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दोस्तो, मेरी पहली कहानी चुत चुदाई की चाहत में उसने मुझे घर बुलाया आप सबने पढ़ी और उसे सराहा. उसके लिए आप सबका शुक्रिया. हालाँकि कहानी के बाद बहुत सारे ईमेल आए.. ऐसा कहना वाजिब नहीं होगा, पर यह कहना बिल्कुल वाजिब है कि ठीक-ठाक ईमेल ज़रूर मिले और उनमें लड़कियों, भाभियों के और कुछ मेरे अच्छे दोस्तों के ईमेल भी मिले.
एक लड़की ने एक सवाल पूछा था कि मैंने निक्की की गांड क्यों नहीं मारी, तो मैं बता दूँ कि जी नहीं, बिल्कुल नहीं मारी.. क्योंकि जब ऊपर वाले ने लंड के लिए इतनी बढ़िया चीज़ चुत दी है, तो गांड पे क्यों ध्यान दें. इसलिए आप ऐसा ना सोचो, क्योंकि उसे गांड मारना मराना पसंद नहीं तो मैंने उसका मन रख लिया था.
अब माफी चाहते हैं कि इस कहानी के बाद दूसरी कहानी लिखने में एक साल से ऊपर निकाल दिया.
साथियो, उस रात को मेरी और निक्की की दमदार चुदाई के बाद दूसरे दिन वो काफ़ी खुश लग रही थी. उसकी आवाज़ में एक अलग ही चहक थी.. जब मेरे ऑफिस पहुंचते ही उसका ‘गुड मॉर्निंग..’ का कॉल आया. यह बात पम्मी से छुपी नहीं, पर वो कुछ बोली नहीं.
माफ़ करना, अपने नए पाठकों से एक बार फिर से अपना परिचय करवा दूँ.
मैं अहमदाबाद से हूँ.. मेरी हाइट 6 फुट है. मैं एक औसत और मजबूत शरीर का मालिक हूँ. मेरा औजार (लंड) कोई बहुत बड़ा नहीं है.. जैसे यहाँ के मेरे बाकी दोस्त लिखते हैं. मेरे औजार का साइज साधारण 6 इंच का है और मोटाई कुछ 2.5 इंच है.
इस कहानी में एक नहीं, दो नायिका हैं. तीसरे चरित्र का उल्लेख आगे करूँगा.
निक्की और मेरा काफ़ी अच्छा कट रहा था. कभी दोपहर में.. तो कभी रात में, तो कभी शाम में हम लोग चूत चुदाई करते हुए जिन्दगी के मजे लूट रहे थे. पर कहते हैं कि ऐसी चीजें किसी से छुपाए नहीं छुपतीं, तो मेरे ऑफिस के एक दो बंदों को थोड़ा सा डाउट हुआ था, पर जिसे पता चला था, वो थीं ऑफिस की रिसेप्शनिस्ट और एडमिन गर्ल, हालांकि दोनों किसी न किसी से सैट थीं.
वैसे बातों बातों में यह पता चला कि पहली बार के मिलन के बाद ही पम्मी को शक हो गया था. वो तब तक कुछ नहीं बोली, जब तक उसने हमारी चोरी पकड़ नहीं ली.
जब भी मैं और निक्की फोन पे बात करते तो वो अन्दर जाकर एडमिन ऑफिस के फोन से हमारी बातें सुना करती थी और इसी चक्कर में साला एक दिन चोरी पकड़ी गयी.
पम्मी की सगाई हो चुकी थी और वो मॉडर्न ख्यालात की थी, पर जरा नैरो माइंड फैमिली से थी.. और उसका होने वाला हज़्बेंड भी थोड़ा सा पुराने ख़यालात का था, जिसका यह मानना था कि सेक्स तो शादी के बाद ही होना चाहिए.
अचानक से एक दिन मुझे निक्की ने उस वक्त कॉल किया, जब मैं एक क्लाइंट साइट पे था और चक्कर चला रहा था.. या यूँ कहूँ कि संडे का जुगाड़ कर रहा था.
निक्की- हैलो.. मैं- यस डियर.. निक्की- बहुत जरूरी बात करनी है.. पर फोन पर नहीं, मिल कर बात करना है.
ये सब उसने मुझसे अंग्रेजी में कहा. दरअसल जब भी उसके ऑफिस का इंजीनियर बाहर वेटिंग में बैठा होता था, और ऑफिस बॉय वहीं होता था, तो वो मुझसे अंग्रेजी में बात करती थी.
मुझे मामला थोड़ा सा पेचीदा लगा तो… मैं- क्या हुआ? निक्की- नोट ऑन फोन.. एज सेड, आई कॅन टॉक इन पर्सनल मीटिंग ओन्ली. तो मैंने भी कहा कि ठीक है, दो घंटे बाद मिल लेते हैं.
जगह तय करके मैंने फोन काट दिया.
जब 2 घंटे बाद मैं उससे मिलने पहुंचा तो देखा कि निक्की अकेली नहीं थी, पम्मी भी उसके साथ थी. यह देख कर मुझे थोड़ा अजीब लगा, पर मैं बम फूटने जैसे हालत के लिए तैयार था. वैसे पहले भी हम तीनों एक साथ मिले हैं, पर आज की बात कुछ और थी.
मैं- हैलो ब्यूटिफुल लेडीज, क्या बात है आज दोनों साथ.. और कुछ ज़्यादा ही चहक रही हो.. ऐसा लग रहा है. पम्मी- चाय पी लो पहले, फिर जी भर के मक्खन लगाना. मैं- मक्खन तो क्या.. तुम कहो वो भी लगा दें.
तभी निक्की बोली- स्टुपिड यार, यह सब बंद करो और काम की बात करें? पम्मी- चाय तो पी लेने दे इसको.. या चाहिए तो नाश्ता भी करवा दो, क्योंकि पार्टी तो मेरे पर है.
अब मुझे पूरी दाल ही काली दिखी तो सीधा पूछ लिया.
मैं- चाय और नाश्ता गया तेल लेने… सीधा बोलो.. बात क्या है? पम्मी- क्या बोलूं दोस्त या जीजू? मैं- मतलब! निक्की- पम्मी को हमारे बारे में सब पता चल गया है. मैं- सब मतलब? पम्मी- मतलब कि पहली बार से लेकर अब तक आप दोनों ने कितनी बार सेक्स किया, कैसे किया और निक्की ने बोला है कि तुम बिस्तर में बड़ा मज़ा देते हो. मैं- तो क्या तुम्हें भी चाहिए मज़ा तो खुल के बोलो न?
निक्की- अब चाय पिलाओ, यह गर्म हो गया है. पम्मी- हाँ तो तू इसको ठंडा करना और मैं देखूँगी कि कितना मज़ा देता है. मैं- मतलब? निक्की- मतलब यह देखना चाहती है कि हम कितने मज़े लेते हैं.. और वो बैठ कर लाइव शो देखेगी. मैंने कहा कि हलवा है क्या.. जो हम दोनों बिना कपड़ों के मज़े लें और यह बैठ कर देखे और क्या पता वीडियो बना ले तो?
निक्की को बात सही लगी तो उसने और मैंने शर्त रख दी कि एक तो सिर्फ़ बैठने नहीं मिलेगा और दूसरा तुम बेड पे रहोगी और वो भी हमारे साथ बिना कपड़ों के. पम्मी ने थोड़ा सोचकर बोला- मान ली आप लोगों की बात कि सिर्फ़ पूरे कपड़े पहने, बैठ कर नहीं देखूँगी.. पर मेरी भी एक शर्त है. तो हमने कहा- क्या शर्त है बोलो? पम्मी- एक तो सारे कपड़े नहीं उतारूंगी, मतलब ब्रा और पेंटी पहने रखूँगी और दूसरा जो चाहे करो, पर अन्दर नहीं लूँगी. मैंने और निक्की ने सोचा और कहा- ठीक है.. पेंटी मत उतारना, पर ब्रा तो जरूर उतरेगी.. और हाँ जब तक तुम नहीं कहोगी, तुम्हारी चुदाई नहीं होगी.
उसने दो दिन सोचने के लिए माँगे.
हम लोगों ने उस दिन चाय नाश्ता किया और डिनर प्लान करके वापस आ गए और बाद में हम तीनों निक्की के घर चल दिए.
घर पहुंच के थोड़ा सा रेस्ट किया, सोफा पे बैठे, निक्की ने हम दोनों को पानी पिलाया और चेंज करने चली गयी.
मैंने पम्मी को छेड़ना शुरू किया- दो दिन बाद तो तुमको बिना कपड़ों के देखूँगा, पर अभी मुँह तो मीठा करवा दो. पम्मी- बड़ी जल्दी पड़ गयी है फल चखने की, थोड़ा सा सब्र कर लो.. और मुझे पहले इस सबके लिए सोचने दो. मैं- जब तुम्हें इतना पता है और 2 दिन का टाइम, सिर्फ़ एक कपड़ा उतारोगी या नहीं.. उसके लिए ले रही हो तो अभी थोड़ा तो कुछ फल का अहसास मिलना चाहिए.
ऐसा बोल कर मैंने उसका सेब फल जैसा एक चुचा दबा दिया. उसके मुँह से एक छोटी सी चीख निकल गयी. वो चीख निक्की ने सुन ली. पम्मी- क्या कर रहे हो? निक्की- क्या हुआ? पम्मी- इसमें तो सब्र नहीं है यार.. सीधा बैलून दबा दिया. मैं- अरे यार, मैं साइज़ चैक कर रहा था. मेरे इतना बोलते ही हम तीनों ही हंस पड़े.
डिनर के बाद थोड़ा सा स्मूच वग़ैरह कर के निकल गए.
दूसरे दिन हमारी और निक्की की फोन पे बात चल रही थी और हमेशा की तरह पम्मी अन्दर से सुन रही थी. मैं- क्या लगता है निक्की, पम्मी मानेगी? निक्की- क्या पता यार, मान जाए तो मज़ा बढ़ जाएगा और एक नया अनुभव मिल जाएगा. मैं- वैसे आज कुछ प्लान करें, पम्मी के साथ तो जब होगा तब होगा, काफ़ी दिन से कुछ नहीं किया है. निक्की- हां मैं भी यही सोच रही थी, दस दिन के ऊपर हो गए, कुछ हुआ नहीं.
और तभी… पम्मी- हाँ सालों, इतना रहा नहीं जाता तो बुला ले ऑफिस में, पीछे कोई नहीं है, चिपक लेना. मैं- साली, तू भी अभी एक और दिन लेगी तो हम क्या करें.. दुगुने मज़े का वेट कर रहे थे. पम्मी- सब्र का फल मीठा होता है. मैं- निक्की यार इसको छोड़.. हम आज ही मिलते हैं. मैं तेरे घर 9 बजे आऊंगा, डिनर लूँगा और उसके बाद मस्ती. निक्की- ओक.. डन.
अब मुझे क्या पता था कि रात को मेरे लिए सर्प्राइज़ मेरा इंतज़ार कर रहा है.
रात को जब निक्की के घर पहुंचा और बेल बजाई तो दरवाज़ा पम्मी ने खोला. मैं अन्दर गया और सीधा कहा कि साली आ गयी.. मज़ा खराब करने को. तभी निक्की बोली- मज़ा खराब करने नहीं आई.. आज तो ये बढ़ाने आई है.
दोस्तो, लड़की के फिगर का असली परिचय तो चुदाई से थोड़ा वक्त पहले ही दें, तो लौंडिया की चुदाई की कहानी को पढ़ने का मज़ा डबल हो जाता है.
वैसे तो मैं निक्की के फिगर के बारे में पहले भी बता चुका हूँ.. पर एक साल बाद किसे याद रहता है, तो आपको फिर से बता दूँ कि निक्की एक 5’8″ लंबी अच्छे और भरे हुए शरीर की मालकिन है. उसके चूचों की साइज 34 बी है.. 28 इंच की कमर और 36 इंच के उठे हुए हाहाकारी चूतड़ हैं.
उसकी सहेली पम्मी भी कुछ कम नहीं थी, उसका पूरा बदन कसा हुआ था. उसके 36 साइज़ के चुचे, 30 की कमर और 34 के पीछे की और निकले हुआ चूतड़ फिगर को काफी सेक्सी लुक देते थे. हाँ, निक्की की अपेक्षा थोड़ी सी सांवली है.
तो हम सब मजे के लिए तैयार थे. डिनर डाइनिंग टेबल पर लग चुका था. तभी मैंने निक्की को सहलाना और चूमना शुरू कर दिया था.. और वो भी पूरा साथ दे रही थी. हालाँकि पम्मी हम दोनों को देख के थोड़ा शर्मा रही थी और मंद मंद मुस्कुरा भी रही थी.
मैंने पूछा- क्या हुआ? तो उसने कहा- कुछ नहीं.. ऐसे देख कर मुस्कुराऊं नहीं तो क्या रोऊं?
वैसे निक्की ने महरून रंग का बड़ा ही प्यारा सा नाइट गाउन पहन रखा था और अन्दर सिर्फ़ नीचे चूत पर ढक्कन लगा था.. एक छोटी सी पेंटी पहनी हुई थी.
डिनर करते करते मैंने काफ़ी बार उस की नाइटी को खिसका कर चुचे चूसे और इसी बीच पम्मी को भी सहलाना शुरू कर दिया था.. ताकि वो भी असहज ना रहे.
डिनर के बाद बेडरूम में मैं और पम्मी अकेले थे, जब तक निक्की काम खत्म करके नहीं आई थी.
मैंने सहलाते हुए पम्मी को चूमना शुरू कर दिया. वो अब भी थोड़ी शर्म महसूस कर रही थी और जब मैंने उसके कान की लौ को थोड़ा मुँह में लेकर चूसा और हल्का सा काटा, तो वो सिहर उठी और उसने मुझे कसके गले लगा लिया. पम्मी की सांसें तेज हो चली थीं.
तभी निक्की आ गयी और बोली- थोड़ा आराम से, इतनी सांसें तेज कर दीं? तो मैंने कहा- अभी तो हल्का सा चूमा है और यह पानी पानी हो गयी. तभी पम्मी ने कहा- नहीं, मैं कोई पानी पानी नहीं हुई.
उसकी बात का मतलब था कि पानी पानी होना मतलब चुत गीली हो जाना.
इसी बात को पकड़ कर निक्की ने चुटकी ली, निक्की ने कहा कि अब तो चैक करना पड़ेगा. पम्मी ने कहा- स्टार्ट तुमसे करें? मैंने भी निक्की से कहा कि अगर पहले हम नंगे हुए तो उसे शर्म थोड़ी कम आएगी.
बस हम दोनों एक दूसरे को चूमने और चाटने में शुरू हो गए. मैंने निक्की की नाइटी उतार दी और पेंटी भी निकाल दी. साथ ही साथ मैं पम्मी के चुचे दबा रहा था और उसकी लेग्गिंस के ऊपर से ही चुत पर भी सहला रहा था.
उसने टांगों को खोलने में थोड़ा वक्त लिया, पर धीरे धीरे पम्मी सहज हो चली थी. मैंने और निक्की ने मिल के उसका कुर्ता और लेग्गिंस उतार दिया.
उसने अन्दर स्काइ ब्लू कलर की ब्रा और पेंटी पहन रखी थी और गजब की माल लग रही थी. मुझसे रहा नहीं गया और मैं सीधा पम्मी पे टूट पड़ा और चूमने लगा. पहले उसके सर को चूमा, फिर आँखों को, फिर गालों को, फिर उसकी ठोड़ी को चूमा और नीचे आता गया. गले पर चूमा, सीने पे.. और फिर ब्रा के बाहर जितने चुचे खुले हुए थे, उनको चूमने और चाटने लगा.
अब उससे और निक्की से रहा नहीं गया.. क्योंकि यह सब करते हुए मेरा एक हाथ निक्की के चुचे दबा रहा था और फिर उसकी चुत में उंगली भी आ जा रही थी. इस सबसे उन दोनों से ही रहा नहीं जा रहा था तो दोनों ने मुझको बेड पे पटक दिया और मेरे सारे कपड़े निकाल कर मुझे नंगा कर दिया.
अब सब कुछ अपने पूरे शवाब पे था और निक्की मेरा लंड हाथ में लेकर पम्मी को दिखाने लगी और निक्की ने उसको भी बोला कि हाथ में ले कर सहलाओ! पम्मी लंड पकड़ने में थोड़ा झिझक रही थी, तो निक्की ने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया. मैं उसको 69 में आने को बोला और उसकी चुत को चाटना शुरू कर दिया.
पम्मी हम दोनों को लंड और चूत चुसाई का मजा लेते हुए देख रही थी कि कैसे जंगली से हम एक दूसरे को चूस रहे थे.
अब निक्की से रह पाना मुश्किल था तो उसने कहा- अब पेल दो यार. तो मैंने कहा- तब तक नहीं, जब तक पम्मी की ब्रा नहीं उतरेगी और मैं उसका दूध ना पी लूँ.
क्योंकि मैं तो पम्मी को भी चोदना चाहता था, जब कि वो सिर्फ़ ओरल सेक्स करना चाहती थी.
अब पम्मी के ऊपर भी वासना छा चुकी थी, जिसने उसकी झिझक को पछाड़ दिया था. तभी उसने एक झटके में अपनी ब्रा निकाल कर बोला कि ले चूस इसे भैन के लौड़े… और ऐसा चूस कि पूरे लाल हो जाने चाहिए.
निक्की उसकी इस भाषा से थोड़ा सा अचंभित हुई, पर खुश भी हुई और मेरे साथ उसने भी पम्मी का एक चुचा मुँह में ले लिया और दस मिनट तक चूसा जिससे पम्मी का पानी निकल गया. अब ना तो मुझसे रहा जा रहा था और ना तो निक्की से, तो मैंने उसे डॉगी स्टाइल में रख के एक झटके में अपना पूरा लंड निक्की की चुत में डाल दिया. लंड घुसेड़ कर मैं धक्के लगाने लगा.
अगले दस मिनट में निक्की दो बार झड़ गयी थी. आज डबल खुशी की वजह से मेरा अभी नहीं निकला था.
हमारा सेक्स देख कर पम्मी की वासना भी जागी, वो तैयार हुई, पर वो न केवल चुत मरवाने के लिए राजी थी.. बल्कि वो तो गांड मरवाने के लिए भी तैयार थी.
मैंने पम्मी की चुत को बहुत चूसा साला. मुझे यह पता ही ना था कि वो साली पूरी सील पैक माल है.
जैसे ही मैंने उसकी चुत की फांकों पर लंड रखा, तो उसने कहा कि पहली बार अन्दर ले रही हूँ.. थोड़ा आराम से करना.. क्योंकि मुझे नहीं पता है कि मेरा परदा जिम जाने की वजह से टूट गया है या नहीं.
मैंने बड़े प्यार से अन्दर लंड को डाला और थोड़ा अन्दर जाते ही उसे दर्द होने लगा. पर उसने अब तक लंड निकालने को नहीं बोला था. तभी निक्की ने कहा- एक झटके में डाल दो वरना यह फिर कभी नहीं चुदवाएगी.
यह सुनकर मैंने एक ही झटके में आधे से ज़्यादा लंड अन्दर कर दिया. मेरा लंड सील तोड़ता हुआ सीधा अन्दर घुस गया और पम्मी के मुँह से एक हल्की सी चीख निकल गयी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
अगले 5 मिनट तक मैं और निक्की उसके चुचे चूसते रहे. जब ऐसा लगा कि वो सहज हो गयी है, तो मैंने उसको धीरे धीरे चोदना शुरू किया.
जब उसने ‘आह हम्म श, आईईई..’ की आवाज़ें निकालनी शुरू की, तो और ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. तभी साली पम्मी ने गालियां बकनी शुरू कर दीं.
‘भेनचोद, मादरचोद साले.. इस कुतिया, हराम की जनी की बातों में आकर एक बार में ही पेल दिया, कितना दर्द हुआ था साले.. पर अब बहुत मज़ा आ रहा है.. आह.. चोद साले और चोद.. आह मज़्ज़जा आ..याया रहा है..ई.. चोद न्न्नाना..’
मैं भी लगातार चोदे जा रहा था और उसकी लड़खड़ाती ज़ुबान ने कह दिया था कि उसका निकलने वाला है.. और वो झड़ गयी. मैं भी झड़ने के करीब था तो मैंने पूछा कि कहाँ लेगी? तभी निक्की ने कहा- मेरी चुत में लगा दे लंड.. उसे छोड़ दे.
पम्मी की चुत से लंड निकाल कर मैं निक्की के ऊपर मिशनरी पोज़िशन में आकर उसे ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा. करीब 5-7 मिनट बाद हम दोनों साथ में झड़ गए.
उस रात मैंने पम्मी को 2 बार और चोदा, जिसमें से एक बार उसकी गांड भी मारी थी. निक्की को भी एक बार और चोदा था. दूसरी बार की चुदाई में तो वे दोनों एक साथ बारी बारी से मेरे लंड का मजा लेती रही थीं.
दोस्तो, तो आप ईमेल और कॉमेंट करके जरूर बताना कि आपको मेरी ज़िंदगी की यह सच्चाई कैसी लगी, जिसे मैंने वासना से भारी सेक्स कहानी के रूप में आपके साथ साझा किया. अपने विचार मेरी ईमेल आईडी पर ज़रूर भेजें. [email protected]
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