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शीतल जब बच्चों के कमरे में गयी तो वो पढ़ाई कर रहे थे. विक्रम और रजत दोनों ने अपनी माँ को ध्यान से देखा. आखिर आज जो अनोखा प्यार शीतल ने अपने बेटों पर बरसाया था, उसका असर तो था ही, साथ ही साथ मयूरी ने भी इनको अपनी माँ की चुदाई के लिए उकसाया हुआ था. दोनों हवस भरी निगाहों से अपनी माँ को देख रहे थे.
शीतल विक्रम के पास गयी और उसके सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए पूछने लगी- पढ़ाई कर रहा है मेरा बेटा? विक्रम- हाँ माँ… शीतल- मैं थोड़ी देर तुम दोनों के साथ बैठ सकती हूँ? विक्रम- हाँ माँ… क्यूँ नहीं? शीतल- ओके…
और ऐसा कहते हुए शीतल विक्रम के बिस्तर पर बैठ गयी. बैठते हुए उसने अपनी नाइटी को नीचे से उठाकर अपनी जाँघों तक ऊपर कर दिया जिससे उसकी दोनों गोरी-गोरी मांसल टाँगें नंगी हो गयी. उसने नाइटी को पीछे से अपनी गांड तक उठा कर कुछ इस तरह पीछे कर दिया कि अगर कोई चाहे तो नाइटी का कपड़ा अगर पीछे से उठा दे तो उसके बैठे होने के वावजूद उसकी गांड को नंगी किया जा सकता था. आगे से तो उसकी जांघें पूरी तरह दिख ही रही थी. वो जानबूझकर ही ऐसा किया ताकि अपने जवान बेटों का ध्यान आकर्षित कर पाए.
विक्रम और रजत भी इन सब चीजों के लिए बिल्कुल तैयार थे. उनका अनुमान अब अपनी माँ से सेक्स की इच्छा को लेकर और ज्यादा दृढ़ हो रहा था.
बैठते हुए शीतल ने रजत को अपने पास बुलाया- रजत, इधर आओ बेटा… अपनी माँ के पास बैठो थोड़ी देर… रजत- हाँ माँ… अभी आया! और ऐसा कहकर रजत विक्रम के बिस्तर की ओर आकर माँ की बगल में बैठ गया जबकि विक्रम अपनी अगली चाल चलना चाह रहा था.
विक्रम- माँ… शीतल- हाँ बेटा? विक्रम- क्या मैं आपकी गोद में अपना सर रखकर थोड़ी देर सो सकता हूँ? शीतल- क्यूँ नहीं बेटा… जरूर!
और विक्रम ने अब अपनी माँ की नंगी गोद में अपना सर कुछ इस तरह रखा कि उसका चेहरा अपनी माँ की चूत की तरफ हो और शीतल ने उसको बड़े प्यार से ये सब करने भी दिया. साथ ही शीतल अपना एक हाथ उसके सर पर रखकर उसके बालों को सहलाने लगी. रजत अपनी माँ की बगल में बैठा था इसलिए उसने अपना सर अपनी माँ के सीने पर रख लिया.
विक्रम का चेहरा अपनी माँ की चूत से बस दो इंच के फैसले पर था. वो अपनी माँ की चूत की गंध को महसूस कर पा रहा था. थोड़ी देर तक ऐसे ही पड़े रहने के बाद उसने अपना चेहरा थोड़ा और अंदर डालने की कोशिश की और शीतल ने इसमें उसका पूरा साथ देते हुए अपनी टाँगें खोलकर उसकी पूरी सहायता की. विक्रम के होंठ अब अपने माँ की चूत पर थे. उसने अपने होंठों से बिना अपने चेहरे हो हिलाये डुलाये अपनी माँ की चूत को चूम लिया.
शीतल के मुँह से आह निकल गयी पर विक्रम ने इस पर जरा भी ध्यान नहीं दिया, वो अपने काम में लगा रहा अपने होंठ और जबान से अपनी माँ की चूत का रसपान करने में! शीतल के हाथ विक्रम के सर पर थे, उसने उत्तेजना की वजह से विक्रम के सर को अपनी चूत पर जोर से दबा दिया.
इधर रजत शीतल के सीने पर पड़े पड़े अपने एक हाथ को शीतल के पीछे ले जाकर उसकी गांड को धीरे-धीरे सहलाने लगा. जब शीतल ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो उसका साहस और बढ़ गया, वो उसकी गांड को जोर जोर से दबाने लगा. फिर थोड़ी ही देर में उसने अपने एक हाथ से शीतल के एक हाथ को अपने लंड के ऊपर रख दिया. शीतल शॉर्ट्स के ऊपर से ही रजत के लंड को धीरे धीरे सहलाने लगी.
शीतल इस समय अपने दोनों बेटों को प्यार करने के बहाने अपनी हवस मिटाने में लगी हुई थी. विक्रम अब जोर-जोर से अपनी माँ की चूत को चाट रहा था. इस अवस्था में बहुत देर तक तीनोंमाँ-बेटों ने खूब मजा लिया. शीतल की चूत ने इतने देर में 1-2 बार पानी छोड़ दिया था. विक्रम ने जितना हो सका, अपनी माँ की चूत से निकला हुआ पानी चाट लिया और बाकी वहीं बिस्तर पर गिर गया था.
रजत ने इस बीच में अपने एक हाथ से अपनी माँ की चूचियों को भी काफी देर तक दबाया.
फिर एक लम्बी ख़ामोशी के बाद शीतल को लगा कि अब अगर वो थोड़ी देर और रुकी तो या तो उसके बेटे उसको अभी पटक कर चोद देंगे या वो खुद ही उनको पकड़कर उनको चोद देगी.
फिर उसने अपनी भावनाओं पर पता नहीं क्यूँ नियंत्रण किया और अपने बेटों को कहा- विक्रम, रजत… रजत- हाँ माँ?
विक्रम अभी भी अपनी माँ की चूत चाटने में व्यस्त था और उसकी जबान शीतल के चूत के अंदर था इसलिए वो जवाब भी नहीं दे पाया. वही रजत एक हाथ से शीतल की गांड को और दूसरे हाथ से उसकी एक चूची को दबाने में व्यस्त था. शीतल अपने एक साथ से विक्रम का सर सहला रही थी और दूसरे हाथ से रजत का लंड.
शीतल- तुम लोगों को भूख नहीं लगी क्या? खाना तैयार है. रजत- हाँ माँ… थोड़ी देर और बैठो न.. फिर खाना खाने चलते हैं… आप बड़े दिनों बाद हमारे साथ बैठी हो… बहुत अच्छा लग रहा है. शीतल- अरे.. मैं कहीं भागी थोड़ी ना जा रही हूँ… अब रोज़ ऐसे तुम दोनों के साथ बैठूंगी… चलो अब खाना खा लो.
विक्रम अपना मुँह शीतल के चूत से अलग करता है और फिर अपना मुँह पौंछते हुए बोला- ठीक है माँ… चलो.
फिर तीनों उठे और शीतल अपने कपड़े ठीक करती हुए कमरे से मुस्कुराती हुई बाहर निकल गयी. तीनों को इस बात की पुष्टि हो चुकी थी कि अब जल्दी ही माँ-बेटों की चुदाई होने वाली है और आपस में पूरी सहमति है.
शीतल को भी यह बात स्पष्ट हो चुकी थी कि उसके दोनों बेटे अपनी मॉम को एक साथ ही चोदने वाले हैं. फिर वो अपने कमरे की तरफ बढ़ गयी यह जानने के लिए कि उसकी बेटी अपने बाप को फंसाने में कहाँ तक कामयाब हुई है.
जब बेटे अपने माँ के बदन से खेलने में लगे थे, ठीक उसी समय मयूरी ने जब अपने पापा अशोक के कमरे में प्रवेश किया तो अशोक अपने बिस्तर पर तकिये को सिरहाने से लगाकर, उस पर आधा लेटने और आधा बैठने की अवस्था में बड़ी ही गहनता के साथ कोई किताब पढ़ रहा था. उस बेचारे को तो यह पता भी नहीं था कि उसके किस्मत में अब क्या आने वाला है, उस पर तो अब साक्षात् कामदेवी की कृपा बरसने वाली थी.
मयूरी ने अंदर कमरे में घुसते हुए अपने पापा को आवाज़ दी- पापा? पापा- हाँ बेटा? मयूरी- आप पढ़ाई कर रहे हैं? पापा- हाँ बेटा… कुछ काम था? मयूरी- नहीं… मुझे लगा कि आप आजकल मुझ पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहे हैं… मुझे प्यार भी नहीं करते पहले की तरह… तो आपसे बात करी जाये! पापा- ऐसा नहीं है बेटा… पापा आपसे बहुत प्यार करते हैं… पर थोड़ा बिजी होते हैं आजकल… और आप काफी बड़ी हो गयी हैं… तो आपको गोद में उठाकर पहले की तरह प्यार भी नहीं कर सकते.
मयूरी इतना सुनते ही जोर जोर से उछलने और पैर पटकने लगी और बच्चों की तरह जिद करने लगी- नहीं… नहीं… नहीं… मैं बड़ी नहीं हुई हूँ… आप बस मुझे प्यार नहीं करते.
उसके ऐसे उछलने और बच्चों की तरह जिद करने से पापा को पहले तो उस पर बड़ा प्यार आया लेकिन अगले ही पल उनकी नजर और नजरिया दोनों उस सामने जिद से नाच रही लड़की को लेकर बदल गया. थोड़ी देर पहले जो लड़की उसे अपनी बेटी नजर आ रही थी अब उसमें उनको कुछ और नजर आता है. मयूरी जब बच्चों की तरह जिद करते हुए नाच रही थी तो उछलने की वजह से उसकी गोल-गोल भारी चूचियां जोर-जोर से ऊपर-नीचे हो रही थी.
इसके दो प्रमुख कारण थे- एक तो उनका साइज और आकर बहुत बड़ा था और दूसरा कि मयूरी ने सपोर्ट के लिए अंदर ब्रा भी नहीं पहनी थी. साथ-ही-साथ ऊपर नीचे कूदने की वजह से उसकी छोटी सी स्कर्ट जो पहले ही पड़ी मुश्किल से उसकी चूत और जाँघों को ढक पा रही थी, बार-बार हवा में ऊपर ही रह जा रही थी और उससे मयूरी की जांघें और गांड बिल्कुल नंगी सामने से नजर आ रही थी.
अशोक को अपने बेटी की चूत तो नहीं दिख रही थी क्योंकि वो जांघों में नीचे कहीं छुपी हुई थी और वो अपने आँखें फाड़-फाड़ कर अपनी बेटी के सामने ही उसकी चूत में नजर भी नहीं डाल सकता था, पर गांड और उछलती हुई चूचियों पर से वो अपने ध्यान हटा नहीं पा रहा था.
और इस अवस्था में बेटी मयूरी को देखकर अशोक बिल्कुल अवाक् से रह गया. थोड़ी देर तक कुछ समझ नहीं पाया कि क्या करना है. इतनी कामुक लड़की देखकर उसका मन किया कि वो उठे और जाकर बेटी की दोनों चूचियों को जोर से पकड़कर मसल दे और उसका वो टॉप फाड़कर अपनी बेटी को नंगी कर दे… स्कर्ट ऊपर-नीचे होने से उसको यह भी पता चल गया कि मयूरी ने अभी पैंटी नहीं पहनी हुई है. उसका मन किया कि वो उसकी स्कर्ट को तुरंत फाड़कर उसके जिस्म से अलग करके उसको एकदम नंगी करके उसकी चूत और गांड को खूब चूमे और चुदाई करे.
पर थोड़ी देर ऐसे ही ताड़ने के बाद अगले ही पल उसके अंदर का पिता जाग गया और उसको ख्याल आया कि यह लड़की उसकी अपनी बेटी है… उसने अपने मन पर नियंत्रण किया और हँसते हुए उसको शांत करने के लिए बोला- अच्छा… अच्छा… ठीक है… आप शांत हो जाइये… और बताइये आपको क्या चाहिए?
मयूरी इठलाती हुई- पापा… मुझे प्यार करो… पहले की तरह… अपने गोद में बिठाकर! पापा- अरे… ओहो… ऐसे कैसे मैं तुम्हें अपने गोद में बिठा सकता हूँ… तुम अब! मयूरी बात को बीच में काटते हुए- मैं बताती हूँ कैसे…
और वो ऊपर बिस्तर पर चढ़ने लगी और बोली- पापा… मैं आपकी गोद में बैठने आ रही हूँ. ऐसा कहते हुए वो बिस्तर पर चढ़ कर खड़ी हो गाती और पापा के हाथ से किताब छीन कर बगल में पटक दी.
इस समय स्थिति कुछ इस तरह है: पापा उसी अवस्था में आधे बैठे और आधे लेटे हुए हैं, मयूरी अपनी दोनों गोरी और लम्बी टाँगों को, जो बिल्कुल नंगी और आकर्षक हैं, अपना पापा के दोनों तरफ किये हुए है, इससे अशोक अब मयूरी की दोनों टांगों के बीच में बैठा हुआ है और मयूरी उसके ठीक सामने खड़ी है. इस अवस्था में खड़े होने की वजह से अशोक का चेहरा मयूरी किए घुटनों के समीप है और मयूरी की स्कर्ट बहुत छोटी होने की वजह से उसकी जांघों और चूत के आस-पास की जगह का अशोक बड़े आराम से दर्शन कर पा रहा था.
मयूरी ने इस वक्त का नियंत्रण पूरी तरह से अपने हाथ में लिया हुआ था, उसको पता था कि अब उसके पापा उसके इस कामुक और आकर्षण शरीर के हवस जाल में पूरी तरह फंस चुके हैं. अगर ऐसा नहीं होता तो वो अब तक मयूरी को जोर से डाँट चुके होते उसकी ऐसी हरकतों के लिए. पर ऐसा कुछ हुआ नहीं है अब तक, मतलब वो अपने पापा को अपने प्रेमजाल में फंसाने में कामयाब रही है. इसी आत्मविश्वास के साथ वो आगे बढ़ी और अपना अगला साहसी कदम रखने लगी.
माँ सेक्स कहानी जारी रहेगी. [email protected]
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