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सेक्सी कहानी के पहले भाग गर्लफ्रेंड से मिला तोहफा-1 में आपने पढ़ा कि
वो मुझे वहाँ सातवीं मंजिल पर ले गई। एक फ्लैट के सामने जाकर उसने बेल बजाई। कुछ देर बाद दरवाजा खुला तो अन्दर से एक लगभग पैंतीस साल की औरत ने एक आकर्षक मुस्कान के साथ दरवाजा खोला। मैं चुपचाप उसके साथ अन्दर चला गया। अन्दर जाकर सोफे पर बैठे तो वो क़यामत सी लगने वाली औरत जिसका नाम मधुबाला था अपने हाथ में तीन गिलास शरबत लेकर आई और हमारे सामने बैठ गई।
“राज … ये मेरी मौसी है मधुबाला सब इनको मधु ही कहते हैं … इनसे ही मिलवाना था तुम्हें!” मैंने नमस्कार किया तो वो बस मुस्कुराती रही बोली कुछ नहीं।
“राज … असल में मौसी की शादी आज से छ: साल पहले हुई थी पर वो साला सिर्फ सुहागरात मना कर कनाडा चला गया और फिर आज तक वापिस नहीं आया। पहले पहले तो फ़ोन भी आ जाते थे पर आजकल तो वो भी नहीं आते। मौसी परेशान थी तो मैंने सोचा कि तुम्हें मौसी से मिलवा दूँ। ये मेरी तरफ से तुम्हें दोस्ती का उपहार समझो.”
मैं प्रेरणा की बात सुनकर स्तब्ध रह गया। सच में मेरे लिए ये सरप्राइज से कम नहीं था। मैंने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि प्रेरणा अपनी मौसी को चुदवाने के लिए मुझे लेकर जायेगी। प्रेरणा की बातें सुन प्रेरणा की मौसी शर्मा कर अन्दर चली गई।
“यार, ये सब क्या है … मैं तुम्हारी मौसी के साथ कैसे?” “तुम शर्मा क्यों रहे हो? कोई ऐसा काम तो मैंने कहा नहीं जो तुम्हें करना नहीं आता.” “मगर फिर भी बताना तो चाहिए था.” “राज, मेरी मौसी ऐसी वैसी औरत नहीं है. मैं मौसी के साथ ही रहती हूँ. जब से वो आदमी मौसी को धोखा देकर गया है, मौसी बिल्कुल टूट सी गई थी. वो तो मैंने धीरे धीरे उस आदमी को मौसी के मन से निकाला है और बड़ी मुश्किल से तैयार किया है इस सबके लिए!”
“मौसी ने दुबारा शादी क्यों नहीं की?” “पहले तो मौसी उसका इंतज़ार करती रही और अब वो करना नहीं चाहती … कहती है कि उम्र हो गई … अब क्या करना शादी करके.” “यार आज तो तुमने सच में एक सरप्राइज ही दे दिया … अब आगे बोलो क्या करना है?” “करना क्या है चोद डालो मेरी मौसी को … बुझा दो उसकी प्यास … कर दो उसके अरमान पूरे … एकदम कोरा माल है मेरी मौसी … बस एक रात को चुदी है वो भी छ: साल पहले … आज मौसी की ऐसी तसल्ली करवा दो कि मौसी आज के बाद लंड के लिए तड़प उठे … फिर कोई अच्छा सा बन्दा देखकर मौसी की शादी भी करवा देंगे … नहीं तो मेरी शादी के बाद भला मौसी अकेली कैसे रहेगी … मेरा बॉयफ्रेंड भी आजकल शादी के लिए बोल रहा है … बस यही सब सोच कर मैं तुम्हें यहाँ लेकर आई हूँ.”
“पर यार …” “पर वर कुछ कुछ नहीं … अब मैं जा रही हूँ और कल सुबह आऊँगी तब तक मौसी को खुश कर दो और मेरी तरफ से दोस्ती के उपहार को स्वीकार करो!” इतना कह कर प्रेरणा अन्दर गई और कुछ देर बाद मुझे बाय बोल कर बाहर निकल गई।
उसके के जाने के बाद कुछ देर तो मैं हक्का बक्का सा बैठा रहा पर फिर चुत के रसिया को सामने चुत नजर आने लगी और मैंने मन बना लिया कि जब चुत खुद चुदने को बेताब है तो फिर क्यों लंड को तरसाया जाए। प्रेरणा नहीं तो उसकी मौसी सही।
प्रेरणा के जाने के बाद मधु बाहर आई, वो चुपचाप मेरे सामने बैठ गई। वो नर्वस थी और सच कहूँ तो मेरे लिए भी अजीब सा था ये सब। जब कुछ देर वो नहीं बोली तो मैंने भी बात शुरू की। “मधु जी … आप खुश तो है ना इस सबसे?” मैंने पूछा पर उसने कोई जवाब नहीं दिया। मुझे लगने लगा था कि जो कुछ भी करना है मुझे ही करना है। सबसे पहले तो मधु को गर्म करना था ताकि वो चुदने का मजा ले सके। उसके बाद ही तो मुझे भी मजा आने वाला था।
जब वो कुछ नहीं बोली तो मैं उठ कर उसके पास जाकर बैठ गया। वो नजरें झुकाए बैठी थी। मैंने धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखा तो उसके बदन में कम्पन सी महसूस हुई। “मधु जी, अगर आप ऐसे ही शरमाओगी तो कैसे चलेगा? साथ दोगी तभी तो आज का दिन यादगार बनेगा आपके लिए भी और मेरे लिए भी!” “राज जी … मेरे लिए ये सब बिल्कुल अलग है … आप समझ सकते हैं.” “तो ठीक है … पहले हम जान पहचान करेंगे फिर आगे की सोचेंगे.” “जी!” “तो तब तक एक एक कप कॉफ़ी हो जाए?” “जी जरूर!”
मधु उठ कर कॉफ़ी बनाने के लिए रसोई में चली गई। कुछ देर मैं भी दीवार पर लगी मधु की फोटो देखता रहा। फिर टहलते हुए रसोई तक पहुँच गया। मधु दूसरी तरफ मुँह किये कॉफ़ी बना रही थी। मैंने कुछ सोचा और फिर पीछे से जाकर मधु को पकड़ लिया और उसकी गर्दन पर चुम्बन करने लगा।
मधु एक बार तो घबरा गई। मेरे हाथ उसके शरीर पर आवारगी करने लगे और उसके नंगे पेट से होते हुए एक हाथ उसकी नाभि पर तो दूसरा उसकी मस्त बड़ी बड़ी चूचियों पर चला गया। एकदम मक्खन मलाई सा बदन था मधु का। मैं गर्दन पर किश करते करते बीच बीच में उसके कान की लटकन को भी चूम लेता।
मेरे छूने से मधु गर्म होने लगी थी। लेकिन उसके बावजूद भी वो मेरी पकड़ से छूटने के लिए छटपटा रही थी। वो जितना छटपटाती मेरी पकड़ उतनी ही मजबूत हो जाती।
कुछ देर ऐसे ही मस्ती करने के बाद मधु समर्पण के मूड में आ गई और वो मेरी तरफ घूम गई और नशीली नजरों से मेरी तरफ देखने लगी। मैंने बिना देर किये उसके लाल लिपस्टिक से पुते होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मधु ने आँखें बंद कर ली और मेरे चुम्बन का जवाब चुम्बन से देने लगी।
तभी गैस पर रखा दूध उबल गया तो वो झट से मुझसे अलग हुई और हल्का सा धक्का देकर मुझे बाहर जाकर बैठने को कहा। जो मधु पहले नर्वस सी लग रही थी एक जबरदस्त चुम्बन के बाद अब उसके होंठों पर लिपस्टिक तो नहीं बची थी बल्कि उसकी जगह एक मधुर सी मुस्कान ने ले ली थी। मैं भी जल्दबाजी के मूड में नहीं था आज तो बाहर आकर बैठ गया।
मधु दो कप में कॉफ़ी डाल कर ले आई और सोफे पर बिल्कुल मुझसे सटकर बैठ गई। कॉफ़ी अभी गर्म थी तो मधु ने कप मेज पर रख दिए। उसके कप रखते ही मैंने मधु को अपनी तरफ खींचा और उसको उठाकर अपनी गोदी में बैठा लिया। वो उठने लगी तो मैंने उसको अपनी बांहों में कैद कर लिया और अपने ऊपर लेते हुए सोफे पर ही लेट गया। अब मधु मेरे ऊपर लेटी हुई थी और उसकी मस्त कड़क चुचियाँ मेरे सीने पर दबी हुई थी। मैंने एक बार फिर मधु के होंठों से होंठ मिला दिए।
एक लम्बे चुम्बन के बाद मधु उठी और मुस्कुराते हुए बोली- जनाब … कॉफ़ी ठंडी हो जायेगी पहले उसको पी लीजिये … मैं आपके पास ही हूँ … कहीं नहीं जाने वाली! दोनों ने साथ बैठ कर कॉफ़ी पी। सफ़र की थकावट उतर चुकी थी।
कॉफ़ी पीने के बाद मैंने मधु से बाथरूम पूछा और फ्रेश होकर मैंने अपने कपड़े बदल कर टी-शर्ट और लोवर पहन लिया।
जब बाहर आया तो मधु रसोई में ही थी। शायद मेरे खाने के लिए कुछ बनाना चाहती थी पर मेरा मन अब मधु को खा जाने का होने लगा था। इस बात का सबूत मेरे लोवर में बना तम्बू था। मैं सीधा मधु के पास पहुंचा और गैस को बंद कर दिया। मधु ने पलट कर मेरी तरफ देखा तो मैंने बिना देर किये मधु को अपनी गोदी में उठा लिया और लाकर सोफे पर लेटा दिया। इससे पहले कि मधु कुछ बोलती, मेरे हाथ उसके बदन से कपड़े हटाने में व्यस्त हो गए।
मधु ने रोकने की कोशिश तो की पर मैंने सबसे पहले उसके ब्लाउज को खोल कर उसके बदन से अलग किया। ब्रा में कसी चूचियां दिल की धड़कन बढ़ाने के लिए काफी थी। मस्त गोरी गोरी बड़ी बड़ी चूचियाँ। उसके बाद अगले ही पल मधु की साड़ी ने भी उसका साथ छोड़ दिया। मधु अब ब्रा में और पेटीकोट में थी।
मैंने मधु को बांहों में भर लिया और उसको किस करते करते पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया जिससे पेटीकोट उसके कदम चूमने लगा। अब सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी वो अप्सरा। एकदम गोरा चिट्टा बदन, कोई दाग नहीं, बिल्कुल संगमरमर की मूर्त सा बदन था मधु का।
मैंने मधु को सामने खड़ा किया और उसको निहारने लगा तो वो शर्मा कर मुझ से आकर लिपट गई। मेरे हाथ उसके नंगे बदन पर घूम रहे थे। कभी उसके नंगे पेट तो कभी कमर तो कभी उसकी गोल गोल चिकनी गांड को सहला और मसल रहे थे। मधु की केले के तने सी चिकनी टाँगों पर हाथ फेरने मजा आज भी याद है। मधु की आँखों में वासना के लाल डोरे नजर आने लगे थे।
मधु मेरी टी-शर्ट उतरने लगी तो मैंने बिना देर किये टी-शर्ट और लोवर दोनों उतर कर सोफे पर एक तरफ फेंक दिए। अब मैं भी सिर्फ अंडरवियर में उसके सामने था। मधु की नजर मेरे अंडरवियर में बने तम्बू पर बार बार जा रही थी। मैं मधु को गोदी में लेकर सोफे पर बैठ गया और होंठ चूमने लगा। चुम्बन करते करते ही पहले मधु की ब्रा और फिर कुछ ही पल में मधु की पेंटी उतारी तो मधु की क्लीन शेव चुत मेरी नजर के सामने थी … एकदम गुलाबी गुलाबी चुत। आज बहुत दिन बाद मेरे लंड को ऐसी मस्त चुत मिलने वाली थी।
कुछ देर मैंने उसकी चुत को उंगली से सहलाया तो मधु मस्ती के मारे सीत्कार उठी। उसकी आहें … सिसकारियां … माहौल हो मादक बनाने लगी थी।
मैंने मधु को सोफे पर लेटाया और उसकी टाँगें चौड़ी कर उसकी टाँगों के बीच बैठ गया और अपने होंठ उसकी पनियाई हुई गुलाबी चुत पर रख दिए। मधु की चुत से बहुत ही मादक खुशबू आ रही थी। जैसे ही मैंने जीभ से चूत की भगनासा को छुआ, मधु की चुत ने पानी छोड़ दिया। मधु की चुत से निकले अमृत का स्वाद बिल्कुल किसी कुँवारी लड़की की चुत से निकलने वाले अमृत जैसा था। मेरा लंड तो आज धन्य होने वाला था ऐसी चुत में घुस कर।
जैसे जैसे मैं मधु की चुत पर जीभ घुमा रहा था उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। वो मस्ती के मारे बदहवास सी हो रही थी। सुधबुध खोकर वो चुत चटाई का मजा ले रही थी- ओह्ह … राज … उम्म्म … क्या कर दिया तुमने … राज … मर जाऊँगी मैं … ओह्ह्ह … उईई माँ … ओह्ह … राज! वो मस्ती में आ चुकी थी। तभी उसका बदन अकड़ा और उसकी चुत ने मेरे मुँह पर अमृत वर्षा कर दी। ढेर सारा कामरस उसकी चुत ने उगल दिया। कुछ मैं चाट गया तो कुछ उसकी जांघों पर बहने लगा। पानी निकलते ही वो शान्त हो गई।
मैं उठा और जाकर उसके कामरस से लिपटे होंठ उसके होंठों पर रख दिए। वो भी मस्त होकर मेरे होंठ को चूमने और चाटने लगी। शायद उसे भी अपनी चुत से निकले कामरस का स्वाद भा गया था। “राज … कमाल के हो तुम … मजा आ गया” “मेरी जान … अभी तो शुरुआत है … आगे आगे देखो मजा ही मजा आने वाला है!”
कहानी अगले भाग में समाप्त होगी. लेखक की मेल आईडी नहीं दी जा रही है. कहानी का अगला भाग: गर्लफ्रेंड से मिला तोहफा-3
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