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अगले दिन सुबह में विक्रम जल्दी उठकर अपने कॉचिंग क्लास चला गया. मयूरी हॉल में बैठकर टीवी देख रही थी और रजत अपने कमरे में लेटा था. तभी शीतल झाड़ू लगाने के लिए उस कमरे में गयी. रजत की नींद तो खुली थी पर उसने अपनी माँ को देखकर अपनी आँखें बंद कर ली और सोने का नाटक करने लगा. पर सुबह सुबह उसका लंड खड़ा था क्योंकि थोड़ी देर पहले ही वो रात वाली घटना के बारे में सोच रहा था. उसने जानबूझकर चादर के नीचे से अपना शॉर्ट्स खोल दी जिससे उसका लंड चादर में तम्बू बनाने लगा.
झाड़ू लगाते हुए जब शीतल रजत के बिस्तर के पास पहुँची तो देखा कि रजत सो रहा है पर उसका लंड चादर में खड़ा होकर तम्बू बना रहा है. उसने इधर-उधर देखा, आस-पास कोई और नहीं था. फिर उसने जिज्ञासा से उसकी चादर धीरे से उसके लंड पर से हटाई, जिससे रजत का फनफनाता हुआ खड़ा लंड बाहर निकल आया और शीतल को अपने छोटे बेटे के लंड के दर्शन हो गए.
पहले तो वो थोड़ा घबराई, फिर कामवासना की वजह से उसने अपने आप पर से नियन्त्रण खो दिया, धीरे से अपने हाथों से उसने अपने बेटे का लंड पकड़ा और उसको बड़े प्यार से सहलाने लगी. फिर थोड़ी देर तक उसको ऐसे ही सहलाने के बाद उसके टोपे की चमड़ी को थोड़ा पीछे किया और उसके लंड के ऊपर के भाग पर एक प्यार भरा चुम्बन दे दिया. और अगले ही पल उसने बड़े से लंड को अपने मुँह में गपक लिया और उसको धीरे-धीरे चूसने लगी. रजत अपने पर बड़ी देर तक नियन्त्रण नहीं रख पाया और उसके मुँह से आवाज़ निकलने लगी- आ… ह… आह..
और अब रजत का नियन्त्रण अपने पर से पूरा ही छूट जाता है और उसने अपने एक हाथ से शीतल को सर अपने लंड पर जोर से दबा दिया. फिर करीब दस मिनट की लंड चुसाई के बाद रजत के लंड ने वीर्य छोड़ दिया तो शीतल उसके वीर्य को पी गयी और अपना मुँह पौंछ कर रजत की तरफ देखकर मुस्कुराई और कमरे से बाहर चली गयी.
बाहर जाकर उसने मयूरी को सारी बात बताई तो मयूरी बड़ी खुश हुई- तो अपने बेटे के लंड का स्वाद कैसा लगा माँ? शीतल- मुझे बहुत मजा आया यार… सच में… मयूरी- बहुत बढ़िया… अब मेरी बात ध्यान से सुनो. शीतल- हाँ बोलो… अब मैं तुम्हारी हर बात सुनूंगी… आखिर तुमने मुझे अपने बेटे का लंड चुसवाया है.
मयूरी- सिर्फ लंड चूसने के लिए नहीं होता. उसको अपने चूत में लेना है या नहीं? शीतल- हाँ.. बिल्कुल लेना है… मैं तो अपने दोनों बेटों से चुदवाने के लिए मरी जा रही हूँ. मयूरी- ठीक है… तो थोड़ी देर में पापा ऑफिस चले जायेंगे. और मैं कॉलेज… भैया कोचिंग से घर आ जायेगा और इस तरग घर में सिर्फ तुम तीनों लोग रहोगे. शीतल- हाँ.. बिल्कुल. मयूरी- तो यही मौका है… अपने बेटों का लंड अपने चूत में लेने का… छोड़ना मत… शीतल- पक्का… तू तैयार हो और कॉलेज जा. मयूरी छेड़ते हुए- बड़ी जल्दी है मुझे कॉलेज भेजने की? शीतल- चल हट… माँ को छेड़ती है? मयूरी- ये माँ भी तो अपने बेटों का लंड चूसती है. मयूरी- और तू बड़ी सीधी है… कल रात ही अपने बाप से चुदी है.
फिर थोड़ी देर हंसी ठिठोली कर के मयूरी तैयार होकर कॉलेज चली गयी और अशोक अपने ऑफिस. कुछ ही देर में विक्रम घर आ गया. घर में मौजूद तीनों जिस्म एक साथ चुदने को मरे जा रहे थे, बात बस एक अच्छी से शुरुआत करने की थी.
खैर, सबको खाना खिलाने और साफ-सफाई करने के बाद शीतल नहाने के लिए बाथरूम में घुस गयी, दोनों लड़के हॉल में बैठकर टीवी देख रहे थे. रजत ने विक्रम और मयूरी को आज सुबह की अपनी माँ से लंड चुसाई वाली घटना के बारे में पहले ही बता दिया था.
तभी शीतल ने बाथरूम के अंदर से आवाज़ दी- रजत, विक्रम… कोई है क्या इधर? विक्रम- हाँ माँ. शीतल- मैं तौलिया लाना भूल गयी… जरा मुझे दे देना.
दोनों भाई एक-दूसरे की ओर देखते हैं. रजत- भैया, तुम जाओ. विक्रम- ओके…
और विक्रम ने शीतल के कमरे से तौलिया लेकर बाथरूम का दरवाजा खटखटाया- माँ… तौलिया ले लो. शीतल- दरवाजा खुला है… अंदर आ के रख जा…
विक्रम ने बाथरूम का दरवाजा धीरे से खोला और अंदर गया. विक्रम ने देखा कि माँ ने सिर्फ पेटीकोट पहना हुआ है. शीतल का पेटीकोट उसकी चूचियों के ऊपर तक चढ़ा हुआ था और उसका नाड़ा शीतल ने अपने दांतों से पकड़ा हुआ है. इस अवस्था में उसकी जांघें और दोनों टाँगें बिल्कुल साफ दिखाई दे रही थी.
शीतल ने अपने एक साथ से साबुन और एक हाथ से लूफा (बदन को रगड़ कर साफ करने वाली चीज़) पकड़ी हुई थी, उसका पूरा शरीर भीगा हुआ था, उसका पेटीकोट भी भीगा हुआ था और उसके भीगे होने की वजह से वो शीतल के पूरे शरीर में चिपका हुआ था. शीतल इस अवस्था में बहुत ही कामुक लग रही थी. उसकी चूचियां और गांड कपड़े से ढके होने के वावजूद भी पूरी दिखाई दे रही थी.
विक्रम अपनी माँ का जिस्म देखकर अवाक् रह गया, फिर अपने आप को वापिस होश में लेकर अपनी माँ से पूछा- माँ… तौलिया कहा रखूं? शीतल ने बाथरूम के खूंटी तरफ इशारा किया. विक्रम तौलिया रखकर बाहर जाने लगा तो शीतल बोली- अच्छा सुन बेटा! विक्रम- हाँ माँ… शीतल- अब जो तू अंदर आ ही गया है तो क्या मेरी पीठ में साबुन लगा देगा? विक्रम- जरूर माँ…
विक्रम को शीतल ने साबुन दिया, पेटीकोट ऊपर तक होने की वजह से पीठ आधे से ज्यादा ढकी हुई थी. विक्रम ने ऊपर के थोड़े हिस्से जो खुले हुए थे, उनमें साबुन लगाया. उसको अपनी कामुक माँ की पीठ की त्वचा बहुत ही मुलायम लगी, उसको अपनी माँ को साबुन लगाने माँ बहुत मजा आया, वो बोला- माँ… शीतल- हाँ बेटा? विक्रम- आपकी पीठ तो ढकी हुई है, नीचे साबुन कैसे लगाऊं? शीतल- अच्छा रुक… मैं पेटीकोट नीचे करती हूँ.
और शीतल ने अपना पेटीकोट के नाड़े को दांतों से छुड़ाकर हाथ से पकड़ लिया, उसको कमर तक नीचे सरकाया जिससे उसकी माँ की पीठ पूरी नंगी हो गयी. साथ ही साथ आगे से चूचियां भी नंगी हो गयी. शीतल का चेहरा बाथरूम के शीशे की तरफ था और विक्रम शीतल के पीछे खड़ा था तो जब शीतल की चूचियां पूरी नंगी हो गयी तो वो सामने शीशे में शीतल की खुली चूचियों को साफ़ देख सकता था.
अब विक्रम का लंड उत्तेजना में खड़ा हो गया था. उसकी माँ उसके सामने लगभग नग्न खड़ी थी वो भी भीगी हुई. वो बहुत ही ज्यादा कामुक लग रही थी. शीतल ने उसको अपनी चूचियों को ताड़ते हुए देखा… फिर वो बोली मुस्कुराती हुई- ये तुम्हें बहुत अच्छी लग रही है क्या? विक्रम हड़बड़ाते हुए- क.. क्या… माँ… शीतल- यही जो तुम देख रहे हो? विक्रम- म… मैं.. वो… शीतल हँसती हुई- अरे कोई बात नहीं… घबरा क्यूँ रहे हो? मैं तुम्हारी माँ हूँ… तुमने इन्हें बहुत बार देखा है. मैं तो बस पूछ रही थी कि ये तुम्हें कैसी लगी? विक्रम संभलते हुए- ऐसी कोई बात नहीं है माँ… ये अच्छी हैं… बहुत सेक्सी! शीतल- अच्छा? चलो साबुन लगाओ.
और विक्रम साबुन लेकर अपनी माँ की नंगी पीठ में लगाने लगा, फिर अपने दोनों हाथों से शीतल का पीठ रगड़ने लगा. और वो कुछ देर में अपना हाथ धीरे से थोड़ा सा नीचे ले गया और शीतल की गांड को भी थोड़ा-थोड़ा मसल दिया. शीतल ने उसको कुछ नहीं बोला तो उसका हौंसला बढ़ गया और वो फिर बड़े आराम से अपनी माँ की गांड में साबुन लगाने के बहाने उसको जोर-जोर से मसलने लगा. शीतल भी खूब आराम से अपने बेटे से अपनी गांड मसलवा रही थी.
फिर थोड़ी देर तक उसकी गांड में साबुन लगाते हुए बेटे ने अपनी एक उंगली माँ की गांड में डाल दी तो शीतल जैसे चिहुँक सी उठी, उसके हाथ से पेटीकोट का नाड़ा छूट गया और पेटीकोट नीचे गिर गया. ऐसी स्थिति में अब शीतल पूरी तरह से नग्न हो गयी थी. विक्रम ने अपनी माँ को पूरी नंगी देखा तो बस देखता ही रह गया लेकिन उसने अपनी उंगली माँ की गांड से निकाली नहीं, बल्कि उसी क्षण अपना एक हाथ पीछे से शीतल की चूची पर रख दिया और उस पर साबुन लगाने के बहाने उसको भी मसलने लगा.
शीतल की आहें तेज़ हो गयी और उत्तेजना की वजह से उसकी आँखें बंद हो गयी. विक्रम का इस बात से साहस बढ़ा और वो अपना एक हाथ जो अपनी माँ की गांड के छेद में व्यस्त था, को उसकी चूत पर फेरने लगा. शीतल- आ… ह… आह…
विक्रम रुका नहीं और उसने उस हाथ की एक उंगली को अपनी माँ की चूत में पेल दिया और उसको अंदर-बाहर करके अपनी माँ को अपने हाथ से चोदने लगा. शीतल को बहुत ही आनन्द का अनुभव हो रहा था, वो मस्त मजे ले रही थी. विक्रम अपने एक हाथ से अपनी माँ की चूत चोद रहा था और दूसरे हाथ से उसकी चूचियाँ मसल रहा था. यह उसके लिए बड़ा ही आनन्ददायी समय था. कुछ देर में शीतल की चूत से पानी छूट गया, उसकी सांसें बहुत तेज़ हो चुकी थी.
शीतल अब रुकने के मूड में नहीं थी, वो अपने बेटे की तरफ पलटी और उसने अपने होंठ उसके होंठों से जोड़ दिए. उसने एक हाथ से विक्रम के लंड को मसलना शुरू कर दिया. थोड़ी देर तक उसके लंड को उसके शॉर्ट्स की अंदर से मसलने के बाद उसने अपने होंठ अपने बेटे के होंठों से अलग किये और नीचे बैठकर उसके शॉर्ट्स को नीचे सरका दिया. जिससे उसका लंड फनफनाता हुआ बाहर निकल कर खड़ा हो गया. शीतल ने गपक से उसके लंड को अपने मुँह में भर लिया और विक्रम को आनन्द के बागों की सैर कराने लगी.
विक्रम ने पहली बार अपनी माँ के मुँह में अपना लंड दिया था. हालाँकि कल रात को ही उसने उसकी चूत का स्वाद लिया था पर फिर भी अपना लंड पहली बार उसके मुँह में देना उसके लिए बहुत ही ज्यादा रोमांचक था.
शीतल एक अनुभवी खिलाड़िन की तरह अपने बेटे का लंड चूसने लगी. विक्रम भी अपना लंड उसके मुँह में डालकर आगे-पीछे करने लगा और अपनी नंगी माँ के मुँह की चुदाई करने लगा. थोड़ी देर में जब उसके लंड से वीर्य का भंडार छूटा तो माँ ने उसके सारे वीर्य को पी लिया.
आज दो बेटों की माँ शीतल ने अपने दोनों बेटों का लंड चूस लिया था।
कहानी जारी रहेगी. [email protected]
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