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बस के हार्न की आवाज आयी, जिसका मतलब था कि अब बस चल देगी और बाकी का सफर हम दोनों का अच्छे से बीतेगा।
हम दोनों बस में वापस आकर बैठ गये. थोड़ी देर तक हम दोनों एक-दूसरे के सामने बैठे हुए एक-दूसरे को फ्लाईंग किस देने के साथ-साथ इशारे से एक दूसरे को छेड़ भी रहे थे। थोड़ी ही देर में बस की लाईट बंद हो गयी।
मैंने तुरन्त ही पल्लवी का हाथ पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींच लिया वो झटके से मेरी तरफ आ गयी और अपनी पीठ मेरे सीने से सटा कर बैठ गयी। मैं उसके कान को चबाते हुए बोला- तुम कहो तो तुम्हारी गीली चूत को सुखा सकता हूँ। उसने कुछ नहीं कहा. मैं उसके कान को चबाते हुए उसकी कुर्ती के अन्दर हाथ डाल कर उसके मम्मे को दबाने के साथ- साथ उसके दाने को मसलने लगा. पल्लवी के मुंह से सिसकारी निकलने लगी थी, लेकिन वो सिसकारी इतनी धीमी थी कि केवल मेरे कान को ही सुनाई दे रही थी।
इधर पल्लवी ने भी मेरी कैपरी के अन्दर जांघों की जगह से हाथ को डालकर अंडे को पकड़ कर दबा दिया, जितना तेज मैं उसके मम्मे को दबाता, उतना ही तेज वो मेरे अंडकोष को दबा देती। अंडकोष दबने से दर्द तो होता लेकिन मजा भी आ रहा था.
अब मेरे हाथ उसकी चूत को उसके लैगिंग के ऊपर से ही मसल रहे थे। चूत को मसलते-मसलते मैंने उसकी उस टाईट लैगिंग को उसकी पैन्टी सहित उसके चूतड़ों से अलग कर दिया और एक उंगली उसकी गीली चूत में डालकर निकालकर उस रस को जीभ में लेकर उसका मजा लिया. इधर पल्लवी ने मेरे सुपारे पर अपने अंगूठे को रगड़ा और मेरी नकल करते हुए अपने मुंह में उंगली को भर लिया।
इस तरह से डर्टी सेक्स का मजा लेने के बाद मैंने पल्लवी को सीट पर लेटा दिया और उसकी लैगिंग को उसके जिस्म से अलग किया और उसकी टांगों के बीच आकर उसकी चूत पर एक हल्का सा चुम्बन लिया और फिर उसकी चिकनी चूत जो मुझे आज ही साफ की हुयी नजर आ रही थी पर अपनी जीभ फेरने लगा।
एक तो पल्लवी की चिकनी चूत और उस पर से गीली, मेरी जीभ चाह भी नहीं रही थी कि उस जगह के अतिरिक्त वो कहीं और भी जाये.
इधर पल्लवी ने भी अपनी टांगों को उठाकर मेरी गर्दन पर रख दिया। मैं कभी उसकी पुतिया को चूसता तो कभी उसके फांकों के बीच जीभ चलाता तो कभी उसकी चूत के अन्दर जीभ डाल देता। कभी-कभी तो मैं उसकी चूत में उंगली डाल कर अन्दर की मलाई को निकाल कर अपनी उंगली उसको दिखा कर चाटता। पल्लवी के नशीली आँखें इस बात की शिकायत कर रही थी कि अभी तक मेरा लंड उसकी उस प्यारी, चिकनी और मलाई से भरी हुयी चूत के अन्दर क्यों नहीं है।
मैं बीच-बीच में जब उसकी चूची को अपने मुंह में भरता तो वो मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत से रगड़ने लगती। मैंने भी उसे तड़पाना उचित नहीं समझा और लंड को उसकी चूत में घुसने की इजाजत दे दी। चूत थोड़ा टाईट थी, शायद काफी लम्बा समय हो गया था कि किसी लंड ने उसकी चूत को चोदा हो, दो-तीन बार लंड थोड़ा अपना रास्ता भटक गया तो पल्लवी ने लंड को पकड़ लिया और चूत के मुहाने से टिका दिया और मैंने एक हल्का सा झटका दिया तो सुपारा अन्दर चला गया और दूसरा थोड़ा तेज धक्का देने के कारण लंड अपना रास्ता बनाता हुआ आधा से ज्यादा चूत के अन्दर घुस चुका था।
मेरा यह भ्रम कि वो एक 28-29 साल की कुंवारी लड़की होगी, अब टूट चुका था। तेज झटका देने के कारण पल्लवी का मुंह खुल गया। पल्लवी ने तुरन्त ही अपने हाथ से अपने होंठों को दबा दिया ताकि उसकी आवाज बाहर न जाये। मैं भी थोड़ा रूक गया, कुछ देर बाद जब उसने अपने ऊपर काबू पा लिया तो पल्लवी ने मेरे कूल्हों को कसकर पकड़ा और अपनी तरफ खीचने लगी, यह इशारा था कि अब रूको मत, तेजी के साथ रास्ता बनाते हुए उसकी चूत का महिमामंडन करो दो।
मैंने एक बार हल्का सा जोर लगाया और चूत के अन्दर की मलाई को अपने ऊपर लेते हुए आगे बढ़ता गया। जब अंडकोष और चूत का मुहाना आपस में जोर से टकाराये तब जाकर कहीं लंड महाराज रूके। मुझे लगा कि इस धक्के से शायद उसको दर्द कुछ ज्यादा हुआ होगा, इसलिये मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके चूचुकों को बारी-बारी चूसने लगा। मुझे उसके खड़े दानों को चूसने में बड़ा मजा आ रहा था, मैं भूल गया था कि चूत चोदन भी होना है.
मुझे पल्लवी ने अपनी कमर उठाकर याद दिलाया, मैं उसकी चुदाई करने लगा। बस में इतनी जगह नहीं थी कि कोई आसन आजमाया जा सके, वो मेरे नीचे थी और मैं उसके ऊपर था। जैसे-जैसे लंड अन्दर जा रहा था, चूत ढीली होती जा रही थी, इस कारण से चोदने की स्पीड बढ़ती जा रही थी।
तभी पल्लवी ने मुझे रूकने का इशारा किया, मैं एक बार फिर अपने को रोक कर उसके ऊपर लेट गया और उसके निप्पल को अपने मुंह में लेने लगा था कि पल्लवी बोली- आप लेट जाओ और अब मैं ऊपर आऊंगी.
मेरे लंड की सवारी की उसकी बात उचित लगी, मैंने लंड को बाहर किया और पल्लवी से अलग होकर मैं लेट गया। पल्लवी मेरे ऊपर आ गयी और लंड को अन्दर लेकर मेरे ऊपर लेटकर मेरी छाती को अपने दांतों से काटने लगी और अपनी जीभ से मेरे निप्पल गीला करने लगी और साथ ही साथ अपने कमर को चलाने लगी. मुझे नीचे लेटे हुए खुद को चुदवाना अच्छा लगने लगा।
थोड़ी देर तक उसने मेरे साथ पहलवानी दिखायी, फिर वो एक बार फिर नीचे लेट गयी। एक बार फिर से मेरे लंड ने चूत से पंगा लेना शुरू कर दिया था, हलाँकि उसको मालूम था कि वो चूत के ऊपर अपना सब कुछ लुटाने के बाद अपने सिर को झुकाकर ही आयेगा।
थोड़ी देर के बाद ही मेरे लंड को अहसास हो चुका था कि चूत के वीर्य रज रस के कारण और उसके घर्षण के कारण अब उसमें भी ताकत ज्यादा देर की नहीं बची है और वो कभी भी अपने वीर्य रज को त्याग सकता है. मुझे भी अपने लंड की जाती हुयी ताकत का अहसास हो गया था, मैंने पल्लवी को धीरे से बोला- मेरा लंड पानी छोड़ने वाला है, क्या करूँ? इस पर उसने मुझे मेरा पानी उसके अन्दर ही गिराने को बोला, उसके इस जवाब से मैंने उससे एक बार फिर पूछा- कुछ गड़बड़ तो नहीं होगी? उसने सपाट जवाब देते हुए कहा- नहीं, अन्दर ही छोड़ दो।
उसके इतना कहते ही मेरे लंड ने उसकी चूत के अन्दर अपने वीर्य को तज दिया। वीर्य रस्खलन होने के बाद मैं भी निढाल होकर पल्लवी के ऊपर लेट गया। मैं सोच रहा था कि एक लड़की या औरत कितनी भी कमजोर क्यों न हो, लेकिन कुछ देर के लिये ही सही अपने जिस्म के ऊपर अपने से भारी आदमी का वजन सहन कर लेती है।
एक बात और पल्लवी के चूत का संकुचन और फैलाव बार-बार मेरे लंड को यह कहते हुए चिड़ा रहा था कि चाहे जितना भी तन कर आ जाओ, चाहे जितनी पहलवानी दिखा लो, लेकिन जाओगे हारकर और सर झुकाकर। लंड ने भी निकलते हुए हल्की सी फुंफकार भरी और बोला ‘कोई बात नहीं, हारने से पहले किले के अन्दर अपनी धाक तो जमा ही लेता हूँ। खैर जैसे ही लंड महाराज लुल होकर बाहर निकले मैं भी पल्लवी के ऊपर से हट गया।
अब पल्लवी मेरे आधा मेरे ऊपर आ चुकी थी, उसकी एक टांग मेरी जांघों पर थी और उसकी चूत मेरे कूल्हे और जांघ से बिल्कुल सट चुकी थी इसलिये उसकी चूत से बहता हुआ रज रस से मेरा वो हिस्सा गीला होने लगा था। खैर थोड़ी देर हम दोनों इसी तरह पड़े रहे, आपस में बात करने का कोई सवाल ही नहीं था।
कुछ देर बाद पल्लवी अपनी चूत साफ करने लगी और साथ ही साथ मेरे उस हिस्से को जो गीला हो चुका था उसे भी साफ करने के साथ ही मेरे लंड को भी अच्छे से पौंछ दिया। फिर उसने अपने कपड़े पहन लिये और साथ ही मुझे मेरे कपड़े पहनने को दिये।
मैंने मोबाईल देखा तो 3 बज रहा था। अब हम दोनों विपरीत दिशा में होकर लेट गये, मुझे कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला।
सुबह के करीब 7 बजे के आस पास दिल्ली टर्मिनल पर जब बस लग गयी और लगभग जब पूरी बस खाली हो गयी तो कंडक्टर की आवाज आयी- भाई दिल्ली आ गया है. उससे हमारी नींद खुली।
जल्दी से हमने अपने बैग उठाये और हल्का सा अपने आप को सही करके बस के बाहर आ गये। पास ही कूड़ेदान में पल्लवी ने अपने हाथ लिए हुए एक कपड़े को फेंक दिया।
उसके बाद हम दोनों एक टैक्सी करके कम्पनी के बताये हुए होटल पर जा पहुंचे जहाँ पर हम दोनों के अलग-अलग कमरे की व्यवस्था पहले से ही थी। हम दोनों को रूम की चाबी पकड़ा दी गयी और हेल्पर हमारे बैग लेकर आगे-आगे चलने लगा।
मैंने मेरे साथ-साथ चल रही पल्लवी से पूछा कि वो मेरे रूम में मेरे साथ रहना चाहेगी, वो बोली तो कुछ नहीं पर उसकी आंखों ने उसके मन की बात मुझे बता दी।
हेल्पर ने बैग को हमारे कमरे के सामने रखा। मैंने उसे 100 रूपये दिये और वो वहां से चला गया। उसके जाते ही मैंने अपने रूम को खोला, बैग उठाये और पल्लवी के हाथ को पकड़ कर जल्दी से कमरे में घुस गया। अन्दर आकर मैंने पल्लवी को कस कर पकड़ लिया और उसको अपने से कस कर चिपका लिया, मुझे एक नया सा अहसास मिला। थोड़ी देर तक हम दोनों ही एक दूसरे के पीठ और चूतड़ को सहलाते रहे।
फिर पल्लवी ही बोली- शरद, मुझे फ्रेश होने जाना है. कहकर वो मुझसे अलग हो गयी और वाशरूम की तरफ जाने लगी।
पता नहीं क्यों … मुझे इस समय पल्लवी को बिल्कुल नंगी देखने की चाहत होने लगी। मैं अपने दिल और दिमाग को ऐसा न करने के लिये मना रहा था, लेकिन वो दोनों ही नहीं मान रहे थे। इधर उसके कदम वाशरूम के अन्दर जाने वाले ही थे कि मैंने पल्लवी को आवाज लगायी और मेरे पास आने को कहा। उसने एक पल मुझे देखा और मेरे पास आ गयी, पास आकर उसने मुझे प्रश्न सूचक दृष्टि से देखा।
मैं बहुत ही धीरे आवाज में बोला- तुम अपने कपड़े मेरे सामने उतार कर फ्रेश होने जाओ। “क्या?” वो बोली। मैंने फिर हिम्मत दिखाते हुए कहा- मैं तुमको नंगी देखना चाहता हूँ और इसलिये तुम अपने कपड़े मेरे सामने उतारकर फ्रेश होने जाओ।
उसने एक पल मेरी तरफ देखा और अपनी कुर्ती को उतारकर ब्रा खोलकर अपने जिस्म से अलग कर दिया। क्या गोरा जिस्म था उसका … और उस पर से दिन की रोशनी में और चमक रहा था। इससे पहले कि वो अपनी लैग्गिंग उतारती, मेरी नजर उस स्किन टाईट लैग्गिंग के बीच फंसी हुयी उसकी उभरी हुयी चूत पर पड़ गयी। क्या गजब ढा रही थी। उसकी लैग्गिंग में उसकी चूत की फांकें तक अलग दिखाई पड़ रही थी. मैंने पल्लवी को घुमाया तो उसकी उठी हुयी गांड की दरार के बीच भी लैग्गिंग फंसी हुयी थी। मैंने उस लैग्गिंग के ऊपर से ही उसके आगे और पीछे के हिस्से पर एक किस कर दिया।
तब पल्लवी एक बार फिर मुझसे बोली- अब मुझे जाने दो, मेरा प्रेशर बहुत बढ़ता जा रहा है। मैं अलग हो गया.
डर्टी सेक्स की कहानी जारी रहेगी. [email protected] [email protected]
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