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अमीश और मेरी दोस्ती को अब छह साल हो गए थे. हम दोनों साथ में टेनिस खेलने जाते थे और वहीं हमारी दोस्ती हुई थी. अमीश के पापा एक बिल्डर थे और वो बहुत ही अय्याश आदमी थे.
अमीश की माँ परिणीता बहुत ही सेक्सी थीं, जिनकी उम्र कुछ 37 साल की होगी. लेकिन वो किसी भी एंगल से तीस के ऊपर नहीं लगती थीं. परिणीता आंटी की गांड बहुत ही सेक्सी थी. मुझे कहीं लगा था कि आंटी मुझ पे लाइन मारती हैं. मैंने भी बहुत बार आंटी की गांड को याद करके मुठ भी मारी थी. आंटी के बूब्स भी वैसे बहुत मस्त थे. लेकिन मुझे उनकी गांड में ज्यादा दिलचस्पी थी. साड़ी पहन कर जब वो चलती थी, तो पीछे से उनकी एकदम गोल गांड देखकर मेरा लंड मुझे बदतमीज बना देता था.
मैं अमीश के घर में अक्सर ही आता जाता रहता था. हम लोग उसके लैपटॉप पर भी कभी कभी ब्लूफिल्म भी देख लेते थे.
एक दिन मुझे कुछ काम था. इसलिए मैं अमीश के घर गया. अमीश मेरे साथ दस मिनट बैठकर बोला कि मैं अनन्या से मिलकर आता हूँ. अनन्या उसकी गर्लफ्रेंड थी और मुझे पता चल गया था कि वो जरूर उसकी चूत लेने जा रहा था.
मैं अमीश के लैपटॉप पर काले हब्शी वाली चुदाई की फिल्म लगाकर बैठ गया. अमीश ने मेरे सामने परिणीता आंटी को फ़ोन किया कि मैं बाहर जा रहा हूँ. एक घंटे बाद लौटूंगा. लेकिन उसने आंटी को ये नहीं बताया कि उसका दोस्त यानि कि मैं घर पर हूँ.
अमीश के जाने के बाद, मैंने फिल्म देखना चालू किया. फिल्म खत्म हो गयी और मुझे प्यास लगी थी. मैंने देखा कि पानी की बोतल खाली थी. मैंने सोचा कि चलो मैं ही उठकर किचन के फ्रिज से पानी निकाल लाता हूँ. मैं किचन की तरफ चल दिया.
मैं किचन के पास पहुंचने ही वाला था कि मेरे कान में ‘अहहह.. अहहाह ऊह्ह्ह्ह…’ की आवाज़ आई. बाजू में ही परिणीता आंटी का कमरा था. तो मैं सोचने लगा कि क्या आंटी के रूम से आवाज़ आ रही है?
मैंने खिड़की के एक छेद से झांक कर अन्दर देखा.. मेरे हाथ से बोतल छूटने ही वाली थी. अन्दर परिणीता आंटी अपनी झांटों से भरी चूत फैलाकर बैठी हुई थीं. आंटी की चूत में एक बड़ा डिल्डो अन्दर बाहर हो रहा था. आंटी की चूत के अन्दर डिल्डो पूरा का पूरा अन्दर जाता था और फिर आंटी उसे बाहर निकालकर वापस अन्दर ले रही थीं. आंटी के मुँह से सीत्कारें निकल रही थीं और वो साथ ही साथ अपने बूब्स से भी खेल रही थीं.
ये सब देख कर मेरा लंड मेरी पैन्ट के अन्दर ही खड़ा हो गया. वैसे भी मैंने अभी ब्लूफिल्म देखी थी और मुठ मारने ही वाला था. आंटी को इस हालत में और उनकी फूली हुई चूत देखकर मेरा लंड तो बिल्कुल उत्तेजित हो चुका था. तभी मैंने देखा कि आंटी ने डिल्डो को चूत से निकाल लिया. अब आंटी की चूत मुझे साफ़ दिखने लगी. आंटी गोरी थीं, लेकिन उनकी चूत का हिस्सा थोड़ा डार्क कलर का था.
मेरे दिमाग में ख्याल आया कि चलो आज पता कर लिया जाए कि आंटी लाइन ही मारती हैं, या सच में इनके मन में कुछ और भी है. मुझे लग रहा था कि अगर आंटी चोदने दें.. तो मजा आ जाएगा. वैसे भी इस वक्त आंटी गर्म थीं. इसलिए उन्हें भी चुदवाने में दिक्कत नहीं होगी.
ये सब सोचने के बाद मेरे दिल में ख्याल आया और मैंने बोतल को जानबूझ कर नीचे फेंक दी. बोतल की आवाज़ सुनने के बाद आंटी खड़ी हो गईं. मैंने देखा कि उन्होंने झट से कपड़े पहने और वो बाहर आ गईं.
बसन्ती रंग की साड़ी में वो कयामत लग रही थीं. उन्होंने मुझे देखा और बोलीं- तुम यहां? मैं आंटी की आंख से आंख मिलाते हुए और एक हल्की सी नॉटी स्माइल देते हुए कहा कि जी हां.. आंटी.. मैं तो दस मिनट से आपको ही देख रहा था.
आंटी यह सुनकर हैरान सी हो गईं. उन्होंने मुझे रूम में ले जाते हुए बनावटी अंदाज़ कहा- अमीश को कुछ मत बताना, प्लीज.. उसे बहुत बुरा लगेगा. मैंने कहा- मैं कुछ भी नहीं बताऊंगा. लेकिन मेरा फायदा क्या होगा? आंटी मेरी बात समझ गईं, प्यार सर मोड़ कर मेरी आंखों में देख कर कहा कि तुमको एक हजार रूपये दूंगी. मैंने कहा- नहीं आंटी, पैसे लेने की कोई तमन्ना नहीं है जी.. मुझे आपकी चुत और गांड देखनी है.. और आपको मेरे साथ सेक्स करना पड़ेगा.
आंटी पहले तो चौंक गईं.. फिर इतराते हुए बोलीं- किसी ने देख लिया तो? मैंने कहा- आंटी अंकल तो रात से पहले आते नहीं है. अमीश को मैं देख लूँगा. आंटी ने मेरा हाथ पकड़ा और बोलीं- देखो मैं बदनाम नहीं होना चाहती. मैं पहले से ही तेरी अंकल की बेरुखी से हैरान हूँ. मैंने कहा- आंटी घबराईये मत. आज से आपको सेक्स को लेकर कोई प्रॉब्लम नहीं होगी.
मैंने फट से आंटी के बूब्स पकड़ लिए और उन्हें दबाने लगा. आंटी ने जल्दी में ब्लाउज के नीचे ब्रा नहीं पहनी थी, जिससे उनके बूब्स मेरे हाथ में मस्त फिसल रहे थे. आंटी मेरी तरफ हैरान सी होकर देख रही थीं. लेकिन, मुझे कुछ भी करके आज आंटी की गांड में लंड देना ही था.
मैंने आंटी के सारे कपड़े एक एक करके उतार दिए और मैं खुद भी नंगा हो गया. आंटी मेरे लंड की तरफ देख रही थीं. मैंने सीधा आंटी के पास जाकर उनके मुँह में अपने लंड को ठेल दिया. आंटी मेरे लंड को चूसने लगीं और मैं उनके मम्मों के साथ खेलने लगा. आंटी को भी अब मेरे टच का मज़ा आने लगा था. क्योंकि वो बड़े प्यार से लंड को चूस रही थीं.
कुछ देर लंड चूसने के बाद मेरी इच्छा आंटी की चूत देखने की हुई. मैंने लंड को आंटी के मुँह से निकाला और आंटी को पलंग पर लिटा दिया. आंटी की झांटों को हटाते हुए, उनकी मस्त गर्म चूत के अन्दर जैसे ही उंगली की; आंटी की सिसकारी निकलने लगी ‘ऊऊउ. अहहह.. अहहह..’ मैंने पूरी की पूरी उंगली चूत के अन्दर कर दी और धीरे से उसे अन्दर बाहर करने लगा. आंटी ने अपनी आंखें बंद कर लीं और मजे से मेरी उंगली से चुदवाने लगीं.
मैंने एक हाथ से आंटी की चूत में उंगली की और दूसरे हाथ से मैं अपने लंड के सुपाड़े को सहला रहा था. आंटी के बूब्स के निप्पल भी मस्त खड़े हो गए थे. मैंने तभी आंटी की चूत में, एक साथ दो उंगली डाल दीं और जोर जोर से धक्के लगाने लगा. आंटी की तो जैसे, जान ही निकल रही थी. वो मुझे पकड़ के अपनी तरफ खींच रही थीं. मेरे लंड में अजीब सा कसाव आ गया था और लंड को भी अब चूत चाहिए थी.
मैंने आंटी की चूत से उंगली निकाली और अपने लंड के सुपारे को उनकी चूत के छेद के ऊपर रख दिया. आंटी की ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ निकल रही थी. मैंने इसे नजरंदाज करते हुए लंड को उनकी चूत के अन्दर घुसा दिया. आंटी की चूत अन्दर से बहुत गर्म थी और मेरी छोटी झांटों के साथ आंटी की लम्बी झांट मिक्स होने लगीं.
इस तरह हेयरी आंटी की चूत बजाते बजाते मैंने उनकी गांड के अन्दर धीरे से उंगली दे दी. आंटी की गांड उनकी चूत से भी ज्यादा गर्म थी. मैंने चूत की चुदाई जारी रखी और उनकी गांड में उंगली करना चालू कर दी.
मैं तभी नीचे झुका और आंटी के बूब्स चूसने लगा. ये सुख आंटी के लिए मस्ती का अहसास हो रहा था. उनकी चूत और गांड और बूब्स को एक साथ खुश किया जा रहा था. आंटी के गाल लाल लाल हो गए थे. मैं उन्हें और भी जोर जोर से चोदने लगा था. अब यूं लग रहा था, जैसे कि आंटी की गांड मेरे लंड को बुलाने लगी थी. मैंने आंटी को अब उल्टा लिटा दिया और उनकी गांड को दोनों हाथ से फैला दिया.
आंटी की मस्त गांड का छेद मेरे बिल्कुल सामने था. बस उसमें लंड डालने की देरी थी. मैंने लंड के सुपारे को गांड पर रखा. लेकिन आंटी की गांड बहुत सख्त थी. मैंने चूत में उंगली डालकर थोड़ी चिकनी की और लंड के सुपारे पर लगाकर उसको चिकना किया. इस चिकनाहट की मदद से लंड थोड़ा अन्दर घुस गया. अब मैंने एक जोर का झटका लगाया और आंटी की गांड में पूरा लंड दे दिया. परिणीता आंटी चीख उठीं- आह आहह उम्.. उप्प्प्प.. आहाहह.. आआअह्ह ह्हह ऊऊऊ… ऊईई ईईइ.. मर गई माँआ..
पर उनकी सुनता कौन था. मैंने आंटी के दोनों चूतड़ों को दोनों हाथ से साइड से पकड़ा और मैं थोड़ा ऊपर उठ कर जोर जोर से आंटी की गांड में मेरे लंड के झटके लगाने लगा. आंटी भी अब ‘अबबबबा ऊऊओ..’ करते हुए अपनी गांड हिलाने लगीं. मेरे लंड के ऊपर गांड में अजीब प्रेशर आया हुआ था. मैंने आंटी के पौंद पकड़े और जोर जोर से लंड अन्दर डालने लगा. तभी मेरे मुँह से एक बड़ी ‘आआआह..’ निकली और मेरे लंड की पिचकारी छूट गयी. आंटी के गांड के अन्दर ही मेरा वीर्य निकल गया.
कुछ देर तक हम ऐसे ही लेटे रहे और बाद में आंटी उठीं और हम दोनों के लिए कॉफ़ी ले आईं.
अमीश को मैंने फ़ोन किया और उसने बताया कि वो बीस मिनट और लेगा.
मैंने कॉफ़ी पीने के बाद अपने लंड को फिर से आंटी के मुँह में डाला और लंड से मुख चोदन करते हुए आंटी के मुँह में ही अपना माल छोड़ दिया.
इस दिन के बाद से तो आंटी की गांड और चूत जैसे मेरी मिलकियत बन गयी. पहले आंटी थोड़ी थोड़ी कतराती थीं, लेकिन अब वो भी सामने से मुझे अकेले में घर बुलाकर मेरे लंड के मजे लूट लेती हैं.
आपके मदमस्त कमेंट्स मेरी इस आंटी की चुदाई की कहानी पर मिलने का इन्तजार रहेगा. [email protected]
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