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मेरा नाम रोहन है. मैं बरेली का रहने वाला हूँ और अपने घर से दूर एक कमरा लेकर अपनी ग्रेजुएशन पूरी कर रहा हूँ. बात कुछ ज़्यादा पुरानी नहीं है. हमारे कॉलेज में एक लड़की पढ़ती थी. उसका नाम मैं यहाँ पर नहीं बता सकता लेकिन बिना नाम के कहानी का किरदार समझने में पाठकों को परेशानी न हो इसलिए मैं उसका नाम बदलकर लिख रहा हूँ। उसका नाम नीरू था. वह दिखने में बहुत ही अच्छी थी. वह पढ़ाई में भी मेरी बहुत मदद किया करती थी. धीरे-धीरे हम दोनों में एक अजीब सा रिश्ता जुड़ गया. उसका एक बॉयफ्रेंड भी था. नीरू मुझे अपना भाई मानती थी.
एक बार की बात है. हमारे कॉलेज का वह आख़िरी दिन था और मैं नीरू से आख़िरी बार मिल रहा था. तब उसने मुझसे कहा- भाई, क्या मैं आज तेरे साथ तेरे रूम पर चल सकती हूँ क्योंकि कल सुबह तो तू अपने घर चला जाएगा और पता नहीं उसके बाद हम दोनों फिर कब बात कर पाएंगे. मैंने उससे बोला- मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है, बस तू अपने घर पर पूछ ले. उसने बताया कि वह अपने घर पर पहले से ही बता कर आई है कि वह अपने दोस्त के रूम पर आज पार्टी करने के लिए रुकने वाली है.
फिर मैं नीरू को लेकर अपने रूम पर चला गया. तब तक मेरे लिए उसके मन में कोई भी ग़लत विचार नहीं था. हमने वहां खूब गप्पें मारी. अब रात हो गई थी. उसने जीन्स और टॉप पहना हुआ था. मैंने उससे कहा कि बहन सोने का टाइम हो रहा है तो ऐसा कर कि मेरा लोअर पहन ले, तुझे थोड़ा आराम मिलेगा.
यह बात उसको भी सही लगी. मैंने उसे अपना लोअर दे दिया और कहा कि सामने बाथरूम है वहां जा कर चेंज कर ले, लेकिन उसने बोला कि मैं कहीं किसी गैर के यहाँ तो हूँ नहीं जो बाथरूम यूज़ करूँ. ऐसा बोलकर वो मेरे ही सामने अपनी जीन्स उतारने लगी. उसकी जीन्स उसकी टांगों में एकदम से फंसी हुई थी. जैसे-जैसे वो अपनी जीन्स उतार रही थी वैसे-वैसे मेरे अंदर का शैतान जाग रहा था. उसकी गोरी-गोरी चिकनी टाँगें ऐसे लग रही थी कि जैसे खुदा ने खुद उसे तसल्ली से तराशा हो.
नीरू ने नीले रंग की पैंटी पहन रखी थी. उसके चूतड़ बहुत ही नशीले लग रहे थे. उसकी चूचियां भी बहुत मोटी-मोटी थीं. अब मैंने भी सोच लिया था कि आज कैसे भी सही, कुछ न कुछ तो इसके साथ करना ही है. वह मेरा लोअर पहन कर मेरे साथ ही लेटी हुई थी.
लेकिन मेरी आँखों से नींद कोसों दूर थी. मुझे तो बस नीरू की चूत दिख रही थी. मैं सोच रहा था की कैसे नीरू बहन को सेक्स के लिए तैयार किया जाए. तभी मेरे दिमाग में एक आइडिया आया. मैंने उससे कुछ देर इधर-उधर की बातें की और फिर हिम्मत करके उससे पूछा- “एक बात बता नीरू, क्या तूने कभी किसी लड़के को न्यूड (नंगा) देखा है?” मेरे ऐसे सवाल से वह थोड़ी सी सपकपा गई और चुप सी हो गयी.
तब मैंने ही उसे बोला- शरमा मत, मैं तो बस ऐसे ही पूछ रहा हूँ. तब उसने बताया- नहीं, मैंने किसी को नंगा नहीं देखा है. फिर उसने मुझसे पूछा- क्या तूने किसी लड़की को नंगी देखा है? तो मैंने भी बोल दिया- नहीं!
इस सवाल के बाद हम दोनों काफी देर तक चुप पड़े रहे, फिर मैंने धीरे से नीरू की चूचियों पर हाथ रखते हुए कहा- बहन, एक बात कहूँ? वह बोली- क्या? मैंने कहा- क्या ऐसा नहीं हो सकता कि मैं तेरे सामने नंगा हो जाऊं और तू मेरे सामने नंगी हो जाए? जिससे हम दोनों एक दूसरे को देख सकें और इस तरह किसी को पता भी नहीं लगेगा और हम दोनों की इच्छा भी पूरी हो जाएगी. यह सवाल पूछने से पहले मेरा दिल बहुत तेज़ धक-धक कर रहा था.
मेरे इस तरह के सवाल से वो थोड़ी सी शरमा गई. अब मैं उसकी जाँघें सहला रहा था. वह बोली- मुझे शर्म आती है.. तब मैंने अपने मन में खुश होते हुए बोला कि चलो अब चिड़िया जाल में फंस चुकी है. अब तो मैं इसकी चूत ज़रूर मारूँगा.
मैंने उससे कहा- इसमें शरमाने की कोई बात नहीं है. चलो अगर तुमको शर्म आती है तो पहले मैं तुम्हारे सामने अपने कपड़े उतार देता हूँ. उसके बाद तुम उतार देना. वह इसके लिए तैयार हो गई.
अब मैं उसके सामने धीरे-धीरे अपने कपड़े उतारने लगा. वह बहुत ध्यान से मुझे ऐसा करते हुए देख रही थी. अब मेरे बदन पर सिर्फ मेरी चड्डी थी. अब मैंने नीरू से कहा कि अगर वो चाहे तो मेरी चड्डी अपने हाथों से उतार सकती है. मेरे ऐसा कहने पर उसने अपने हाथों को मेरी चड्डी में फंसाया और धीरे-धीरे उसे नीचे सरकाने लगी. उसके ऐसा करने पर मेरा 6 इंच मोटा लंड उसके हाथों से टकरा गया. और वो एकदम से पीछे हट गई. मैंने उससे कहा- अगर तू चाहे तो इसे छू कर देख सकती है. लेकिन उसने मना कर दिया.
अब कपड़े उतारने की उसकी बारी थी. वह अपने कपड़े उतारने ही वाली थी कि मैंने उससे कहा- रुक नीरू … तुझे अपने पूरे कपड़े उतारने की ज़रूरत नहीं है. बस मैं तुझे नीचे से नंगी देखना चाहता हूँ. और अगर तुझे कोई परेशानी न हो तो तेरे नीचे के कपड़े भी मैं ही उतारूंगा. वह मेरे ऐसा बोलने से थोड़ा सोचने लगी कि यहाँ लड़की पूरे कपड़े उतारने के लिए तैयार है और यह केवल नीचे के कपड़े उतारने की बात कर रहा है. तब नीरू ने मुझसे बोला- ठीक है जैसा तुम्हें ठीक लगे.
मैंने नीरू से बोला कि अपनी लोअर का नाड़ा खोल कर अपनी पीठ के बल लेट जाए. उसने ऐसा ही किया. अब वह मेरे सामने अपनी गांड को ऊपर करके लेटी थी. मैंने धीरे-धीरे उसकी गांड को सहलाया और धीरे-धीरे उसका लोअर नीचे की ओर सरकाने लगा. उसने भी ऊपर उचक कर मेरा सहयोग किया. मैंने उसका लोअर उसके घुटने तक सरका दिया और फिर उसकी पैंटी की इलास्टिक को अपने दांतों से पकड़ कर नीचे खींचने लगा. अब उसके खूबसूरत गोरे-गोरे चूतड़ मेरे सामने थे. मैं उनको बस एकटक निहार रहा था.
फिर मैंने अपनी जीभ नीरू के चूतड़ों की दरार में लगा दी और उसे ऊपर-नीचे करने लगा. मेरी इस हरकत से वह उत्तेजित होकर कहने लगी- भाई क्या कर रहा है? मैंने कहा- बस तुम्हें प्यार कर रहा हूँ.
मैं नीरू के चूतड़ों को बेहताशा चाट रहा था और इधर नीरू की चूत भी पानी छोड़ रही थी. नीरू कहने लगी- भाई कुछ कर … मुझे कुछ हो रहा है. तब मैंने नीरू से कहा- बहन, मैं तेरी गांड मारना चाहता हूँ लेकिन उसमें तुझे थोड़ा सा दर्द होगा. उसने कहा- तू कुछ भी कर लेकिन मेरे अंदर की आग को अभी शांत कर दे प्लीज.
मेरी बहन का इतना बोलना था कि मैंने पास रखी वैसलीन की डिब्बी उठाई और थोड़ी नीरू बहन की गांड के छेद पर लगाई और थोड़ी अपने लंड पर!
फिर मैंने बहन को घोड़ी बन जाने को कहा. अब वह मेरे सामने घोड़ी बनी हुई थी. उसकी गांड मेरे लंड के निशाने पर थी. मैंने अपना लंड उसकी गांड के फूल पर सेट किया और दोनों हाथों से उसकी चूचियां पकड़ ली और एक जबरदस्त धक्का मारा.
मेरा आधा लंड बहन की गांड को चीरता हुआ उसकी गांड में घुस गया और साथ ही साथ नीरू का सिर सामने दीवार पर जाकर लगा. वह एक बार तो उचक गई और इस्स्स् … इसस्स्स् करने लगी. मैंने उसी वक्त उसकी गांड को अपने हाथों से सहलाना शुरू कर दिया ताकि उसको थोड़ा आराम मिल सके.
जब 2-3 मिनट के बाद उसका दर्द कम होने लगा तो मैंने दूसरा प्रयास किया और मेरा पूरा लंड उसकी गांड में जाकर ठहर गया. आह्ह्ह … मज़ा आ गया. ऐसा लग रहा था जैसे लंड किसी गर्म रूई के तकिए में घुस गया हो. लेकिन नीरू को अभी भी दर्द हो रहा था. इसलिए मैंने कुछ पल का विराम और दिया.
जब नीरू पूरी तरह से शांत हो गई तो अब मैंने उसे पीठ के बल लेटा दिया और उसकी गांड में लगातार धक्के मारने लगा. उसकी गांड को चोदने में बहुत मज़ा आ रहा था जिसको मैं यहां बता नहीं सकता हूं. उसकी गांड इतनी मखमली, कोमल और गर्म थी कि जल्दी ही मैंने अपना वीर्य उसकी गांड में भर दिया.
मैंने नीरू बहन को उसी अवस्था में सीधा होने के लिए कहा. अब मैं उसकी चूचियों को मसलने और दबाने लगा. उसकी गर्दन पर किस करने लगा. साथ ही उसकी चूत में उंगली करने लगा. उसकी चूत देख कर लग रहा था कि जैसे अभी तक वो कुंवारी ही है.
कुछ देर बाद मेरा लंड पुनः तैयार हो चुका था, मैंने नीरू बहन की दोनों टाँगें अपने कंधे पर रखीं और अपना लंड उसकी गोरी सी चूत पर सेट कर दिया. मैंने उसकी चूचियों को एक बार फिर से अपने हाथों में भर लिया और एक ज़ोरदार धक्का उसकी चूत की तरफ दे मारा. वह फिर से कराहने लगी, कहने लगी- भैया तुमने मेरी गांड तो फाड़ ही दी है, अब क्या चूत भी फाड़ने वाले हो? मैंने कहा- बस बहन, आज तुझे इतना मज़ा दूंगा कि तू मुझे हमेशा याद रखेगी.
मैंने उसके दोनों हाथ पकड़ कर अपना लंड उसकी चूत में आधा घुसा दिया. वो फिर से पूरी तेज़ चिल्लाई उम्म्ह… अहह… हय… याह… और दर्द से कराह उठी. मैंने मौके की नज़ाकत को समझा और उसको प्यार करने लगा. उसकी चूत को हाथों से सहलाने लगा. उसकी गर्दन पर चुम्बन देने लगा.
कुछ ही पलों में मैंने उसका दर्द छू-मंतर कर दिया. अब उसकी चूत का मंथन अपने लंड से करने के लिए मेरे सब्र का बांध भी मेरे सेक्स के आवेग को ज्यादा देर संभालने में नाकाम दिखाई देने लगा था इसलिए मैंने एक धक्का और मारा जिसके साथ ही पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया.
मेरी बहन की चूत बहुत ही टाइट थी. मेरे लंड में भी जलन होने लगी थी. शायद मेरी झिल्ली फट चुकी थी और इधर मेरी बहन की चूत से भी खून बह रहा था. मैंने अब नीरू बहन का टॉप ऊपर से फाड़ कर निकाल दिया और उसकी नंगी चूचियों को अपने मुँह में भरकर पीने लगा. कुछ देर बाद नीरू बहन आनंद में अपना होश खोने लगी और वो भी अपनी गांड उठा-उठा कर मेरे लंड से अपनी चूत मरवाने लगी.
अब मैं अपने चरम पर था, मैंने उससे बोला- बहन कहाँ निकालूं? उसने बोला- मेरी चूत के अंदर ही निकाल दो.
मैंने उसकी चूची दोनों हाथों से पकड़कर दो आखिरी धक्के लगाए और अपना सारा माल उसकी चूत में ही गिरा दिया. नीरू बहन मेरे लंड से चुद कर खुश दिखाई दे रही थी, मैंने उसकी चूत पर एक बार प्यार से पप्पी ली और फिर उसे वापस पैंटी पहना दी. उसने भी मुझे प्यार से हग कर लिया.
उसके इस तरह से हग करने से मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा. मैंने अपनी बहन से कहा- बहन, मैं एक बार फिर से तुझे नंगी देखना चाहता हूँ. नीरू बहन हँस कर बोली- नंगी देखना चाहते हो या फिर से मेरी लेना चाहते हो? मैंने कहा- जब तू समझ ही गई है तो मरवा ले न … अपनी एक बार फिर से, क्यों इतना भाव खा रही है?
मेरी यह बात सुन कर वो अपना नाड़ा खोल केर लेट गई. मैंने नीरू से कहा- बहन एक बार मुंह में तो लेकर देख ले कैसा लगता है लंड का स्वाद!
वह मना करने लगी, बोली- नहीं, मुझे मुंह में नहीं लेना है. मैं भी उससे नाराज़ होने का नाटक करने लगा. मैंने कहा- ठीक है, जा फिर मैं भी नहीं डाल रहा अब तेरी चूत में. कहीं और जाकर मरवा ले अपनी गांड.
मेरी यह बात सुनकर नीरू बुझे मन से मेरा लंड चूसने लगी. जब उसके थूक से मेरा लंड पूरा गीला हो गया तो मैंने उसे लेटाया और बहुत सारा पाउडर उसकी चूत और अपने लंड पैर लगा दिया ताकि उसकी चूत में लंड बहुत मुश्किल से जाए. मैंने उसके होंठ अपने होंठ में भींच कर एक ज़ोर का धक्का मारा और नीरू बहन की चूत से एक बार फिर से खून आने लगा. वह बोली- भाई क्या कर रहा है. तू तो ऐसे सेक्स कर रहा है जैसे मुझे मार ही डालेगा आज.
मैंने उसके गालों पर पप्पी लेते हुए कहा- नहीं बहन, ऐसी बात नहीं है. बस मेरा मन था कि मैं किसी के साथ रफ सेक्स करूं. लेकिन मुझे नहीं पता था कि वो पहली लड़की तू होगी तो इसलिए बस थोड़ा सा अपने भाई के लिए सहन कर ले.
मैंने नीरू की चूत में धक्के लगाना शुरू कर दिया. साथ ही मैं उसकी कोमल मुलायम चूचियों को दबाते हुए उसके होठों के रस को भी पीता जा रहा था. वह भी कामुक सिसकारियाँ लेकर मेरा जोश बढ़ा रही थी. उसकी चूत में मेरा लंड रगड़ खाता हुआ उसकी चूत की चटनी बना रहा था.
मुझे ऐसा मज़ा कभी नहीं आया जैसा नीरू बहन की चूत मारने में आ रहा था. मैं गचागच उसकी चूत का चोदन करने में लगा हुआ था और वह आनंदित हो रही थी. जब मेरे लंड ने उसकी जवानी का भरपूर रस पी लिया तो वह भी हाँफता हुआ उसकी चूत में थूकने लगा. इस बार भी मैं नीरू बहन की चूत में ही झड़ गया.
बस इतनी सी थी नीरू बहन और मेरी कहानी. इसके बाद मैं नीरू बहन को कई बार चोद चुका हूँ. मैंने उसकी कई बार झांट भी बनायीं हैं. अब उसकी शादी हो चुकी है लेकिन फिर भी जब उसके पति कहीं बाहर गए हुए होते हैं तो वह एक दो दिन के लिए मेरे पास अपनी गांड मरवाने आ जाती है.
लेखक ने अपना ई-मेल न लिखने के लिए आग्रह किया है.
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