?
मैं समझ गया कि ये क्या सुनना चाहती है मेरे मुँह से, फिर भी मैंने भी उन्हें और तड़पाने का सोच लिया- अभी थोड़ी देर पहले ही आपने बोला ना कि आपके पैरों के बीच दर्द कर रहा है, तो वहीं सिकाई करनी पड़ेगी ना. कल्पना- पैरों की सिकाई करोगे आप? मैं- अगर दर्द पैरों में है, तो पैरों की ही सिकाई कर दूंगा. कल्पना- नहीं, दर्द पैरो में नहीं है. मैं- फिर कहां दर्द कर रहा है? कल्पना ने झल्लाते हुए कहा- अभी थोड़ी देर पहले जहां आप मुँह मार रहे थे. मैंने अनजान बनते हुए कहा- मैं कहां मुँह मार रहा था?
कल्पना भी शायद समझ गईं कि मैं उन्हें परेशान कर रहा हूँ, अंत में हार मानते हुए बोलीं- मेरी बुर के आसपास का एरिया दर्द कर रहा है. मैंने उन्हें आंख मारते हुए और उनकी बुर को छूते हुए कहा- अब ये बुर नहीं रही, अब ये चूत बन गयी है और अगर आप एक दो बार और मौका दे दे मुझे, तो इसका भोसड़ा बना दूंगा. कल्पना ने मुसकुराहट के साथ कहा- अच्छा … मैं- हां.
मुझे अपनी ओर खींचते हुए कल्पना ने कहा- मुझे भी अपनी चूत को भोसड़ा बनवाना है, पर आज नहीं, आज के लिए मेरी बुर चूत बन गयी, वही काफी है. मैं- ह्म्म्म … मैं- कॉटन का कपड़ा है यहां?
कल्पना ने मुझे एक रूमाल दे दिया.
जब सिकाई करने के लिए मैंने उनकी दोनों टांगों को अलग किया तो उनकी बुर की हालत देख कर मुझे दया सी आ गयी … और खुद पर थोड़ा गर्व भी महसूस हुआ. कल्पना की बुर के आसपास हल्का हल्का खून लगा था, जो उनकी ही बुर से निकला था. उनकी बुर की दोनों फांकें, जो थोड़ी देर पहले एक दूसरे से चिपकी हुई थीं, अब अलग अलग हो गई थीं. फांकों के बगल का क्षेत्र भी सूज गया था … उनकी काफी अच्छे से चुदाई हुई थी.
मैंने धीरे धीरे उनकी चूत को गर्म पानी से साफ किया और सिकाई की … जब भी मेरी उंगली उनकी चूत के फांकों में पड़ती, वो सिहर उठतीं. करीब 5-7 मिनट की सिकाई के बाद, पानी भी ठंडा हो गया और उनका दर्द भी कम हो गया था. सिकाई के दौरान ही वो धीरे धीरे गर्म होने लगी थीं, जैसे जैसे पानी ठंडा हो रहा था, वैसे वैसे वो गर्म हो रही थीं. उनकी चूत फिर से पानी छोड़ने लगी थी और ये देख कर मेरे लंड में भी हलचल होने लगी.
मैं फिर भी अनजान बनते हुए कहने लगा- अच्छा, मेरा काम तो हो गया, अगर आप बोलें तो मैं निकलूँ? कल्पना ने कुछ देर तक सोचते हुए मुझे देखा और कहा- एक बार और आओ ना … मैं- आपको दर्द कर रहा है ना, अगर फिर से करेंगे तो और दर्द बढ़ जाएगा. कल्पना- दर्द चला गया अब … और अब कभी दर्द नहीं करेगा वहां … जितना दर्द होना था हो चुका, अब तो बस! यह कह कर उन्होंने अपनी बात अधूरी छोड़ दी.
मैं- अब तो बस … क्या? कल्पना शरमाते हुए बोलीं- अब तो बस मज़ा आएगा. मैं- सही कहा आपने … तो क्या आप फिर से तैयार है मज़ा लेने के लिए? सहमति में कल्पना ने सर हिलाया.
कल्पना की सहमति मिलते ही मैं उन पर फिर से टूट पड़ा. पर इस बार मैंने नीचे से शुरू किया. जैसे ही मैं उनके पैर पर अपना मुँह रखते हुए उनकी जांघों के पास ले गया, उन्होंने अपने दोनों पैर खोल दिए. उन्हें लगा कि मैं उनकी चूत चाटने जा रहा हूँ. पर मैंने वैसा नहीं किया. उनकी इस हरकत पर मुझे हंसी आ गई. मेरी हंसी देखकर वो समझ गईं कि इस बार मैं कुछ अलग करने वाला हूँ.
कुछ देर तक मैं उनकी जांघों को चूमता रहा, जिससे कभी कभी गुदगुदी के कारण कल्पना की हंसी निकल रही थी. एकाएक मैंने उन्हें कमर से पकड़ कर घुमा दिया और उसे पेट के बल लिटा दिया. अब उनके दोनों चिकने चूतड़ मेरी आंखों के सामने थे … आहाहाह. क्या चिकने चूतड़ थे उनके … चूतड़ों के बीच छोटा सा गुलाबी रंग का छेद था. मेरा मन तो किया कि आज भाभी की गांड का भी उद्घाटन कर दूँ, पर मैं ना तो उन्हें बोल सकता था और ना ही कुछ कर सकता था … तो मैंने अपना पूरा ध्यान उनकी गांड से हटाकर उनके चूतड़ों तक ही रखा.
अब मेरा खुद को रोकना मुश्किल हो गया. पहले तो थोड़ी देर मैंने उनके चूतड़ों को हाथ से मसला, फिर अपने मुँह से उनके चूतड़ों को चूमने लगा. चूमने के कारण उन्हें गुदगुदी होने लगी, तो वो अपनी कमर ऊपर नीचे करने लगीं.
उनकी इस हरकत से मेरी ध्यान लगाना मुश्किल हो रहा था, तो मैंने हल्के से भाभी के चूतड़ पर काट लिया, जिस वजह से उनकी आह निकल गयी. अपनी गर्दन घुमा कर मेरी तरफ गुस्से से देखा, जैसे आगे से वैसा न करने को बोल रही हों. मैंने भी उनका इशारा समझ कर उन्हें इशारों से ही बता दिया कि अब आगे वैसा कुछ नहीं करूँगा.
अब मैंने उनकी कमर को पकड़ कर उनके कूल्हे ऊपर करके उन्हें डॉगी पोजीशन में कर दिया. उन्होंने भी अपना सर बेड से लगा कर और अपने घुटनों के सहारे अपने कूल्हे ऊपर कर दिया.
अब कल्पना भाभी की गुलाबी गांड का छेद और उनकी चूत ठीक मेरे आंखों के सामने थी. मैं अपनी उंगली पर थोड़ा सा थूक लगा कर उनकी चूत के दाने को मसलने लगा. थोड़ी देर तक उंगली से करने के बाद मैं उसी पोजीशन में उनकी चूत को चाटने लगा. इस पोजीशन में उनकी चूत एकदम बाहर की तरफ निकली हुई थी. इसलिए चूत के अन्दर तक चाटने में आसानी हो रही थी. जैसे जैसे मैं उनकी चूत चाटता, वैसे वैसे उनकी सिसकारियां निकलने लगीं.
अब मैंने अपने दोनों हाथ से उनके चूतड़ों को फैला दिया, जिससे उसकी चूत भी फैल गयी. फिर मैं अपनी जीभ को कल्पना की चूत के दाने के पास ले गया, जो नीचे की तरफ था. वहां से मैं अपनी जीभ फैला कर उनकी चूत को चाटते हुए ऊपर की तरफ जाने लगा, जैसे कुत्ते चाटते हैं वैसे. बीच बीच में मैं अपनी जीभ को नुकीला करके उनकी फांकों में भी ऊपर नीचे फिरा देता. मेरा ऐसा करना, कल्पना भाभी को एकदम से हिला कर रख गया. उनके मुँह से ‘आह … आह … इस्स आह..’ निकलने लगा. मैंने ऐसा थोड़ी ही देर ही किया था कि कल्पना भाभी अपना सर इधर उधर झटकने लगीं.
कल्पना- आहहह … आहहह … ऐसे ही करते रहो, अच्छा लग रहा है … इस्सस कितना अच्छा लग रहा है … रुकना मत प्लीज, करते रहो.
यही सब बोलते हुए कल्पना भाभी एक बार और झड़ गईं … और उनकी चूत भी धड़कने लगी. मैंने इस बार उनका पूरा पानी चाट कर साफ कर दिया.
यहां मैं अपने उन दोस्तों से कहना चाहूंगा कि जिन्हें भी चूत चाटना अच्छा लगता है, वो एक बार जैसा मैंने ऊपर लिखा है, वैसे ट्राय जरूर करना. फिर देखना आपकी पार्टनर को कभी कोई और पसंद ही नहीं आएगा … और उन भाभियों आंटियों और लड़कियों से कहना चाहूंगा, जिनका पार्टनर उनकी चूत चाटता है, उसे भी ऐसा ही करने को बोलें. इससे आपको इतना ज्यादा सुख और आनन्द मिलेगा कि आप बयान नहीं कर पाएंगी.
अब मैंने उसी पोजीशन में अपना लंड भाभी की चूत के छेद पर सैट किया और हल्के से धक्का लगाया. चूत चाटने की वजह से और पानी छोड़ने की वजह से उनकी चूत पूरी गीली थी और इसी वजह से मेरा लंड आराम से उनकी चूत में घुस गया.
लंड के घुसते ही उन्होंने एक लंबी सांस ली, जैसे उन्हें वो मिल गया था, जो उन्हें चाहिए था. अब बारी मेरी थी, तो मैंने भी अपनी कमर आगे पीछे करना शुरू कर दिया. कुछ ही झटकों में मेरा लंड जड़ तक उनकी चूत में जाने लगा.
थोड़ी देर तक स्पीड में चोदने के बाद मैंने अपनी स्पीड को कम कर दिया. अब मैं अपना पूरा लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लेता, फिर झटके से एक ही बार में पूरा घुसा देता. जब भी लंड बाहर निकालता, उनके मुँह से सिसकारी निकलती और जब झटके से अन्दर डालता, तब उनकी आह बाहर आ जाती.
इसी तरह मैंने करीब आधा घंटा उन्हें अलग अलग आसनों में चोदा … तब जाकर मेरा पानी निकला.
उसके बाद मैंने खुद को और कल्पना ने अपने आपको अच्छे से साफ किया और हम दोनों कपड़े पहन कर तैयार हो गए.
मैं उनके रूम से निकल कर हॉल में आ गया और सोफे पर बैठ कर उनका इंतजार करने लगा. मैंने घड़ी की तरफ देखा, तब पता चला कि मुझे यहां आए करीब चार घंटे हो गए थे. थोड़ी ही देर में कल्पना भी तैयार होकर हॉल में आ गईं और मेरे सामने वाले सोफे पर बैठ गईं. हमने थोड़ी बहुत बात की, फिर उसने मुझे कॉफ़ी के लिए पूछा, तो मैंने उन्हें मना नहीं किया.
वो किचन से काफी बना कर लाईं और हम दोनों साथ में कॉफ़ी पीते हुए बात करने लगे.
कल्पना- आज तो मेरी सच में सुहागरात हो गयी … तुमने तो आज मुझे अपना दीवाना बना दिया … क्या क्या और कैसे कैसे करते हो तुम ये सब? मैं- कल्पना जी, यही तो मेरा काम है, अगर बाकी मर्दों जैसा हम भी करने लगें, कि बस आए, डाले, हिलाये अपना पानी निकल गया बस … सामने वाला पूरी तरह से सैटिस्फाइड हुआ या नहीं … इससे मतलब नहीं रखेंगे, तो हमे पूछेगा ही कौन. हमारा डालने का मेन मकसद ही क्लाइंट को खुश करना होता है. कल्पना- ह्म्म्म, बाकी का तो पता नहीं, पर तुमने मुझे पूरी तरह से खुश कर दिया. मैं- फिर आगे भी मौका मिलेगा आपको खुश करने का या नहीं? कल्पना- आज जिस तरह से तुमने किया है ना … उस हिसाब से तो आगे भी तुम्हें भी मौका मिलेगा, अगर तुमसे अच्छा कोई और मिला, तब का तब देखेंगे.
मैं- ह्म्म्म, वैसे आपकी कोई फैंटसी है क्या सेक्स से रिलेटेड? कल्पना- हां है ना, दरअसल मैं शुरू से ही थ्री-सम ट्राय करना चाहती थी, पर कभी कर नहीं पायी. थ्री-सम तो छोड़ो सील तक तुड़वा नहीं पायी, तो थ्री-सम कब ट्राय करती. मैं- थ्री-सम मतलब दो मर्द एक औरत या दो औरत एक मर्द? कल्पना- दो औरत और एक मर्द … मेरी हमेशा से ख्वाहिश रही है कि मैं भी देखूँ कि जब कोई मर्द किसी की चूत चाटे या कोई और भी देखे, जब कोई मेरी चूत चाटे. मैंने ये सब पोर्न फिल्मों में देखा है और यही पोर्न फिल्मों की बात मेरी पसंदीदा भी है. मैं- ओके, अगर आप बोलें, तो मैं आपके लिए ये सब अरेंज कर सकता हूँ. कल्पना- हां, मैं सोच कर बताती हूँ. मैं- ह्म्म्म … आपके अगले कॉल का इंतजार रहेगा.
कल्पना ने मुझे एक लिफाफा दिया मैंने बिना देखे ही जेब में रखा और इसके बाद मैं वहां से निकल गया.
दोस्तों उसके बाद कई बार कल्पना का कॉल आया और मैंने उन्हें हर बार जन्नत की सैर कराई और एक दो बार तो उनकी सास घर पर ही थी. बाद में कल्पना ने बताया कि नेक्स्ट टाइम वो अपना अधूरी फैंटसी पूरा करना चाहेंगी. जब मैंने तीसरे पार्टनर के बारे में पूछा तो बोलीं कि वो कोशिश करेगी कि उनकी सास ही मान जाए.
अब उन्हें अपनी सास के घर पर होने से भी कोई प्रॉब्लम नहीं होती थी.
इसके आगे उनकी दो फैंटेसी हैं. एक तो वो अपने सास के साथ थ्री-सम करना चाहती है और दूसरा अपने सामाजिक पति के साथ चुदना चाहती है. मतलब एक ही लंड से उसके पति की गांड मारी जाए और उसकी चूत भी चोदी जाए.
देखते हैं उसकी ये ख्वाहिश पूरी होती भी है या नहीं.
दोस्तो, मेरी ये कहानी यहीं समाप्त होती है, अगर इस कहानी में आगे कुछ रोचक हुआ, तो आप लोगों के साथ जरूर साझा करूँगा.
तब तक आप लोगों के मेल का इंतजार रहेगा, जिसके जरिये आप मुझे अपने विचार भेज सकते हैं. अगर आपके पास मेरे लेखन को लेकर कोई सुझाव हो, तो कृपया मुझे बताएं ताकि जब मैं अगली बार कोई कहानी लिखूँ, तो उसमें कोई गलती ना करूँ. [email protected] धन्यवाद.
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