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दोनों की लार टपक पड़ी लेकिन फिर भी झिझकते हुए दोनों ने मेरी तरफ देखा- हम सजा भुगतने के लिये तैयार हैं लेकिन … “अरे उसकी तरफ क्यों देख रहे … कौन सा मेरा सगा भाई या बाप है। कजिन ही तो है … कजिन लोग क्या चोदते नहीं … उसे मौका मिलेगा तो वह भी चढ़ने से कौन सा बाज़ आ जायेगा। वैसे भी मैं किसी से नहीं डरती।” “हमें यकीन है मलिका आलिया!”
“लंड दिखाओ अपने … चेक करुँगी कि कोई बीमारी तो नहीं है।” अब भला उन्हें कौन सा ऐतराज़ होता … दोनों कमीने मुझे चिढ़ाने वाले अंदाज़ में देखते झटपट नंगे हो गये।
वह हुंकार भरती पहले शिवम का लिंग हाथ से पकड़ कर देखने लगी. फिर उसने रोहित का लिंग हाथ में ले कर इधर-उधर करके चेक किया। “ऐसे कुछ पता नहीं चल रहा.. टाईट करना पड़ेगा; लंड खड़े करो भड़वो!” उसके लहराते शब्द और आंखें बता रही थीं कि उस पर कायदे से चढ़ गयी थी। “कैसे खड़ा करें मैडम.. आप ही चूस के खड़ा कर दो।” रोहित ने शिवम को कोहनी मारते हुए कहा।
“हम्म.. आइडिया बुरा नहीं।” आरजू ने लहराते हुए कहा और दोनों हाथों से दोनों के लिंग पकड़ कर मुंह के पास कर लिये और बिना किसी शर्म या झिझक के उन्हें चूसना शुरू कर दिया। कभी रोहित का लिंग चूसने लगती तो कभी शिवम का.. साथ ही हाथ से भी उन्हें सहलाती जा रही थी।
दोनों लिंग चूषण का मजा लेते हुए मेरी ओर देख रहे थे जैसे मुझे चिढ़ा रहे हों। मैंने पास पड़ी सोडे की खाली बोतल फेंक मारने के लिये उठाई तो दोनों ने दयनीय भाव से हाथ जोड़ दिये- चोद लेने दे यार.. कौन सा तेरी सगी बहन है। “भोसड़ी के.. पहले ही दिन लग गये साले। महीना भर रहेगी वह तो यहां तो महीना भर चोदोगे उसे ऐसे ही.. मेरे सामने मासूम बनने की नौटंकी न कर मादरचोद।” “अबे तो कौन सा घिस जायेगी।” “भक्क भोसड़ी के।”
उधर आरजू ने सहला कर और चूस कर दोनों के लिंग एकदम टाईट कर दिये और फिर रुक कर दोनों को ऐसे देखने लगी जैसे वाकई मुआयना कर रही हो- लगती तो नहीं कोई बीमारी … तुम देखो भाई.. क्या बोलते हो, इन्हें सजा दूं या नहीं? “मां चुदवा अपनी।” मैंने थोड़े झल्लाये लहजे में कहा और वह ‘हो हो …’ कर के हंसने लगी। “मां क्यों … मैं ही चुदवाऊँगी इन भड़वों से। चलो रे सजा झेलो.. लेकिन रुको.. पेलोगे कैसे? मेरी चूत और गांड तो एकदम सूखी है।” “अब तुम ही बताओ।” दोनों ने अर्थपूर्ण स्वर में कहा।
थोड़ा सोचने की एक्टिंग करने के बाद उसने अपनी टीशर्ट उतार फेंकी और ऊपरी धड़ से नंगी हो गयी। उसके हल्के उभार मगर जबरदस्त एरोला और पफी निप्पल वाले वक्ष दोनों हवसियों के आगे अनावृत हो गये।
“देखो बेटा.. यह दो प्वाइंट हैं, इनको चूसो और दोनों छेद गीले कर लो।” वह अपने दोनों हाथ अपने वक्षों के नीचे लगा कर उन्हें उठाती हुई बोली।
दोनों कुत्ते की तरह जीभ लपलपाते एक दूसरे से सट कर पैर फैलाये नीचे ही बैठ गये। हालाँकि कमरे में बेड मौजूद था लेकिन यह पीने पिलाने की नौटंकी फर्श पर दो गद्दे डाल कर हो रही थी और अब वहीं यह सब तमाशा हो रहा था। मेरी खाला की बेटी आरजू दोनों के गोद में ऐसे बैठ गयी कि एक कूल्हा रोहित की गोद में टिका तो दूसरा शिवम की गोद में और दोनों के सर पकड़ कर अपने वक्षों से लगा दिये जिससे वे निप्पल और एरोला मुंह में भर कर चूसने लग गये। वह खुद आंख बंद कर के ‘सी सी…’ करने लग गयी थी।
यहां एक बात स्पष्ट कर दूँ कि उन दोनों के साथ पीने पिलाने की बैठक तो मेरे साथ जमी थी लेकिन कभी उनके नंगे होने की नौबत नहीं आई थी और न मैंने पहले कभी उनके लिंग देखे थे। यह तो दिख रहा था कि दोनों के ही लिंग मुझसे लंबे भी थे और मोटे भी, जिससे उसे मेरे मुकाबले और ज्यादा मजा आने वाला था लेकिन खुद उसके पसंदीदा ब्वायफ्रेंड सैंडी से कम थे या ज्यादा थे, यह वही जान सकती थी।
थोड़ी देर की चुसाई में वह अच्छी तरह गर्म हो गयी- और जोर से चूसो मेरी चूचियों को.. नोच डालो मेरी घुंडियों को मादरचोदो.. हां ऐसे ही.. और तुम क्या देख रहे। तुम्हें देखने की सजा मिलेगी। चलो इनके जैसे शरीफ हो जाओ.. कपड़ों में बदमाश लग रहे हो। “मतलब मैं भी कपड़े उतारूं?” “तो और क्या कह रही हूँ यार.. जहां तीन लोग नंगे हों वहां एक आदमी कपड़े पहन कर उनकी इंसल्ट करता है। है कि नहीं बे?”
“हां हां मालकिन.. इस साले को भी सजा दो। मैं गांड मारूंगा.. शिवम चूत मारेगा, इसको मुंह चोदने की सजा दो मालकिन।” “ठीक है.. सजा मुकर्रर। उतारो कपड़े और नंगे हो कर अपना लोला मेरे मुंह में दो।” अंदर ही अंदर तो इस स्थिति के लिये मैं तैयार ही था, चुपचाप ऐसे कपड़े उतारने लगा जैसे उसका आदेश मान रहा होऊं।
“लेकिन मैम यह तो गड़बड़ है.. हम तीन तो पूरे नंगे हो जायेंगे और आप बस आधी?” शिवम ने मजे लेते हुए कहा। “अबे हां इस तरफ तो मेरा ध्यान ही न गया! ऐसे तो मैं ही बदमाश लगूंगी तुम शरीफों के बीच। हट बे.. पजामा उतारने दे। मेरी चूत और गांड को भी खुली हवा लेनी है।” दोनों के सर पीछे धकेल कर वह खड़ी हो गयी और उसने इलास्टिक वाला पजामा भी उतार फेंका। तब तक मैं भी कपड़े उतार चुका था और उनके पास आ गया था।
वह फिर उसी पोजीशन में बैठ गयी और दोनों के सर पकड़ कर घुंडियां चुसाने लगी। मुझे मुंह में देने का इशारा किया और मैंने अपने अर्धउत्तेजित लिंग को उसके मुंह में दे दिया। वह सर को आगे पीछे करती मेरा लिंग चूषण करने लगी।
अब परफेक्ट पिक्चर बन रही थी कि वह कंबाइंड रूप से शिवम और रोहित की गोद में नंगी बैठी मेरा लिंग चूषण कर रही थी जबकि वह दोनों दिलोजान से उसकी घुंडियों से खेलने में लगे हुए थे।
“चलो रे बहुत हुआ.. हटो।” उसने लहराती हुई आवाज में कहा तो हम तीनों अलग हट गये। उसने झुक कर अपनी योनि चेक की। वह दोनों वैसे ही बैठे ललचाई निगाहों से उसकी योनि को देख रहे थे। “शिवम.. चूत तेरी है तो इसे और गीला कर। अभी मतलब भर गीली नहीं हो पाई है।” “क्यों नहीं मैडम।” शिवम ने खुशी-खुशी कहा। और वह उठ कर उसके मुंह पर चढ़ गयी और खुद लगभग खड़ी ही उसके मुंह पर योनि रखे उससे योनि चटवाने लगी। एक हाथ से उसने शिवम का सर पकड़ लिया था और दूसरे हाथ से रोहित को उठा कर खड़ा कर लिया था।
उसके संकेत को समझते रोहित उसके होंठों को चूसने लग गया जबकि खुद आरजू उसे उठाने वाले हाथ को नीचे कर के उसके लिंग को सहलाने लगी। “लंड मस्त हैं तुम लोगों के.. मजा आयेगा।” बीच में उसने नशे से बोझिल स्वर में कहा।
थोड़ी देर की चटाई के बाद उसने शिवम को परे धकेल दिया और रोहित को नीचे गिरा दिया और उसके चेहरे के दोनों ओर पैर किये उस पर बैठ गयी। “गांड तेरी है मजनू … तो तू इसे चाट के गीली कर।” उसने जोर से सिस्कारते हुए कहा।
अब मुझे उसकी मनःस्थिति नहीं पता थी.. मुझे लगा शायद वह इन्कार कर दे लेकिन शराब और सेक्स के काम्बीनेशन का नशा उस पर भी हावी था.. वह चपड़-चपड़ चाटने लगा। शिवम उसके सामने बैठ कर दोनों हाथों से उसके दोनों स्तन मसलने लगा जबकि उसके इशारे पर मैं फिर उसे अपना लिंग चुसाने लगा।
“बस कर रे.. अब दोनों छेद चुदने के लिये तैयार हैं।” थोड़ी देर बाद उसने मेरे लिंग को मुंह से निकालते हुए कहा। तीनों लोग उससे अलग गये।
“तो टॉस करो रे.. पहले कौन चोदेगा?” “टॉस छोड़ यार.. जिसे तू कह दे वह चोद ले।” शिवम ने अपनी तरफ से समर्पण करते हुए कहा। “न.. सबकुछ नियम से होगा। चलो टॉस करो।”
वह जितनी गर्म थी उतने ही नशे में भी थी और उसे नाराज करना ठीक नहीं था। अंततः मैंने ही अपने वालेट से सिक्का निकाल कर उसे थमा दिया। “हेड आया तो रोहित चढ़ेगा पहले और टेल आया तो शिवम चढ़ेगा.. ओके।”
दोनों ने सर हिलाया, उसने सिक्का उछाला और इत्तेफाक से टेल आया। “चलो तुम चढ़ो पहले मेरी चूत पे.. रोहित तुम तब तक कोई क्रीम, वैसलीन या तेल ले आओ। तुम्हारा मोटा लंड वर्ना मेरी गांड फाड़ देगा।” “यहीं रखी है।” रोहित ने बेड की जिस दराज से सिगरेट की डिब्बी निकाली थी उसी से वैसलीन की डिब्बी निकाल ली।
“चलो तुम अपनी सजा पूरी करो शिवम.. तुम्हें मेरी चूत पर साठ धक्के लगाने की सजा दी जाती है। साठ धक्कों से पहले झड़ गये तो तुम्हारी गांड पे चार जोर की लातें मैं मारूंगी।” “नहीं झड़ूंगा।” उसने भरोसा दिलाया।
“तुम.. मुझे बांहों में ऐसे उठाओ दोनों हाथों से जैसे लोग अपने माल को उठा कर बिस्तर पर ले जाते हैं और खड़े रहो.. उस पोजीशन में शिवम मेरी चूत पर साठ धक्के लगायेगा और भाई मेरे मुंह में साठ धक्के.. जो भी उससे पहले झड़ा, मैं उसकी गांड पे लात मारूंगी।” उसने रोहित से कहा।
पहले तो एकदम से रोहित की समझ में नहीं आया कि कैसे उठाना है, फिर जब वह खुद एक बांह उसके गले में डाल कर उचकी तो उसने दोनों हाथ नीचे लगा दिये। उसका एक हाथ आरजू की गर्दन के नीचे था तो दूसरा उसके घुटनों के नीचे फंसा था जिससे वह बच्चे की तरह उसकी बांहों में फंसी हवा में झूल गयी।
चूँकि उसका कोई खास वजन नहीं था तो रोहित को भी इतनी देर खड़े रहने में कोई परेशानी नहीं थी। इस पोजीशन में आरजू ने चेहरा मोड़ कर नीचे की तरफ कर लिया था ताकि मेरा लिंग मुंह में ले सके और घुटनों से नीचे के पैर भी इतने फैला और उठा रखे थे कि उसकी योनि शिवम के सामने खुल सके।
“चलो शुरू हो जाओ भड़वो.. शिवम, लंड थोड़ा गीला करके पेलना, इतना मोटा लेने की आदत नहीं है मेरी।” शिवम “हां” बोलता उसके पैरों के बीच आ गया और अपने लिंग को गीला कर के उसकी योनि में घुसाने लगा। मैं चूँकि उसके चेहरे की तरफ था तो उस तरफ के हालात नहीं देख सकता था।
बस जब वह जोर से सिसकारी, तब समझ में आया कि शिवम लिंग घुसाने में कामयाब हो गया था। “रुक जा भोसड़ी के.. मेरी मासूम चूत फाड़ेगा क्या गांडू.. दो मिनट सब्र तो करने दे। साला ऐसा लग रहा है जैसे मेरी कसी कसी चूत में मूसल पेल दिया हो.. और तुम खड़े क्यों हो.. मेरे मुंह में देते क्यों नहीं।” वह बिलबिलाती हुई चिल्लाई थी।
मुंह में देना ही ठीक था.. वर्ना पता नहीं क्या-क्या बड़बड़ाती रहती। मैंने उसके मुंह में अपना लिंग घुसा दिया और वह उसे ‘चपड़ चपड़…’ चाटने लगी। शायद अपना ध्यान बंटाना चाहती थी।
“चलो बे.. अपने-अपने धक्के गिनो, बआवाजे बुलंद।” थोड़ी देर बाद उसने आदेश दिया।
और इधर मेरी कमर चलनी शुरू हुई उधर शिवम की.. पहले धीरे-धीरे, फिर थोड़ी गति बढ़ा दी। हम दोनों आवाज के साथ अपने-अपने धक्के गिन रहे थे और रोहित कभी इधर देखता तो कभी उधर।
अब चूँकि हम सभी तो थोड़े नशे में थे ही और दूसरे अपनी एकाग्रता धक्के गिनने में लगानी पड़ रही थी, ऐसे में साठ धक्कों में स्खलित हो जाने का सवाल ही नहीं उठता था, चाहे आम हालात में भले हो जाते.. जबकि उसके चेहरे से ही जाहिर हो रहा था कि वह एक-एक धक्के का मजा ले रही थी।
“जल्दी लगाओ भोसड़ी के.. कब तक पकड़े खड़ा रहूँगा।” रोहित दोनों को गरियाता हुआ बोला। “चुप खड़ा रह वर्ना गिनती भूल गये तो फिर से लगाने पड़ेंगे।” गिनती रोक कर शिवम ने बीच में चेतावनी दी। और वह फिर एक गाली दे कर रह गया।
खैर.. जैसे तैसे साठ धक्के गिनती में पूरे हो गये, असलियत में तो शायद ज्यादा ही लगे हों। फिर हम दोनों अलग हो गये और रोहित ने उसे नीचे खड़ा कर दिया।
“मेरी प्यारी प्यारी कसी हुई चूत खोल कर रख दी साले ने!” वह झुक कर अपनी योनि देखने की कोशिश करती हुई बड़बड़ाई- तुम लोग महीने भर में मेरी चूत का भोसड़ा बना डालोगे। दोनों ‘हो हो…’ करके हंसने लगे।
“चल बे तू आ अब … और जैसे मैं कहती हूँ वैसे ही डालना।” उसने रोहित से कहा। फिर वह दीवार से सट गयी सीने की तरफ से और दोनों हाथ से अपने फ्लैट से नितम्ब पकड़ कर इस तरह फैलाये कि उसकी गुदा का छेद हमें दिखने लगा जो इस तरह कूल्हे चीरने से कुछ हद तक फैल गया था।
क्रमशः
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