This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
दोस्तो, मेरा नाम योगी है और मैं 42 साल का स्वस्थ व्यक्ति हूँ. अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है. मैं एक बिल्कुल सीधा साधा सा व्यक्ति हूँ लेकिन कभी कभी जीवन में इस प्रकार की घटनाएं घट जाती हैं, जो कि व्यक्ति के जीवन को पूरी तरह बदल देती हैं. मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.
कहानी शुरू करने से पहले मैं अपने बारे में विस्तार से बता दूँ. मैं एक प्राइवेट स्कूल में अंग्रेजी का अध्यापक हूँ. इस वक्त 42 साल की उम्र होने के बावजूद भी मैं 30-32 साल का ही लगता हूँ. जिसका कारण यह है कि मुझे जिम जाने की आदत है.
शुरू से ही मेरा ध्यान पढ़ाई की ओर रहा है इसलिए मैं लड़कियों से दूर ही रहा हूँ. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि लड़कियों से मेरी दोस्ती नहीं थी. दोस्ती तो थी लेकिन पूरी तरह पवित्र, किसी भी प्रकार का सेक्सुअल आकर्षण या शारीरिक संबंध कभी भी किसी के साथ नहीं रहा. फिर 28 साल की आयु में मेरी शादी हो गई थी. मेरी पत्नी एक सरकारी कार्यालय में लिपिका के पद पर कार्यरत है.
मेरा पहला शारीरिक संबंध भी शादी के बाद मेरी पत्नी के साथ ही हुआ था. मेरी पत्नी के साथ भी ऐसा ही था. दो साल बाद हमारे यहां एक लड़के ने भी जन्म लिया. कुल मिलाकर हमारी शादीशुदा जिन्दगी मजे में चल रही थी.
अब चलते हैं 19 वर्षीय छात्रा कविता और मेरे बीच की उस घटना की ओर.. जिसने मेरी जिन्दगी को बिल्कुल बदल दिया. या यूं कहिए मेरा ऐसा चरित्र हनन ऐसा हुआ कि फिर तो मैं हमेशा अपने आप पास सेक्स की तलाश करने लगा.
यह घटना 4 साल पहले की है, मेरी कक्षा में एक लड़की कविता पढ़ती थी. पढ़ाई में ठीक ठाक ही थी. सुन्दर भी अधिक नहीं थी लेकिन उसका शारीरिक विकास अच्छा था. तब भी मेरा ध्यान उस पर इस प्रकार से नहीं गया था.
एक दिन की बात है कि कविता मेरे पास आई और झिझकते हुए मुझसे बोली- सर मुझे आपसे कुछ बात करनी है. मैंने कहा- हां बोलो? कविता ने कहा- सर, कक्षा का मानीटर सुनील, मुझे डरा रहा है. उसने मेरे बैग में से एक लैटर निकाला है. सर मुझे नहीं पता कि वो कहां से आया, लेकिन वो कह रहा है कि वो उसे मेरे घर पर दे देगा. सर अगर ऐसा हुआ तो मेरे घर के मुझे स्कूल से निकाल लेंगे और मैं पढ़ नहीं सकूंगी. सर, प्लीज उसे समझाइये.
मेरा स्कूल एक ग्रामीण क्षेत्र में है, इसलिये इस प्रकार की कोई बात होने पर अभिभावक अपनी लड़कियों को स्कूल से निकाल लेते थे. इसलिये मैंने सुनील को ऐसा न करने को कहा और वो लैटर उससे ले लिया. फिर कविता के सामने ही उसे फाड़कर भी फेंक दिया.
इस घटना के बाद सब कुछ सामान्य चला रहा. दसवीं की परीक्षा के बाद कविता ने स्कूल छोड़ दिया और वो किसी दूसरे संस्थान में पढ़ने लगी.
कविता से मेरी मुलाकात 2 साल बाद हुई तब वह 18 साल की जवान हो चुकी थी. वो स्कूल में मेरे पास आई और बोली- सर मुझे आपसे एक छोटा सा काम है. मैंने कहा- बोलो. उसने कहा- सर, मेरा अंग्रेजी में कम्पटीशन है और 10 दिन बाद परीक्षा है. मेरा ये आखिरी चांस है. अगर आप मुझे एक्स्ट्रा कलास दे दें, तो मैं पास हो जाऊँगी.
उसके साथ उसके पिता भी थे और वो भी आग्रह करने लगे, तो मैंने उसको स्कूल के बाद 30 मिनट का समय दे दिया. वो रोज स्कूल में छुट्टी के बाद आने लगी और मैं उसे पढ़ाने लगा. परीक्षा में वो पास भी हो गई.
दो महीने के बाद एक दिन मेरे मोबाइल पर एक मैसेज आया कि सर मुझे आपसे कुछ बात करनी है. ये फोन मेरे दादा जी का है.. इसलिए आप कल शाम को 5 बजे ही फोन करना.
लेकिन कोई नाम नहीं लिखा था. इसलिये मैं सोचने लगा कि ना जाने किसका मैसेज है. इसलिये मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की.
फिर 5 दिन बाद उसी नंबर से फोन आया और दूसरी ओर से कविता बोल रही थी- सर आपने फोन नहीं किया. मैंने आपको मैसेज किया था. मुझे आपसे एक जरूरी काम था. मैंने कहा- बेटा, मुझे नहीं पता था कि वो मैसेज तुम्हारा था. बताओ क्या बात है. उसने झिझकते हुए कहा- सर, मुझे आपकी मदद चाहिए. आपके स्कूल में एक लड़का है, राजेश. उसके पास मेरे लिखे पत्र हैं और अब वो मुझे अकेले में मिलने के लिये बुला रहा है. सर मुझे डर लग रहा है. वो कहता है अगर मैं उससे मिलने नहीं गई तो वो मेरे पत्र स्कूल की दीवारों पर चिपका देगा. मुझे उसकी बात सुनकर गुस्सा आ गया. मैंने उसे डांटते हुए कहा- तुमने मुझे क्या समझ रखा है. हमेशा तुम सती सावित्री बनकर आ जाती हो कि वो मुझे डरा रहा है कि जैसे तुम्हारी कोई गलती ही नहीं है. अगर ऐसे काम करोगी, तो ये सब तो होगा ही.
मेरा ऐसा कहना था कि उसकी आंखों में आंसू आ गए. उसकी आवाज में उसको रोता जानकर मेरा दिल पसीज गया. मैंने कहा- ठीक है तुम जाओ. मैं कुछ करता हूँ.
मैंने राजेश को बुला कर उसे डराया कि तुम्हारी शिकायत आई है. कविता के माता-पिता तुम्हारे खिलाफ पुलिस में शिकायत करने को कह रहे थे. मैंने किसी तरह उन्हें समझा कर भेज दिया है. तुम चुपचाप उसके लैटर मुझे दे दो वरना मुझे तुम्हारे पिता जी को स्कूल में बुलाना पड़ेगा और हो सकता है तुम्हारा नाम भी काटना पड़े.
राजेश मेरी बात सुनकर डर गया और उसने मुझे अगले दिन वो लैटर लाकर मुझे दे दिये.
घर जाकर मैंने उन लैटर्स को पढ़ा तो मेरे पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गयी. जिस कविता को मैं बिल्कुल सीधा साधा समझता था. लैटर्स में लिखी उसकी बातों को पढ़कर मेरा तो दिमाग ही घूम गया. आज पहली बार मेरा ध्यान कविता के यौवन की ओर गया. मैं सोचने लगा कि अगर इस फायदे का उठाकर बहती गंगा में हाथ धो लिया जाए, तो क्या बुरा है.
अगले दिन जब कविता लैटर लेने आई तो मैंने उसे बाद में फोन करने को कहा. शाम को उसका फोन आया तो मैंने कहा कि लैटर मेरे पास सुरक्षित हैं, तुम चिन्ता मत करो. तो वो मुझसे लैटर लौटाने के लिये कहने लगी. मैंने कहा- ठीक है.. मैं तुम्हें दे दूंगा. लेकिन अगर तुम्हारे घर किसी को पता चल गया तो मुझसे कहेंगे कि मैंने इस बारे में उनको क्यों नहीं बताया तो मैं क्या जवाब दूँगा. इसलिये तुम अपने घर ये नहीं कहोगी कि मैं इस बारे में जानता हूँ. उसने कहा- ठीक है सर.. मैं किसी को नहीं कहूँगी. मैंने कहा- मैं इतनी जल्दी तुम पर विश्वास कैसे कर सकता हूँ?
ये कहकर मैंने फोन काट दिया. दरअसल अब मैं उसे ब्लैकमेल करना चाहता था.
अगले दिन स्कूल की छुट्टी थी. मैं घर पर अकेला बैठा था कि कविता का फोन आया. मेरी पत्नी ऑफिस गई थी और लड़के को उसके मामा अपने घर ले गए थे.
कविता बोली- सर, प्लीज आप मुझे लैटर दे दीजिए. किसी को पता नहीं चलेगा कि आपको इस बारे में पता था. मैंने कहा- ठीक है.. मैं अभी घर पर हूँ. तुम आकर अपने लैटर ले जाओ.
करीब 45 मिनट बाद मेरे घर की डोरबेल बजी. मैंने दरवाजा खोला और उसे अन्दर आने को कहा. मैंने उसे पीने के लिये पानी दिया. वो सोफे पर बैठ गई. मैं अन्दर गया और लैटर लेकर आया और उसे दे दिये. उसने लैटर खोल कर देखे, उसमें से कुछ लैटर मैंने रख लिये थे.
वो बोली- सर इसमें पूरे नहीं हैं. मैंने कहा- हां, कुछ मैंने रख लिये हैं ताकि तुम किसी को ये ना बता पाओ कि इस बारे में मुझे पता था. वरना सब मुझ पर भी उगलियां उठाएंगे कि मैंने तुम्हारे घर पर क्यों नहीं बताया. मेरी बात सुनकर वो गिड़गिड़ाने लगी- सर प्लीज किसी को पता नहीं चलेगा.. प्लीज सर.. मैं अब ऐसी कोई गलती नहीं करूंगी.
ये कहते हुए वो मेरे पांव पकड़कर नीचे बैठ गई. मैंने उसे कंधों से पकड़कर उठाया और उसके कंधों को सहलाते हुए अपने हाथ उसकी पीठ की ओर ले गया और धीरे धीरे सहलाने लगा. उसके शरीर की गर्मी महसूस करते ही मेरे अन्दर वासना हिलोरें भरेने लगी.
मैं उसे समझाते हुए बोला- एक बात बताओ. ये सब सिर्फ लैटर्स और बातों तक ही चल रहा है या कि इससे आगे भी जा चुकी हो? वो ना में सिर हिलाते हुए बोली- नहीं सर ऐसा कुछ नहीं है. “तुम्हारे साथ कोई फोटो तो नहीं है ना उसके पास?” उसने जवाब दिया- नहीं सर.
वो अब भी मुझसे चिपक कर खड़ी थी और मैं उसके बदन की नर्मी और सांसों की गर्मी को महसूस कर रहा था. मेरे हाथ निरंतर उसकी कमर पर उसकी ब्रा की स्ट्रिप्स को टटोल रहे थे. मैंने उसके चेहरे को ऊपर की ओर किया और पूछा- कभी किस वगैरह तो किया होगा?
उसके आंखों में मुझे एक नशा सा महसूस हो रहा था. उसने ना में सिर हिला दिया. मैं उसकी आंखों में गहराई से देखता जा रहा था.
धीरे-धीरे मेरे होंठ उसके होंठों की ओर बढ़ने लगे. उसकी आंखें अपने आप बंद हो गईं. मेरे होंठ उसके होंठों से चिपक गए और उसका रसपान करने लगे.
वो खामोशी से मेरे चुंबन का मजा ले रही थी. उसकी सांसें तेज तेज चलने लगी थीं. मैं एक मंजे हुए खिलाड़ी की तरह उसके अधरों के रस को कोमलता से चूस रहा था. धीरे-धीरे उसके होंठ खुलने लगे. उसके होंठ भी अब हरकत कर रहे थे. हमारी जीभ एक दूसरे की जीभ के साथ अठखेलियां कर रही थीं. मैंने उसे खींचकर अपने सीने में भींच लिया. उसके विकसित अनछुए वक्ष उभार मेरे चौड़े सीने में धंसते जा रहे थे.
एक लंबे चुंबन के बाद हम अलग हुए. वो थोड़ा घबरा गई. उसने मुझे पीछे धकेला और घड़ाम से सोफे पर गिर पड़ी. मैं एक पल के लिये सकपका गया. फिर हिम्मत कर उसके पास चिपक कर बैठ गया. वो सिमटी से बैठी रही. मेरा एक हाथ उसके कंधे को सहलाने लगा और दूसरे हाथ से मैंने उसके हाथ को थाम लिया.
अब वो थोड़ा सा सहज महसूस कर रही थी.
सच कहूँ तो जैसे ही उसने मुझे धक्का दिया था, मेरी तो फट ही गयी थी. मुझे लगा कहीं वो चिल्लाने ही न लगे.
मैंने हिम्मत करते हुए उसे दिलासा देना शुरू किया. मैं उसे बताने लगा कि इन हालातों में से सब हो ही जाता है. वैसे भी अगर वो उस लड़के से मिलने जाती, तो वह भी उसके साथ यही सब ही करता.
वो खामोश बैठी रही. मैं धीरे-धीरे उसे सामान्य करने की कोशिश कर रहा था. मैं यही सोच रहा था कि अगर इसने ये सब किसी से कह दिया तो मेरा कैरियर और वैवाहिक जीवन तो तबाह ही हो जाएगा. लेकिन दूसरी ओर उसके अनछुए यौवन का भोगने की लालसा भी मुझे उकसा रही थी.
मैंने उससे कहा कि क्या उसने सच में कभी भी पहले ऐसा नहीं किया है? उसने ‘न..’ में सिर हिला दिया. मैंने अपना मन मजबूत करते हुए उससे पूछ ही लिया कि क्या उसे ये करना अच्छा नहीं लगा?
वो चुपचाप बैठी रही. फिर थोड़ी देर बाद बोली- सर, मुझे वो लैटर दे दीजिए ना. मैंने कहा- ठीक है, देता हूँ. लेकिन सिर्फ एक बार मैं तुम्हें फिर से किस करना चाहता हूँ. सिर्फ एक बार.. प्लीज! उसके बाद तुम जैसे चाहो वैसे करना.
वो मौन स्वीकृति देते हुए बैठी रही. मैं उसके कंधे को सहलाते हुए उसके कान के पीछे से अपनी गर्म गर्म सांसें छोड़ते हुए पास जाने लगा. उसकी आंखें खुद ब खुद बंद होने लगीं.
मैंने उसका चेहरा अपनी ओर किया और उसके गालों पर चुम्बन करने लगा. वो शांत भाव से बैठी, मेरी हरकतों को शायद सहन कर रही थी. धीरे-धीरे मेरे होंठ फिर से उसके होंठों पर कब्जा करने लगे. मैं कभी उसके निचले तो कभी ऊपरी होंठ को चूस रहा था.
धीरे-धीरे वो भी मेरा साथ देने लगी. वो भी आनन्द का अनुभव कर रही थी.
मैंने धीरे धीरे अपना हाथ उसके वक्षस्थल की ओर बढ़ा दिया. उसके वक्ष की चोटी पर उठे हुए अंगूर के दाने को धीरे-धीरे सहलाने का मजा ही कुछ और था. वो सिसकारियाँ लेने लगी. मैं इस मौके को खोना नहीं चाहता था. मैंने उस पर अपनी पकड़ को बनाए रखा.
आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है? अपने विचार मुझे ईमेल कर सकते हैं. स्टूडेंट से सेक्स की इस कहानी के अगले भाग में विस्तार से लिखूंगा कि कविता का क्या रिएक्शन था. [email protected] कहानी जारी है.
कहानी का अगला भाग: स्टूडेंट से सेक्स: जवान लड़की को दबा कर चोदा-2
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000