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चचेरी बहन के साथ सेक्स की इस कहानी के पहले भाग ताऊ की लड़की को चोदा-1 में आपने पढ़ा कि मैं अपनी चचेरी बहन को वासना की दृष्टि से देखने लगा था. अब आगे:
हम दोनों वहीं बेड पर बैठे पढ़ रहे थे. मैंने जानबूझकर उस दिन हाफ पैन्ट पहना हुआ था. मैं आराम से मनीषा के बदन को घूर रहा था. आज मानो मैंने पहली बार उसके बदन को सही तरीके से देखा था. मनीषा का वो गेहुंआ रंग और हाइट 5 फुट 3 इंच.. बाल घने और लंबे.. और पूरा बदन एकदम भरा हुआ था. उसके लिप्स पे लगी हल्की लिपस्टिक मानो मुझसे कह रही थी कि आ जाओ और होंठों के पूरे रस पी लो. मैं अपनी बहन की नंगी पीठ और ढकी जाँघों को देखे जा रहा था. उसने सफेद रंग का सूट पहन रखा था, इसमें वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी, उसे देख कर ऐसा लग रहा था, जैसे स्वर्ग से कोई अप्सरा उतर कर आ गई हो.
मेरी नज़र कभी उसके मम्मों पर तो कभी उसकी पेंटी पर जाती. उसके सफ़ेद झीने से सूट में से झलकती ब्लैक पेंटी और ब्रा की हल्की झलक मैं साफ़ देख सकता था. उसके कूल्हे के बगल से जाती वो पेंटी की रबर और उसकी पीठ पर बँधी उसकी ब्रा की पट्टी और उसका हुक मैं साफ़ देख सकता था.
वो मेरी नज़रों को भांप चुकी थी, तभी नज़र से नज़र नहीं मिला रही थी. उसके मम्मों को देख कर मानो मेरे पूरा मुँह पानी से भर गया. मेरा लंड तो हाफ पेंट के अन्दर से बाहर आने को बेताब था. मैं पढ़ते हुए हल्के हल्के अपने लंड को कभी कभी सहला लेता.
मैंने नोटिस किया कि मनीषा भी मेरे लंड को कनखी निगाहों से देख रही है. मैंने उसको भी अपने लंड की हल्की झलक दिखाने में पूरा सहयोग किया. मैंने बैठे-बैठे अपनी एक टाँग को उठा सा लिया और एक घुटने पर बैठ गया. अब मेरा लंड हल्का बाहर आ रहा था. मैंने मनीषा को भी कनखी नगाहों से देखा, वो मेरे लंड को पूरा देखने की कोशिश कर रही थी. उस दिन मैंने जानबूझ कर अंडरवियर भी नहीं पहना था. तनिक खुल जाने से हवा मेरी हाफ पेंट के अन्दर जाने लगी थी और मैं अपने लंड पर हल्की ठंडक महसूस करने लगा था. मेरा लंड अब पूरी तरह खड़ा हो चुका था. लेकिन मैंने जानबूझकर पूरा लंड बाहर नहीं निकाला.
मैंने नोटिस किया कि मनीषा मेरा पूरा लंड देखने के लिए जैसे पागल से हो रही थी.
इससे पहले कि मैं कुछ करता, डोर बेल की आवाज़ ने हम दोनों की मशगूलता में जैसे पूरी तरह खलल डाल दी. मनीषा ने कहा- पंकज, तू हाथ मुँह धोकर तैयार हो जा. मैं डिनर लगा देती हूँ.
इस टाइम करीब रात के 9:00 बज चुके थे. मैं वॉशरूम में हाथ मुँह धोने के लिए चला गया. जब मैं फ्रेश होकर वापस डिनर टेबल पर आया.. तो देखा कि मनीषा डिनर लेकर लगा रही थी. इस वक्त वो एक नई नाइटी में थी. उसकी नाइटी देख कर मैं दंग रह गया. क्या लग रही थी दोस्तो.. मानो सच में कोई अप्सरा आ गई हो.. जन्नत की हूर धरती पर आ गई हो.
हम दोनों डिनर टेबल पर बैठे, मैं उसको पागलों की तरह घूर रहा था. अचानक उसने मुझे टोका और पूछा- पंकज, खाना कैसा है. खाना तो वास्तव में टेस्टी था, खाने में जीरा राइस, शाही पनीर और नान के साथ रायता और राजमा भी मँगवाया था. हम दोनों संग में डिनर कर रहे थे.
मैं हल्के से फुसफुसाया- मनीषा तुम आज बहुत खूबसूरत लग रही हो. मनीषा ने पूछा- क्या बोला, कुछ कहा क्या तुमने? ‘नन..नहीं..’ मैंने हड़बड़ाते हुए कहा. वो भी हल्के से मुस्कुराने लगी. फिर मैंने अपना डर निकालते हुए कहा- मनीषा यू आर लुकिंग सो ब्यूटिफुल. उसने कुछ नहीं कहा और हल्के से मुस्कुराते हुए थैंक्स बोला.
रात को हम दोनों डिनर करके अपने अपने रूम में चले गये.
मैंने अपना रूम बंद किया और फिर से ब्लू फिल्म चालू कर दी. मैं पूरा न्यूड होकर मनीषा के ख्यालों में खोकर रज़ाई में सोते सोते मुठ मार रहा था.
अब करीब रात के 10:30 हो रहे होंगे, मैंने लाइट बंद की और सो गया. थोड़ी देर में मैं वॉशरूम जाने के लिए उठा. इस वक्त घड़ी में रात के करीब 1:20 हो रहे थे. मैंने अपना रूम खोला और वॉशरूम चला गया. वॉशरूम से बाहर आने के बाद मेरी नज़र मनीषा के रूम पर गई, उसके रूम के अन्दर की लाइट अभी भी जल रही थी. मेरे दिल की धड़कन अचानक बढ़ गई और में दबे पांव मनीषा के रूम की तरफ जाने लगा. मैं उसके की-होल से झांक कर अन्दर की तरफ देखने लगा.
अन्दर का नज़ारा देख कर मानो मेरी पूरी नींद गायब हो गई. मैं पूरे तरीके से तो नहीं देख पा रहा था, लेकिन मनीषा अन्दर पूरी नंगी बिस्तर पर पड़ी थी. मैं उसकी टांगें थोड़ी बहुत देख सकता था. उसकी पूरी नंगी टांगें और हिलते कूल्हे देख कर ऐसा लग रहा था वो अपनी चुत में कुछ डाल रही थी.
मैं बदहवाश सा उस डोर के की-होल से जितना हो सकता था, देखने की कोशिश कर रहा था. थोड़ी देर देखने के बाद उसका हिलना बंद हो गया, उसने अपने बेड के पास ही रखे डस्ट बिन में कुछ डाला और फिर लाइट बंद कर दी. मैं भी अपने रूम में वापस आकर सो गया.
अगले दिन सुबह मैं जल्दी ही उठ गया लेकिन कमरे से बाहर नहीं आया. मेरे अन्दर इस बात को जानने की उत्सुकता थी कि मनीषा ने डस्ट बिन में क्या डाला. थोड़ी देर बाद मनीषा बाथरूम में चली गई. मैंने हल्के से अपने रूम का डोर खोला और दबे पांव मनीषा के रूम में चला गया. मैंने डस्ट बिन उठा कर देखा उसमें एक 6-7 इंच का लंबा बैंगन पड़ा था. मैंने उस बैंगन को उठाया और उसको सूंघने लगा. दोस्तो उस बैंगन से मादक नमकीन सी खुशबू आ रही थी उस डस्ट बिन में विश्पर के भी पैकेट पड़े थे. मैंने उनको भी उठा कर देखा हल्के से खूने के दाग से भरे वो विश्पर उसी में पड़े थे.
मैं फटाफट उसके रूम से निकल आया. मनीषा अभी भी बाथरूम में थी. गिरते पानी की आवाज़ से पता चल रहा था कि शायद वो नहा रही होगी.
मैं बाथरूम के दरवाजे के छोटे होल से उसको देखने लगा. अन्दर हल्का सा अंधेरा था, उसने लाइट नहीं ऑन की थी, लेकिन उस डोर से उसकी वही पुरानी जेस्मीन और गुलाब की मिक्स खुशबू आ रही थी.
थोड़ी देर में उसने उसने अपना शावर बंद किया, पानी गिरना बंद हुआ तो मैं झट से अपने कमरे में आ गया. मैंने अपना रूम हल्के से फिर से बंद कर लिया.
वही कल की तरह उसने दुबारा आवाज़ लगाई- पंकज उठ जा, सुबह हो गई. मैंने भी आवाज़ लगा कर कहा- हां मनीषा बस अभी उठा.
फिर मैंने अपना रूम खोला और बाथरूम में गया. बाथरूम में घुसते ही मेरी नजर हैंगर पर गई, आज भी वहां काले पेंटी लटकी हुई थी. मैंने झट से उसको उठा लिया और पागलों की तरह उसको सूंघने लगा. दोस्तो, मैं बता नहीं सकता कि कितना मजा आ रहा था. मैं बाथरूम में पूरा नंगा था और शावर चला रखा था, लेकिन मैं नहा नहीं रहा था. बस मिरर के सामने खड़े होकर उसकी पेंटी और ब्रा को पागलों की तरह सूँघे जा रहा था.
अचानक मैंने बाथरूम के दरवाजे के नीचे एक परछाई को नोटिस किया कि मनीषा मुझे डोर के छेद से देख रही थी.
मैंने अपने आप को जल्दी ही संभाला लेकिन मैंने ऐसा बिहेव किया कि उसे शक ना हो कि मैंने उसको देख लिया है. मैं जानबूझ कर डोर के पास आ गया और मैंने बाथरूम की लाइट भी ऑन कर दी ताकि मनीषा मेरे लंड के दर्शन जी भर के कर सके. मेरा लम्बा लंड फड़फड़ाता हुआ डोर के छेद को ही देख रहा था. मैं अपने लंड पर शैम्पू लगा कर धीरे धीरे मुठ मार रहा था और उसकी पेंटी को चाट रहा था. मनीषा इस सब को देख रही थी.
फिर मैंने अपना लंड धोया और सारा शैम्पू साफ़ किया. अब मानो मेरे लंड की सारी नसें फटने सी हो गई थीं. तभी लंड ने उल्टी कर दी और मैंने अपना लंड उसकी ही पेंटी से साफ़ किया. फिर लंड पर थोड़ा तेल लगाया और एक बाक़ी की बची फुहार से मैंने अपना सारा माल उसकी पैंटी में डाल दिया. ये सब मनीषा डोर के छेद से देख रही थी. अब मैं नहाने लगा, शावर चालू किया और नहाना चालू कर दिया.
मैंने नीचे देखा तो समझ गया कि मनीषा अब जा चुकी थी. थोड़ी देर में मैं नहा धोकर बाहर आया. फिर मनीषा ने कहा- नाश्ता लगा लिया है.. खा लेना. मैंने नोटिस किया कि मनीषा पहले की तरह मुझसे बात करने में शर्मा नहीं रही थी, वो मुझसे पहले की तरह खुल कर बातें कर रही थी.
फिर मैं नाश्ता की प्लेट लेकर अपने रूम में चला गया और ब्रेकफास्ट करने लगा. तभी मैंने देखा कि मनीषा बाथरूम में जा रही है.. और मुझे उसके बाथरूम के दरवाजे बंद करने की आवाज़ सुनाई दी.
मैंने तुरत नाश्ता करना छोड़ा और बाथरूम की तरफ दबे पांव आ गया. मैंने छेद से देखा कि मनीषा उसी ब्लैक पेंटी पे लगा मेरा माल चाट रही थी. उसके कंठ से हल्की मादक सिसकारियों की आवाज़ बाहर तक आसानी से सुनाई दे रही थी. तभी मनीषा ने भी बाथरूम की लाइट ऑन कर दी. अब मैं मनीषा को पूरी नंगी देख सकता था. मुझे अहसास हुआ कि मनीषा ने भी मुझे देख लिया है था, पर मैं फिर भी दरवाजे से हटा नहीं.
मनीषा भी मेरी तरह की दरवाजे के पास आ गई और उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए. उसकी चुत पर हल्के हल्के बाल थे.
दोस्तो क्या बताऊं.. कितना मज़ा आ रहा था. वो डोर के छेद के पास ही अपनी टांग उठा कर अपनी उंगली अपने चुत में डाल रही थी और कामुक सिसकारियां निकाल रही थी. साथ ही अपनी ही पेंटी को चाटे जा रही थी. मुझे याद था कि मैंने अपना सारा माल उसी पेंटी में छोड़ा था. थोड़ी देर बाद मनीषा शांत हो गई.
फिर जैसे ही उसने लाइट को ऑफ किया, मैं भी अपने रूम में आ गया. उसने फिर मुझसे पूछा कि और कुछ चाहिए क्या? मैंने उसके तरफ अपनी गर्दन घुमाई वो मुझे देख कर हल्का मुस्कुरा कर पूछ रही थी- कुछ चाहिए क्या? इस वक्त उसके हाथों में वही ब्लैक पेंटी थी. मैंने भी मुस्कुराते हुए बोला- और कुछ नहीं चाहिए.
उस दिन भी कॉलेज में मेरा मन ही नहीं लग रहा था, मेरा टाइम वहां बिल्कुल भी नहीं कट पा रहा था.
मैं शाम 4 बजे तक वापस घर पर आया. फिर थोड़ा रेस्ट करने के बाद टयूशन पढ़ाना चालू कर दिया. एक सप्ताह हो गया था, घर वालों को गांव गए हुए और पूछो मत हम दोनों ने ये वीक कितना मजा किया.
टयूशन के बाद मैं और मनीषा अपने अपने रूम में वापस आ गये. फिर वो डिनर बनाने में बिज़ी हो गई और मैं टीवी देख रहा था.
फिर रात को डिनर खा कर हम दोनों पढ़ने बैठे, मैंने उस दिन भी हाफ ट्राउजर ही पहन रखा था.
मैंने नोटिस किया कि मनीषा मेरे ट्राउजर के अन्दर झांकने की कोशिश कर रही है. मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा तो हो रहा था लेकिन मैंने जानबूझ कर उसको अपने नागराज के दर्शन नहीं करवाए.
मैंने महसूस किया कि मनीषा पागलों की तरह मेरे ट्राउजर को बार बार घूर रही है. मेरा खड़ा लंड भी बाहर आने को बेताब तो हो रहा था, लेकिन मैंने उस दिन जानबूझ कर अंडरवियर पहना था दरअसल मैं उस दिन मनीषा की तड़प देखना चाहता था और शनिवार होने की वजह से हम दोनों में से किसी का भी मन पढ़ाई करने का नहीं किया.
अचानक मनीषा ने मुझसे पूछा- पंकज तेरी कोई गर्लफ्रेंड है क्या? मैंने मना कर दिया, फिर पूछा- आज ये क्यों पूछा, कोई ख़ास वजह? वो बोली- नहीं.. बस यूं ही. फिर मैंने पूछा कि तेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड है क्या? उसने भी ना में अपना सिर हिला दिया.
फिर मैंने उसके साथ इधर उधर की बातें करना शुरू किया और उसने भी मेरे साथ सवाल जवाब किया. उस रात मानो हम एक दूसरे के साथ और भी ज़्यादा खुल गये. शनिवार की वजह से हम दोनों जल्दी ही अपने अपने रूम में सोने चले गये.
रूम क्लोज़ करते ही मैंने अपने ऊपर से सारे कपड़े इतनी जल्दी उतार दिए, जैसे कितनी देर से वो मुझ पर एक बोझ लग रहे थे. फिर मैंने ब्लू फिल्म चालू की और उसकी साउंड थोड़ी स्लो कर दी. मुझे महसूस हुआ कि मनीषा शायद की-होल से देख रही है, तो मैंने अपने रूम की लाइट भी ऑन कर दी. अब शायद मनीषा मुझे सही से देख सकती थी.
मैंने अपने ऊपर से रज़ाई हटाई और दोनों तकियों के साथ सेक्स शुरू कर दिया. मैंने ब्लू फिल्म की आवाज़ भी तेज कर दी और ‘आह.. मनीषा.. मनीषा..’ बोल करके तकियों की माँ चोद दी.
मैंने अपना पूरा माल तकिये पे ही झाड़ दिया, फिर लाइट बंद की.
मनीषा अब तक जा चुकी थी. मेरी आंखों से नींद तो मानो कोसों दूर चली गई थी. मैं सोने की कोशिश भी कर रहा था तो सो नहीं पा रहा था.
मैंने अपने रूम का दरवाजा हल्के से खोला और फिर मनीषा के रूम की तरफ दबे पांव गया. जैसा मैंने सोचा था मनीषा ने भी अपने रूम की लाइट ऑन कर रखी थी और इस बार मनीषा बिल्कुल की-होल के सामने नंगी लेटी हुई थी. मैं समझ चुका था कि मनीषा जानबूझ कर ही की-होल के सामने नंगी बैठी है.
मेरी कहानी आप को कैसी लग रही है, मुझे ज़रूर मेल करें. मेरी ईमेल आईडी है. [email protected]
कहानी का अगला भाग: ताऊ की लड़की को चोदा-3
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