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गर्मियों के दिन थे, ठंडे रूस में भी दिन की गर्मी झुलसाए दिए जा रही थी. नताशा संग हम लोग नए ए सी की ठंडक के मजे ले रहे थे. तभी नताशा के मोबाइल की घंटी बज उठी. नंबर अंजान था, मेरी पत्नी ने उत्तर दिया. दूसरी तरफ से रूसी भाषा में आवाज आई तो पता चला कि बोलने वाला उसका कोई बचपन का सहपाठी था. यह बात काफी देर तक बात करने के बात खुली थी क्योंकि बोलने वाला काफी देर तक रहस्य भारी बातें करता रहा था और तब जाकर उसने भेद खोला था कि वो दीमा कोरेन्कोव बोल रहा था जो कभी मेरी पत्नी के साथ एक ही क्लास में पढ़ता था.
मेरी पत्नी काफी खुश नजर आने लगी थी और खूब चहक-चहक कर बातें करने लगी थी. बातें सुन कर ही मैंने अंदाजा लगाया कि दीमा ने क्लासमेट्स साईट से नताशा को ढूंढ निकाला था और मोबाइल नंबर पाकर फोन मिलाया था. बातों-बातों में पता चला कि दीमा अब जर्मनी में रहता था, लेकिन गर्मियों की छुट्टियाँ बिताने के लिए रूस आया हुआ था और इस वक़्त मास्को में ही था.
नताशा ने उसे अपने बारे में बताया कि वो अब शादीशुदा है और अपने पति यानि मेरे साथ मास्को में ही रह रही है. पति शब्द सुन कर दीमा बहुत निराश हुआ था, ऐसा मुझे नताशा ने बाद में बताया था. लेकिन नताशा ने मुझसे पूछा- क्या मैं दीमा को अपने घर आने का न्योता दे सकती हूँ? मैंने सहर्ष सहमति प्रदान कर दी और नताशा ने अपने बचपन के सहपाठी को अपने घर आने का न्योता दे दिया. दीमा ने शाम के सात बजे आने का वादा किया और टेलीफोन रख दिया.
इसके बाद नताशा ने चहकते हुए दीमा के बारे में बताना शुरू कर दिया कि वो बहुत अच्छी पियानो बजाता है, गाता भी बहुत मीठा था. फिर थोड़ा रुक कर वो गंभीर हो गई और बोली कि वो पहली बार उसी को दिल दे बैठी थी! मेरे कुरेदने पर उसने सारी स्टोरी बयां कर दी कि कैसे वो दीमा पर असक्त हो गई थी, लेकिन बदकिस्मती से दीमा का परिवार मास्को से कहीं और शिफ्ट हो गया, और उनका प्यार परवान चढ़ने से पहले ही मुरझा गया.
“क्या तुम्हारे बीच सेक्स हुआ था?” मैंने पूछा. “हाँ.. लेकिन नादानी वाला!” नताशा ने मुस्कुरा कर जवाब दिया- इससे पहले कि हम कुछ कर पाते, कोई वहां आ गया था और हमें वहां से भागना पड़ा था! “हूऊऊऊ… तो अधूरा काम अब पूरा कर देते हैं!” मैंने भी मुस्कुरा कर एक आंख दबाते हुए उत्तर दिया तो नताशा ने मुझे आलिंगनबद्ध करते हुए अपनी मूक सहमति प्रदान कर दी.
फिर मेरी पत्नी मेहमान के स्वागत की तैयारी में जुट गई.
शाम के ठीक साथ बजे अतिथि हमारे घर आ गया था. वो नताशा की ही उम्र का चौड़े डील-डौल वाला, सिर पर पोनीटेल बाँधने वाला आदमी निकला. दीमा ने नताशा को आलिंगनबद्ध करते हुए उसके गाल पर चुम्बन अंकित किया और फिर मुझसे हाथ मिलाया. वो काफी मिलनसार आदमी था, क्योंकि खूब घुल-मिलकर बातें करने लगा था.
हमने उसे किचन में ना बैठा कर ड्राइंग रूम में बैठाया और फिर नताशा उसके साथ पुरानी यादों को ताजा करने लगी. आखिरकार दोनों पुराने प्रेमी थे, वो भी रूसी! रुसी लोग ज्यादा शर्मो-हया वाले नहीं होते हैं, और दीमा संग नताशा भी मेरी उपस्थिति को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे थे.
मैंने दीमा को पीवा (बियर) ऑफर की तो उसने बिना किसी औपचारिकता के अपने ब्रीफ़केस से कोनियाक की बोतल निकाल कर कहा- इस सुन्दर मुलाकात को तो ढंग से सेलिब्रेट करना चाहिए. मैंने कंधे उचकाकर उसका समर्थन किया और टेबल सजा दी.
एक-एक पैग लगाने के बाद नताशा काफी मुखर हो उठी थी और दीमा भी बहुत निर्लज्जता के साथ नताशा के अंगों को छूते हुए मजाक करने लगा था. मजाक धीरे-धीरे सेक्स की ओर बढ़ती जा रही थी और मुझे भी माहौल अच्छा लगने लगा.
कुछ देर बाद नताशा को खासा नशा हो चुका था और वो दीमा के बगल में बैठी-बैठी उसकी गोद में गिर पड़ी. उसका सिर दीमा की पैंट की ज़िप के ऊपर लुढ़क गया. दीमा ने उसके कन्धों को सहारा देते हुए ऊपर उठाया, तो नताशा मेरी तरफ देखते हुए नशे के आधिक्य में लड़खड़ाती जबान में कहने लगी- तुम्हें मालूम है मेरे प्यारे पति, दीमा की पैंट के अन्दर का सामान तुम्हारे सामान से बड़ा है! दीमा संग हम दोनों सन्न रह गए!
“अगर यकीं नहीं तो दीमा अभी खोल कर दिखा देगा.. दिखाओगे ना?” नताशा ने दीमा की तरफ देखते हुए विनती की. “क्यों नहीं डार्लिंग.. अगर तुम्हारे पति को आपत्ति नहीं है तो मैं तुम्हारी हर इच्छा पूरी करने को तैयार हूँ!” “मुझे कोई आपत्ति नहीं है… मेरे लिए मेरी पत्नी की इच्छा सबसे महत्वपूर्ण है!” मैंने सहर्ष अनुमति दे दी.
मेरी सुन्दर, ब्लोंड पत्नि खड़ी हो गई और बड़ी खिड़की के सामने खड़ी होकर स्ट्रिपटीज़ डांस करने लगी. धीरे-धीरे मेरी पत्नी ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए और अब वो सिर्फ झीनी सी गुलाबी नाइटी में रह गई थी, नीचे उसने अंडरवियर भी नहीं पहन रखा था!
पहले उसने अपने दूध जैसे उज्ज्वल वक्ष पर हाथ फेरा और फिर नन्ही सी स्कर्ट ऊपर की ओर उठाते हुए अपनी वक्ष जितनी ही सफ़ेद, क्लीनशेव्ड चूत के दर्शन करा दिए. मेरी सफ़ेद परी अपनी तपती हुई चूत को अपने हाथों से मसल रही थी, अपनी लम्बी उँगलियों से कुरेद रही थी. कुछ देर में ही उसने अपने भगन दाने को रगड़-रगड़ कर काफी कठोर कर दिया और अपने हाथों से चूत रानी को फैलाते हुए इतना चौड़ा कर दिया कि उसका छोटा सा छेद सांप के बिल जितना चौड़ा नजर आने लगा था.
हम अपने मेहमान समेत बहुत उत्तेजित हो चुके थे और हमारे हाथ अपने-अपने लंडों को मसल रहे थे.
हमारी उत्तेजना देख कर नताशा को बहुत मजा आ रहा था, और वो हमें और अधिक उत्तेजित करने के लिए अपनी गुलाबी जीभ निकाल कर दिखने लगी, और फिर उसने हमारी तरफ कमर करते हुए दोनों हाथों से अपने चुतडचूतड़ फैला दिए. उसकी खुली चूत के मुकाबले में उसकी गांड का छेद बहुत कसा हुआ, और छोटा नजर आ रहा था. “आआआ.. पसंद है मेरा छोटा सा एस-होल?” नताशा ने सिसकारी भरते हुए पूछा. “ओ ओ ओ.. इट्स ग्रेट!” उत्तेजना में फुंके जा रहे दीमा ने जवाब दिया. “वेल.. देन फ़क इट हार्ड! वैरी हार्ड!! आइ वांट टू बी फक्ड इन माय आस बाय बोथ ऑफ़ यू!!! ओओओ.. प्लीज फ़क माय गाइस.. फ़क मी हार्ड.. वैरी हार्ड!” नताशा उत्तेजनावश अधीर हुए जा रही थी.
दीमा उठ कर नताशा के नजदीक पहुंचा और उसने अपनी सीधे हाथ की उंगली से उसकी गांड में मसाज करनी शुरू कर दी. अधीर हुए दीमा ने नताशा की गांड से निकाल कर उंगली उसके मुंह के सामने की तो मेरी छरहरे बदन वाली ब्लॉन्ड पत्नी ने उसे पूरा चाट दिया!
फिर दीमा वापस अपनी सोफ चेयर पर लौट आया. उधर मेरी हसीन, बार्बी डॉल ने गांड का मुंह हमारी ओर करके अपनी उँगलियों से उसे कुरेदना शुरू कर दिया. उसकी शानदार गांड देखते हुए उसके बचपन के बॉयफ्रेंड का लंड कठोर और कठोर होता जा रहा था, ऑफ़ कोर्स मेरा भी!
“क्या इरादा है जानेमन.. आज तुम अपने छोटे छेद को इतना कष्ट दिए जा रही हो!” बीच में मैंने पूछा. “ओओओ.. मैं चाहती हूँ कि आज मेरे छोटे छेद में मेरे पति, और मेरे बचपन के प्रेमी, दोनों के लंड इकठ्ठेट्ठे ही घुस जाएँ!” नताशा ने सिसकारियां भरते हुए जवाब दिया. “ऐसी बात है तो हम तुम्हारी इच्छा जरूर पूरी करेंगे!” उतावले हो रहे दीमा ने जवाब दिया. “क्यों नहीं… लेकिन हमारे लंड इतने भी छोटे नहीं हैं, कि तुम आराम से उन्हें अपने छोटे छेद में जगह दे सको! बेहतर होगा कि पहले हम ब्लैक डिल्डो से तुम्हारे प्यारे से, नन्हे छेद को थोड़ा फैला दे!- मैंने सही राय देना उचित समझा.
इसके साथ ही मैं जाकर हमारी वार्डरॉब से नीग्रो डिल्डो उठा लाया. यह बहुत शानदार, आगे से पतला, पीछे से भयंकर मोटे व्यास वाला काला लेटेक्स डिल्डो था, जिसे हमने अलेक्सेव्स्काया सेक्स शॉप में ख़रीदा था.
मेरी पत्नी डिल्डो को अपनी गांड में लेने को तैयार होती हुई नर्म सोफे पर अपने पैर फैलाती हुई लेट गई. उसने अपने दोनों हाथों की उँगलियों को अपनी गांड के छेद के गिर्द रख लिया. और जैसे ही मैंने अपने दोनों हाथों में जकड़ कर ब्लैक डिल्डो को गोरी लड़की की गांड में घुसेड़ना चालू किया, वो अपनी उँगलियों के दबाव से अपनी गांड के छेद को फ़ैलाने लग गई. थोड़ी देर में ही मैं अपने हाथों में भींच कर आगे से नुकीला, पीछे से किसी पहलवान की कलाई जितना मोटा डिल्डो लगभग आधा नताशा की रसीली-गुलाबी गांड के छेद में घुसेड़ने लग गया.
मेरी सुन्दर पत्नी दांत भींचे, हाथों से अपनी गांड को फैलाते हुए डिल्डो को अपनी प्यासी गांड में जगह देने लग गई. मैंने उंगली से डिल्डो के ऊपर थोड़ा सा नारियल तेल मलते हुए, थोड़ी ताकत लगा कर लगभग तीन चौथाई डिल्डो रशियन लड़की की गांड में उतार दिया. नताशा की आँखें बाहर को उबल आईं लेकिन उसने बिना विरोध किए हाथों से अपने गांड के छेद को और ज्यादा फाड़ते हुए सारी लम्बाई को अपनी नन्ही सी गांड में समेट लिया!
मैं अपने एक हाथ से नताशा के फैले हुए पैरों को और फैला कर डिल्डो को धीमे-धीमे लेकिन खूब गहरे गांड में घुसेड़ने लगा. बीच में मैंने डिल्डो गांड से बाहर निकाल कर नताशा को चटा दिया, जिसके फलस्वरूप वो उसे अच्छी तरह से चूसना शुरू हो गई. भुसंड डिल्डो को खूब गीला कर मैंने दुबारा अपनी पत्नि की गांड में घुसेड़ दिया.
अब तक दीमा भी उठ कर हमारे नजदीक आ चुका था और उसने अपने एक हाथ में अपना लंड पकड़, दूसरे हाथ से मेरी भार्या की जांघ को सहलाना शुरू कर दिया. अब मैंने डिल्डो को अपने प्यारे छेद से बाहर निकाल लिया और दीमा संग हम दोनों अपने घुटनों के बल दरी के ऊपर बैठी नताशा के दाएं-बाएँ अपने लंड तन कर खड़े हो गए. सेक्स की देवी ने बिना देरी किए मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया, जबकि दूसरे हाथ से वो अपने बालसखा के लंड को सहलाना शुरू हो गई थी. कुछ देर में उसने दीमा के लंड को भी अपने मुंह की ओर लाना शुरू कर दिया और फिर चाटना!
दीमा इतना उत्तेजित हो गया था कि उसका लंड रह-रह कर झटके मार रहा था. तब नताशा ने आग में घी डालते हुए दीमा के लंड को ऊपर की तरफ उठा दिया, और नीचे लटकते अण्डों को अपने मुंह में डाल चुभलाना शुरू कर दिया. दीमा आनंद के अतिरेक से फट उठा और लंड को नीचे कर वापस मेरी पत्नि के मुंह में घुसेड़ घपाघप धक्के मारने लगा. मेरी बेचारी पत्नि के गालों की घनघोर चुदाई करने के बाद दीमा ने लंड बाहर निकाला तो मैंने जल्दी से नताशा का सिर अपने लंड की ओर घुमाते हुए चुदाई शुरू कर दी.
जाने-पहचाने छेद में हलक तक पहुंचाते हुए मैंने कुछ धक्कों में ही नताशा की सांस फुला दी और वो छूटने के लिए तड़पने लगी. पत्नि की सांसों को थोड़ा आराम देने के बाद मैंने दोनों हाथों में पकड़ कर उसका सिर मेहमान के तड़प रहे लंड की ओर घुमा दिया और मेरी शर्मीली पत्नि ने अपना मुंह खोलते हुए उसे जड़ तक अपने हलक में घुसवा लिया!
दीमा ने धीमे-धीमे बाहर निकालते हुए अपने लंड को दुबारा मेरी पत्नि के हलक में उतार दिया और इसी प्रकार अन्दर-बाहर करते हुए दीमा जंगली जानवरों की तरह चिल्लाता हुआ नताशा का मुंह चोदने लगा. कुछ देर बाद मैंने भी अपने लंड से गर्लफ्रेंड का मुंह टहोका तो वो दीमा का लंड मुंह से बाहर निकाल कर मेरा लंड चूसने लगी.
“डार्लिंग, मैं भी तुम्हारे बॉयफ्रेंड की तरह जड़ तक अन्दर घुसेड़ना चाहता हूँ…” कहते हुए मैंने अपनी पत्नि का सिर पकड़कर लंड को जड़ तक उसके हलक में ठेल दिया. नाजुक लड़की तड़फड़ा कर रह गई और उसकी आँखें बाहर को उबल आईं, उसके मुंह से मेरे लंड की बगल से उसकी लार बह चली और वो मुश्किल से इस आक्रमण को संभाल सकी.
“ओ सॉरी डार्लिंग! अब मैं हौले-हौले तुम्हारे नन्हे से मुंह को चोदूंगा.” कहते हुए मैंने आहिस्ते आहिस्ते धक्के लगाने शुरू कर दिए और हाथों से उसके सफ़ेद बालों वाले सिर को सहलाने लगा. तभी बेरोजगार हो चुके दीमा ने मेरे हाथों से नताशा का सिर कब्ज़ा लिया और उसे अपने लंड की ओर मोड़ कर अपना दाहिना पैर सोफे पर टिका कर अपनी बालसखी का मुंह चोदने लगा.
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कहानी का अगला भाग: अतिथि-2
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