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मैंने अपने पति को अपनी किसी सहेली की शादी में जाने का बहाना करके उसे पेपर से 2 पहले यूनिवर्सिटी जाने के लिए मना लिया था। इसके अलावा मैंने लहंगा चोली का प्रबंध भी कर लिया था। मैंने बेहद ऊंची एड़ी की सैंडल ले ली थी, और ऊपर से नीचे तक अपने जिस्म की दो बार वैक्सिंग करवा ली थी जिसमें फुद्दी और गांड भी शामिल थी। मेरे सर और आंखों के अलावा अब मेरे जिस्म पर बाल नाम की कोई चीज़ मौजूद नहीं थी।
अब मुझे बेसब्री से अगले दिन का इंतज़ार था कि कब मेरा फुद्दू पति मुझे अपनी सहेली के पास छोड़ कर आये।
मुझे आज तक कभी इतना किसी का इंतज़ार नहीं हुआ था जितना ढिल्लों से अगले दिन होने वाली पता नहीं किस तरह की चुदाई का था। रात को भी ढिल्लों को याद कर कर के करवटें बदलती बीती।
खैर अगला दिन आ गया और मैं सुबह से ही सज धज के तैयार होने लगी। लहँगा चोली पहन कर अपनी कमर तक लंबे बाल सीधे करके खुले छोड़ दिए। पैरों में ऊंची एड़ी की जबरदस्त सैंडल पहन कर बैठ गयी अपने पति के साथ कार में। मुझे मेरी सहेली के पास छोड़ कर मेरा फुद्दू पति चला गया।
समय दोपहर 12 बजे का था और अपने पति के जाते ही मैंने अपने यार ढिल्लों को फोन कर दिया। उसे भी मेरे फोन की प्रतीक्षा थी। आधे पौने के घंटे के बाद वो अपनी बड़ी गाड़ी में मुझे लेने आया और कुछ पलों के बाद मैं उसकी बांहों में थी।
मुझे अपनी कार में बिठा के लगभग 2 घंटे पहाड़ों की तरफ गाड़ी चलाकर वो मुझे एक बहुत ही अमीराना शादी में ले गया। ऐसी शादी मैंने तो पहले कभी नहीं देखी थी। शायद उसके किसी दूर के दोस्त की शादी थी जिसके कारण मुझे वो अपने साथ ले गया। मैं तो आपको बता हो चुकी हूं कि मैं किस तरह पटाखा बन के घर से निकली थी। दूल्हे दुल्हन की तरफ कम, लोग मुझे ज़्यादा घूर रहे थे।
कुछ देर बाद उसने मुझे अपने 4-5 दोस्तों से मिलवाया। शादी रात को भी चलने वाली थी। फेरे होने लगे तो ढिल्लों मुझे बहुत महंगी शराब के दो-तीन पेग पिला कर रिसार्ट के ऊपर वाले कमरे में ले गया जहां उसकी बुकिंग थी।
दरवाज़ा बंद करते ही उसने मुझे चूमना चाटना शुरू कर दिया। एक और बात, दरवाज़ा उसने बंद तो किया था लेकिन उसने जान बूझ कर कुंडी नहीं लगाई थी। मेरे अंदर तो उससे भी ज़्यादा आग लगी थी जिसके कारण मैं भी उसके रह रह के घूंट पीने लगी। कुछ देर बाद जब हम दोनों बुरी तरह गर्म हो गए तो उसने मेरा लहँगा ऊपर उठाकर नीचे से मेरी हरे रंग के पैंटी एक झटके से उतार दी और उसे पास में फेंक दिया। तभी वो पास पड़े एक स्टूल पर जा बैठा और मुझसे कहा कि मैं उसके ऊपर आकर बैठूं। उसने भी अपनी पैंट पूरी तरह से नहीं उतारी थी, बस ज़िप खोल कर नीचे ही की थी।
मैंने उससे अपना भारी लहँगा उतारने को कहा तो उसने मना कर दिया और बोला- ऐसे ही लहँगा ऊपर उठा के बैठ जा। मैंने लहँगा ऊपर उठाया और उसके लौड़े पर बैठने की कोशिश करने लगी लेकिन स्टूल बहुत ऊंचा था। यह देख कर ढिल्लों ने मुझे ज़रा ऊपर उठाया और फुद्दी अपने हलब्बी लौड़े के ऊपर रख कर नीचे से एक तीखा घस्सा मारा… कितनी मर्तबा चुद चुकी थी मैं ढिल्लों से लेकिन उस दिन फिर भी मुझे बहुत तेज़ दर्द हुआ और मेरी चीख निकल गयी। वैसे मैं चाहती थी कि पहले मैं उसका लौड़ा अच्छी तरह से चुसूं और वो मेरी फुद्दी। लेकिन इस बार वो सीधा मुद्दे पे उतर आया था।
नीचे से 2-3 और तेज़ झटके मारने के बाद उसने मुझे खुद हिलने को कहा। दर्द के कारण भी मैं उसे मना न कर पाई ओर ऊपर बैठे ही गोल गोल तरीके से हिलने लगी। तभी उसने मुझे डांट कर कहा- साली, अच्छी तरह से उछलती है या नहीं? डर के मारे मैंने अपनी पूरी ताकत इकट्ठी की और उछल उछल कर 4-5 लंबे घस्से दे मारे। बस इतनी ही देर थी, मैं दर्द भूल गयी और आंनद के सागर में गोते खाने लगी। जब मुझे लगा कि मैं झड़ने वाली हूँ तो मैं और तेज़ी से 5-7 घस्से मारे और मेरा काम तमाम।
दोस्तो, आप उसके लौड़े के साईज़ का अन्दाज़ा खुद लगा सकते हैं, क्योंकि मेरा पति एक रात पहले मुझ पर आधा घण्टा चढ़ा रहा था लेकिन मेरा काम न हुआ था, लेकिन उस वहशी लौड़े के 10-12 घस्सों से ही मैं पूरी तरह बह निकली। उसे मेरी फुद्दी की आवाज़ से पता चल गया कि मेरा काम हो गया है क्योंकि अब गीलेपन की वजह से ‘फड़ाच फड़ाच…’ की आवाज़ ऊंची हो गयी थी। काम तमाम होते ही मुझमें अब जुर्रत नहीं बची थी कि और घस्से मार सकूँ और मैं उसका पूरा लौड़ा अंदर डाल कर उसकी बांहों में पसर गयी।
तभी वो फिर चिल्लाया- साली, उछलती है या नहीं? भेनचोद इतनी जल्दी हो भी गया तेरा, रुक तेरी तसल्ली करता हूँ मैं! उसने मुझे फुद्दी में लौड़ा डाले ही ऊपर उठाया और चलता चलता अपने बैग तक पहुंचा, जिसमें से उसने एक बड़ा काला डिलडो वाइब्रेटर निकाला और मेरी गांड में ठूंस दिया।
मेरी जान निकल गयी, दोस्तो मैंने आज तक गांड नहीं मरवाई थी जिसके कारण वो बहुत टाइट थी और वी डिलडो बहुत बड़ा था। मैंने बाद में उसे नापा था तो वो 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा था। डिलडो के ऊपर पहले से ही कोई चिकना पदार्थ लगा था जिसके कारण एक ही वार में वो मेरी गांड के पूरा अंदर तक जाकर, मेरी गांड के छल्ले में फिट हो गया।
मेरी हालत खराब हो गयी थी लेकिन ढिल्लों ने मुझे संभलने का कोई मौका नहीं दिया और मुझे बांहों में पूरी तरह उठाकर धाड़ धाड़ चुदाई करने लगा। मेरा भारी लहँगा नीचे लटक रहा था और मैं उसके घोड़े जैसे लौड़े पर सवार थी। कुछ ही देर बाद वो रुका और बैग से रिमोट निकाल कर वाइब्रेटर एक नंबर पर चालू कर दिया और फिर मेरी ताबड़तोड़ तरीके से चुदाई करने लगा। अब मुझे वो डिलडो रास आ गया और मैं पूरी तरह गर्म होकर ऊपर से उछलने लगी।
उसने मेरी हरकत देख कर पूछा- क्यों, आया मज़ा? मैंने कहा- बहुत ही ज़्यादा, ढिल्लों।
और हम दोनों घोड़ा घोड़ी तूफानी चुदाई के समंदर में गोते लगाने लगे। मुझे कोई होश नहीं था जब अचानक से धाड़ करके दरवाज़ा खुला और ढिल्लों के पांचों दोस्त हमें देख कर हँसने लगे। उन्हें देख कर मेरे होश उड़ गए। इस तरह मुझे चुदते हुए पहले कभी किसी ने नहीं देखा था। तभी मैं उन पर शेरनी की तरह चिल्लाई- बाहर निकल जाओ मादरचोदो! यह कहते हुए मैंने ढिल्लों की गिरफ्त से आज़ाद होने की कोशिश करते हुए लहँगा अपने पिछवाड़े के ऊपर करने की कोशिश की। यह तो शुक्र था कि मैंने पूरे कपड़े नहीं उतारे थे।
ढिल्लों की मज़बूत जकड़ से आज़ाद होना इतना भी आसान नहीं था। तभी मैं उसपर भी चीखी- साले मैंने तुझ पर यकीन करके कुंडी नहीं लगाई, अब पता चला कि तूने कुंडी क्यों नहीं लगाई थी। बहनचोद, चोद ले इस बार जितना मरज़ी, अगली बार से नहीं आऊँगी, रंडी बना के रख दिया मुझे। और मैं रोने लगी।
मुझे रोते हुए देख उसके दोस्तों में से एक जिसका नाम बिल्ला था, बोला- रो ले जितना मर्ज़ी, चोदेंगे तो तुझे इस बार हम भी। मैं ढिल्लों की गिरफ्त से आज़ाद होने के लिए और हाथ पैर मारने लगी।
जब मसला ढिल्लों को अपने हाथों से बाहर जाते दिखा तो उसने डाँट कर उन्हें बाहर जाने को कहा। सालों सभी ने अपने मोबाइल निकाल कर इसी पोज़ में मेरी तस्वीरें लीं और हसंते हुए बाहर निकल गए। मैं बहुत गुस्से में थी और मेरे दिमाग से काम का सारा नशा उतर गया था। लेकिन ढिल्लों था कि उसने मेरी एक न मानी और उसी तरीके से ताबड़तोड़ मुझे चोदता रहा और बीच में रुक कर वाइब्रेटर की स्पीड और बढ़ा दी।
8-10 मिनट वो मुझे चोदता भी रहा और कहता भी रहा कि कुछ नहीं होगा, सारे मेरे दोस्त ही हैं। मैं नशे में थी और उस वक़्त मैंने सोचा कि चलो जो होगा देखा जाएगा और दूसरी तरफ वाइब्रेटर की गति तेज हो जाने से मेरी गांड में भूचाल आ गया था और इसी के कारण मेरा सारा गुस्सा काफूर हो गया और चंद मिनटों के अंदर मैं फिर से गर्म होकर चुदाई का मज़ा लेने लगी।
दस मिनट ढिल्लों ने मेरी गांड में वाइब्रेटर चलाया और साथ में मेरी चूत की वो ताबड़तोड़ चुदाई की कि पूछिये मत। पूरा कमरा ‘फड़ाच फड़ाच…’ की आवाजों से गूंज उठा। मेरे मुंह से बस ‘हाँ … हाँ हाँ…’ ही निकल रहा था। इस चुदाई ने मुझे एक बार धन्य कर दिया और मैं ढिल्लों के वारे-वारे जा रही थी। इस दौरान मैं 2 बार हिल हिल के झड़ी और जन्नत के दरवाज़े तक जा पहुंची। मेरे दूसरी बार कांप कांप के झड़ने के 5-7 मिनट बाद ढिल्लों अपना मूसल लौड़ा जड़ तक अंदर डाल कर झड़ा और फिर मुझे नीचे उतार दिया।
वाइब्रेटर अभी भी मेरी गांड में फसा हुआ था और उसी गति से चल रहा था। मैंने ढिल्लों को उसे बाहर निकालने के लिए कहा मगर ढिल्लों ने उसे बाहर निकालने से मना कर दिया, लेकिन उसने उसे बंद कर दिया था।
कुछ देर वहीं बेड पर आराम करने के बाद जब मैं लहँगा ऊपर उठ कर चड्डी पहनने लगी तो ढिल्लों ने उसे भी मना कर दिया और मुझे अपनी ब्रा भी उतारने को कहा। मैंने चुपचाप उसका कहना मान लिया और चोली उतार कर अपनी काली ब्रा उसके हवाले कर दी और फिर चोली पहन ली।
मेरी चोली बैकलेस थी, पहले तो लोगों को मेरी काली ब्रा की पिछली पट्टी दिख रही थी लेकिन अब मुझे देख कर कोई नहीं कह सकता था कि मैंने ब्रा पहनी है। खैर अब मैं और ढिल्लों फिर शादी में आ गए और घूमने लगे और साथ में चिकन और दारू पीते रहे। इतनी ठंड में भरी शादी में बगैर पैंटी पहने मुझे यूं लग रहा था जैसे मैं नंगी घूम रही हूँ। पैंटी न होने अहसास मेरे जिस्म में एक अजीब सनसनी पैदा कर था, ऊपर से ढिल्लों ने अपनी जेब में हाथ डाल कर वाइब्रेटर को रिमोट से ऑन कर दिया। मेरे जिस्म के अजीब तरह की लहरें पैदा होने लगीं।
खैर जट्टी हूँ तो मैंने खुल कर ढिल्लों के बराबर पेग लगाए। आधे पौने घंटे बाद दारू ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया और घंटा पहले ज़बरदस्त तरीके से चुदी हुई मैं अब अपने जिस्म का कंट्रोल खोने लगी। दूसरा ढिल्लों ने वाइब्रेटर की गति पूरी तेज़ कर दी। चूत फिर लौड़े के लिए तड़प उठी।
तभी मैंने लोगों के परवाह न करते हुए ढिल्लों को जफ्फी डाल ली और उसके कान में कहा- फुद्दी आग बन गयी है, ठोक दे यार जल्दी प्लीज। बर्दाश्त नहीं हो रहा!
कहानी जारी रहेगी.
आपकी रूपिंदर कौर [email protected]
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