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मित्रो, रात के ००:४५ बजे जब कैफियत एक्सप्रेस कानपुर से खुली, तो मेरा मन दुखी था, लेकिन कुछ पल में ही एक औरत मेरे सामने वाले बर्थ पर आकर बैठ गयी।
फिर दीपक अपने बर्थ के बिस्तर को ठीक करके उस औरत को घूरने लग गया, प्रथम वातानुकूलित डब्बे के मेरे कूप में मै और वो औरत थीl तो दो बर्थ खाली ही थे और मै भगवान से प्रार्थना कर रहा था, कि कोई और यात्री उस कूप में ना आए।
ट्रेन खुलने के कुछ पल बाद एक औरत जोकि करीब ३७-३८ साल की होगी, वो मेरे सामने के बर्थ पर बैठ कर अपने सांसों को नियंत्रित कर रही थी। उसका सामान बर्थ के नीचे पड़ा हुआ था, तो वो साड़ी और ब्लाऊज पहनकर मस्त दिख रही थी। लेकिन वो मेरी मां की उम्र की औरत मेरे गंदे मन को जान भी नहीं सकती थी।
कुछ देर तक वो बैठी रही तो मै बर्थ पर बैठा हुआ बोला – आंटी बेड लगाकर सो जाएं, फिर मैं बत्ती बंद कर दूंगा।
वो मुस्कुराते हुए मुझे बोली – ठीक है, लेकिन तुम मेरी मदद करो।
फिर दीपक ,जोकि २० साल का जवान लड़का उसके छाती से लेकर नग्न पेट और कमर को घुर रहा था, वो अपने बर्थ से उठा और रेलवे के बंद पैकेट को खोल उससे चादर और तौलिया को निकाला। तो वो औरत उठकर खड़ी हो गई और मै चादर को सहेज कर बर्थ पर डालने के लिए झुका, तो वो चादर के दूसरे छोर को पकड़ बर्थ पर बिछाने लग गयी।
लेकिन वो थोड़ा नीचे की ओर झुकी तो उसके सीने से साड़ी का पल्लू गिर गया,और उसकी बड़ी बड़ी चूचियां मेरे सामने ब्लाऊज से बाहर होने को आतुर हो गयी थी। दीपक चादर बिछाते हुए उसकी चूचियों को देखने लग गया, तो वो औरत बेशरम की तरह कुछ पल ऐसे ही झुकी ही रही और चादर बिछाकर ही अपने पल्लू को ठीक करने लग गयी।
तो दीपक समझ गया कि ये चालू किस्म की है औरत है,और वो अपना बदन मुझे सौंप भी सकती है। मैने बाथरूम जाकर हाथ मुंह धोया ,और कूप में आकर उसका दरवाजा बंद कर लिया। ट्रेन पर सवार होने के पहले ही मैं दो बोतल बीयर पी चुका था, और साथ ही खाना भी खा चुका था। तो अब भूख सिर्फ औरत के जिस्म की थी, वो औरत बर्थ पर लेटी हुई थी।
लेकिन उसके साड़ी का पल्लू तंग था, सो चूची का नग्न हिस्सा मुझे साफ़ दिख रहा था। मै तभी अपने बैग से एक बरमूडा निकाला, और तौलिया कमर में लपेटकर जींस खोल कर मैंने बरमूडा पहन लिया और जींस को टांग दिया। मैं बर्थ पर बैठा था, कूप में एक नाईट बल्ब जल रहा था।
वो बोली – बिल्कुल अपने घर में जैसे रहते हो उसी तरह सो रहे हो ?
मै – हां आंटी, जींस और टीशर्ट पहन कर मुझे नींद नहीं आती है।
फिर मै जानबूझकर करवट ले कर सो गया, पर उस औरत का सांवला चेहरा साथ ही मस्त उरोज और थोड़ी मानस्ल बदन मेरे दिमाग में घूम रहा था। लेकिन अभी सात घंटे का यात्रा साथ करना था। कुछ देर के बाद मेरे कान में आवाज गूंजी “जरा इधर सुनो
मैने करवट बदली और मैं बोला – बोलिए आंटी क्या बात है?
वो – मेरे पास आकर बैठो।
मै उठा और खड़ा हो गया, तो वो इशारे से अपने कमर के पास बैठने को मुझे बोली। और फिर उसने मुझे कहा – मेरी कमर से पैर तक थोड़ा दर्द है, क्या तुम मालिश कर दोगे?
मै उनके जांघ से चूतड़ सटा कर बोला – लेकिन आंटी मुझे मालिश करनी नहीं आती है।
तभी वो उठी और मेरे से लिपटकर मेरे छाती से चिपक गई, तो मेरा बदन कांप उठा और उसके पीठ पर हाथ लगाकर मै उसके नग्न पीठ को सहलाने लग गया। और उसके बेकलेस ब्लाऊज की डोरी ही पीठ पर चिपकी हुई थी, तो मै उसकी गर्दन को चूमता हुआ उसके पीठ को सहलाने लग गया। वो मेरे कान को पकड़कर मसल कर बोली – आता तो तुमको सब कुछ है, नाम क्या है तुम्हारा ?
मैने उसकी ब्लाऊज की डोरी को खोल दिया और मैं बोला – दीपक राजवंशी और आप का नाम ?
वो मेरी गर्दन को चूमते हुए बोली – माया मोर्या।
फिर हम दोनों एक दूसरे के गाल से गर्दन तक को चूमने लग गए, तो मै अब बर्थ पर पैर मोड़कर बैठा और उसके सीने से साड़ी को हटाने लगा गया। तो वो खुद ही साड़ी को अपने बदन से हटाने लग गयी। उसकी तेज सांसों के साथ चूची उफान मारने लग गयी, और दीपक उसके ब्लाऊज को बाहों से निकालकर अब उसको लिटा देता है।
तो वो औरत खुद ही अपने पेटीकोट के डोरी को खोलनी लग गयी ,उसकी हरकत तो किसी रण्डी की तरह लग रही थी। लेकिन मुझे तो मजा लेने से मतलब था, अब माया के ब्रेसियर में दोनों गोल स्तन कैद थे। तो मैने उसके साया को पैर से निकालकर उसके मोटे चिकने जांघों का दीदार करने लग गया।
वाकई माया उम्र के हिसाब से मस्त माल थी, तो वो दोनों जांघो को आपस में सटाकर चुत को छिपा रही थी। लेकिन मेरा लन्ड टाईट हो चुका था। तभी उसके गुदाज अंग चूची को पकड़ कर मसलने लगा गया।
तो वो चुद्कर बोली – जरा ब्रा तो उतारने दो ना।
और वो चित से करवट होकर खुद ही ब्रा के हुक को खोलने लग गयी, फिर ब्रा हटा कर वो मुझे अपने बूब्स के दीदार कराने लग गयी। दीपक उसके जिस्म पर सवार होकर उसके होंठो को चूमने लग गया, तो माया मुझे कसकर पकड़ रही थी।
माया के नग्न जिस्म पर सवार होकर वो उसके रसीले होंठो को चूसता हुआ मस्त हो रहा था, तो लंड बरमूडा के अंदर ही टाईट हो चुका था। माया का हाथ मेरे छोटे से पेंट को नीचे करने लग गया, तो मै उसके होंठो को छोड़कर अब उसकी लम्बी सी जीभ चूसता हुआ कामुक हो चुका था। मेरा बरमूडा चूतड़ से नीचे हो चुका था तो वो मेरे गान्ड को सहलाते हुए।
अपने बूब्स को मेरे सीने से रगड़ रही थी, और मै पल भर बाद उसके जीभ को छोड़कर अब बूब्स पर मुंह लगा कर उसके बूब्स को चूसने लग गया । अब वो बोली – आराम से करना समझे।
तो मै माया के बूब्स के अगले हिस्से सहित घुंडि को मुंह में भरकर चूसने लग गया, और वो सिसकने लगी। उसके नाखून मेरी पीठ पर गाड़ने लग गए, तो मै उसका दूध पीता हुआ कामुक हो चुका था और वो बोली – अबे साले आराम से चूस, दांत मत लगा रण्डी की पैदाइश।
तभी उसके दूसरे बूब्स की चुसाई करता हुआ मैं ट्रेन की यात्रा कर रहा था। पल भर बाद माया मेरे बाल थामकर सर को पीछे धकेलने लग गयी, तो चूची चूसकर मेरा मन झूम उठा। मेरी मां की उम्र की औरत में इतनी मस्त जवानी होगी इसकी मुझे उम्मीद नहीं थी, और मै फिर उसके पेट से कमर तक को चूमता हुआ मस्त हो रहा था।
माया के जिस्म पर से उतरकर अब अपना बरमूडा खोला, और उसके दोनों मोटे जांघो को दो दिशा में करके चुत को मैं निहारने लग गया। तो उसकी चिकनी चुत से बाल गायब थे और मेरा मन चुत चाटने का हो गया था। अब उसकी गद्देदार चूतड़ के नीचे मैंने एक तकिया लगाकर, अपना मुंह उसकी चुत पर लगाकर उसे चूमने लग गया ।
तो वो सिसकने लगी और वो बोली – उई इतनी खुजली चुत में होने लगी आह चोद बे कुत्ते।
पर ये कुत्ता चुत के अन्दर जीभ पेल कर उसकी चूत को चाटने लग गया था, और उसके दोनों जांघों को थामकर मैं चुत का स्वाद ले रहा था। फिर मै उसकी चुत के फांक को मुंह में लेकर चूसता हुआ, उसके पानी का इंतजार कर रहा था। लेकिन मेरी मुंह से लार चुने लग गयी थी, तो मैं चुत छोड़कर उसके छेद में दो उंगली घुसाया और चुत को कुरेदने लग गया।
माया की चुत का छेद बड़ा था और वो रण्डी अब सिसकने लगी और बोली – चोद ना अब तेरा लंड क्या सोया हुआ है?
तभी मै उसके जांघों के बीच लंड पकड़कर बैठा और चुत के मुहाने पर सुपाड़ा सटाकर धीरे से अन्दर डालने लग गया। फिर धीरे धीरे आधा से अधिक लंड पेलकर एक जोर का झटका मारा तो मेरा पूरा लंड गरम चुत में चला गया था।
अब माया चींख उठी और वो बोली – बाप रे फाड़ देगा क्या चुत को?
तभी मै जोर का झटका देता हुआ माया की चुत चोदने लग गया, फिर उसके डनलप से बदन पर लेटकर चुदासी चुत को चोदता हुआ उसके होंठो को मैं चूम रहा था। वो मेरी कमर पर हाथ लगाकर अपने चूतड़ को उछालने लग गयी, तो मेरा लंड चुत में दौड़ लगा रहा था। तभी मुझे चुत से रस निकलने का एहसास हुआ और मै रसीले चुत को चोदता हुआ मस्त था।
तो माया सुस्त होकर लेट गयी और उसकी चुत से फच फ़्च की आवाज आ रही थी ,फिर मेरा लन्ड ६-७ मिनट की चुत कुटाई करके झड़ गया। वो रण्डी रात भर बाद मेरा लन्ड मूह में लेकर वीर्य का स्वाद चखती रही।
आगे क्या हुआ, अगले भाग में…
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