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मैंने मौसा जी की ओर देखा तो मौसा जी मुझे ही देख रहे थे। उनकी आँखों में वासना भरी थी, मैंने अपनी ओर देखा तो मुझे भी समझ आ गया। नाईटी घुटनों तक लंबी जरूर थी पर बीच में जांघों तक कट था और उसमें से मेरे गोरी जांघें दिख रही थी। बारिश की वजह से मेरी पतली नाईटी भीग कर पारदर्शी हो गयी थी और उसमें से मेरी ब्रा और पैंटी दिख रही थी, मेरी ब्रा भी गीली होकर मौसा जी को मेरे निप्पल्स और स्तनों का आकार अच्छे से दिखा रही थी।
मैंने उनको मेरी तरफ देखते हुए पकड़ा तो उन्होंने झट से टहनी की ओर देखा और उसे हटाने की कोशिश करने लगे। “मौसा जी, ये तो हिल भी नहीं रही अब क्या करेंगे?” मैंने थक कर पूछा, मुझे बारिश की वजह से बहुत ठंड लगने लगी थी। “एक काम करो तुम मेरे पीछे आ जाओ, दोनों एक जगह पे एक साथ धक्का लगाने से हिल जाएगी.”
मैं उनके पीछे जाकर उनसे सट के खड़ी हो गयी। एक साथ धक्का देने से टहनी थोड़ा सा खिसक तो गयी पर मेरा बदन उनके नंगे बदन पर रगड़ने की वजह से मेरी कामवासना जागृत होने लगी। मेरे स्तन उनकी पीठ में घुस गए थे, मुझे पूरा भरोसा था कि अंकल भी उत्तेजित हो गए होंगे।
“नीतू … थोड़ा और जोर लगाना होगा, तुम पीछे से ज्यादा जोर नहीं लगा सकती। एक काम करो तुम आगे हो जाओ, मैं तुम्हारे पीछे से जोर लगाता हूँ.” मौसा जी ने मुझे आगे किया और खुद पीछे हो गए। मैं आगे खड़ी होकर थोड़ा झुकते हुए धक्का देने लगी तभी मौसा जी मुझे पीछे से सट कर खड़े होकर धक्का देने लगे। मौसा जी के लंड ने मेरे नितम्बों से रगड़ खाया और मेरा पूरा बदन थरथरा उठा। “आहऽऽऽ अंकल … ” मैं सिसक उठी तो मौसा जी ने पूछा- क्या हुआ नीतू? “कुछ नहीं मौसा जी थोड़ा और जोर लगाना होगा!”
उन्होंने टहनी पर जोर लगाने के बजाय मेरी कमर पर ही जोर लगाया और मैं फिर से सिसकार उठी। मौसा जी ने उसे मेरी सहमति समझ कर मेरी गर्दन पर अपने होंठ रख कर चूमने लगे। कल रात के बाद फिर एक बार उनका लंड मेरी नितंब को छू रहा था पर इस बार उसके साथ साथ मेरी गर्दन पर उनके होंठों का स्पर्श भी हो रहा था।
“मौसा जी प्लीज …” मैं मना करने लगी तभी उनके सख्त हाथ मुझे मेरे स्तनों पर महसूस हुए। वे मेरे स्तनों को बेदर्दी से मसलने लगे तो मैं भी गर्म होने लगी। “अंकल … आहऽऽऽ … मत करो!” मैं उनका विरोध कर रही थी पर शायद उन्हें भी यह पता चल गया था कि उस वक्त मेरे शरीर को उनके सख्त हाथों के स्पर्श की बहुत जरूरत थी। मेरे मदमस्त स्तनों को मसलते हुए अंकल मेरे नितम्बों के बीच अपना लंड घिस रहे थे। ज़ोरों से हो रही बारिश में हम दोनों भीग रहे थे पर हमारी कामुकता पल दर पल बढ़ रही थी।
फिर मौसा जी एक हाथ नीचे ले जाने लगे तो मैं रोमांचित हो गयी। बेताबी में उन्होंने अपने हाथों से मेरे पेट को सहलाया और फिर नाईटी को ऊपर उठाते हुए उसके कट के अंदर से हाथ अंदर ले जाते हुए मेरी पैंटी के अंदर हाथ डाल दिया। पिछले दो तीन महीने में मेरी उस जगह किसी मर्द का स्पर्श नहीं हुआ था इसलिए जब मौसा जी की उंगलियाँ मेरी चुत की दरार पर घूमने लगी. मेरी चुत ने अपना बांध छोड़ दिया- मौसा जी … मैं आ गयी!
मैं इतना ही बोल सकी और अगले ही पल मेरी चुत ने मौसा जी की उंगलियों पर कामरस की बारिश कर दी थी। मेरी चुत का रस मौसा जी की उंगलियों पर पड़ते ही उन्होंने जोश में अपनी उंगलियाँ मेरी चुत के अंदर घुसाकर अंदर बाहर करने लगे और जोश में मेरी गर्दन पर किस करने लगे तो मेरे अंदर फिर से तूफान बनने लगा। “मौसा जी … मौसा जी … मौसा जी … आहऽऽऽऽ” इतना ही बोल कर मैं फिर एक बार झड़ गयी थी, मौसा जी भी जोश में मेरी गांड पर अपना लंड ज़ोरों से रगड़ने लगे थे। कुछ ही मिनटों में मीले दो जबरदस्त ओर्गास्म की वजह से मैं थक कर अपना सिर उस टहनी पर रख कर आराम करने लगी और पीछे से मौसा जी अपना लंड मेरी गांड पर घिसना चालू रखा था।
अचानक मेरे पैरों को किसी कपड़े का स्पर्श हुआ, मैंने आँखें खोल कर देखा तो वह मौसा जी की लुंगी थी, मौसा जी ने खुले में अपनी लुंगी खोल दी थी और अंडरवियर के ऊपर से ही अपना लंड मेरी गांड पर धीमी गति से रगड़ रहे थे। हम दोनों के मुँह से हल्की सिसकारियाँ निकल रही थी।
जोश में आकर मैं अपना हाथ पीछे ले जाते हुए मेरी नाईटी ऊपर करने लगी, मौसा जी को मेरा इशारा समझ गया और उन्होंने मेरी नाईटी उठाकर मेरी पीठ पर रख दी। “ओह … नीतू, ग्रेट ऐस!” मौसा जी ने सिसकारी भरी, बारिश में भीगी हुई मेरी गोरी गांड देख कर मौसा जी पागल हो रहे थे।
मैंने भी जोश में आकर मेरी गांड को पीछे करते हुए लंड पर दबाया तो मेरी गांड को उनके नंगे लंड का स्पर्श हुआ, मौसा जी ने कब अपनी अंडरवियर उतारी थी मुझे पता भी नहीं चला। मेरी पैंटी मेरी गांड के दरार में घुस गई थी और मौसा जी मेरी गांड पर जोश में अपना लंड घिस रहे थे। मैं भी अपनी उंगलियाँ मेरी चुत में घुसाकर अंदर बाहर करने लगी, हम दोनों ही कामवासना में पागल हो गए थे।
“नीतू बेटा … मेरा हो रहा है!” मौसा जी ने मेरी कान में बोला। उन्होंने अब मेरा एक हाथ पीछे ले जा कर अपने लंड पर रखा, उनको क्या चाहिए मुझे तुरंत समझ में आ गया। मैंने अपने हाथ से उनके लंड को पकड़ा तो उन्होंने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखते हुए उस पर मुठ मारने लगे। दूसरी तरफ मेरी उंगलियाँ मेरी चुत के अंदर बाहर करते समय मुझे मेरे हाथ पर मौसा जी का हाथ महसूस हुआ और उन्होंने भी अपनी उंगलियाँ मेरी चुत के अंदर घुसा दी। हम दोनों की उंगलियाँ मेरी चुत के अंदर बाहर हो रही थी तो दूसरी ओर हम दोनों के हाथ उनके लंड पर मुठ मार रहे थे।
मैं यह ज्यादा देर सहन नहीं कर सकी- हाय मौसा जी … मैं आ गयी! कहकर मेरी चुत ने फिर से अपना बांध छोड़ा।
उसी समय उनके लंड से भी पिचकारी छुटी और उनका गर्म वीर्य मेरी गांड पर गिरने लगा। मैंने उत्तेजना में उनके लंड के आगे अपना हाथ पकड़ा अब उनका वीर्य मेरा हाथ भिगो रहा था तो मेरी चुत उनका हाथ भिगो रही थी।
मैं तो पहले से ही टहनी पर सिर रख कर आराम कर रही थी, अब मौसा जी भी थक कर मेरी पीठ पर गिर गए, हम दोनों ही उसी अवस्था में बेसुध पड़े रहे, तेज बिजली के कड़कने ने हम दोनों फिर से होश में आ गए। “नीतू …” मौसा जी ने मुझे पुकारा तो मैंने आँखें खोल कर पीछे मौसा जी की ओर देखा, पहली बार मैंने मौसा जी के नजर से नजर मिलाई। हम दोनों की आंखों में वासना भरी थी, अचानक वे अपना चेहरा आगे लाते हुए अपने होंठ मेरे होंठों के पास ले आये। मैं भी सहमति में अपने होंठों को उनके होंठों पर रख जर पूरे जोश से चूमने लगी।
हम दोनों बारी बारी से हमारे नीचे के और ऊपर के होंठ चूस रहे थे। बीच में रुकते हुए मौसा जी ने अपनी जीभ मेरे होंठों के बीच में डाल दी, मैंने भी होंठों को खोलते हुए उनकी जीभ को मुँह के अंदर घुसने की सहमति दी। अब हमारे होंठों के साथ साथ हमारी जीभ का भी द्वंद्व चल रहा था।
बहुत देर एक रोमांटिक लंबा किस एन्जॉय करने के बाद जब हमारे होंठ अलग हुए तब हमारी आँखें फिर से मिली। उन मर्दानी आँखों से आँखें मिलने के बाद मैं एकदम से शर्मा गयी और उनकी बाँहों से छूट कर घर के अंदर भाग गई।
“नीतू बेटा!” मौसा जी ने पीछे से आवाज दी पर मैंने पीछे न देखते हुए मेरे बैडरूम में घुस गई। फिर अपने गीले कपड़े उतार कर ड्रेसिंग टेबल के आईने में अपना रूप निहारने लगी, टेबल पर ही वह खीरा पड़ा था जिससे इस सब की शुरुआत हुई थी। पर अब उसकी जरूरत नहीं पड़ने वाली थी यह तो तय था, तीन बार झड़ने की थकावट की वजह से मुझे झट से नींद आ गयी.
दूसरे दिन सुबह संगीता के दरवाजा खखटाने से मेरी नींद खुली। सोते समय बाल गीले ही रह गए थे इसलिए बुखार हो गया था। मौसा जी ने खुद मुझे नाश्ता खिलाया और दवाई खिलाई। वे ऐसा बर्ताव कर रहे थे कि कल हम दोनों के बीच कुछ भी नहीं हुआ था।
बाद में मैंने फ़ोन कर के अपनी सहेली को बताया कि मैं आज कॉलेज में नहीं आ रही! और फिर मैं सो गई।
दोपहर को चार बजे मेरी नींद खुली, मौसा जी की दी हुई दवाई का अच्छा असर हो गया था। अब तबियत ठीक थी, मैं फ्रेश होकर नीचे रसोई में चली गई। देखा तो संगीता रसोई में नहीं थी, सिंक में दोपहर के बर्तन भी वैसे ही पड़े थे। गार्डन में देखा तो मौसा जी भी वहाँ पर नहीं थे, तो फिर दोनों गए कहाँ?
तब मुझे मौसा जी के कमरे से कुछ आवाजें सुनाई दी, जैसे जैसे मैं उनके कमरे के करीब पहुँचने लगी, वैसे वैसे आवाजें ठीक से साफ़ साफ़ सुनाई देने लगी, वे आवाजें मौसा जी के और संगीता की सिसकारियों की थी। वे दोनों अंदर क्या कर रहे थे? मेरी धड़कन बढ़ने लगी और मैं उनके कमरे के करीब पहुँची। वहाँ से अंदर की आवाजें साफ साफ सुनाई दे रही थी, मेरा तो दिमाग ही चकरा गया था। मौसा जी और संगीता … अंदर … चुदाई … लगभग मेरी ही उम्र की संगीता को अंकल अंदर चोद रहे हैं… इसी कल्पना से मुझे पसीना छूटने लगा, खुद शादीशुदा होकर और घर में एक जवान लड़की रहते हुए वह इतनी हिम्मत कर रहे थे।
मैंने अंदर झांककर देखा, अंदर का नजारा देखा तो मेरी आँखें खुली की खुली रह गयी। संगीता और मौसा जी दोनों ही नंगे थे, संगीता नीचे लेटी हुई थी और मौसा जी ऊपर से उस नाजुक कली को निचोड़ रहे थे। अपना बड़ा लंड उसकी कमसिन चुत में डालकर अपने कूल्हों को तेजी से हिलाते हुए उसको बेदर्दी से चोद रहे थे।
मैं डर कर फिर वापिस दीवार से लग कर खड़ी हो गई, आँखें बंद भी करू तो वही सब दिख रहा था। मन में काफी सवाल उठने लगे थे, क्या मौसा जी ने संगीता पर जबरदस्ती की होगी, या फिर संगीता ने ही उन्हें अपने जाल में फंसाया होगा। कब से चल रहे होंगे उनके नाजायज संबंध, मतलब उस दिन सुबह मौसा जी ही रसोई में आये होंगे।
“मालिक क्या मस्त चोदते हो आप … आज बहुत मजा आ रहा है!” अंदर से संगीता की आवाज आई। मैंने वही से अंदर झांककर देखा, मौसा जी अपनी गांड हिलाते हुए उसको चोद रहे थे और बीच बीच में झुककर उसे किस भी कर रहे थे। “हाँ संगीता, इतनी बार तुमको चोदा है फिर भी तुम बिल्कुल टाइट हो!”
मुझसे भी अब रहा नहीं गया और मैं वहीं पर खड़े खड़े नाईटी को ऊपर सरका के मेरी उंगलियों को पैंटी के अंदर घुसा दी और अपनी मुनिया को मसलने लगी। उंगलियों का स्पर्श होते ही निगोड़ी चुत पानी छोड़ने लगी। “सुबह से दूसरी बार मुझे चोद रहे हो, फिर भी आप का लंड तन कर खड़ा है, सच में इस उम्र में भी आप का स्टैमिना बिल्कुल जबरदस्त है, मालकिन का तो बुरा हाल करते होंगे आप?” “बस क्या संगीता, बूढ़ा नहीं हो गया हूं, सिर्फ पचास का हूँ, अभी बहुत स्टैमिना है मुझ में। और तेरी मालकिन अब ठंडी पड़ गयी है, दो सालों से उसको चोदा भी नहीं है मैंने!” कहकर और जोश में उसको चोदने लगे।
“मालिक आप थोड़ा आराम करो, तब तक मैं आप का लंड चूसती हूँ!” उसने वहीं पर पड़ी ओढ़नी से अपना और मौसा जी का पसीना पौंछा तभी मुझे पता चला कि यह सब प्यार से हो रहा था, कोई जबरदस्ती नहीं थी।
मौसा जी ने संगीता की चुत से अपना लंड बाहर निकाला और बेड पर लेट गए तो उनका खड़ा हुआ लंड मुझे दिखा। पिछले दो दिन से मैंने उनका लंड मेरे नितंब पर महसूस किया था, कल रात को तो हाथ में भी लिया था पर आज पहली बार बार उजाले में देख रही थी। संगीता के चुतरस से सना हुआ उनका लंड उजाले में चमक रहा था, उसे देखते ही मेरी चुत ने पानी छोड़ दिया। अंकल का लंड बहुत ही बड़ा था. मुझे तो आश्चर्य हो रहा था कि मेरी ही उम्र की संगीता इतना बड़ा लंड अपनी चुत में कैसे ले सकती है।
अब तक तो संगीता ने उनका लंड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू भी कर दिया, बड़े मजे से चाटते हुए उनका सुपारा चूसने लगी। पहली बार लाइव चुदाई देखकर मैं बहुत उत्तेजित हो गयी थी। “मालिक सुबह से दूसरी बार मुझे चोद रहे हो फिर भी लंड सीना तान कर खड़ा है!” संगीता बोली।
कल रात डेढ़ बजे अंकल ने मेरी गांड पर मुठ मेरी थी और सुबह से अंकल ने नौकरानी संगीता को दो बार चोदा था, सच में उनका स्टैमिना बहुत जबरदस्त लग रहा था।
जी भर के चुसाई के बाद संगीता मौसा जी के ऊपर पर बैठ गयी और उनके लंड पर उठक बैठक करने लगी। “मालिक, आहऽऽऽ दीदी उठेंगी तो नहीं न … ” अचानक उसने मेरा जिक्र किया तो मैं डर गई। “सुबह ही उसको गोली खिलाई है इतनी जल्दी असर कम नहीं होगा, अभी टाइम है!” अच्छा इसलिए मौसा जी इतनी बेपरवाही से उसे चोद रहे थे।
“वाह मालिक, दीदी एक घंटा और सोई तो आप शायद मुझे तीसरी बार चोदेंगे!” संगीता उनकी तारीफ करते हुए बोली. तो मौसा जी ने उसे अपने ऊपर खींच लिया और किस करने लगे और नीचे से दनादन उसकी चुत में लंड पेलने लगे।
“टिंग … टोंग!” अचानक दरवाजे की घंटी बजी, मैंने ऊपर से देखा तो दरवाजे पर कोई था, कौन आया होगा इस वक्त? अंदर देखा तो संगीता और मौसा जी अपनी चुदाई में मस्त थे, उनको घंटी सुनाई ही नहीं दी। शायद मौसा जी के दोस्त आये होंगे, मौसा जी को बताना जरूरी था पर ऐसा क्या करूँ जिससे उनको पता चले? मैं अपनी सोच में मग्न थी।
“टिंग … टोंग!” एक बार फिर से आवाज आई तो मेरे मुँह से जोर से “आती हूँ …” निकल गया। इतनी जोर से मेरी आवाज सुनने पर उन दोनों ने अपनी चुदाई रोक दी और जल्दी जल्दी में अपने कपड़े पहनने लगे, मैंने भी अपने कपड़े ठीक किये और नीचे जाकर दरवाजा खोला और उनके दोस्तों को घर के अंदर ले लिया।
जवान लड़की की कामवासना की कहानी जारी रहेगी. हमारी नौकरानी को अंकल ने चोदा. कहानी कैसी लगी मुझे मेल करके बतायें। मेरा मेल आई डी है [email protected]
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