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अब तक आपने पढ़ा था कि मैं अब मालती और श्यामा के साथ सेक्स के लेस्बियन खेल में मस्त होने लगी थी.
अब आगे..
मालती ने अपना पर्स खोला और उसमें से एक पैकेट निकाला, जिसके साथ में एक रिमोट भी था. जब उसे खोला गया तो डिल्डो तो लगभग वैसा ही था, जैसे मैंने श्यामा को दिया था, मगर रिमोट के चलने के बाद वो आगे पीछे हो कर घूमता भी था, जिससे जब वो आगे पीछे होकर जोर का थप्पड़ मारता था. वो घूमता भी था तो इस तरह से कि पूरी चूत में कोई जगह नहीं छोड़ता था, जहां उसकी थाप ना लगे.
मैंने श्यामा से कहा- करोगी टेस्ट इस को? उसने कहा- ये भी कोई पूछने की बात है. वो झट से पूरी नंगी हो गई और डिल्डो को चूत में घुसा दिया. मालती ने कहा- इसके पैरों को मैं कड़ाई से पकड़ती हूँ और हाथों को तुम पकड़ लो.. फिर मैं रिमोट चलाती हूँ ताकि यह उसे जल्दी से बाहर ना निकाल सके.
जब पूरी तैयारी हो गई तो मालती ने रिमोट चला दिया और वो उछलने लग गई. कभी वो इधर कभी उधर होती थी. श्यामा ‘निकालो इसको.. निकालो इसको..’ बोले जा रही थी. मालती ने कहा- यह तो अभी पहली स्पीड पर है.. इसकी चार स्पीड हैं. अभी देखना, जब मैं स्पीड बढ़ाती हूँ. इस तरह से मालती ने स्पीड दो नंबर कर दी, वो और चिल्लाने लग गई. फिर जब 3 नंबर पर किया तो उसको देखा कि उसका बुरा हाल हो गया था. फिर 4 पर जब किया तो वो रोने ही लग गई. ‘मार दोगी क्या आज मुझे..’
फिर मालती ने रिमोट बंद कर दिया. तब श्यामा की सांस में सांस आई. जैसे ही डिल्डो बाहर आया तो श्यामा मालती से बोली- उफ़ दीदी … क्या मस्त चीज लाई हो. मुझे भी बताओ कहां से लिया था ताकि मैं भी मँगवा लूँ.
इस तरह से पूरा दिन हम लोग उस डिल्डो से एक दूसरे की चुदाई करते रहे.
श्यामा ने मालती से फिर पूछा- दीदी, कहां से लिया है.. इसने तो सही में चूत को फाड़ दिया है. एक बार जब इससे चुद लिया.. तो फिर दो तीन दिनों तक चूत ढीली ही रहेगी. तब मैंने मालती से कहा- दीदी जितने का भी हो, ऐसा एक मुझको भी मंगवा दो. मैं अपनी इस प्यारी से फ्रेंड को गिफ्ट करना चाहती हूँ. क्योंकि मेरी नौकरी अब इसी की बदौलत चलने वाली है वरना मैं तो कहीं धूप में सड़ती रहूंगी. श्यामा ने कहा- यार ऐसे ना बोलो.. अब तुम मेरी फ्रेंड हो.. यह डिल्डो हो या ना हो, मुझे तुम्हारा पूरा ख्याल रखना पड़ेगा.
मालती ने कहा- श्यामा, मैं एक हफ्ते में ऐसे ही या इससे भी बढ़िया तुम्हें गिफ्ट करूँगी क्योंकि मेरी इस प्यारी सी दोस्त ने यह आज पहली बार मुझसे कुछ माँगा है.. वो भी तुम्हारे लिए. मैं चाहती तो हूँ कि तुम्हें यही दे दूं मगर इसके बिना मेरा काम नहीं चलेगा इसलिए तुमको अगले एक हफ्ते में तुम्हारे अपने घर पर ही गिफ्ट मिल जाएगा. मुझे अपना पता दे दो. मैं अपने दोस्त से बोलूँगी कि वो तुमको कोरियर करवा दे, जिसको तुम्हें बस लेना ही है.
श्यामा ने कहा- दीदी, अगर आप मीता की दीदी हो तो आज से मेरी भी हुई ना. अब इस छोटी बहन को कभी ना भूलना. यह चुदवाती बहुत है, मगर अपनी दोस्तों की दोस्त है. मालती ने कहा- मैं भी तुमसे कोई कम नहीं.. मैंने आज तक कम से कम 20 लंड लिए है. मैं नहीं पूछूंगी कि तुमने कितने लिए हैं. मगर इस बेचारी का क्या करूँ. मालती ने मेरी तरफ इशारा करते हुए कहा- इसने आज तक असली लंड लिया ही नहीं है. श्यामा ने कहा- दीदी अब इसकी चिंता आप मुझ पर छोड़ दो, मैं इसे असली लंड दिलवा कर ही रहूंगी.. चाहे कुछ भी हो. मगर हां कोई जबरदस्ती वाला काम नहीं करूँगी. दीदी अब कोई ना कोई इस तरह का प्रोग्राम हर महीने होना चाहिए. मालती ने कहा- हर महीने? मैं तो कहूँगी कि हर वीक एंड पर बनाओ.. या संडे के संडे रख लो. उसने कहा- ठीक है मेरा घर इसके लिए सही होगा.. क्योंकि मैं यहां पर अकेली रहती हूँ और किसी की कोई रोक टोक भी नहीं होगी. मालती ने कहा- मेरा भी घर तुम्हारी तरह का ही है.. सिवा इस मीता के. अब से हर संडे एक बार तुम्हारे घर पर और एक बार मेरे घर पर ऐसी पार्टी होगी. श्यामा ने कहा- ठीक है परसों ही संडे है. आप दोनों ही मेरे घर पर सुबह जल्दी आ जाना.. और हां दीदी, अगर कहो तो किसी लंड का भी अरेंज्मेंट कर लूँ.. मीता ना सही हम तो हैं ना उसको अपनी चूत में लेने के लिए. मालती ने कहा- मुझे कोई ऐतराज नहीं.. अगर मीता को ना हो तो. यह सुन कर मैंने कहा- नहीं मुझे कोई ऐतराज नहीं.. अगर मुझे लाइव शो देखने को मिले.. मगर कोई मुझसे नहीं कहेगा कि तुम भी चुदो. उन दोनों ने कहा- कोई नहीं कहेगा. मगर तूने अगर एक बार भी कहा कि मुझे भी चोदो, तो फिर बिने चुदे नहीं रहोगी. मैंने कहा- ठीक है.
अगले दिन मैंने जाकर अपनी रिपोर्ट जो श्यामा ने बनवा कर दी थी, साइन करके भेज दी और मुझे ‘वेरी नाइस गुड वर्क डन’ के रिमार्क्स मिले. मैंने श्यामा को दिखाया और वो बोली- यह सब तुमको मिले हैं. उसने कहा- अरे मेरी भोली यह सब तुम्हारी चूत पर न्योछावर हैं. जिस दिन तुम्हारी चूत किसी असली लंड से खुलेगी तुमको ऐसे ऐसे कई रिमार्क्स मिलेंगे. यहां सब चूत के बल पर ही अपने दिन निकाल रही हैं. आज यह रिपोर्ट भी तुमको चूत के बल पर ही मिली है, यह बात अलग है कि वो तुम्हारी ना हो कर मेरी है. खैर मेरी तो चुदती ही रहती है और मैं तो, चाहे रिपोर्ट बनवानी हो या ना बनवानी हो, हर वीक में दो बार चुदवा आती हूँ ताकि कभी वो गिला शिकवा ना करे. मेरी रिपोर्ट तो वो रात को जाग कर बिना बीवी को चोदे हुए भी तैयार करके देगा. रिपोर्ट तो वो 15 दिनों में एक बार लिखता है और चूत तो मैं इतने दिनों में ना जाने कितनी बार चुदवा कर आती हूँ. वो भी खुश और मैं भी खुश.
अगले रविवार को श्यामा के घर पर मैं और मालती दोनों पहुँच गए. वहां पर पहले से ही कोई लड़का बैठा था, जो काफ़ी जवान था और चड्डी में था. उसकी चड्डी में से ही उसका लंड अपनी औकात दिखा रहा था. उसे श्यामा ने ही कहा हुआ था कि सारे कपड़े उतार कर बैठे सिवा चड्डी के. उसकी हाइट 5′ 10″ से कम नहीं थी और वो था भी काफ़ी हैंडसम.
उसे शायद श्यामा ने बता दिया था कि उसे दो चुत को ठंडा करना है और अगर तीसरी का दिल करे तो उसे भी करना पड़ेगा. उसने श्यामा से शाम के 4 बजे तक के लिए 2000/- माँगे थे, जो वो उसको दे चुकी थी. वो अपने साथ एक गोली लाया हुआ था, जिसको उसने हमारे सामने खाया था ताकि उसका लंड ढीला ना हो जाए.
श्यामा ने सारी खिड़कियां बंद करके उन पर परदे लगा दिए और दरवाजा बंद कर दिया. फिर एक एक करके सभी ने अपने कपड़े उतार दिए. मुझसे कहा गया कि अपने कपड़े उतारो. मैंने जब कुछ कहना चाहा तो मुझे श्यामा ने कहा कि सिर्फ चुदाई ना कहने की बात थी, तुम अब शराफ़त से हमारी तरह से हो जाओ.. कपड़े उतार कर बैठ जाओ, तुम्हें कोई हाथ भी नहीं लगाएगा. उस लड़के की बात तो छोड़, हम दोनों में से भी कोई नहीं लगाएगा.
मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए. सबकी चूत को पूरी तरह से साफ किया हुआ था. लगता था जैसे अभी अभी की गई हों.
अब उस लड़के को कहा गया कि अपनी चड्डी उतारो, उसने चड्डी उतार दी और बोला कि दस मिनट रुकना पड़ेगा. मुझे गोली खाने के बाद चुपचाप रहना होता है. उसने हमारे सामने कोई गोली खा ली थी, जिससे मुझे लगता था कि वो कोई देसी वियाग्रा थी.
खैर दस मिनट होने के बाद भी वो बैठा रहा और अगले 10 मिनट के बाद उस का लंड आसमान को देखने लगा, जो 7 इंच लंबा और 2.5 या 3 इंच मोटा था. अब वो अपने लंड को दिखा दिखा कर नाचने लगा और कभी मालती की और कभी श्यामा की चुचियों को दबाता और उनकी चूत पर हाथ भी मारता.
थोड़ी देर बाद ही उसने मालती को उठा कर अपनी गोद में ले लिया और नाचते हुए ही उसे मसलने लगा.
कुछ पल बाद वो नीचे से लंड लगाने की पोजीशन में आ गया और मालती उस पर ऊपर खेलने लगी. अब उसका लंड, जो सलामी दे रहा था, उसने मालती की चूत पर टिका कर मालती को नीचे की तरफ दबाया और लंड पूरा उस की चूत में चला गया. वो नीचे से उछल रहा था और मालती ऊपर से खुद को नीचे कर के अन्दर ले रही थी. इस तरह से उस लड़के ने मालती की चुदाई शुरू कर दी और उसके मम्मों को मुँह में भी लेना शुरू कर दिया.
श्यामा का क्या हुआ.. मुझे नहीं पता, मगर मेरी चूत मुझ से बहुत कुछ कह रही थी कि काश आज मैं मालती की जगह होती तो यह मज़ा मुझे मिल रहा होता.
कुछ देर इसी तरह से चुदाई करने के बाद उस लड़के ने मालती को लेकर नीचे लेटा दिया और उसको अपने लंड से धकापेल चुदाई करता रहा.
उधर श्यामा ने जरा भी देरी नहीं की और अपनी चूत उस लड़के के मुँह पर रख दी जिससे वो मालती को चोदता रहा और श्यामा की चूत को चूसता रहा. काफ़ी देर बाद जब वो नहीं झड़ा तो मालती खुद ही उससे बोली कि मैं तो थक गई हूँ.. मुझे उतार कर श्यामा की चूत में अपना लंड डाल लो.
अब दोनों ने अपनी अपनी पोज़िशन बदल ली. श्यामा की चूत उस लड़के के लंड पर सवार हो गई और मालती की चूत उसके मुँह पर आ गई.
यह सब देख कर मेरी चूत का पानी भी बहने लग गया. जिसे उन दोनों ने देख लिया और दोनों अपनी आँखों से बातें करने लगीं कि देखो क्या हाल है इस बेचारी का.
खैर कुछ देर बार चुदाई करने के बाद उस लड़के के लंड ने अपना पानी छोड़ा. उसका लंड थोड़ा सा ही ढीला हुआ था और जल्दी ही फिर से आसमान को छूने लगा. यह सब उस दवाई का असर था.
अब मुझ से बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैं एकदम से उठी और उस लौंडे के लंड को हाथ में लेकर अपने मुँह में डालने लगी. यह सब देख कर वो दोनों खुशी के मारे नाचने लगीं. दोनों तालियां बजाने लगीं.
उस लड़के से बोला गया- अब तुम्हें बस इसी को देखना है, जब तक तुम्हारा टाइम नहीं खत्म होता, इसकी चूत बहुत भूखी है.. इसको पूरी तरह से खुश करो आज. अगर आज यह खुश हो गई तो हर संडे इस काम के लिए तुम्हारी ड्यूटी पक्की.
यह सुन कर वो मेरे मम्मों को दबा दबा कर चूसने लगा और मुझे, जो पहले से ही गर्म हो चुकी थी और गर्म करने लग गया. फिर उसने मुझे भी उसी स्टाइल में अपनी गोद में उठा लिया, जिसमें उसने मालती को उठाया था. मेरी चूत को अपने फौलादी लंड से भर कर ऐसे धक्के मारे कि मेरी चूत निहाल हो गई. अब मुझे ना तो मालती दिखाई दे रही थी, ना ही श्यामा.. मुझे तो बस उसका लंड ही लंड नजर आ रहा था. क्योंकि मेरी किसी असली लंड से पहली चुदाई थी, इसलिए मैं कुछ ज़्यादा ही उछल रही थी.
जिस तरह से रेगिस्तान में बरसात जमीन को ठंडा करती है, उसी तरह से मेरी चूत की गर्मी आज उस का गर्म लंड निकाल कर ठंडा कर रहा था.
उसके हर धक्के पर मेरे मुँह से निकल रहा था- हां हां और जोर से.. और जोर से फाड़ दो इसको.. आह.. बहुत तंग किया है इस हरामजादी ने मुझको.. आह.. पूरा डालो फाड़ो इसको.. हां और जोर से और जोर से.. यह सब सुन कर मालती और श्यामा हंस हंस कर बोल रही थीं- पता लगा ना कि असली असली ही होता है.
उसने मुझे नीचे लिटा कर बुरी तरह से चोदा. फिर जब दूसरा राउंड शुरू हुआ तो उसने मुझे कुतिया बना कर चोदा. फिर अपने लंड पर बिठा कर भी चोदा. दिल तो नहीं भरा था चुदाई से, मगर उसका टाइम हो चुका था, इसलिए उसने बाय बाय कर दी.
उसके जाने के बाद उन दोनों ने मुझसे पूछा- बोलो मैडम जी, कहा करती थी कि मैं लंड नहीं लूँगी.. चाहे कुछ भी हो जाए. आज क्या हुआ.. चार बार चुद कर भी अभी दिल नहीं भरा.
मैंने कहा- सब तुम लोगों की बदमाशी की वजह से हुआ है. तब उन्होंने कहा- ठीक है आगे से तुम्हारे सामने नहीं करेंगे. मैंने कहा- अब आग लगा दी है तो इसको लंड की बुझाएगा.. वो लंड तुमको ही दिलवाना पड़ेगा. श्यामा ने हंस कर कहा- फ़िक्र ना करो जान.. तुम्हें मैं लंड दिलवा भी दूंगी और तुम्हारी ही चूत के बलबूते पर तुम्हारी प्रमोशन भी करवा दूंगी.
मेरी सेक्स स्टोरी जारी रहेगी. कहानी का मजा लेने के लिए मेरे साथ बने रहें और मुझे ईमेल करके मेरा मनोबल बढ़ाएं! [email protected]
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