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माँ बेटा सेक्स की इस कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे बेटी अपनी मां को अपने भाइयों से चुदाने के लिए तैयार कर रही है. अब आगे:
मयूरी ने इस बात का पूरा ध्यान रखा कि शीतल को अभी पता ना चले कि वो अपने दोनों भाइयों से पहले से ही चुद रही है और दोनों भाइयों को पता ना चले कि उसका अपनी माँ के साथ लेस्बियन सेक्स का रिश्ता स्थापित हो चुका है और वो उनकी माँ को अपने बेटों से चुदवाने के लिए तैयार कर रही है. मयूरी चाहती थी कि शीतल को पूरी तरह से यह लगे कि उसने अपने बेटों के लंड का शिकार खुद किया है और विक्रम और रजत को यह लगे कि वो अपनी माँ की चूत तक खुद अपने बलबूते पर पहुंचे हैं. वो अपने आपको इन सारी बातों से अलग रखना चाहती थी. पर सत्य तो यही था कि वो खुद ही इस पूरी कहानी की रचयिता थी.
खैर, शीतल अब अपने बेटों को रिझाने की तैयारी में लग गयी. वो अच्छे से तैयार हुई, उसने लो-कट ब्लाउज बैकलेस पहना जिसमें आगे से उसकी चूचियां आधी से भी ज्यादा नज़र आ रही थी और पीछे से उसका पीठ पूरा ही नजर आ रहा था. उसने अच्छे से मेक-अप किया और एक बढ़िया सी गुलाबी रंग की साड़ी पहनी. शीतल पर गुलाबी रंग बहुत ही ज्यादा फबता था.
इन सब चीज़ों में लगभग दोपहर के डेढ़ बज चुका था. थोड़ी देर बाद विक्रम घर आ गया अपनी कोचिंग क्लास कर के … उसने दरवाजे की घंटी बजायी और मयूरी ने शीतल को दरवाजा खोलने को कहा और उसने बताया कि वो अपने कमरे में जा रही है, तो इस वक्त खुल कर अपने बड़े बेटे पर लाइन मार सकती है.
शीतल ने दरवाजा खोला और बड़े ही कामुक अंदाज में मुस्कुराते हुए उसने विक्रम का स्वागत किया। शीतल- आ गया मेरा लाडला! विक्रम- हाँ माँ… और विक्रम हैरानी से अपनी माँ को देखता रह गया.
शीतल विक्रम को मुँह खोल कर उसको ताड़ते हुए देखती तो है पर जताती नहीं है. शीतल- आओ अंदर आओ मेरे लाल… विक्रम- जी माँ…
विक्रम खाने की टेबल पर बैठ गया. शीतल विक्रम के एकदम पास गयी, अपना सीना उसके इतने करीब लेकर गयी कि विक्रम को उसकी मखमली चूचियों का आराम से दर्शन हो सकें और वो उसको खाने को पूछने लगी- भूख लगी है मेरे बेटे को? कुछ खायेगा?
विक्रम तो एकटक बस शीतल की चूचियां देखने में व्यस्त था; अपनी नजरें शीतल की चूचियों पर से बिना हटाए वो बोला- ह… हाँ माँ…
शीतल ने अपने होंठों को अपने दांतों से बड़े ही कामुकता भरे अंदाज़ में काटते हुए पूछा- क्या खायेगा मेरा बेटा? विक्रम कुछ समझ नहीं पाया और वो थोड़ा घबरा गया, हड़बड़ाते हुए बोला- माँ… जो चाहो वो खिला दो… शीतल- मैं तो तुम्हें अपना सब कुछ खिला दूँ मेरे लाल…
और ऐसा कहते हुए उसने विक्रम की चेहरा अपने सीने से लगा लिया. विक्रम का चेहरा इस समय अपनी माँ की चूचियों के बीच था. वो शीतल की चूचियों का कोमलता का अहसास तो कर पा रहा था पर कुछ प्रतिक्रिया नहीं कर पा रहा था. वो चाह तो रहा था कि इस समय उठे और अपनी माँ की चूचियों को पकड़ कर अपने मुँह में भर ले… उनको जोर से उमेठ दे और अपनी माँ की रसीले लाल-लाल होंठों का सारा रस पी जाये. पर वो ऐसा कुछ भी करने की हालात में नहीं था. वो अभी भी यही समझ रहा था कि यह उसकी माँ का उसके प्रति स्नेह है, हवस नहीं.
खैर, इसी तरह शीतल अगले कुछ देर तक विक्रम को कभी अपनी चूचियां तो कभी अपनी गांड का दर्शन और स्पर्श कराती रही. फिर खाना खाकर विक्रम अपने कमरे में चला गया. थोड़ी देर बाद रजत घर आया तो उसको भी अपने माँ का उतना ही प्यार मिला जितना विक्रम को मिला था. पर इससे ज्यादा आज कुछ माँ-बेटों में हो नहीं पाया.
शाम को शीतल ने मयूरी से अकेले में सब कुछ बताया और पूछा- मयूरी, सब ठीक से हो तो रहा है न? कुछ गड़बड़ तो नहीं होगी? मयूरी- नहीं मेरी प्यारी माँ… आप एकदम सही जा रही हो… आज तो दोनों के होश उड़ गए थे… मैंने अपने कमरे से छुप कर देखा था सब कुछ. आज रात में देखना है कि ये क्या बात करते हैं. मैं कल बताउंगी आपको… फिर आगे उस हिसाब से जारी रखेंगे. शीतल- ठीक कह रही है तू. मयूरी- चिंता ना करो माँ… तुम्हें अपने दोनों बेटों के लंड जरूर मिलेंगे… वो भी बहुत जल्द…
शीतल मुस्कुराती हुई- और तेरा बता… अपने बाप से चुदवाने का क्या प्रोग्राम है? मयूरी- हाँ… मैं भी वही करुँगी जो आप कर रही हो… पहले थोड़ा ललचाऊँगी और फिर धीरे-धीरे अपना दीवाना बनाऊँगी… मुझे पहले अपने पापा को पटाना है… तो थोड़ा वक्त लगेगा… पहले उनके मन में अपने लिए हवस उत्पन्न करनी है… फिर मैं उनको चोदूँगी… इसमें थोड़ा टाइम तो लगेगा ही… पर आपको अपने बेटों के लंड जल्दी मिल जायेंगे.
शीतल- एक काम करते हैं… आज रात में मैं तेरे कमरे में जाकर थोड़ी देर तक अपने बेटों की रिझाऊंगी और उसी वक्त तुम मेरे कमरे में जाकर अपने पापा को अपने हुस्न का जादू दिखाओ… क्या कहती हो? मयूरी- आईडिया बुरा नहीं है. और दोनों एक साथ जोर से खिलखिला कर हंस पड़ी.
शीतल फिर रात का खाना बनाने में जुट गयी, मयूरी अपने कमरे में जाकर कमरे का तापमान चेक करने लगी. मयूरी एक बात तो समझ चुकी थी कि आज उसको अपने हुस्न का रंग अपने सगे पिता पर चलाना था. इसलिए उसने थोड़े भड़कीले कपड़े पहने. सबसे पहले तो उसने अपना पैंटी और ब्रा उतारी और एक ढीला सा टॉप और स्कर्ट पहन लिया जिसमें उसका जिस्म बहुत ही ज्यादा कामुक दिख रहा था. चलने पर उसकी चूचियां मस्त हिल रही थी और किसी का भी ध्यान आकर्षित करने की क्षमता रखती थी. पैंटी ना पहनने की वजह से जब भी स्कर्ट ऊपर होती, उसकी चूत दिखने लग जाती.
फिर उसने अपने दोनों भाइयों को अपने पास बुलाकर बातचीत शुरू की- एक बात पूछूं? विक्रम और रजत एक साथ- हाँ पूछ… मयूरी- आज माँ कुछ ज्यादा हॉट नहीं लग रही है? विक्रम- हाँ यार… और मुझे तो कुछ अलग ही लग रही थी. पर मुझे बड़ा मजा आया एक बात से… रजत- किस बात से भाई?
विक्रम- माँ ने मुझे अपने सीने से लगा लिया था आज और मैं उनको चूचियों में जैसे खो गया था. मेरा तो मन कर रहा था कि पकड़ के मसल दूँ उनकी चूचियों को… रजत- क्या बात है भाई… आज तो माँ मुझे भी ऐसे ही कुछ प्यार दिखा रही थी. मयूरी- तुम लोगों को इस से कुछ समझ आता है क्या? विक्रम- क्या? मयूरी- मुझे लगता है कि माँ को नए लंड की तलाश है… और वो बाहर लंड ढूँढना नहीं चाहती… बदनामी की वजह से जैसे मैंने तुम लोगों को अपनी चूत चोदने का मौका दिया… इसी कारण से… विक्रम- क्या बात कर रही हो… ऐसा थोड़ी ना है?
रजत (खुश होते हुए)- हाँ… पर भाई… अगर ऐसा हुआ तो? मयूरी- फिर तो मजे आ जायेंगे… तुम दोनों घर में खुलकर कभी अपनी माँ को चोदो और कभी अपनी बहन को… विक्रम- हाँ… और फिर हम माँ की एक बार चुदाई करने के बाद उनको ये भी बता सकते हैं कि हम तीनों भाई-बहन एक-दूसरे की खूब चुदाई करते हैं. रजत- बिल्कुल सही… और फिर हम खुले में घर में चुदाई कर सकते हैं. मयूरी- हाँ… फिर हमें रात को चुपके-चुपके चुदाई करने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी.
विक्रम थोड़ा उदास होते हुए- पर अगर हम गलत सोच रहे हों तो.. मन लो ऐसा नहीं हुआ तो? मयूरी कुछ सोचते हुए- वैसे तुम लोगों का मन नहीं करता कि तुम दोनों मम्मी की चूत की चुदाई करो? एक साथ! रजत- मैं सच्ची बताऊँ, मेरा तो बहुत मन करता है कि मैं माँ का दूध जोर से दबा दूँ और भाई पीछे से मम्मी को पकड़ कर उसकी चूत में उंगली डाल कर मजे ले. फिर दोनों भाई एक साथ अपनी मां की चुदाई करें. विक्रम- हाँ.. मेरा भी बहुत मन करता है माँ की चुदाई करने का… पर ये पता नहीं संभव होगा या नहीं.
मयूरी- तुम लोग मायूस मत हो… ईश्वर ने चाहा तो शायद माँ तुम दोनों का लंड एक साथ चूसे… और क्या पता मां भी ऐसा ही चाहती हो? विक्रम- क्या सच में… म… मतलब ऐसा हो सकता है क्या? मयूरी- हाँ.. क्यूँ नहीं… मतलब जैसे मेरे मन में तुम दोनों से चुदने की इक्षा हो सकती है वैसे उनके मन में भी हो सकती है. रजत- तो ये पता कैसे चलेगा? मयूरी- तुम दोनों को कोशिश करनी होगी… लेकिन मैं उसके पहले तुम दोनों को जैसे जैसे बताऊँगी वैसे-वैसे ही करना होगा.
रजत- क्या करना होगा? मयूरी- तुम दोनों ना, थोड़ा माँ के करीब जाओ. उनको यहाँ-वहाँ छूकर अपने मन की बात का अहसास भी कराओ और उनके मन को भी पढ़ने की कोशिश करो. ऐसा करने से तुम्हें यह पता भी चल जायेगा कि वो क्या चाहती हैं. और अगर उचित संकेत मिला तो तुम फिर अपना अगला कदम रखोगे. विक्रम- कौन सा अगला कदम? मयूरी- अरे… तुम लोग बहुत भोले हो… माँ एक औरत है… तो वो तुम्हारे सामने अचानक से नंगी होकर तो नहीं आ जाएगी और कहेगी कि मुझे अपने लंड से चोद दो? विक्रम- हाँ… ये बात तो है… फिर?
मयूरी- तुम पहले अपनी हरकतों से उसको ये बताओ कि तुम भी यही चाहते हो. थोड़ा रिझाओ उनको अपनी मर्दानगी से… विक्रम- मतलब कैसे? मयूरी- ओफ्फोह… अरे तुम लोग भी न… अच्छा सुनो… तुम ना किसी तरह उनको अपने खड़े लंड के दर्शन कराओ उनको… जिससे उनकी तुमसे चुदाने की तमन्ना और भड़के… विक्रम (जैसे समझते हुए)- ओ… हाँ… मैं समझ गया… मयूरी (दोनों को अपने सीने से लगते हुए)- मेरे प्यारे भाई… जल्दी ही तुम अपनी माँ की चूत का भी स्वाद ले रहे होंगे…
और फिर दोनों भाई थोड़ी देर तक मयूरी की चूचियों और चूत से खेले. फिर मयूरी अपने कमरे से बाहर निकली और रसोई में जाकर अपनी माँ को, जो खाना पकने में व्यस्त है, पीछे से गले लगाया और अपनी भारी चूचियां उसकी पीठ में जोर से दबा दी और उसकी चूचियों को अपने हाथों से मसल दिया.
शीतल- आह… क्या हुआ मेरी जान… क्या इरादा है? मयूरी- माँ… तुम्हारे दोनों बेटे तुम्हें चोदने के लिए मरे जा रहे हैं… अभी मैं जब बाथरूम में थी तो उनको बात करते हुए सुना… आज दिन में तो आपने दोनों पर खूब कहर ढाया. शीतल (मुस्कुराते हुए)- क्या वाकयी? मयूरी- हाँ मेरी प्यारी माँ… हाँ… अब तुम थोड़ी देर में उनके पास जाओ और उनके थोड़ा और नजदीक जाने की कोशिश करो… मैं अपने मिशन पर जा रही हूँ… पापा के पास… अपने हुस्न का जादू चलाने… शीतल मुस्कुराते हुए- ठीक है… मैं भी थोड़ी देर में उनके पास जाकर थोड़ा अपने अंगो का थोड़ा और प्रदर्शन करती हूँ.
ऐसा कहते हुए शीतल अपने बेटों के कमरे की तरफ चली गयी और उसी क्षण मयूरी अपने पिता के कमरे की तरफ बढ़ गयी.
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