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सुबह विक्रम उठा और अपने कोचिंग चला गया जहाँ वो कम्पटीशन की तैयारी करता था. रजत सुबह देर से जगता था. तो वो करीब 7:30 के आस-पास जगा. पापा ऑफिस जा चुके थे और मम्मा पड़ोस में गयी थी कुछ काम से. इस वक्त घर में मयूरी और रजत अकेले थे.
मयूरी ने इस समय का फायदा उठाने की सोची. वो बाथरूम नहाने गयी और जानबूझकर नहाने के बाद पहनने वाले कपड़े लेकर नहीं गयी. फिर वो नहाकर बाथरूम से बाहर आयी. इस समय उसने अपने नशीले बदन पर सिर्फ एक तौलिया लपेटा हुआ था. इस तौलिये में उसके शरीर का कोई भी भाग छुप नहीं पा रहा था. उसकी विशाल चूचियां एकदम तनी हुई थी और गांड बिल्कुल बाहर निकली हुई थी. उसकी गोरी जांघें बिल्कुल साफ नज़र आ रही थी जो देखने में एकदम चिकनी लग रही थी.
उसके शरीर पर पानी की बूंदें अब भी झलक रही थी और उसके शरीर को और मादक बना रही थी. गीले बालों में वो इस समय एकदम अप्सरा लग रही थी. मतलब इस रूप में देख कर कोई ऋषि-मुनि भी अपना तप छोड़ कर मयूरी के इस खूबसूरत और क़यामत शरीर में खो जाता।
खैर, अपना कपड़ा लेने के बहाने वो अपने कमरे में गयी जहाँ उसका छोटा भाई रजत अब भी अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था. मयूरी की इस मनमोहक काया को देखर रजत अपनी नजरें मयूरी के इस कातिल बदन से हटा नहीं पा रहा था. वो एकदम खुले मुँह से उसको एकटक देखता ही जा रहा था. मयूरी ने ये नोटिस किया और उसने अपने कदम कमरे की अलमारी की तरफ बढ़ा दिया. उसने ऐसे व्यक्त किया जैसे उसको इस बारे में कुछ पता ही नहीं हो.
पर मयूरी जान चुकी थी कि अगले कुछ मिनटों में इस कमरे में फिर से एक तूफ़ान आने वाला था. और वो तूफान वो खुद ले कर आने वाली थी. वो मुस्कुराती हुई अलमारी से अपने कपड़े निकालने लगी और उनको अपने बिस्तर पर रखने लगी.
फिर उसको एक विचार आया, उसने एक पिन जो अलमारी में रखी थी, को निकलकर नीचे फेंक दिया और उस पर अपना पैर रख दिया. पर उसने इस बात का ख्याल रखा कि वो उसको गड़े नहीं. और अचानक से चिल्लाने लगी- उईईई… माँ… आह्ह… रजत- क्या हुआ दीदी? मयूरी- अरे मेरे पांव में कुछ गड़ गया… बहुत दर्द हो रहा है… आ… आ…
रजत हड़बड़ा कर उठा और मयूरी के पास आकर खड़ा हो गया और उसके पांव में देखने लगा. लेकिन उसकी नजर मयूरी के पांव से ज्यादा उसकी जांघों को घूर रही थी. वो बोला- कहाँ दीदी? मयूरी- नीचे… प्… पांव में… देखेगा प्लीज? रजत- मैं देखता हूँ!
और रजत को तो जैसे मौका मिल गया हो अपनी इस कमसिन बहन को नजदीक से देखने और छूने का. वो फट से बैठ गया और मयूरी के पांव पकड़ कर ऊपर उठाया और अपने एक पैर के घुटने पर रख दिया. उसके ऐसा करने से अब तौलिया जो मयूरी ने पहन रखा था, नीचे से थोड़ा चौड़ा हो गया और जांघों के साथ-साथ उसके चुत भी थोड़ी थोड़ी दिखने लगी. पर रजत ने अभी तक अपनी नजर ऊपर की नहीं थी तो उसको मयूरी के कुंवारी चुत के दर्शन अभी तक हुए नहीं थे. और वो अब उसके पांव के तलवे को नीचे से सहला कर देखने की कोशिश करने लगा कि पिन कहां गड़ा है?
पर कोई पिन गड़ा हो तब तो कुछ समझ आये? थोड़ी देर निरीक्षण करने के बाद उसको कुछ समझ नहीं आया तो उसने अपने चेहरा ऊपर किया और बोला- ये पिन गड़ गया है शायद, पर मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा कि कहाँ गड़ा है? पर यह कहते हुए रजत की नजर मयूरी की चुत पर सीधी पड़ी क्योंकि मयूरी का एक पैर ऊपर था तो तौलिया थोड़ा खुल सा गया था और चूत साफ़ दिखाई दे रही थी. रजत की आँखों और मयूरी की चुत के बीच मुश्किल से 5-6 इंच का फैसला होगा.
भाई अपनी बहन मयूरी की नंगी चिकनी जांघें और खुली चुत के दर्शन होते ही अवाक्-सा रह गया. उसने देखा कि उसके बड़ी-बहन की चुत एकदम गुलाबी है. वहां पर भी बाल नहीं है क्योंकि मयूरी ने नहाते वक्त थोड़ी-देर पहले ही अपनी चुत के बाल साफ किये थे. उसका मुँह खुला का खुला ही रह गया.
मयूरी ने नोटिस किया पर कुछ बोला नहीं इस बारे में. वो अपने दर्द पर ध्यान देते हुए कहने लगी- तो देखो ना कि कहाँ गड़ा है? रजत का गला सूख रहा था. वो थोड़ा हकलाते हुए बोला- कैसे देखूँ? शायद नीचे पाँव में गड़ा है वह मेरी नजर नहीं पहुंच रही! मयूरी- तुम नीचे लेट जाओ और देखो, कहीं खून तो नहीं निकल रहा? मुझे आअह्ह्ह… दर्द हो रहा है बहुत… रजत- ठीक है… तुम अपना पाँव बिस्तर पर रखो! मयूरी- ओके!
मयूरी ने अपना एक पाँव, जिसमें वो पिन गड़ने का नाटक कर रही थी, वो नजदीक के बिस्तर के किनारे पर पर रख दिया. फिर रजत जमीन कर लेट गया और पांव के तलवे को देखने लगा. पर वो अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाया क्योंकि नीचे से अब मयूरी की प्यारी नंगी खुली चुत साफ़ नजर आ रही थी. उसका ध्यान बार-बार अपनी बहन की चुत पर ही चला जा रहा था.
फिर थोड़ा सा पाँव और बहुत ज्यादा मयूरी की चुत का निरीक्षण करने के बाद वो खड़ा होने की कोशिश करने लगा यह बोलते हुए कि कुछ नजर नहीं आ रहा. पर गलती से उसका सर मयूरी के तौलिये से टकराया जिसकी गांठ पहले से ही मयूरी ने कमजोर कर रखी थी और वो लगभग खुलने ही वाली थी. रजत के ऐसे में तौलिये से टकराने से तौलिया पूरी तरह खुल गया और वो जमीन पर गिर गया.
अब रजत के सामने जो नजारा था, वो उसके होश उड़ाने वाला था. उसकी बहन मयूरी उसके सामने पूरी तरह से नंगी थी. उसके कमसिन बदन पर वस्त्र के नाम पर एक भी कपड़ा नहीं था. उसकी बड़ी-बड़ी विशाल चूचियाँ एकदम खड़ी थी, निप्पल टाइट थे और गांड भी बिल्कुल शेप में थी. तुरन्त नहाने की वजह से मयूरी के शरीर पर अभी भी पानी की बूंदें थी और ये सब रजत को और भी मदहोश कर रहा था. वो समझ नहीं पाया कि ऐसे में उसे क्या करना चाहिए. उसका मुँह एकदम खुला का खुला रह गया.
उसने नोटिस किया कि उसका लंड उसके शॉर्ट्स में तम्बू बनाये हुए है और वो अब इतना टाइट हो चुका है कि फटने को तैयार है. इतने तनाव की वजह से उसको अपने लंड में हल्का से दर्द महसूस हुआ. इधर मयूरी इस बात के लिए पूरी तरह से तैयार थी. तौलिया गिरते ही उसने घबराने का नाटक किया और रोने लगी.
उसके ऐसा करने से रजत एकदम घबरा गया, उसे समझ नहीं आया कि अब क्या करना है. फिर थोड़ी देर तक ऐसे ही मूरत की तरह खड़ा रहने के बाद मयूरी के रोने से उसकी तन्द्रा टूटी. वह मयूरी को चुप करते हुए बोला- आ… अरे… कोई बात नहीं. मयूरी फिर भी चुप नहीं हुई और वैसे ही नंगे बदन वो अपनी भारी चूचियों के साथ रजत के सीने से लिपट गयी. मयूरी की चूचियां इतनी बड़ी थी कि रजत को वो चुभने लगी. पर यह चुभन उसे एक अलग ही आनन्द का अहसास करा रही थी. वो एकदम अवाक् खड़ा रहा. इस समय उसके गले में वो अप्सरा लिपटी हुए थी- एकदम नग्न… वो मूर्ति की तरह खड़ा रहा और मयूरी रोती रही.
फिर थोड़ी देर में जब रजत की तन्द्रा टूटी तो उसको समझ आया कि उसको मयूरी को चुप करना चाहिए. वह अपना एक हाथ उसके पीठ पर और दूसरा हाथ उसकी गोल गोल बड़ी बड़ी गांड पर रखते हुए बोला- अरे कोई बात नहीं दीदी… तुम रोओ मत… घर में कोई नहीं है और किसी ने नहीं देखा. मयूरी रोती हुई- पर तुमने तो देख लिया… मुझे पूरी नंगी… मेरा सब कुछ देख लिया. रजत- अरे कोई बात नहीं… मैं तो तुम्हारा भाई हूँ… किसी से कुछ नहीं कहूंगा.
और अब धीरे धीरे रजत ने उसकी गांड पर हाथ फेरना चालू कर दिया था. वो थोड़ा थोड़ा सामान्य हो रहा था. पर उसका लंड अभी भी फनफना रहा था. मयूरी- तुम सच में किसी से कुछ नहीं कहोगे? रजत- अरे तुम पागल हो? कैसे कहूंगा किसी को? तुम मेरी बहन हो… कुछ कह भी नहीं सकता. मयूरी- पर तुमने तो मुझे पूरी नंगी देख लिया? मेरा सब कुछ देख लिया?
रजत अब अपने हाथ की एक उंगली को मयूरी की गांड की दरारों में डालकर धीरे-धीरे सहला रहा था. वो अभी तक यही समझ रहा था कि यह मौका फिर दुबारा नहीं मिलने वाला, तो जितना मजा लेना है, ले लो. लेकिन उस बेचारे को पता नहीं था कि अब उसकी किस्मत खुलने वाली है… अब उसको मजे ही मजे मिलने वाले हैं.
रजत- तो क्या हुआ… कोई बात नहीं… हम अपने घर में हैं… और घर पर कोई नहीं है… तो किसी को पता नहीं चलेगा… तुम निश्चिंत रहो.
अब रजत अपनी एक उंगली मयूरी की गांड के छेद पर रखकर धीरे-धीरे घुसाने की कोशिश कर रहा था. इस समय वो मयूरी के गांड के छेद की गर्मी को अपने उंगलियों में महसूस कर पा रहा था. इधर मयूरी भी रजत की तेज़ धड़कनो को महसूस कर पा रही थी- फिर तो ठीक है… पर प्लीज किसी को बताना मत… कि तुमने मुझे एकदम पूरी नंगी देख लिया है. रजत- ठीक है दीदी.
मयूरी अब चुप हो चुकी थी पर उसने रजत का खड़ा लंड अपने नीचे महसूस किया. वो पहले ही बहुत देर से रजत का हाथ अपने गांड पर महसूस कर पा रही थी. अब तो रजत ने अपनी एक उंगली भी उसके गांड के छेद पर रख कर रगड़ना शुरू कर दिया था. पर मयूरी को इस बात से बहुत आनंद मिल रहा था. उसने रजत की इस हरकत पर कोई प्रतिकिया नहीं दी और उसको वो करने दिया जो वो इतनी देर से कर रहा था.
फिर वो अचानक से बोली सिसकारी लेती हुई- इ… इ… इ… रजत- क्या हुआ दीदी? मयूरी- अरे नीचे तुम्हारी जेब में कुछ है शायद… वो मुझे नीचे वहां चुभ रहा है. और यह कहते हुए उसने अपने एक हाथ से रजत का लंड पकड़ लिया… रजत इस बात के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं था, उसके मुँह से जोर से सिसकारी निकल गई… जो आनंद और आश्चर्य से लिप्त थी.
मयूरी के ऐसा करने से रजत का हाथ मयूरी के गांड पर और भी जोर से पकड़ बना रहा था. रजत- आ… हआ… आए… मयूरी- क्या हुआ? रजत- वो… वो…
तब तक मयूरी ने रजत के लंड को जोर से दबाना चालू कर दिया था. रजत इस बात का खूब आनंद ले रहा था पर कुछ कह नहीं पा रहा था. इधर मयूरी को अपने नंगे होने का कोई गम नहीं था. वो तो बस अपने प्लान का एक-एक कदम बढ़ाये जा रही थी और उसको सफलता भी मिलती जा रही थी.
मयूरी- क्या हुआ? रजत- वो जो तुमने पकड़ रखा है वो मेरा. मयूरी- क्या है ये? और मयूरी अनजान बनते हुए नीचे उसके लंड की तरफ देखती है जो उसने अपने एक हाथ से रजत के शॉर्ट्स के ऊपर से ही पकड़ रखा था.
फिर वो थोड़ा अनजान बनते हुए बोली- ओह सॉरी… ये तो तुम्हारा… रजत- हा… ये मेरा… मयूरी अनजान बनते हुए- पर ये इतना खड़ा क्यूँ है? रजत- वो… वो… क… क्योंकि… मयूरी हैरानी से- क्या ये… मेरी… वजह से… खड़ा है रजत? रजत- नहीं… नहीं… नहीं दीदी… वो… मयूरी- फिर किस की वजह से? यहाँ तो मैं ही हूँ बस… वो भी पूरी नंगी… और ओह… हहाँ… मैं तुम्हारी बाँहों में हूँ… और हाँ तुम्हारे हाथ मेरी गांड के छेद पर रगड़ रहे हैं… इससे तो यही साबित होता है कि यह मेरे लिए खड़ा है?
मयूरी ने ऐसा कहते हुए रजत के लंड को उसके शॉर्ट्स के अंदर हाथ डालकर अपने दोनों हाथो से पकड़ लिया और उसके ऐसा कहने से रजत एकदम सकपका गया… उसने अपना हाथ मयूरी की गांड से तुरंत हटाया, मयूरी को अपनी बाँहों से अलग करते हुए पीछे हट गया.
पर मयूरी ने उसका लंड अपने हाथ से नहीं छोड़ा. रजत के चेहरे पर पसीने की बूँदें थी… वो घबरा गया था.
ब्रदर सेक्स की कहानी जारी रहेगी. [email protected]
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