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फैमिली सेक्स की इस स्टोरी में आप पढ़ रहे हैं कि कैसे बेटी ने अपनी माँ को लेस्बियन सेक्स के लिए उकसाया.
मयूरी- बहुत दिन से एक बात कहना चाह रही थी आपसे! शीतल- हाँ.. बोलो? मयूरी- माँ… आप गुस्सा तो नहीं करोगे ना… शीतल- नहीं बेटा… आप बिना डरे अपनी बात बताओ? मयूरी- माँ… कुछ दिनों से मेरे मन में… शीतल- बोलो बेटा? मयूरी- वो… मैं … शीतल- अरे कोई बात नहीं बेटा… आप बताओ… क्या बात है… डरने की कोई जरूरत नहीं है.
मयूरी- वो कुछ दिनों से मुझे सेक्स करने का बहुत ज्यादा मन होता है…
शीतल- क्या? मयूरी- हां माँ.. कभी-कभी तो मन करता है की किसी से भी जाकर सेक्स कर लूँ. शीतल समझाते हुए- अच्छा…? पर इसमें घबराने या शरमाने की कोई बात नहीं है बेटा… ये सब बिल्कुल सामान्य है… इस उम्र में होता है. मयूरी- पर मैं ये सब नहीं करना चाहती माँ… क्योंकि इससे मेरी और घर की बदनामी हो सकती है. शीतल- बिल्कुल सही… एक छोटी से गलती का परिणाम बहुत ज्यादा बुरा हो सकता है. मयूरी- पर मैं करू क्या माँ… मुझे चुदाई की बहुत तीव्र ईक्षा होती है कभी-कभी!
शीतल अभी भी मयूरी की विशाल और माखन जैसी मुलायम चूचियों की मालिश कर रही है- मैं समझ सकती हूँ… पर तुम्हें अपने मन पर काबू करना होगा… एक बार तुम्हारी पढ़ाई ख़त्म हो जाये फिर तुम्हारी किसी नौजवान लड़के से शादी करा देंगे… फिर जी भर के सेक्स करना… रोज़-रोज़ चुदवाना अपने पति से. मयूरी- पर माँ… उसमें बहुत वक्त है अभी… मेरे से अब बर्दाश्त नहीं होता.
शीतल कुछ सोचते हुए- अच्छा… अगर तुमसे एकदम बर्दाश्त नहीं हो रहा तो तुम एक काम कर सकती हो! मयूरी (ख़ुशी से)- क्या माँ? शीतल- तुम हस्त-मैथुन कर सकती हो…
मयूरी- माँ… मुझे पता है कि हस्त-मैथुन क्या होता है… पर मैंने किया नहीं है कभी… और मुझे थोड़ा अजीब लगता है अपने हाथ से ये सब करने में… शीतल- अरे… इसमें अजीब क्या है? सब लड़कियाँ करती हैं. मयूरी- मतलब आप भी करती हो? शीतल हंसती हुई- नहीं पगली… मेरे लिए तो तेरे पापा है ना… रोज़ खूब चोदते है… तो अब जरूरत ही नहीं पड़ती… लेकिन कभी कभी जब तुम्हारे पापा बाहर जाते है कुछ दिनों के लिए तब मैं अकेले में करती हूँ.
मयूरी- ओ… पर माँ… मुझे तो ये अजीब लगता है बिल्कुल… मतलब अपने हाथ से… कैसे? शीतल- अरे… आसान है… जब सेक्स का बहुत मन कर रहा हो तो अपनी एक या दो उंगली अपनी चूत में डाल लो… फिर उसको अंदर-बाहर करते रहो… बहुत मजा आता है. मयूरी- आप मुझे सिखा सकती हो प्लीज? शीतल- मैं तुम्हें… कैसे??
फिर शीतल कुछ सोचते हुए बोली- अच्छा ठीक है… अपनी टाँगे चौड़ी कर के फैलाओ… और मुझे अपनी चूत दिखाओ. मयूरी- ठीक है! और मयूरी ने अपनी टाँगें फैला दी, नंगी तो वो पहले से ही थी.
शीतल थोड़ा नीचे सरक गयी जिससे वो मयूरी की चूत को अच्छे से देख पाए. फिर वो अपना एक हाथ उसके गुलाबी सी चूत पर फेरती है. मयूरी के मुँह से सिसकारियां निकलने लगती है. मयूरी- आ… आह… माँ… शीतल- क्यूँ … मजा आ रहा है? मयूरी- हाँ माँ… बहुत अच्छा लग रहा है.
शीतल अपनी जवान बेटी की इस खूबसूरत चूत को देखकर अपने अंदर की चुदास की पनप को और तीव्र होता हुआ महसूस कर रही होती है. उसको समझ नहीं आता कि किसी औरत के जिस्म को देखकर उसको ऐसा क्यूँ महसूस हो रहा है. ऐसी भावना उसके मन में पहली बार जन्म ले रही थी इसलिए उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था.
वो बड़े गौर से मयूरी की चूत का निरीक्षण करती है और अपना हाथ उस पर बड़े प्यार से फेरते हुए बोली- मयूरी… मयूरी- ह.. हाँ… माँ… आह… शीतल- तुम्हारी चूत तो बहुत खूबसूरत है… एकदम गुलाबी… टाइट… रसीली… मयूरी- तुम्हें अच्छी लगी माँ? शीतल- हाँ बेटा… जी करता है कि इसको चूम लूँ. मयूरी- आह… माँ… तो आपको रोका किसने है… चूम लो… चाट लो… जो करना है वो करो… मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. शीतल- सच बेटी? मयूरी- हाँ माँ… आप जो चाहो वो कर सकती हो.
और ऐसा कहते हुए मयूरी ने अपने हाथ अपनी माँ शीतल की गर्दन पर रखे और वो उसके चेहरे को अपनी चूत पर झुका कर दबा दिया. शीतल को तो जैसे इस वक्त यही चाहिए था, वो अपने होंठों से मयूरी की चूत को प्यार करने लगी. पहले तो उसने उसकी चूत की कली को चूमा, फिर अपनी जबान से उसको चाटने लगी. फिर थोड़ी ही देर में वो अपनी जबान मयूरी की चूत के अंदर डालकर कुछ कलाबाजियां दिखाने लगी.
मयूरी के लिए ये नया नहीं था, वो पहले भी कई बार अपनी चूत अपने दोनों भाइयों से चटवा चुकी थी पर एक औरत के होंठों और जबान की बात ही अलग होती है और विशेष रूप से अपनी सगी माँ आपकी चूत चाट रही हो तो उसकी बात ही थोड़ी अलग होती है. उसको अभी कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था अपनी चूत चटवाने में.
खैर, मयूरी की सिसकारियों की आवाज़ अब और तेज़ हो गयी और उसकी तेज़ आहों और सिसकारियों की आवाज़ से शीतल को और जोश मिल रहा था उसे अपनी बेटी की चूत चाटने में. यह उसके लिए पहली बार था जब वो किसी औरत का चूत चाट रही थी, लंड तो वो कई बार चूस चुकी थी अपने पति का … पर यह अहसास थोड़ा अलग था और इसी वजह से उसको कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था.
उत्तेजना के कारण मयूरी अपनी माँ का मुँह अपने हाथ से अपनी चूत पर जोर जोर से दबा दे रही थी जिससे शीतल को कभी कभी साँस लेने में थोड़ी दिक्कत भी हो रही थी पर इस समय वो दोनों कुछ भी कर गुजरने को बिल्कुल तैयार थे. थोड़ी देर मयूरी की रसीली चूत को चाटने के बाद, अब तक मयूरी की चूत ने 3-4 बार पानी छोड़ दिया था और उसकी माँ ने उसकी चूत के पानी का एक-एक बून्द अपनी होंठों और जबान से चाट-चाट कर साफ किया.
अब शीतल ने अपनी बीच की उंगली मयूरी के चूत में डाल दी और मयूरी की चूत पहले से ही गीली होने की वजह से वो आराम से सरसराते हुए अंदर चली गयी. हालाँकि शीतल को उसकी चूत के टाइट होने का अहसास तब भी होता है. मयूरी अचानक से चिहुंक सी गयी और इसी बीच शीतल अपने हाथ को आगे-पीछे करके मयूरी की चूत को चोदने लगी.
शीतल ने जोश में अब अपने हाथ को मयूरी की चूत में अंदर-बाहर करने की रफ़्तार को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया, मयूरी की सिसकारियां अब बहुत ही ज्यादा तेज़ हो गयी- आ… ह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह… माँ… शीतल पूरे जोश में जोर से चिल्ला कर- मजा आ रहा है बेटी? मयूरी- हाँ… माँ… बहुत मजा आ रहा है… आह… ह… और जोर से… करो माँ… आह… ऐसे ही… आ… बहुत मजा आ रहा है माँ… आ… ह…
शीतल अपनी बेटी को बहुत देर तक अपने हाथों से चोदती रही… फिर जबउसकी चूत से ढेर सारा पानी बाहर निकला, तब उसकी चूत का निकला हुआ पानी वो उसी के मुँह में डाल कर बोली- ले बेटा… अपनी चूत का पानी का स्वाद चख… बहुत मस्त है… मैंने इतनी देर में बहुत सारा पिया है ये स्वादिष्ट पानी!
मयूरी ने भी पूरे जोश में अपनी माँ के आदेश का पालन किया और वो सारा पानी चाट गयी.
अपनी माँ के द्वारा अपनी चूत-चटाई और उंगली से चुदाई के बाद मयूरी को अब अपनी योजना बहुत हद तक तो सफल होते हुए नज़र आ रही थी. पर वो इसके पहले की अपनी माँ के साथ अपने बेटों से चुदवाने की बात करे, वो पूरी तरह आश्वस्त हो जाना चाहती थी. इसलिए उसने इस माँ-बेटी के बीच का अनूठा प्यार को और आगे बढ़ाने की बात सोची. उसने अपना अगली चल चली- माँ… शीतल- हाँ बेटा? मयूरी- अ… वो.. क्या मैं… मैं भी आपकी चूत… शीतल- हाँ बेटा… बिल्कुल… मुझे बहुत ख़ुशी हुई यह बात जानकर कि तुम मेरा चूत चाटना चाहती हो. मयूरी- तो आप अपने कपड़े उतार दो ना… शीतल- जरूर…
और शीतल ने अपनी नाइटी उतार फेंकी और उसके साथ ही साथ उसने अपनी काले रंग की ब्रा और पैंटी भी फटाफट से उतार दी जैसे उसको अपनी बेटी से चूत चटवाने की कुछ ज्यादा ही जल्दी हो. अब वो अपनी नंगी जवान बेटी के सामने खुद भी बिल्कुल वस्त्रहीन थी.
मयूरी ने अपनी नंगी माँ को बड़े गौर से देखा और उसके शरीर का निरीक्षण करने लगी. शीतल की उम्र के मुताबिक उसका शरीर बहुत ही ज्यादा जवान और हसीं था. चूचियां बिना ब्रा के भी बड़ी और खड़ी थीं, कमर एकदम पतली और गांड मयूरी की तरह ही बड़ी-बड़ी थी. शीतल बहुत गोरी थी और बिना कपड़ों के वो किसी हीरोइन से कम नहीं लगती थी. शायद यही वजह थी कि अशोक आज भी उसके प्यार में पागल था.
मयूरी ने अपनी नंगी माँ को अपनी तरफ जोर से खींचा और अपने होंठ उसके होंठों से जोड़ दिए. फिर दोनों माँ-बेटी में चुम्बन का एक लम्बा दौर चला… दोनों औरतें जैसे एक-दूसरे को या तो खा जाना चाह रही थीं या एक-दूसरे में जैसे समा जाना चाहती थी. शीतल ने अपने चुम्बन का अनुभव दिखाया और अपनी जबान मयूरी के मुँह एक अंदर डाल कर कलाबाजियां करने में लग गयी.
दोनों ही औरतें एक दूसरी को चूमने के साथ साथ अपने एक एक हाथ से एक दूसरी की एक एक चूची को मसलने और एक हाथ से एक दूसरे की मुलायम गांड का जायजा लेने में भी उतना ही व्यस्त थी जितना उनके होंठ और जबान चुंबन के उस प्रगाढ़ दौर में व्यस्त थे.
फिर थोड़ी देर और इसी अवस्था में एक दूसरे को प्रेम करने के बाद दोनों औरतों ने 69 की अवस्था अपनायी और एक दूसरे के मुँह से चूत का अभिवादन करने का कार्य शुरू हुआ. दोनों औरतों ने एक साथ एक दूसरी की चूत को चाटना और अपनी-अपनी जबान से एक दूसरी की चूत को चोदना शुरू कर दिया. ज्यादा उत्तेजना की वजह से दोनों ही कभी कभी बीच बीच में अपना मुँह एक दूसरी की चूत में जोर से दबा रही थी. कमरे में दोनों औरतों की सिसकारियां और आँहें गूंज रही थी.
दोनों का प्रेमालाप करीब बीस मिनट तक ऐसे ही चलता रहा और इतनी देर में दोनों ही माँ-बेटी कई बार झड़ गयी. इतनी देर में दोनों ने एक दूसरी के शरीर के लगभग हर अंग को चाट और चूम लिया था, दोनों ने एक दूसरी की गांड का भी स्वाद ले लिया था और दोनों माँ बेटी के बीच कायम हुए इस नए रिश्ते से काफी खुश लग रही थी.
परन्तु इतनी देर तक लगातार प्रेमलाप के बाद दोनों पसीने-पसीने हो गयी थी और बहुत ही जोर जोर से हांफ रही थी. दोनों की सांस चढ़ी हुई थी और दोनों ही काफी थक चुकी थी.
फैमिली सेक्स की कहानी जारी रहेगी. [email protected]
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