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हेलो दोस्तों,
मैं महेश हूँ और मेरी उम्र ३० साल है, और आज मैं फिर से हाजिर हूँ अपनी लेटेस्ट कहानी लेकर।
आपने मेरी पिछली कहानी में मेरी ममेरी बहन और मेरी जबरदस्त चुदाई क बारे में पढ़ा। उम्मीद है आपने अपने लंड और औरतो ने अपनी चूत का पानी भी जम के निकाला होगा।
अब मैं आपका ज्यादा समय ना लेते हुआ सीधा अपनी नयी आपबीती पर आता हु। दोस्तों जैसा आप सब को पता है, कि मेरी जॉब दिल्ली में है और मैं यहाँ अकेला रहता हूँ।
मै इस बार गर्मी में ज्यादा काम की वजह से घर नहीं जा पाया, तो मेरी माता जी दिल्ली घूमने १५ दिन के लिए आ गयी। उनके साथ मेरे घर के पड़ोस में रहने वाली रेनू नाम लड़की जिसकी उम्र १५-१६ साल थी जो माँ के साथ आई थी।
क्योकि वो मेरी माता जी की गांव में बड़ी सेवा करती है, तो माता जी उसको भी दिल्ली घुमाने के लिए साथ ले आयी थी। हालांकि जब माता जी आयी तो मैंने रेनू के ऊपर ज्यादा ध्यान नहीं दिया था।
हम सब अगले दिन दिल्ली घूमने गए, तब जब मैंने रेनू को जीन्स और टॉप में देखा तो मैं काफी एक्साइट हो गया। क्योकि टॉप में उसकी चूचि काफी खूबसूरत दिख रही थी, और जीन्स में उसकी गांड का शेप साफ दिख रही थी।
फिर मैं घूमने के दौरान उसका काफी ख्याल रखने लग गया, वो भी मेरे इरादों को अच्छे से समझ रही थी। साथ में माता जी के होने की वजह से मैं खुल के रेनू से बात नहीं कर पा रहा था, लेकिन मुझे दिन भर साथ रहने के बाद ये पता चल गया के रेनू का भी वही हाल है जो मेरा है।
फिर रास्ते में खाना खाते हुए हम सब घर पर पहुंच गए, ज्यादा थके होने की वजह से माता जी जल्दी बेडरूम में सोने चली गयी।
अब मैं और रेनू अकेले बैठ के टीवी देखने लग गये और गांव की लड़के लड़कियो की बात करने लग गये। रेनू ने मुझे कई लोगो के बारे में बताया, तब मैंने उसके बॉयफ्रेंड के बारे में उससे पूछा।
तो वो शर्मा कर बोली – मेरा कोई भी बॉयफ्रेंड नहीं है।
फिर जब उसने मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा तो मैंने उस से झूठ बोला – मेरी भी कोई नहीं है।
मैंने तब उसे ऐसा इसलिए बोला था, ताकि हम दोनों एक दूसरे के फ्रेंड बन जाये। फिर पहले तो वो शर्मा गयी, लेकिन बाद में वो मान गयी। फिर उसने मुझे एक प्रॉमिस लिया, कि इस बारे में गावँ में किसी को पता नही लगाना चाह्यी।
तब मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसके हाथो को चूम लिया, वो शर्मा रही थी लेकिन मैं रुका नहीं और धीरे धीरे उसके चूचियों की और अपना हाथ बढ़ाया। अब मैं उसके कपडे के से ही उसकी चूचिया दबाने लग गया।
पहले तो उसने मेरा हाथ पकड़ के रोक दिया, लेकिन मैं अब कहाँ मानने वाला था। मैंने अपने हाथ नहीं हटाए और धीरे धीरे मैं उसकी चूचिया दबा रहा था। साथ हि मैं उसके होठो को चूस रहा था, अब वो भी गर्म होने लग गयी थी।
मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी लोअर के ऊपर अपने लंड पर रख दिया। पहले तो उसने कुछ नहीं किया, लेकिन थोड़ी देर बार जब मैंने अपने एक हाथ उसकी लोअर के नीचे डाला।
तो वो कांप गयी और उसके सांसे काफी तेज हो गयी अब वो मोन करने लग गयी थी। साथ अब वो मेरा लंड लोअर के ऊपर से ही मसलने लग गयी थी, फिर मैंने अपना लोअर नीचे कर दिया।
अब वो सीधा मेरा लंड पकड़ के मसल रही थी, मैंने उसका टॉप ऊपर किया और उसकी खूबसूरत चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लग गया। मैं एक हाथ से उसकी चूत को मसलने लग गया, अब उसका और मेरा दोनों का बुरा हाल था।
लेकिन हम घर में माता जी के होते हुए चुदाई नहीं कर सकते थे। तो हमने देखा माता जी गहरी नींद में है, तो हमने सोचा क्यू न बेसमेंट पार्किंग में चला जाये क्योकि वह अँधेरा रहता है और कोई डिस्टर्बेंस भी नहीं है।
फिर हम जल्दी से गाड़ी में आ गए, मैंने आगे वाली सीट पूरी आगे कर दी और हम पीछे वाली सीट पे आ गए। वहां बिलकुल अँधेरा था तो हमें देखने वाला भी कोई नहीं था।
क्योकि अब रात के १२ बजे के आस पास का समय था, अब मैंने उसे सीट पे लिटा कर उसके के सारे कपडे उतार दिए। वो बिना कपड़ो के काफी खूबसूरत और सेक्सी लग रही थी।
अब मुझसे और रेनू से रुका नहीं जा रहा था, तो मैंने भी अपने भी सारे कपडे उतार दिए। मैंने पहले उसकी चूचियों को खूब चूसा था, जिससे अब वो काफी गरम हो गयी थी।
तो मैं नीचे आ गया और उसका पैर चौड़ा करके उसकी चूत चाटने लग गया। उसकी चूत पूरी गीली थी, मैंने उसकी चूत चाट चाट कर उसकी चूत को लाल कर दिया था।
अब मुझसे भी नहीं रुका जा रहा था, तो मैंने उसे अपना लंड चूसने के लिए कहा। वो मान गयी, और उसने मेरा लंड चूस चूस कर गीला कर दिया। फिर मैं उसके ऊपर आ गया और अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के ऊपर रख कर रगड़ने लग गया।
फिर मैंने एक झटका मारा, लेकिन मेरा लंड फिसल गया, तब मुझे पता चला के रेनू सच बोल रही थी। क्योकि वो अभी कमसिन काली थी, जिसे मैं फूल बनाने जा रहा था।
अब इस बार मैंने अपने लंड और उसकी चूत पर ढेर सारा थूक लगाया और अपना लंड उसकी चूत के ऊपर रख कर, उसके होठो को मुँह में लेकर चूसने लग गया। मैंने एकाएक एक जोर का झटका दिया, जिस से मेरा ७” का लंड आधा उसकी चूत में घुस गया।
उसने खूब चिल्लाने की कोशिश कर, पर उसका मुँह मेरी मुँह से लॉक होने की वजह से आवाज दबी रह गयी थी। मैं थोड़ी देर रुका और जब वो थोड़ा शांत हुई, तो मैं उसे धीरे धीरे चोदने लग गया।
कुछ देर बाद वो मेरा साथ देने लग गयी, तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और अब वो खूब मजे से चुदवा रही थी और मेरा साथ दे रही थी। मैंने उसे खूब जम कर चोदा, जिसमे मुझे और उसे खूब मजा आ रहा था।
आधे घंटे बाद उसी स्पीड में चोदते हुए मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। अब वो भी शांत हो गयी, लेकिन मैंने अपना लंड उसकी चूत से नहीं निकाला और थोड़ी देर बाद उसे मैं घोड़ी बना कर कार में ही चोदने लग गया।
उसकी चूत में मेरा लंड फिर से झड गया। अब हम दोनों थक चुके थे, तो हम दोनों किस कर रहे थे, फिर हम फ्लैट में आ गए और देखा तो माता जी अभी भी सो रही थी।
रेनू मेरी पास १५ दिन रही और मैंने जब भी मौका मिला, उसकी दिन रात चुदाई करी। फिर वो मेरी माता जी के साथ अपने घर चली गयी।
अब हमने दीपावली में मिलने का प्रोग्राम बनाया है, मैं उसे फिर से जम के चोदुंगा। लेकिन उसे अभी मैं बहुत मिस कर रहा हूँ, क्योकि वो सच में काफी मजेदार माल है।
अगर कोई लड़की मुझसे चुदना चाहे, तो वो मुझे मेल करे। मैं उस से कांटेक्ट जरूर करूँगा।
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