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मैं अनिल एक बार फिर हाजिर हूँ. आप सभी पाठकों को मेरा सादर नमस्कार. आपने मेरी पिछली कहानी चुदक्कड़ चाची चोदू चाचा पढ़ी होगी. आज मैं उसी कहानी से जुड़ी हुई एक और बहुत ही दिलचस्प कहानी पेश कर रहा हूँ, आशा है ये कहानी आपको बहुत पसन्द आयेगी.
ये कहानी बिल्कुल सच्ची घटना पर आधारित है जो कि मेरी दो चाचियां के साथ मेरे सेक्स की है.
मेरे पापा तीन भाई हैं. सबसे बड़े मेरे पापा है, बीच वाले चाचा, जो कि गाँव के स्कूल में टीचर हैं. छोटे चाचा, खेतीपाती और राजनीति भी करते हैं. छोटे चाचा को डकैती के केस में सात साल की सजा हुई है और पिछले दो साल से छोटे चाचा जेल की सजा काट रहे हैं. मेरे पापा और मेरी माँ दोनों गुजर हैं. मैं गाँव से बीस किलोमीटर दूर शहर में बच्चों को पढ़ाई के लिये बीवी बच्चों के साथ वहीं रहता हूँ. खेतीपाती के सिलसिले में कभी कभी गाँव आना पड़ता है. जब मैं गाँव आता हूँ, तो चाची के घर पर ही रहता हूँ. मेरे दोनों चाचा साथ ही रहते हैं. मैं शादीशुदा चालीस साल का हट्ठा कट्टा जवान हूँ.
मेरी बड़ी चाची का नाम किरण है, उनकी उम्र 55 साल की है, लेकिन देखने में वो 40-42 की ही लगती हैं. मध्यम कद काठी की बड़ी चाची देखने में उतनी खूबसूरत तो नहीं हैं, लेकिन उनके बदन की बनावट किसी अप्सरा से कम नहीं है. पतली कमर, बड़े बड़े चुचे, भारी भरकम चूतड़, मोटी मोटी जांघें … मतलब उनकी बड़ी मस्त जागीर है. जब वो चलती हैं, तब उनके चूतड़ मस्त थिरकते हैं, जिन्हें देख कर मेरा लंड जोश से भर जाता है.
किरण चाची साड़ी पहनती हैं, जो नाभि के नीचे से पहनती हैं, उनकी नाभि की गहराई देखकर मेरा लंड खड़ा हो जाता है व उसकी हालत खराब हो जाती है. उनकी बड़ी बड़ी चुचियां, जो कि बिल्कुल कठोर तनी हुई हैं, उनके ब्लाउज के हुक तोड़ देने को हर पल उतावली रहती हैं. चाची की चूचियों के उभार मुझे पागल बनाते रहते हैं. मैं हमेशा ख्वाब में किरण चाची को चोदा करता हूँ … और जब भी चाची के यहां आता हूँ … तो छुप छुप कर चाचा चाची की चुदाई देख कर मुठ्ठ मार लेता हूँ. किरण चाची के दो औलादें हैं. एक लड़का और एक लड़की, दोनों की शादी हो गई है. चाची का लड़का यानि मेरे भैया सर्विस में हैं, वो बीवी बच्चों के साथ बाहर शहर में रहते हैं. चचेरी बहन अपनी ससुराल में है.
मेरी छोटी चाची लम्बे कद की हैं और भारी भरकम शरीर की मालकिन हैं. उनका नाम शान्ति है. उनकी उम्र 45 साल की है. छोटी चाची के पूरे बदन में सिर्फ गांड दिखाई देती है. बहुत ही बड़ी गांड है. छोटी चाची जब भी मेरे पास होती हैं, मैं नजरें बचाकर उनकी विशाल गांड को देखा करता हूँ. साथ ही शान्ति चाची की बड़ी बड़ी चुचियां, बिल्कुल बेल फल की तरह कठोर और कसी हुई हैं. चुचियों के नीचे और कमर से ऊपर का भाग बिल्कुल सपाट है. गहरी नाभि उनको एकदम हॉट बना देती है. शान्ति चाची बला की खूबसूरत हैं, उनका रंग दूध सा गोरा है. कुल मिलाकर छोटी चाची वासना की देवी हैं. मैं अपनी दोनों चाचियों का दीवाना हूँ.
हर बार के तरह इस बार भी मैं चाची के यहाँ ठहरा हुआ था. रात को खाना खाने के बाद बड़े चाचा और चाची अपने कमरे में सोने चले गए. मैं हॉल में ही सो गया. हॉल की दूसरी तरफ के कमरे में छोटी चाची सोती हैं. नींद मेरी आंखों से कोसों दूर थी. मैं उस वक्त के इन्तजार में था कि चाचा चाची चुदाई कब करेंगे.
रात के जब 11 बजे, तभी चाची की चूड़ियों की खनक सुनाई दी … मेरे कान खड़े हो गए. मैं समझ गया कि अब चुदाई का खेल होने वाला है. मैं झट से उठा और दबे पांव खिड़की के पास चला गया. खिड़की का ऊपर वाला पल्ला खुला हुआ था. मेरा लंड तो पहले से ही खड़ा था. जैसे ही मैंने अन्दर का नजारा देखा, मैं जोश के मारे कांपने लगा. बिस्तर पर दोनों नंगे एक दूसरे से गुत्थम गुत्था थे, दोनों एक दूसरे को चूम और चाट रहे थे. चाचा पागलों की तरह चाची के चूतड़ों को मसलते हुए उनकी एक चुची को चूस रहे थे. चाची अपने बदन को ऐंठते हुए चाचा से चिपक रही थीं. तभी चाचा चाची को चित करके उनके दोनों मम्मों को अपने दोनों हाथ से मसलते हुए उनके होंठ को लेमनचूस की तरह चूसने लगे.
चाची एक हाथ से चाचा के तनतनाते हुए लंड को पकड़ कर जोर जोर से मसल रही थीं- आपका लंड तो इस उम्र में भी कमाल का मूसल है. चाचा- और तुम्हारी चूत भी तो कमाल की है मेरी रानी … इसे जितना ज्यादा चोदता हूँ, ये उतनी ही कोरी होती जा रही है.
उन दोनों की गर्मागर्म बातें सुनकर मेरा जोश और बढ़ता चला गया.
चाची- आप बहुत चुदक्कड़ हो. चाचा- तुम्हारी चूत ही इतनी रसीली है मेरी चुदक्कड़ रानी कि मैं चोदे बिना एक रात भी नहीं रह सकता. इतना कह कर चाचा चाची की चूत को अपने मुट्ठी में भर कर जोर से मसलने लगे, इससे चाची गनगना उठीं और अपने चूतड़ों को ऊपर की तरफ उठाने लगीं.
तभी चाचा ने चाची की चूत में एक उंगली को पेल दिया. चाची के मुँह से एक लम्बी सीत्कार निकल गई. चाचा जोर जोर से चाची की चूत में उंगली चलाने लगे. चाची अपने भारी भरकम चूतड़ों को जोर जोर से उछालने लगीं.
चाची- ओह राजा … बहुत मजा आ रहा है … इसी तरह करो मेरे राजा.
चाचा ने चूत में उंगली करने की गति को बढ़ा दिया और चाची ने भी अपने चूतड़ों की उछाल को तेज कर दिया. चाची की झांटों से भरी चूत में घुसती निकलती हुई उंगली को देखकर मैं जोश में मारे थरथर कांपने लगा, मेरा लंड पूरा तमतमा गया. मैं बेचैन हो गया, मेरी सांस रुकने लगी. अगले ही पल चाचा उखड़ती हुई सांसों के बीच बोले- अब पेलूं क्या? तेरी चूत पूरी पनिया गई है मेरी रानी. चाची- पूछते क्यों हो राजा, पेल दो न! चाचा- तेरी चूत को आज बहुत चोदूँगा मेरी रानी. चाची- तो चोदो न … चाचा- क्या चोदूँ? चाची- मेरी चूत चोदो … अपने लंड से. चाचा- दोनों पैर ऊपर कर मेरी चुदक्कड़.
चाची ने अपने दोनों पैर ऊपर करके फैला दिए और चाचा ने चाची के दोनों पैरों के बीच में आकर अपना लंड चाची की चूत के छेद पर जैसे ही लगाया, चाची जोश के मारे हिनहिना उठीं. तभी चाचा ने जोर से अपना लंड ठेला और चाची ने नीचे से अपने चूतड़ों को जोर से उछाल दिया. इस अटैक से चाचा का आधा लंड चाची की चूत के अन्दर समा गया. चाची एक हाथ से अपनी चूत को मसलते हुए बोलीं- आह … जल्दी घुसाओ पूरा …
इतना कह कर चाची ने एक बार फिर से अपनी गांड को उछाल दिया और उधर चाचा ने भी जोर से लंड ठेल दिया. उनका पूरा का पूरा लंड चाची की चूत में समा गया. चाची अपने दोनों हाथों से चाचा के चूतड़ों को पकड़ कर जोर जोर से भींचने लगीं. चाची की सीत्कार तेज हो गईं … और चाची कसमसाने लगीं. वे नीचे से अपने चूतड़ों को उठाते हुए चलाने लगीं. चाचा ने भी अब धक्का लगाने शुरू कर दिया.
एक जबरदस्त चुदाई शुरू हो गयी. दोनों चुदाई में मग्न हो गए. चाची फुंफकार भरते हुए बड़बड़ाने लगीं- आह … ऐसे ही चोदो मेरे राजा … आह … आह … बहुत मजा आ रहा है … पूरी चूत में एक अजीब सी गुदगुदी हो रही है … ओह … आह … मेरे चुदक्कड़ राजा जी … अब तुम चोदते रहो! चाचा- तेरी चूत बहुत गर्म है मेरी चुदक्कड़ रानी … मेरा लंड जल रहा है अन्दर! चाची- बस आप यूं ही चोदते रहो मेरे राजा … जब आपका पूरा वीर्य मेरी चूत की गहराई में गिर जाएगा, तब ही मेरी चूत की गर्मी खत्म होगी.
चाचा किसी सांड की तरह हुंकार भरते हुए चाची को चोद रहे थे- तुम्हारी चूत की गर्मी कभी शान्त होने वाली नहीं है मेरी छिनाल. साली तुझे रोज चोदता हूँ, फिर भी तेरी चूत आग उगलती रहती है. तू बूढ़ी हो गयी है, लेकिन तेरी चूत की गर्मी कम नहीं हुई है. चाची- आप जैसा मर्द जिस औरत को मिले … भला उसकी चूत कैसे आग नहीं उगलेगी. आपका लंड मेरी चूत को आग उगलने पर मजबूर कर देती है मेरे राजा … आह … खूब चोदो मुझे … चोदो … आह … मेरे राजा … क्या मस्त लंड है. चाचा- अब कितना चोदूँ, चोद ही तो रहा हूँ. चाची- और जोर लगा के चोदो मेरी चूत को फाड़ दो. चाचा- चूत फट गयी तो फिर क्या चुदवाएगी रोज रोज. चाची- इतने सालों से तो चोद रहे हो … कहाँ फाड़ पाए हो अभी तक मेरी चूत को … आह … मेरी चूत इतनी कमजोर नहीं है कि फट जाएगी. चाचा- ओह मेरी छिनाल रानी … बहुत मजा देती है तू … आह … ले.
चाचा चाची को बेरहमी से चोद रहे थे. चाची अपनी चेहरा बिगाड़ बिगाड़ कर सीत्कार पर सीत्कार भरे जा रही थीं. हर धक्के पर चाची की चुचियां हिल रही थीं. मैं जोश के मारे पगला गया. मैंने भी अपना लंड निकाल कर मुट्ठी मारना शुरू कर दिया. उधर चाचा चाची पूरे जोड़ तोड़ से चुदाई करने लगे. चाची के चूतड़ों की उछाल तेज होती चली गयी. चाची जोर जोर से चूतड़ों को उछालने लगीं और ऊपर चढ़े चाचा भी जोर जोर से ठाप मारने लगे. दोनों की सीत्कारें बहुत जोर से निकलने लगीं. चाची रुकने का नाम ही नहीं ले रही थीं, वो अपनी गांड को पूरे जोर से उछाल रही थीं. दोनों तरफ से अंधाधुंध चूतड़ चलने लगे थे.
चाचा- ओह तेरी चूत … चाची- आह … आपका लंड … चाचा- तेरी बुर चाची- आपका लंड चाचा- तेरी चूत … चाची- आपका लंड …
दोनों इसी तरह चूत लंड जोर जोर से बोलते हुए चुदाई करने लगे. मैं भी पूरे जोश में भरता चला गया. मैं अपने लंड को जोर जोर से मसलने लगा. तभी मुझे अहसास हुआ कि किसी ने मेरी पीठ पर थपकी लगाई है. मैंने हड़बड़ा कर पीछे मुड़कर देखा … तो मेरी हालत खराब हो गई … डर के मारे मेरी गांड फट गयी. मैं हक्का बक्का सा रह गया. छोटी चाची मेरे पीछे थीं. मैं सर से पांव तक हिल गया.
छोटी चाची इस वक्त एक नाइटी पहनी हुई थीं, वे पता नहीं कब से मेरी इस हरकतों को देख रही थीं. तभी छोटी चाची फुसफुसा कर बोलीं- क्या देख रहे हो? मैं कुछ न बोल सका. चाची ने खिड़की से झांककर देखा, तो कुछ देर के लिए देखती रह गईं, फिर मेरी ओर घूम कर उसी अन्दाज में फुसफुसा कर बोलीं- अच्छा तो ये सब देख रहे हो.
इतना कह कर छोटी चाची ने मेरे दोनों कान पकड़ कर धीरे से ऐंठते हुए कहा- बहुत बदमाश हो तुम … इस तरह से छुप छुप कर किसी के बेडरूम में झांकना बहुत बुरी बात है. कल मैं दीदी को सब बताऊंगी, अब चल भाग यहाँ से. मैं चुपचाप वहाँ से अपने बिस्तर पे आ गया. छोटी चाची वहीं रुक गईं.
कुछ देर बाद मुझे लगा कि छोटी चाची चली गईं हैं तो मैं अब बड़ी चाची की चुदाई की आवाजों को ध्यान लगा कर सुनने लगा. अभी तक चाचा चाची उसी अंदाज में चुदाई कर रहे थे. मुझे अब सिर्फ दोनों की बातें और चुदाई की आवाज सुनाई दे रही थीं. तभी चाचा बोले- चल अब घोड़ी बन जा, तेरी गांड पकड़ कर चोदूँगा. अन्दर चाचा चाची की गांड देख कर चाचा बोले- क्या गांड है तेरी … काश … कुछ और बड़ी गांड होती तेरी … तो और कितना मजा आता चोदने में! चाची- अब और कितनी बड़ी गांड चाहिए आपको … मेरी गांड भी तो बड़ी है. चाचा- तुम्हारी गांड भी अगर शान्ति की गांड जितनी बड़ी होती, तो बहुत मजा आता. चाची- अपने छोटे भाई की बीवी के बारे में किस तरह के बात करते हो आप? चाचा- भाई किस्मत वाला है, जो उसको इतनी बड़ी गांड वाली बीवी मिली है. काश … तुम्हारी गांड भी शान्ति की गांड जितनी बड़ी होती.
मैं ये सब सुन कर अपना आपा खो बैठा, मुझसे सहना मुश्किल हो रहा था. मैंने बिस्तर पर ही करवट से लेट कर मुठ्ठ मारना शुरू कर दिया.
अन्दर चुदाई का खेल जोर शोर से चल रहा था. तभी चाचा चाची की एक साथ लम्बी सीत्कार सुनाई दी. मैं समझ गया कि दोनों झड़ गए.
इधर मेरा पानी भी छूट गया. वे दोनों अभी तक सीत्कार भर रहे थे. धीरे धीरे सीत्कारों की आवाज धीमी होती चली गई. थोड़ी देर में आवाज आना ही बन्द हो गई. मैंने अपना लंड कच्छा के अन्दर डाला और सोने का नाटक करने लगा.
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