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मैं जट्टी हूँ तो मैंने खुल कर ढिल्लों के बराबर पेग लगाए। आधे पौने घंटे बाद दारू ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया और घंटा पहले ज़बरदस्त तरीके से चुदी हुई मैं अब अपने जिस्म का कंट्रोल खोने लगी। दूसरा ढिल्लों ने वाइब्रेटर की गति पूरी तेज़ कर दी। चूत फिर लौड़े के लिए तड़प उठी।
तभी मैंने लोगों के परवाह न करते हुए ढिल्लों को जफ्फी डाल ली और उसके कान में कहा- फुद्दी आग बन गयी है, ठोक दे यार जल्दी प्लीज। बर्दाश्त नहीं हो रहा!
जब मैंने ढिल्लों से यह बात कही तो वो खुश होकर हँसने लगा और उसने मुझसे कहा- बस यही सुनने के लिए तो वाइब्रेटर लाया था, थोड़ा और तड़प ले मेरी जान!
उसकी यह बात सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया। मेरी फुद्दी रिसने लगी थी और ऊपर से पूरी ठंड थी। अपने ऊपर काबू न होता हुआ देख मैंने ढिल्लों से कहा- अच्छा फिर वाइब्रेटर तो बंद कर दे भेन चो… गांड में तबाही मचा रखी है, ऊपर से पी भी काफी ली है मैंने! ढिल्लों फिर हँसने लगा और उसने मुझसे सिर्फ इतना कहा- अब साली … तुझे यहां पंडाल में ठोक दूं, रुक जा अभी।
मैं बस मुंह बना के रह गयी और उसी तरह उसके साथ घूमने फिरने लगी। मेरी चाल में वाइब्रेटर और दारू की वजह से इतना फर्क आ गया था कि लोग मुझे मुड़ मुड़ कर देखने लगे कि माजरा क्या है। लेकिन उन्हें क्या पता था कि जट्टी की अनचुदी गांड में 8″ का मोटा वाइब्रेटर फंसा हुआ है और बहुत ज़ोर से वाइब्रेट भी कर रहा है।
वैसे वाइब्रेटर तो गांड में चल रहा था लेकिन उसकी सनसनी मेरी फुद्दी में फैल गयी थी। जी चाहता था कि अब कोई भी चीज़ मेरी फुद्दी में घुस जाए चाहे वो कोई लकड़ी का डंडा ही क्यों न हो। जब फुद्दी ज़ोर से हाहाकार मचाने लगी तो मुझसे मेरे जिस्म का पूरा काबू छूट गया और मेरी जिस्म की सारी वासना फुद्दी में आ गयी। जल्दबाज़ी में मैंने ढिल्लों से कहा- मुझे बाथरूम जाना है। लेकिन ढिल्लों सिरे का कमीना था वो मेरी बात अच्छी तरह समझ गया और कस के मेरी बाँह पकड़ के चलने लगा।
उसकी इस हरकत के बाद मैं उसके सामने गिड़गिड़ाने लगी- ढिल्लों, आग लग गयी है, कंट्रोल नहीं हो रहा, मैं तेरे पैर पड़ती हूँ, ठोक दे यार प्लीज़, कभी तेरा कहना नहीं वापस करूँगी। यह पहली बार था कि मैं किसी के सामने फुद्दी देने के लिए इस तरह गिड़गिड़ाई थी, वरना इस तरह कई बार मैं मज़े लेने के लिए दूसरों की मिन्नतें अक्सर करवाती हूँ।
खैर मेरी बात सुनकर ढिल्लों समझ गया कि मामला अब वाकयी संजीदा हो गया है। बेगानी शादी में मैं कोई उल्टी सीधी हरकत न कर बैठूं इसीलिए वो मुझे तेज़ी से चलाते हुए गाड़ी तक ले गया और अपनी गाड़ी के पीछे बिठा दिया और खुद जल्दी से ड्राइव करने लगा। दरअसल अब हुआ यूं कि बैठने के कारण जो वाइब्रेटर पहले 1-2 इंच बाहर था, जड़ तक मेरी गांड में ठूंसा गया। जब मैं थोड़ा सा भी इधर उधर हिलती तो वो गांड की अंदरूनी दीवारों से ज़ोर से टकराता जिससे मुझे हल्का सा दर्द होता। इसीलिए मैं टाँगें भींच के जैसे तैसे बैठी रही।
ढिल्लों ने गाड़ी को तेज़ी से चलाकर पहाड़ों में एक सुनसान मोड़ पर रोक ली क्योंकि रास्ते में उसे कोई होटल नज़र नहीं आया शायद। पर बात यह निकली कि इस बार वो मुझे खुले में चोदना चाहता था क्योंकि उस रिसोर्ट में उसका एक कमरा बुक था।
आसपास कोई कमरा वगैरा न देख कर मैं घबरा गई। पहले ही मैं उसके दोस्तों के सामने एक बार बेइज़्ज़त हो चुकी थी और इस बार मैं किसी अनजान व्यक्ति के सामने उस तरह नहीं आना चाहती थी। शाम का वक़्त था और रोशनी बहुत कम हो चुकी थी। गाड़ी रोक कर ढिल्लों ने मुझे कहा- यार, मेरी एक बहुत बड़ी तमन्ना है कि तेरे जैसी औरत को खुले में चोदूं। आज ये तमन्ना पूरी कर दे जानेमन!
मैं उसकी मंशा पहले से ही जानती थी इसीलिए मैंने उसे कड़क लहजे में जवाब दिया- देख ढिल्लों, पहले ही तूने मेरी एक बार बेइज़्ज़ती कर दी है, मैं इस तरह खुले जंगल में सेक्स करने, चुदने की बिल्कुल भी शौकीन नहीं हूँ, किसी कमरे में ले जाना है तो चल, नहीं तो निकाल ये डंडा मेरी गांड से मुझे मेरी सहेली के पास छोड़ आ। मुझे इस तरह गुस्से में देख कर वो पागल हो गया और बाहर निकल के पीछे का दरवाज़ा खोला और एक झटके में ही मैं उसके कंधों पर थी। आस पास किसी को न देख कर ढिल्लों मुझे उठा कर खाई में उतरने लगा। मैं चाहकर भी कुछ नहीं कर सकती थी।
मैंने उसकी बार बार मिन्नतें कीं लेकिन वो नहीं माना और 15-20 मिनट चलने के बाद नीचे जंगल में घने दरख्तों के बीच एक बहुत छोटा सा मैदान था। ढिल्लों को वो जगह जच गयी क्योंकि चारों तरफ कोई भी नहीं था और न ही उन घने दरख्तों में से कोई देख सकता था। उसने मुझे घास पर लेटा दिया और मुझे बुरी तरह चूमने चाटने लगा। मैं बहुत डरी हुई थी लेकिन मेरी फुद्दी में आग भी शिखर तक पहुंच चुकी थी। बीच में मैंने उसे रोक कर कहा- यह जंगल सेक्स करने की जगह है? अगर कोई आ गया तो मारे जाएंगे ढिल्लों, बेवकूफी न कर, गाड़ी में लेजाकर ठोक ले। ढिल्लों ने मुझे चूमते हुए कहा- जानेमन, ये रिवाल्वर मैंने गांड में लेने के लिए नहीं रखा, साला अगर कोई हरामी आ भी गया तो बस मेरे एक हवाई फायर का खेल है, तू डर मत, मेरा नाम ढिल्लों है। उसकी इस तकरीर से पूरी तरह संतुष्ट हो गयी और जंगल सेक्स का मज़ा लेने लग गयी।
बेहद ठंड थी। ढिल्लों ने मेरी फुद्दी में एक चप्पा चढ़ा के धीरे धीरे सारे कपड़े मेरे जिस्म से अलग कर दिए। अब मैं सिर्फ ऊंची एड़ी के सैंडल और अपने सोने के गहनों में ही थी। बाकी अल्फ नंगी उसके नीचे पड़ी थी। 15-20 मिनट के बाद पूरा अंधेरा छा गया और मैं पूरी तरह से बेफिक्र थी। ढिल्लों ने मुझे इस बार अपने लौड़े के लिए इतना तड़पा दिया था कि मैंने खुद अपनी सारी ताक़त इकठ्ठी करके उसका लौड़ा पकड़ा और अपनी फुद्दी लगा कर नीचे से एक करारा झटका मारा। आधा लौड़ा बेपरवाही से मेरी फुद्दी में जाकर फंस गया, जिससे मुझे इतना चैन मिला कि मैं बयान नहीं कर सकती।
ढिल्लों ने मेरी हरकत को देखकर अपनी कमर ऊंची की, लौड़ा पूरी तरह से बाहर निकाला, मेरी अच्छी तरह से तह लगाई और एक लंबा, तीक्षण शॉट मारा और लौड़ा मेरी धुन्नी तक पहुंचा दिया। उसके एक वार से ही मेरी फुद्दी ने बूम बूम करके पानी छोड़ दिया। मैं धन्य हो गयी थी। पिछले एक घंटे से मैं झड़ने के लिए तड़प रही थी और ये तो एक लंबा, काला और मोटा लौड़ा था जो मेरी धुन्नी तक जा पहुंचा था।
मेरे मुंह से बहुत जोर से ‘हाय … ओये …’ निकला और मैंने उसकी पीठ में अपने नाखून गड़ा दिए और टाँगें जितनी मैं ऊपर कर सकती थी, कर लीं। एक बार फिर ढिल्लों ने अपनी तूफानी चुदाई शुरू कर दी। मैं ढिल्लों का लौड़ा लेने के लिए इतनी मजबूर हो चुकी थी कि घने जंगल में सर्दियों की रात में बेफिकर हो कर नंगी चुद रही थी। जब ढिल्लों तूफानी रफ्तार से पूरा लौड़ा बाहर निकाल कर जड़ तक अंदर पेल देता तो फुद्दी से ‘पुच्च’ की तेज़ आवाज़ आती और घने जंगल को चीरती हुई घाटी में गूंज जाती।
दूसरा जो मैंने आपको पहले भी बताया है कि मैं एक भरे जिस्म वाली औरत हूँ, जिसके कारण मेरी जांघें और गांड गैरमामूली तौर पर बड़ी बड़ी हैं, जब दूसरा ढिल्लों की जांघें भी खूब भरी हुईं थीं, और जब ढिल्लों घस्सा मारता तो मेरा तरबूजी पिछवाड़ा और उसकी जांघें टकरा के बहुत ऊंची ‘पटक’ की आवाज़ पैदा कर रही थी, जो मेरी फुद्दी की ‘पुच्च’ की आवाज़ से मेल खाकर चुदाई को एक जबरदस्त रंगत दे रही थी।
मेरी गांड में एक बड़ा वाइब्रेटर चालू था और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं दो मर्दों से चुद रही हूं। खैर मैं उसकी इस चुदाई से इतनी मखमूर^ हो गयी कि मैंने सब कुछ भूल कर अपनी टाँगें उसकी पीठ के गिर्द नागिन की तरह लपेट दीं और उसका मुंह अपने दोनों हाथों में लेकर उसकी आँखों में आंखें डाल लीं और बिना पलकें झपकाए उसको तकती रही।
मेरे पूर्ण समर्पण और मुझे मोर्चे पर इस तरह डटे हुए देख कर ढिल्लों ने अपनी पूरी ताकत से अपना हलब्बी लौड़ा बाहर निकाल कर मेरी फुद्दी में ठोकने लगा। ये वो इतना ज़ोर लगा कर करने लगा था कि उस जैसे घोड़े की भी सांस फूल गयी थी। आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि पौने फुट लंबा और 4 इंच मोटा काला हब्शी लौड़ा मेरी तरबतर फुद्दी में इस गति से अंदर बाहर होकर उसका क्या हाल कर रहा होगा। मेरी फुद्दी का बाहरी छल्ला जो उसके लौड़े पर इलास्टिक की तरह कसा हुआ था, हर गुज़रते सैकंड के साथ तीन चार इंच अंदर धंस रहा था और जब वो अपना लौड़ा बाहर निकालता तो ऐसा लगता कि फुद्दी भी उसके साथ बाहर आ रही है लेकिन वो छल्ला ही था जो उसके लौड़े पर कसे होने के कारण 3-4 इंच बाहर को आ जाता था।
दोस्तो, उस सर्दी की शाम में भी हम दोनों इस तूफानी चुदाई से पसीने से तरबतर थे। उसका मुझे पता नहीं, लेकिन मुझे चुदते वक़्त किसी और चीज़ की होश नहीं थी, शायद इसे ही जन्नत कहते हैं।
खैर मुझे चोदते चोदते एकदम ढिल्लों रुका और चलता हुआ वाइब्रेटर एकदम मेरी गांड से बाहर खींच लिया। जब उसने ऐसा किया तो मेरी गांड का मुंह हैरानी से खुला का खुला ही रह गया और लगभग 15-20 सेकंड तक खुला रहा। मैंने फौरन ही बिलबिला कर ढिल्लों से कहा- डाले रखो इसे प्लीज, अच्छा लग रहा था बहुत! लेकिन ढिल्लों ने कोई जवाब न दिया और झट से अपना लौड़ा मेरी फुद्दी में डाल कर फिर उसी गति से चुदाई करने लगा।
मुझे मज़ा तो अब भी आ रहा था लेकिन कुछ कुछ कमी सी लग रही थी। मैं ढिल्लों की इस चाल को समझ गई थी। उसने पिछले दो घंटों ने लगातार वाइब्रेटर मेरी गांड में रख कर और उसी तरह उसे बगैर बाहर निकाले मुझे चोद कर मुझे एक और हवस भरी आदत लगा दी थी। क्योंकि मुझे अब पहले जैसा ही स्वाद चाहिए था, इसीलिए मैंने ढिल्लों से उसकी मन की बात कह ही दी जो वो मेरे मुंह से सुनना चाहता था- ढिल्लों, किसी तरह काले को भी तैयार कर।
ढिल्लों यह सुनकर बहुत खुश हुआ और धीरे धीरे मुझे चोदते हुए कहने लगा- बस यही मुराद थी मेरी कि तेरे जैसी घोड़ी पर दो-दो सांड चढ़ें, मैंने ये तजुर्बा और औरतों पर भी किया है लेकिन तू पहली और जो मानी है, देखना रूपिन्द्र … अब तुझे वो जन्नतें दिखाऊंगा कि याद रखेगी। लेकिन इसी तरह मोर्चे पे डटी रहना, चीखें तो निकलेंगी तेरी, साले का मेरे से भी बड़ा है।
यह सुनकर मेरे होश उड़ गए। मैं सोच रही थी कि मैंने हवस और दारू के नशे में ये बात कहकर कहीं गलती तो नहीं कर ली थी। लेकिन अब तीर कमान से निकल चुका था। ये सोचकर मैंने दूर की न सोचते हुए ढिल्लों के नीचे से पूरा जोर लगा कर हिली और वाइब्रेटर जो पास ही पड़ा हुआ था, उठाकर जलदी से जैसे तैसे अपनी गांड में ठूंस लिया।
ढिल्लों ने यह देखकर उसका स्विच फिर चालू कर दिया और उसी तरह तेज़ी से चोदने लगा मुझे। अगली 15-20 मिनट की जबरदस्त चुदाई में मैं दो बार झड़ गयी थी और दोस्तो … झड़ती तो आपको पता ही है कि मैं कैसे हूँ। दोनों बार जबरदस्त पानी निकला था और मैं बुरी तरह काँपी भी। कोई और आवाज़ें नहीं, अब मेरे मुंह से बहुत ऊंची ‘हूम्म… हूँ … हम्म … हूँ …’ ही निकल रहा था।
अगले पांच मिनट के बाद एक बार फिर मुझे झड़ने के लिए तैयार होते देख ढिल्लों ने बहुत तेज़ चुदाई शुरू कर दी और इस बार हम दोनों ऊंची ऊंची ‘हो … हह … हो …’ करते हुए झड़े। सारा माल एक बार ढिल्लों ने मेरी गहरी फुद्दी में इतना अंदर तक भर दिया कि एक बून्द भी बाहर नहीं निकली। यह कमाल की बात थी क्योंकि अब तक मैं जितने भी 13-14 मर्दों से चुदी हूँ, सभी का लगभग सारा वीरज बाहर आ जाता था लेकिन ढिल्लों के बारे में मजाल कि एक तुपका^^ भी बाहर आ जाए। खैर एक और लबालब चुदाई के बाद अब मुझमें ऊपर चढ़ने की हिम्मत नहीं थी और दूसरा वाइब्रेटर भी ढिल्लों ने बाहर नहीं निकालने दिया था। ढिल्लों ने मेरी हालत देख कर मुझे एक लोई में लपेटा और और अपने कन्धे पर उठा कर मुझे गाड़ी में लाकर बैठा दिया। अपने लहँगा चोली मैंने चलती गाड़ी में ही पहने और अपना बैग उठा कर अपना मेकअप भी कर लिया।
जंगल में सेक्स की कहानी आपको कैसी लगी? मेरी स्टोरी चलती रहेगी. इस भाग में हुई देरी के लिए माफी मांगती है आप सबकी जान रूपिंदर कौर! [email protected]
^नशे में चूर ^^बूंद, अंश
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