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मेरा नाम आनन्द है और मैं दिल्ली में रहता हूँ. मैं अन्तर्वासना की कहानियां कई साल से पढ़ता आ रहा हूँ. मैं पहली बार कोई चुदाई की कहानी लिख रहा हूँ. इसलिए लिखने में होने वाली गलतियों को नजरअंदाज कर दीजिएगा. साथ ही मेरी इस सेक्स स्टोरी पे अपने कमेंट्स जरूर दीजिएगा.
मेरी ये कहानी मेरी उस गर्लफ्रेंड के साथ हुई पहली चुदाई के बारे में है … जिसका बदला हुआ नाम माया है. माया का फिगर बहुत ही मादक है. उसकी मदमस्त जवानी किसी भी लंड पानी निकाल देने के लिए काफी है. उसका फिगर 36-32-36 का है. मेरा उससे अफेयर चल रहा था और कई महीनों से उसके हाथों को सहलाना चूमना होता रहता था.
एक दिन जनवरी के महीने के शाम को ऑफिस से आते समय उसकी स्कूटर ख़राब हो गयी. उसको ठीक कराकर घर छोड़ने में रात हो गयी, जिसका धन्यवाद उसने मेरे होंठों पर किस करके दिया. अब उसके साथ मुहब्बत का ये सिलसिला सहलाने के साथ रोज शाम को किस करने पर ही खत्म होने लगा था.
एक दिन मैं उसके घर में उसे कमरे तक चला गया, जहाँ मैंने उसके होंठों को बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया. उसने मुझे काफी मना किया कि रहने दो, घर का कोई सदस्य आ जाएगा. लेकिन मैं तो अपने चुम्मी लेने और मम्मे मसलने के काम में लगा रहा.
थोड़ी देर में उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया था. लेकिन तभी उसकी माँ की आवाज आई, जिससे हम दोनों सचेत हो गए. मैं अपने आपको संभाल कर अपने घर आ गया. लेकिन उस रात हम दोनों फ़ोन पर सुबह 4 बजे तक ना जाने क्या क्या बातें कर डालीं.
उस रात को हुई घटना को मैं कभी नहीं भुला सकता हूँ. इसके बाद मैं रोज चुदाई के बारे में सोचने लगा. रह रह कर बातों ही बातों में अपनी शादी शुदा सहेली की चुदाई के पहले दर्द और उसके बाद के मजे बारे में बात करके वो उत्तेजित हो जाती, जिसको वह अपनी उंगलियों से शांत कर लिया करती थी.
हम दोनों ने चुदाई का भरपूर मजा लेने के लिए अपने अपने घरों झूठ बोला और 3 दिनों के लिए खजुराहो का प्लान बनाकर अपने घरों से चल दिए. खजुराहो जाकर वहां के एक होटल में हमने एक अच्छा वातानुकूलित कमरा ले लिया. इस कमरे का बेड कमरे के मुख्य दरवाजे से 12 फीट दूरी पर था. उसके बाथरूम के कमरे के अन्दर की दीवर कांच की थी, जिस पर सुंदर सा पर्दा लगा था.
इस कमरे में अन्दर आते ही अपने हाथ के छोटे हैंडबैग को टेबल में रखा और सर्विस ब्वॉय ने बाकी का सामान हमारे सामने रख दिया और चला गया. उसके जाते ही रूम बंद करके हम दोनों जोंक की भाँति एक दूसरे से ना अलग होने के लिए चिपक गए. हमारा एक दूसरे को बेतहाशा चूमना, अंगों को रगड़ना और दबाना शुरू हो गया. धीरे धीरे हमारे बदन से एक के बाद एक कपड़े अलग होने लगे. लेकिन उसने मुझे अपने अंतिम कपड़े यानि ब्रा और पेंटी को अलग करने से पहले रोक दिया.
जिसका मैंने विरोध किया तो उसने कहा- सफ़र की गन्दगी को साफ कर नहा धोकर तैयार होकर कुछ खा लेते हैं. मैं अब तो 3 दिन के लिए पूर्ण रूप से आपके लिए हूँ. जैसा चाहो वैसा प्यार करो. अन्दर डाल कर करो या ऊपर से रगड़ कर करो या फिर चूम के, दबा के के मजा लो. ये सब मैंने आप पर छोड़ दिया है. उसकी बात मुझे जम गई और हम दोनों कुछ ही समय में नहा धोकर कमरे से खाने के लिए बाहर निकल गए.
लेकिन बाथरूम के शीशे के परदे को नहीं हटाया, जिससे कि कमरे से बाथरूम में होने वाली गतिविधियों को देखा जा सके.
खैर … अब हम हल्का खाना खाकर कमरे में चुदाई करने के लिए आ गए. पहली चुदाई की कोशिश चादर ओढ़ कर की, जिससे होटल के अन्दर छिपे कैमरे से बच सकें. वह चादर ओढ़ कर लेट गई. ऐसा उसने ही कहा था कि आजकल के होटलों का कोई भरोसा नहीं है. साले हिडन कैमरे से चुदाई रिकॉर्ड करके ब्लैकमेल करते हैं या फिर पोर्न साईट पर अपलोड कर देते हैं.
उसकी बात सुनकर मैंने भी चादर के अन्दर घुसकर सेक्स करना तय कर लिया. चादर के अन्दर घुसते ही उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया. उसके होंठों पर जैसे ही अपने होंठों को रखा तो उसके नाजुक होंठ मुलायम मखमल की तरह लगने लगे. साथ ही उसके मखमल मुलायम जैसे टाईट दूधों को भी कपड़े के ऊपर से दबा कर सहलाने लगा.
उसने मस्ती में अपनी आँखें बंद कर रखी थीं, जिसे मेरे कई बार खोलने के लिए कहने पर भी उसने नहीं खोला.
मैं अपना हाथ को आगे बढ़ाते हुए उसकी छाती को मसलते हुए पेट पर आया और इधर से नीचे की जांघों से होकर उस मखमली नाजुक मुलायम द्वार पर मेरी उंगलियां आ पहुंची. उंगलियों के उस मधुरिम घाट तक पहुंचते ही उसने अपने पैरों को चिपका लिया.
मैंने भी जल्दबाजी नहीं की और धीरे धीरे उसकी छाती को चूमना सहलाना शुरू कर दिया. वह भी उसका मजा लेने लगी और बची हुई शर्म को छोड़ कर उसने अपना विरोध कम कर दिया.
मैं लगातार उसके गालों को, माथे को, आंखों को, गर्दन को, कानों को चूमता और हल्के होंठों से पकड़ के सहलाता रहा. जिससे उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी. फिर मैंने धीरे से उसके कुरते को उतार दिया, जिसमें उसने भी मेरा साथ दिया.
अब मेरी आँखों के सामने उसके खरबूजे के समान चूचे एक छोटी से सफेद रंग की ब्रा में बंधे हुए थे. उसके मम्मे मानो मुझसे आजादी की गुहार गा रहे थे. उसकी कसी हुई ब्रा में से किसी पर्वत के सामान उठे हुए चूचों को मैंने जैसे ही आजाद किया. समझो किसी रबर की गेंद की तरह उछल कर उसके मम्मे खुली हवा में फुदकने लगे. लेकिन उन मस्त मम्मों को अभी पूरा सुख मिलना बाकी था.
अगले ही पल दोनों मम्मे मेरे हाथों से होते हुए मेरे होंठों तक पहुंच गए. मैं कभी उसकी दाएं चूचे को चूसता और बांए को दबाता. कभी बांए को चूसता और दांए को दबाने लगता. मम्मों को सुख देने का सिलसिला इसी तरह से चल रहा था. जिसका मजा वो आंखें बंद कर ले रही थी. मैंने बारी-बारी से उसकी दोनों चूचियों को निचोड़ निचोड़ कर सुर्ख लाल कर दिया.
इसके बाद जब उसकी सलवार को खोलने की बारी आई तो देखा कि उसने अपनी सलवार के नाड़े की गांठ बड़ी जोर से लगा रखी थी. नाड़े को खोलने में बड़ा समय लगा, जिसका मजा वह हंसती हुई आँखें बंद करके ले रही थी.
धीरे-धीरे मैंने गर्दन से नीचे का रुख किया और उसकी गर्दन को चूमते हुए नीचे का रुख किया. उसकी सांसें लगातार तेज होती जा रही थीं. सलवार खोलने से पहले मैंने सलवार के अन्दर हाथ डालकर पेंटी के ऊपर से उसकी चूत को सहलाना शुरू किया. उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी, जिसकी वजह से पैंटी भी गीली हो गई थी.
मैं पूरी तरह से उसके ऊपर हावी था … उसकी चूचियां मेरे मुँह में थीं तथा मेरा एक हाथ उसकी चूत के ऊपर था. इस समय वह अपनी जवानी के सबसे हसीन पलों का एहसास कर रही थी. फिर अंत में मैं उसकी सलवार को खोल कर जवानी के रस में भीगी पैंटी को निकाल कर, बिना वस्त्रों के चादर के अन्दर नंगी लेटी उसके भरपूर सौन्दर्य का आनन्द लेने लगा.
फिर मैंने उसकी बंद आँखों को देखते हुए अपने सारे कपड़े उतार कर अपने लंड को उसकी जाँघों से चिपका दिया. अब मैं नारी के नग्न सौन्दर्य का आनन्द लेते हुए उसकी मदमस्त जवानी के रस को भोगने में लग गया था. मैं उसकी चुत पर उंगली फेरकर चूत का मजा ले रहा था और वो भी मेरी उंगली का अपनी चूत पर फिरवाने का मजा लेने लगी थी.
उसकी बालों रहित चिकनी चुत गुलाब की पंखुड़ियों सी दिख रही थी, जिसमें से जवानी का रस टपक रहा था. चादर के नीचे हमारा शरीर इस कदर गर्म हो गया था कि हम दोनों अपने आप पर नियंत्रण खोते जा रहे थे. साथ ही चुदास इतनी अधिक बढ़ चुकी थी कि हम दोनों एक दूसरे के अन्दर सामने के लिए आतुर हो रहे थे.
मैंने उसके होंठों को अपने होंठों की गिरफ़्त में लेकर चूसना शुरू किया और अपना हाथ उसके शरीर पर फिराना शुरू किया. वो भी पूरी तरह एक्टिव मोड में आ गई और उसकी उंगलियां मेरे बालों में चलना शुरू हो गईं. कभी उसके हाथ मेरी गर्दन को सहलाते, तो कभी पीठ को सहलाते हुए मेरे चूतड़ों तक पहुंच जाते. वह पूरी तरह से संसर्ग के मजे ले रही थी. अपना लंड मैंने उसके हाथ में देने की कोशिश की, लेकिन उसने बंद आँखों से लंड को सिर्फ धीरे धीरे सहलाया. उसका हाथ लंड पर महसूस करते ही मैंने भी उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया. जैसे ही मैंने उसकी चूत में थोड़ी सी उंगली डाली, तो उसकी मादक सिसकारियां निकलने लगीं. मैं हल्के हाथ से उसकी चूत में डूबी उंगलियों से चूत की दीवारों को सहलाने लगा.
कुछ ही देर में वह पूरी तरह से बेकाबू हो गई और बोली- जल्दी डालो … अपने उसको जल्दी डालो … प्लीज मेरी गर्मी को शांत कर दो … मुझे प्यार दो प्लीज … अब मत तड़पाओ मेरी जान.
मैं समझ गया कि इसकी चूत लंड लंड कर रही है. जैसे ही अपना लंड उसकी चुत की फांकों पर रख कर लंड को अन्दर धकेला, तो लंड फिसल कर कभी जाँघों पर कभी नीचे चला जाता. कभी आजू बाजू हो जाता. इससे बचने के लिए मैंने उसके बैग से वैसलीन की डिब्बी निकाली. फिर मैंने उंगली से वैसलीन को उसकी चुत में बड़ी प्यार से लगाया और अपने लंड को भी वैसलीन से चिकना कर लिया. अब मैंने लंड को चुत पर रखकर जैसे ही धक्का लगाया, तो लंड का सुपारा चुत में गायब हो गया और दर्द का रंग एकदम साफ से उसके चेहरे पर झलकने लगा. मैं अपने लंड के सुपारे को चुत में डाले हुए रुक गया और लंड को उसकी चुत से निकालने की सोचने लगा.
मुझे मेरा लंड को उसकी चुत से निकालने का भी मन नहीं कर रहा था लेकिन उसके दर्द को भी देखा नहीं जा रहा था,मैंने उससे कहा- जानेमन, सहन कर लो प्लीज़ … पहली बार चुदाई में दर्द भी होता है. तो वह बोली- मुझे पता है और मैं सब सहन कर लूँगी, पूरा अन्दर तक डाल दो. मैंने उसे पूछा- तुम्हें कैसे पता? तो उसने कहा- मेरी सहेली ने अपनी सुहागरात के बारे में बताया था कि पहली बार की चुदाई में थोड़ी देर दर्द होता है … इसके बाद बहुत मजा आता है. अब तुम्हारा अन्दर घुस ही चुका है, तो चुदने के अलावा और रास्ता ही क्या है.
उसकी यह बात सुनकर मुझे हंसी आ गई. मुझे हंसता देखकर वो भी मुस्कुराने लगी.
उसके मुँह से उसकी सहने की बात सुनकर मेरा हौसला आसमान छूने लगा. फिर मेरे लंड का सुपारा, जो चुत की पुत्तियों में फंसा हुआ था, उसको थोड़ा दबाते हुए जोर लगाया, तो लंड सरकता उसकी चूत से लोहा लेने लगा. अगले झटके में ही लंड चुत की गहराई में उतर गया. उसने अपनी दोनों बांहें मेरे गले में डाली हुई थीं. उसने अपनी आँखें इस कदर बंद की हुई थीं, जिससे साफ़ दिख रहा था कि वो दर्द को भरपूर सहने की कोशिश कर रही थी.
आज लंड के पहले ही झटके पर अपनी चूत की सील टूटने की खुशी से उसके दर्द भरे आंसू निकलने लगे. मैं उसी तरह रुक कर उसको सहलाता और चूमता रहा. थोड़ी देर में वो बोली- अब करो.
मैं लंड को चुत में धीरे धीरे हिलाने लगा. कुछ समय में वो अपने दर्द को भूलकर चुत चुदाई का मजा बंद आँखों से लेने लगी. उसे मस्त होते देख कर मेरे लंड की गति उसकी चुत में चालू हो गई. एक तो हमारे शरीर की गर्माहट और दूसरी उसकी चूत की गर्माहट से मेरा सारा शरीर और लंड एकदम पिघला जा रहा था.
वह बोली- जानू, ऐसा लग रहा है कि जिंदगी भर चुदती ही रहूँ. मैंने कहा कि अब जिंदगी भर तुम्हारा मुझ पर हक हो गया है, जब चाहो तब मेरे इस लंड का मजा लेती रहना.
यह सुनकर उसने मुझे माथे पर चूम लिया. मैं पूरे जोश से उसकी चूत चुदाई कर रहा था. उस चुदाई से वह इस कदर मदहोश हो रही थी कि शायद वह दर्द को भूल गई. जब कि इस वक्त वो मेरा पूरा लंड अपनी चूत में समाए हुए थी. हम दोनों ने एक दूसरे को अपनी बांहों से इस कदर कसा हुआ था कि उसकी चूचियां मेरी छाती में गड़ रही थीं.
करीब 5 मिनट की चुदाई के बाद, वह धीरे-धीरे सिसकारियां लेते हुए कहने लगी- आअह्ह … आअह्ह … जानू बहुत मजा आ रहा है … उम्म्ह… अहह… हय… याह… और जोर से पेलो … ऊऊऊह ओहोहह … और चोदो मेरे राजा … आआह्ह्ह … ऊऊइईई … मरर्रर गयी मेरे बलमा … मुझे अपनी रानी बना लो … मेरी जान … चोदो आह … बहुत मजा आ रहा है … ऑऊईईई ऊईईई माँ … मेरी चूत को फाड़ दो मेरे साजन … बहुत मजा आ रहा है … आआह्ह्ह उऊंहह और तेज़ करो.
उसकी इस तरह की बातें, आवाजें मुझे और तेज चुदाई करने के लिए प्रोत्साहित कर रही थीं. मैं लगातार अपने चुदाई की स्पीड बढ़ा रहा था.
काफी देर की ज़बरदस्त चुदाई के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और मुझे अपने लंड पर उसकी चुत का दबाव महसूस हो रहा था. तभी वह खुद को ऐंठते हुए बोली- मेरा कुछ निकल रहा है … मेरा शरीर अकड़ रहा है. मैंने कहा- छम्मक छल्लो, तुम्हारा पानी निकल रहा है. तुम्हें पहली चुदाई का परमानन्द को प्राप्त हो रहा है!
जैसे जैसे उसका स्खलन नजदीक आता गया, वैसे वैसे उसकी पकड़ मुझ पर मजबूत होती चली गई. उसका पानी निकलते ही वह निढाल हो कर ढेर हो गई … लेकिन मैंने चुदाई को बदस्तूर जारी रखा और अपना पानी भी जल्द ही निकालने का प्रयास शुरू कर दिया. कुछ ही देर में मेरा भी पानी निकलने को तैयार हो गया.
मैंने उससे कहा- जानेमन मेरा भी पानी निकलने वाला है … कहाँ निकालूं? तो उसने कहा- आज मैं सभी प्रकार से सभी सुख लेना चाहती हूँ … इसलिए अन्दर ही निकाल दो मेरी जान.
बस दो तीन ही शॉट के बाद मेरे लंड के गाढ़े वीर्य से उसकी चूत लबालब भर गई. लंड स्खलित होते ही मैं भी थक कर उसके ऊपर गिर गया. वह बड़े ही प्यार से मेरे बालों में उंगलियां फेर रही थी.
थोड़ी देर बाद मैं उसके ऊपर से हटा, तो उसकी चूत से मेरे वीर्य और उसके खून का मिश्रण बहने लगा. उसकी चूत सूज़ कर मोटी हो गई थी. यह देखकर वह बोली- तुमने यह क्या हाल कर दिया है. चूत लंड के घमासान युद्ध की गाथा और हम दोनों के रज व वीर्य से सनी चुत अपने कौमार्य के टूटने की दशा दिखा रही थी. मैंने कहा- जानू मजा के साथ-साथ सजा भी मिलती है.
यह सुनकर वह मुझसे लिपट गई और मुझे किस करने लगी. फिर उसी हालत में हम दोनों सो गए.
शाम को उठकर गर्म पानी से नहाकर होटल से बाहर घूमने के लिए निकल लिए. थोड़ी देर घूम फिर कर वापस होटल में आ गए. खाना आदि खा कर कमरे में पहुंच कर वापिस चुदाई करने लगे. इस बार उसे पहले से ज्यादा मजा आया.
दोस्तो, बताना मेरी पहली चुत की चुदाई की कहानी कैसी लगी. मुझे आप [email protected] पर जरूर लिखें. मुझे आपके मेल्स का इन्तजार रहेगा.
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