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मित्रो, मैं पूनम चोपड़ा अन्तर्वासना की लेखिका हूँ. मेरी पिछली कहानी थी मेरी और मेरी कामवाली की चुदास
आज मैं अपनी एक पाठिका की कहानी पेश कर रही हूँ. मेरा नाम सुधा है. जब मेरी उम्र बीस साल थी, तभी मेरी शादी कर दी गई. मुझे मेरे चाचा चाची ने पाल कर बड़ा किया था.. क्योंकि मेरे माता पिता बचपन में ही स्वर्ग सिधार गए थे. मुझे दसवीं कक्षा तक ही पढ़ाया गया था और फिर मुझे घर के काम काज में लगा दिया गया.
मेरे चाचा एक दुकान चलाते थे, जिसमें उन्हें बहुत नुकसान हो गया. मगर काम को चलाने के लिए उन्होंने एक साहूकार से कर्ज़ा ले लिया, जो सूद की वजह से बढ़ता गया.. और उसे उतारना मेरे चाचा के बस की बात नहीं रही.
उस बनिये की पत्नी मर चुकी थी और उसका एक लड़का था, जिसकी उम्र इक्कीस साल की थी. वो कहीं दूसरे शहर में पढ़ता था. उसके लड़के का नाम मनोज था. वो लड़का जब भी मुझे देखता तो मुस्करा कर अपनी आँखें झुका लेता था. मुझे दिल ही दिल में उस लड़के से प्यार हो गया था.
एक दिन जब वो कहीं से आ रहा था, तो मैंने जानबूझ कर नाटक किया. जैसे ही वो मेरे पास से गुजरा, मैं ड्रामा करते हुए उसके सामने गिर गई. उसने झट से मुझे सहारा देते हुए उठाया और पूछा- अरे क्या हुआ?
मैंने कमजोरी का दिखावा करते हुए कहा- पता नहीं.. लगता है चक्कर आ गया है.
मेरी यह बात सुनकर उसने मुझे सहारा दिए रखा और जब मैंने कमजोरी का सा दिखावा जारी रखा, तो उसने मुझे गोद में उठा कर कहा- चलो मैं तुम्हें वहाँ पेड़ के नीचे लिटा दूं.
जब उसने मुझे गोद में उठाया हुआ था तो उसके हाथ मेरे मम्मों पर लगे हुए थे. उसने ज़ोर से पकड़ा हुआ था ताकि मैं गिर न सकूँ. उसका इस तरह से पकड़ना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.
मैंने कहा- काश कि कोई तुम जैसा मुझे पूरी जिंदगी ऐसे ही उठा कर रखे. उसने कहा- कोई क्यों मुझमें क्या कोई कमी है? मैंने कहा- कहाँ मेरी किस्मत और कहाँ तुम.. जिसको तुम मिलोगे, वो तो बहुत किस्मत वाली होगी. मेरे नसीब में पता नहीं क्या लिखा हुआ है. उसने कहा- तुम देख लेना.. एक दिन मैं तुम्हारी तकदीर अपनी तकदीर से मिला दूँगा.
इस तरह हम दोनों का प्यार चल पड़ा लेकिन मेरा उससे ज्यादा मिलना नहीं हो पाता था क्योंकि मैं अधिकतर घर में ही रहती थी.
कुछ ही दिनों में हमारा आपस में मिलना या एक दूसरे को देखना भी ख़त्म हो चुका था क्योंकि वो किसी दूसरे शहर में जा चुका था. मगर जाने से पहले वो मुझसे बोल कर गया था कि मैं जब पढ़ाई पूरी करके वापिस आऊंगा तो तुम्हारे चाचा से तुमसे अपनी शादी की बात करूँगा.
इधर मनोज का बाप जानता था कि मेरे चाचा उसका पैसा वापिस नहीं कर सकेंगे. यह सब जानते हुए भी उसने चाचा से पैसों का तक़ाज़ा बार बार करना शुरू कर दिया.
एक दिन चाचा ने बनिये के आगे अपने हाथ खड़े कर दिए और कहा- मैं आपका कर्ज़ वापिस नहीं कर सकूँगा. आप अगर चाहें तो मेरे घर पर कब्जा कर सकते हो. उसकी नज़र शायद मुझ पर रही होगी, जिस वजह से उसने चाचा को बुला कर कहा- तुम पैसे नहीं दे सकते तो अपनी भतीजी की शादी मुझसे कर दो. चाचा यह सुन कर उससे बोले- लाला, हम ग़रीब हैं.. मगर तुम्हें तो ज़रा समझना चाहिए ना कि वो तुम्हारी बेटी की उम्र की है. मनोज के बाप ने कहा- उम्र से क्या होता है.. मेरी बेटी तो नहीं है ना. देखो किसी दिन अगर किसी लड़के ने उसके साथ कुछ कर दिया तो मुँह भी देखने लायक नहीं रहोगे. मैं उसे कोई भगा कर नहीं ले जा रहा. उससे शादी करके उसके साथ रहना चाहता हूँ.
रात में चाचा से मैंने सुना कि वो चाची से कह रहे थे कि बनिये ने कहा है कि मैं तुम्हारा कर्ज़ माफ़ कर दूँगा अगर तुम सुधा की शादी मुझसे कर दो. तुम्हें शादी में भी कुछ खर्च नहीं करना होगा. जो खर्च होगा.. वो भी वो ही उठाएगा. चाची ये सुन कर बहुत खुश नज़र आईं और बोलीं- जल्दी से हां बोल दो. चाचा उससे कह रहे थे- जानती हो वो 47-48 साल से भी ऊपर का है और अपनी सुधा अभी बीस की भी नहीं हुई है. चाची यह सुन कर कुछ गुस्से से बोलीं- अरे तुम्हारी तो मति ही मारी गई है. हम जब सड़क पर आ जायेंगे, तब क्या करोगे. तुम सुधा की शादी तब कैसे कर पाओगे.. बताओ? ऐसा सुनहरा मौका फिर नहीं मिलेगा. चाचा ने फिर से कहा- उसकी तोंद देखी है.. हमारी सुधा उस सांड़ के आगे बछिया है. “अगर सांड कह रहे हो तो फिर किस बात की चिंता करते हो. मुझे लगता है कि वो सुधा को, तुमसे अच्छा ही चोद पाएगा. तुम तो एक मिनट में ही ठुस हो जाते हो.”
यह सुन कर चाचा की बोलती बंद हो गई और वो कुछ नहीं कह पाए. मगर मैं अपनी किस्मत पर रोती रही. कहाँ वो मेरे ससुर बनने वाला था और अब वो मेरा पति बनने लगा था. मुझे पूरा विश्वास था कि जब मनोज को पता लगेगा, तो वो यह शादी नहीं होने देगा.
मगर उस का बाप भी पूरा घाघ था, उसने अपने बेटे को कुछ भी नहीं बताया और मेरे साथ अपनी शादी की तैयारी शुरू कर दी. मेरी शादी को पूरी तरह से गोपनीय रखा. बस एक दिन पहले ही सभी को बताया ताकि उसके बेटे को कोई बता कर उसके रंग में भंग ना डाल दे.
अगले एक हफ्ते में ही मेरी शादी उससे कर दी गई.. जो मुझसे 27 साल बड़ा था. या कह सकते हैं कि बाप की उम्र से भी बड़ा था. शादी के बाद जब रात हो गई, तो वो मेरे पास आकर बोला- सुधा रानी, मैं तुम पर बहुत मरता हूँ.
यह कह कर उसने मेरा मुँह चूमना शुरू कर दिया और साथ ही एक एक करके मेरे कपड़े भी उतारने लगा. उसने मुझे ऊपर से पूरी नंगी करके मेरे मम्मों को अपने मुँह में लिया और बोला- आज पता नहीं कितने सालों बाद इनको देखना नसीब हुआ है.
वो पूरा खेला खाया हुआ था, इसलिए उसको मेरे जिस्म से खेलने में ज़रा भी टाइम नहीं लगा और ना ही कोई शरम जैसी आई.
मैंने अपनी सहलियों से सुन रखा था कि सुहागरात में उनके पति भी उनसे कुछ भी करने से पहले थोड़ा झिझक रहे थे. मगर यहाँ ऐसी कोई बात ही नहीं थी. कुछ देर बाद उसने मुझे पूरी तरह से नंगी कर दिया और मैं शरम से अपने हाथों को अपनी आँखों पर रख रही थी. मगर वो तो पूरा बेशरम हो चुका था. उसने मेरे हाथों को खींच कर दोनों तरफ फैला दिए और बोला- आज हमारी चुदाई की पहली रात है, इसे ज़रा यादगार बना लेना चाहिए.
अब उसने भी अपने पूरे कपड़े उतार लिए थे मगर उसका लंड खड़ा तो हुआ मगर इतना सख्त नहीं हो सका था कि वो किसी कुँवारी चूत को खोल सके. जब उसका लंड सख्त नहीं हुआ तो वो मुझसे बोला- आज इसको मुँह में डाल कर चूसो. कल मैं दवा खाकर तुम्हारी चूत पर खोलूंगा. फिर देखता हूँ कि कौन इस चुत को खुलने से बचा पाएगा.
मुझे उसके लुंजपुंज लंड को देख कर बहुत नफ़रत हो रही थी, मगर उसने मेरे मुँह को ज़बरदस्ती खोल कर मुझसे अपना लंड चुसवाया.
अगले दिन पता नहीं वो कौन सी दवा खाकर आया था कि उसका लंड पूरा लोहे का बना हुआ था. वो बोला- पूरे 500 की दवा खाई है और हकीम ने कहा था कि अगर ना हो पाए तो 5000 वापिस दूँगा.
मेरी चूत अभी तक चुदी नहीं थी, इसलिए इसे चुदाई के लिए कोई सख्त लंड चाहिए था.. जो आज उसके पास था.
उसने बिना टाइम गंवाए मुझे पूरी तरह से नंगी करके अपना लंड मेरी चुत के होंठों को खोल कर उस पर रखा और फिर जोर से एक धक्का दे मारा.. जिसका नतीजा यह निकला कि उसका सुपारा मेरी चुत को चीरता हुआ अन्दर चला गया और मेरी चुत से खून निकलना शुरू हो गया. मैं रोने चिल्लाने लग गई- उई माँ मर गई.. मुझे छोड़ो.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… चाची बचाओ मुझे. मगर वहाँ कौन था, जो मेरी सुनता. उसने कहा- रानी सब ठीक हो जाएगा तुम को पूरे मज़े मिलेंगे.
मुझे एक तो उसकी सूरत से ही नफ़रत थी और दूसरा उसने बहुत ही बेरहमी से यह सब किया, जिससे मेरी नफ़रत और बढ़ गई. अब वो मेरी चूत में जोर जोर से धक्के मार मार कर अपना लंड अन्दर कर रहा था. कुछ देर बाद पूरा लंड मेरी चूत में समा गया. अब वो बिना कुछ सोचे समझे मुझे चोद रहा था. कुछ देर बाद उसने अपना पूरा लंड मेरी चूत से बाहर निकाला. अपने लंड का रस उसने मेरी चुत में छोड़ दिया और मेरे ऊपर ही चढ़ा रहा.
चूंकि उस पर अभी भी दवा का असर था, इसलिए उसका लंड फिर से खड़ा हो गया और बिना झिझके वो मेरी चूत पर फिर से सवार हो गया. इस तरह उसने दवा की गर्मी की वजह से मुझे चार बार चोदा. सुबह उठकर वो गर्व से बोला- अगर कोई लौंडा भी होता तो भी तुम्हें इतनी बार ना चोद पाता.
फिर दिन में मुझे चाचा अपने साथ अपने घर पर ले गए और बोले कि रात को वापिस चली जाना. चाची ने मुझसे पूछा- बोलो बिटिया कैसी रही? मैं चाची से क्या कहती.
चाची ने मुझसे कहा कि सुनो सुधा.. एक बात ध्यान से सुन लो. यह जीवन बहुत मजबूर करता है.. कई बार जो काम हम करना नहीं चाहते हैं, वो भी करना होता है. हमारी भी मजबूरी थी, जो तुमको उसके साथ बाँध दिया. खैर अब जो हुआ वो तो हो गया. मगर मुझे यह भी पता है कि वो तुमसे पहले ही संसार को छोड़ जाएगा. इसलिए उसको अपनी चुत का रंग और मम्मों को दिखा दिखा कर उसे अपने कब्ज़े में कर लेना और हर रात उससे बोलना कि तुम मेरे पूरा ख्याल रखने का वादा करो. वो करेगा और तुम अपने आप ही नंगी होकर उससे वो सब करना, जो वो चाहता है. फिर उससे बोलना कि अगर मुझ पर पूरा ख़याल रखने का वादा किया है, तो बैंक में कुछ पैसे मेरे नाम से भी जमा करवा दो.. ताकि मुझे भी लगे कि मैं भी कोई सेठानी हूँ. हां मगर पहले नाम अपना ही रखना ताकि यह ना समझा जाए कि मेरे मन में कोई खोट है.
चाची की बात मेरे दिमाग में बैठ गई. मैं किसी मौके की तलाश में थी, मगर मुझे कोई मौका मिल ही नहीं रहा था.
क्योंकि वो रोज रोज दवाई खरीदना नहीं चाहता था. बस रात को मुझे नंगी करके पूरी गरम कर देता था और लंड उसका ढीला ही रहता था. कभी ज़रा सा खड़ा होने की कोशिश करता भी था, तो चूत के पास आते ही अपना पानी निकाल देता था. तब वो मुझे से अपना लंड चुसवाता था और मेरी चूत को चूसता था. महीने में एक दो बार ही दवा खा कर चोदता था.
यह सब अभी उसके लड़के को नहीं पता था. वो जब मिलने के लिए घर वापिस आया तो वो मुझे घर में देख कर बहुत हैरान हुआ. मगर जब उसको पता लगा कि जो लड़की उससे शादी कर सकती थी, वो उसकी माँ बन गई है तो वो बाप से लड़ते हुए अगले दिन ही वापिस चला गया. मेरे पति को अपने लड़के के व्यवहार से बहुत दुख पहुँचा और वो बीमार पड़ गया. मैंने लड़के को फोन करके बताया भी मगर उसने कहा- मेरा कोई बाप नहीं है, मैं अब उसे नहीं देखने आऊंगा.
मैंने अपने पति से यह सब तो नहीं बताया.. मगर वो अब कुछ ज़्यादा ही बीमार हो गया और उनको हॉस्पिटल में ले गए. मगर वो बच नहीं पाया और उसका देहांत हो गया. मेरा पति अपने लड़के के व्यवहार से बहुत दुखी था और उसने मरने से पहले सारा कुछ मेरे नाम कर दिया. उसने अपने लड़के के नाम कुछ भी नहीं किया.
जब मैं मनोज को अपने पति की मौत के बारे में बताया तो वो आया, मगर अंतिम संस्कार करके चला गया. जाते समय वो मुझसे बोला कि मैं तुमको ना तो माँ मानता हूँ और ना ही मानूंगा. मेरे बाप ने तुम्हारे नाम जो लिखा है, तुम उसे रखो.. मुझे उन पैसों को देखना भी नहीं है.
मैंने उससे जाने से पहले कहा कि अगर तुम्हारे पास समय हो.. तो मैं तुमसे कुछ बात करना चाहती हूँ. उसने कहा- बोलो क्या कहना है? मैंने उससे कहा कि देखो तुम मुझे माँ एक बार नहीं सौ बार मत मानो. मैं भी तुम्हें कभी बेटा नहीं कहूँगी. अगर तुम समझते हो कि मैंने यह सब तुम्हारे बाप की दौलत के लिए किया है, तो तुम सब कुछ वापिस ले लो, तुम जहाँ कहोगे मैं साइन कर दूँगी. मुझे मेरे चाचा और चाची ने अपना कर्ज़ चुका ना पाने की वजह से तुम्हारे बाप के पास बेचा था. मैं तो एक बिकी हुई चीज़ हूँ, जिसे जब तक इस्तेमाल करना था किया गया. मेरा क्या है.. मैं तो केले का छिलका हूँ जब केला खा लिया, तो छिलका किस काम का. कभी समय मिले तो मेरे हालत पर भी गौर करना. मैं किन हालातों मैं यहां आई.. और किस हालत में अब रह रही हूँ. बस मुझे इतना ही कहना है.
मैं यह सब कह कर दूसरे कमरे में चली गई.
अगले दिन वो चला गया मगर जाने से पहले एक पत्र लिख कर मुझे देते हुए बोला कि इसे मेरे जाने के कम से कम चार घंटे के बाद खोलना. मैंने उस बहुत देर बाद खोला तो उस में लिखा था. सुधा जी, जब मैंने आपको अपने घर पर देखा और पाया कि आप मेरी माँ की पदवी पा चुकी हैं, तो मैं दिल ही दिल में बहुत रोया और अगले दिन ही वहाँ से वापिस आ गया. जानती हैं किसलिए? क्योंकि मैं आपसे दिल ही दिल में बहुत प्यार करता था. मै तो अपने बाप से कहने वाला था कि मेरी शादी सुधा से करवा दो. मगर उससे पहले ही मेरे बाप ने आपको मेरी माँ बना दिया. यह सब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो पाया, इसी लिए मैं उनसे मिलने भी नहीं आया. मगर जब आपने कहा कि मुझसे जहाँ पर भी साइन करवाना चाहो.. करवा लो. मुझे कुछ नहीं चाहिए.. तो मेरे दिल को आपकी ये बात छू गई. और आपने कहा कि मैं तो एक बिकी हुई चीज़ हूँ.. जिसे इस्तेमाल करो और फैंक दो. मेरे बाप ने आपको इस्तेमाल किया और छोड़ कर चला गया. अब आपकी ज़िम्मेदारी मुझ पर है. मगर क्योंकि उसने आपके नाम पर बहुत सा पैसा कर दिया है, इसलिए शायद आपको मेरी ज़रूरत ना पड़े.. मगर एक बात आप से बता दूं कि पैसा किसी काम नहीं आएगा.. यह आज है, कल पता नहीं कहाँ जाएगा. इस पैसे की वजह से आप देख लेना कि आपका वो चाचा, जिसने आपकी शादी मेरे बाप से करवा दी.. खुद ही आएगा, आपसे मीठी मीठी बातें करते हुए कि उसे कुछ पैसे की ज़रूरत है.
यही है जिंदगी का सत्य. मुझे उन पैसों की कोई ज़रूरत नहीं है. मैं आपको न माँ कह सकता हूँ और ना ही कह पाऊंगा. आपका मनोज.
अब यहां कहानी बदल गई थी, मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करूँ.
आप सभी के मेल का स्वागत है. [email protected] कहानी जारी है.
कहानी का अगला भाग: बाप की हवस और बेटे का प्यार-2
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