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हैलो फ्रेंड्स, मेरा नाम नेहा यादव है. आप सबने मुझे और मेरी रियल चुदाई कहानियों को जैसे अनजान लड़के के साथ सेक्स सहेली के भाई से चुदाई करवा बैठी आदि को बहुत सराहा है.. उसके लिए धन्यवाद. आज मैं आप सबके मजे के लिए एक और रियल चुदाई स्टोरी लेकर आई हूँ.
मुझे कभी कभी चुदाई करने में डर लगता है क्योंकि अगर यह बात किसी को पता चल गयी, जो लोग मेरे घर के हैं, तो उनका क्या होगा. मैं इन सब बातों से बहुत डरती हूँ. लेकिन मैं क्या करूँ… चुदाई के बिना रहा भी नहीं जाता है. जवानी में लोग क्या क्या करते हैं, उनको भी नहीं पता होता है. मुझे डर लगता रहता है कि कोई ये बात जान न जाए कि मैं चुदवाती हूँ, लेकिन फिर भी मैं किसी न किसी से चुदवाती रहती हूँ. चुदाई का भूत, मुझे लंड की फिराक में परेशान तो करता है, लेकिन मुझे इस बात डर भी लगा रहता है कि मैं किसी गलत आदमी से ना चुदवा लूँ और वो मुझे चोद कर मेरी बदनामी न कर दे. मेरी सहेलियों के साथ ऐसा हुआ भी है कि उन्होंने अपने ब्वॉयफ्रेंड से चूत चुदवाई और बाद में उनके ब्वॉयफ्रेंड्स ने उनकी बदनामी भी कर दी. वो लोग अपने दोस्तों से चटखारे लेकर ये बोल देते हैं कि वो लोग मेरी फलां सहेली को चोद चुके हैं. इसके बाद उनके ब्वॉयफ्रेंड्स के दोस्त भी मेरी उसी सहेली को गंदे कमेंट करते हुए छेड़ने लगते हैं.
मुझे इन सब बातों से बड़ा डर लगता है इसलिए मैं अच्छे ब्वॉयफ्रेंड बनाती हूँ, जो मुझे चोदें भी, मेरी चूत को भी अच्छे से ठंडा भी करें और मेरी इज्जत को भी बनाये रखें. बहुत से लोग बड़ी बेरहमी से चुत चोदते हैं. जिससे चुत को भोसड़ा बनने में वक्त नहीं लगता. मुझे ऐसा सेक्स बिलकुल अच्छा नहीं लगता है कि लोग बेरहमी से चोदें. मैं हमेशा अच्छे आदमी से चुदवाती हूँ. ऐसे लोग मेरी फ़िक्र भी करते हैं और मुझे मजा देते हुए धकापेल चोदते भी हैं.
तो मेरे यारो, आज की कहानी में मैं आपको बताऊंगी कि कैसे मैं अपनी दीदी के देवर से चुदी.
मेरी दीदी का देवर बहुत अच्छा है और वो मेरी फ़िक्र भी करता है. मेरी दीदी का देवर उस दौरान कभी कभी मेरे घर आता था.. जब भी मेरी दीदी मुझसे मिलने आती थीं.
वैसे मेरे और मेरी दीदी के देवर के बीच में कुछ नहीं था.. लेकिन हम दोनों लोग के मिलने से हम लोग एक दूसरे से थोड़ा बहुत बातें करने लगे थे. मेरी दीदी का ससुराल हमारे घर से थोड़ी ही दूरी पर है. इसलिए मेरी दीदी को जब भी मन करता है, वे जल्दी से अपने देवर के साथ मायके आ जाती हैं.
इस वजह से मेरी ‘जान पहचान’ दीदी के देवर के साथ कुछ ज्यादा ही हो गयी थी. दीदी का देवर तो कभी कभी अकेले भी मुझसे मिलने आ जाता था. मैं थोड़ी खुल कर बात करने वाली लड़की हूँ मतलब कि मैं बातूनी लड़की हूँ. मैं अपनी दीदी के देवर के साथ बहुत बात करती थी. वो भी मुझसे खूब बात करता था. हम दोनों लोग बात करते करते ही एक दूसरे से बहुत ज्यादा खुल गए थे. वो भी मेरी तरफ आकर्षित हो गया था और मैं भी उसको बहुत पसंद करती थी. शायद हम दोनों लोग एक दूसरे से प्यार करने लगे थे और एक दूसरे को चाहने लगे थे. वो मेरी बहुत फ़िक्र करता था और मेरा कोई भी काम तुरंत कर देता था.
एक बार मैं अपनी दीदी के देवर के साथ घर में किसी को बिना बताए घूमने चली गयी थी. हम लोग बहुत घूमे और उसी दौरान हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे के करीब आ गए. हमारी निकटता कुछ कुछ कहने लगी थी, जो कि हम दोनों को ही बेहद पसंद आने लगी थी.
इस तरह अब हम लोग हमेशा जब भी फ्री होते थे.. तो हम लोग घूमने निकल जाते थे. काफी समय तक हम दोनों अकेले बैठ कर एक दूसरे से अपनी दिल की बातें करते रहते थे. ऐसे ही हम दोनों लोग बहुत बार घूमने गए थे. इसी बीच एक दूसरे के काफी करीब आ गए. अब हम दोनों लोग एक दूसरे से अपनी सभी तरह की बातें शेयर करने लगे थे. हम दोनों कोई भी बात एक दूसरे से नहीं छुपाते थे.
इसी बीच उपहार का सिलसिला भी शुरू हो गया. वो मुझे कभी कभी ड्रेस भी लाकर देता था और मैं वो ड्रेस पहनकर उसके साथ घूमने जाती थी.
हम दोनों कभी कभी रात भर एक दूसरे से फ़ोन पर बातें करते रहते थे और कभी कभी तो हम लोग एक दूसरे से मिले बिना बेचैन हो जाते थे. हम दोनों के बीच अब बहुत गंदे मजाक भी होने लगे थे. वो मुझे एडल्ट जोक्स सुनाता था और हम दोनों लोग खूब हँसते थे. हम लोगों का ये दौर बहुत दिन तक चलता रहा. अब तो हालत ये हो गई थी कि हम दोनों अब एक दूसरे के बिना रह नहीं पाते थे.
मैं कभी कभी उसकी बांहों में सो जाती थी. कई बार हम दोनों पार्क में जाकर एक दूसरे से प्यार वाली बातें करते थे. अब वो कभी कभी मेरी चूची को बहुत ध्यान से देखता था और मेरी चूची को देखकर बोलता था कि तुम बहुत सेक्सी हो.
मैं भी उसको देख कर हंसते हुए थोड़ा हामी सी भर देती थी. वैसे मैं सच में बहुत सेक्सी हूँ. वो मेरे मम्मों को ऐसे देखता था, जैसे उसका मन करे तो वो मेरी चूची को अपने मुँह में लेकर चूसने लगे.
वो बहुत बार मेरी चूची को मुझसे बातें करते करते देखता था. हम दोनों लोग एक अन्दर सेक्स करने का मन बना गया था, लेकिन कोई भी शुरुआत नहीं कर रहा था. शायद हम दोनों डर रहे थे. मैं वैसे तो बहुत बार चुदवा चुकी थी लेकिन मुझे अपने दीदी के देवर से चुदवाने में थोड़ा अजीब सी फीलिंग आ रही थी. वो मेरी बहुत केयर करता था इसलिए मैं उससे चुदवाना चाहती थी.
वैसे भी मुझे अच्छे लड़कों से चुदवाने में कोई डर नहीं लगता है. मेरे बहुत आशिक रह चुके हैं और मैं उनसे खुल कर चुदवा भी चुकी हूँ. हालांकि अब मेरा उन लोगों से कोई लेना देना नहीं है. मैं अपनी चुत की खुजली मिटवा कर सारे सम्बन्ध तोड़ लेती हूँ.
मेरा सोच रहता है कि तेरा लंड और मेरी चुत.. बस चुदाई कर.. और आगे बढ़. इसके बाद हम लोग एक दूसरे को देखते भी हैं, तो एक दूसरे को देख कर स्माइल कर देते है. इससे अधिक हमारे बीच में कुछ नहीं होता है.. हां यदि मेरा मन होता है तो दुबारा चुदाई करवा लेती हूँ. लेकिन मेरा सिद्धांत वही है कि लंड लिया और चुत दी.. बस खेल खत्म.
खैर.. इस वक्त मैं अपनी दीदी के देवर के साथ अफेयर में थी, तो मैं सोच रही थी कि मैं अपनी दीदी के देवर के साथ ही सेक्स करूँगी. दीदी के देवर के साथ सेक्स करने में दूसरा ही मजा था क्योंकि एक तो वो मेरे घर का ही था और कोई गलती होती भी तो घर वाले समझ लेते.
इसलिए मुझे दीदी के देवर से सेक्स करने में कोई डर नहीं था. मुझे भी पता चल गया था कि वो मेरे साथ सेक्स करना चाहता है लेकिन चुदाई की शुरुआत कोई नहीं कर रहा था.
फिर ऐसे ही एक दिन वो मुझसे मिलने आया और हम लोग उसी मूड में घूमने चले गए.. जैसे कि हम लोग हमेशा बिना घर वालों को बताए घूमने जाते थे. चूंकि मैं हमेशा ही उसके साथ घूमने जाती थी.. इसलिए घर वालों को भी आपत्ति नहीं थी.
हम दोनों लोग पार्क में बैठ कर एक दूसरे से बातें कर रहे थे, तभी उसने मेरी चूची को देखते हुए दबा दिया. मैं अचानक हुए इस हमले से थोड़ा घबरा गयी और उसको डांटने लगी. वो मुझसे सॉरी बोलने लगा. मैं उससे बोली- कोई बात नहीं.. मैं बस अचानक हुए इस हादसे से घबरा गयी थी.
मैं उसको देख कर स्माइल देने लगी और वो भी मुझे देख कर स्माइल दे रहा था. वो मेरी रजा समझ गया और अब वो मेरी चूची को अपनी हाथों में लेकर दबाने लगा. हम दोनों के अलावा पार्क में थोड़े और लोग थे, जो लोग अपनी गर्लफ्रेंड के साथ इसी तरह के कार्यक्रमों में बिजी थे. मेरी दीदी का देवर मेरे कपड़ों के ऊपर से मेरी चूची को दबा रहा था और कुछ देर के बाद वो मुझे किस करने लगा. उसके चूची दबाने से और किस करने से मुझे भी सेक्स चढ़ गया और मैं भी अपनी दीदी के देवर को किस करने लगी.
हम दोनों लोग सब कुछ भूल गए थे कि हम लोग पार्क में हैं और एक दूसरे को चूम रहे हैं. वो मुझे इतने अच्छे से किस कर रहा था कि मैं भी उसको किस करते करते भूल गयी थी कि मैं ये सब उसके साथ कहाँ कर रही हूँ और मुझे भी इस बात का ख्याल नहीं आया कि हम दोनों सार्वजनिक स्थान पर हैं.
अचानक मुझे इस बात का ख्याल हुआ और मैंने जल्दी से उसको चूमना छोड़ कर आगे बढ़ने से मना किया. मैं उससे बोली कि हम लोग ये सब पार्क में खुलेआम नहीं कर सकते हैं. कोई फोटो वगैरह खींच लेगा तो मुसीबत हो जाएगी.
वो भी मेरी बात से सहमत हो गया था और हम दोनों एक दूसरे को हल्का सा किस करके अलग हो गए. इसके बाद उसने मुझे मेरे घर छोड़ दिया और अपने घर चला गया.
अब हम दोनों का एक दूसरे से मिलना जुलना चलता रहा. हम दोनों अब चुदाई करना चाहते थे, लेकिन चुदाई करने का मौका नहीं मिल रहा था.
एक दिन मैं अपने घर में अकेली थी और मैंने तुरंत फ़ोन करके अपने दीदी के देवर को बताया कि मैं आज अपने घर में अकेली हूँ. वो तुरंत फोन काट कर से मेरे घर आ गया और मुझसे चिपक कर मुझे चूमने लगा.
इसके बाद मैं जल्दी से उसको अपने बेडरूम में ले गयी. मैंने पहले पूरे घर में घूम कर देखा कि सभी दरवाजे तो बंद है ना.. क्योंकि मेरे घर के मुख्य दरवाजे की चाभी दो लोगों के पास रहती है, एक मेरी मम्मी के पास और एक मेरे पास. इसलिए मैं सारे घर के दरवाजों को चैक किया और उनको अच्छे से बंद कर दिया. मेरी मम्मी अपनी सहेली के साथ बाहर गयी थीं, इसलिए मैं अब आराम से अपने दीदी के देवर के साथ अपने बेडरूम में जाकर बातें करने लगी.
मैं अपनी दीदी के देवर के लिए किचन से एक गिलास ठंडा पानी और कुछ खाने के चीजें लायी. वो पानी पीने लगा और उसके बाद हम दोनों थोड़ी देर एक दूसरे से गर्मागर्म बातें करने लगे. इन्हीं बातों से उत्तेजित होकर वो मुझे ऐसे किस करने लगा, जैसे एक हीरो अपनी हीरोइन को किस करता है.
उसने मेरी गर्दन को अपने हाथों से पकड़ लिया था और मेरे बालों को थोड़ा खींचते हुए मेरे होंठों को चूसने लगा था. मैं भी उसका साथ दे रही थी और मैं भी उसके होंठों को चूस रही थी. हम दोनों की जीभें एक दूसरे से टच हो रही थीं और लड़ रही थीं. एक दूसरे को इस तरह से किस करने में वाकयी बहुत मजा आता है, ये मेरा अनुभव भी रहा था. इस तरह से चुसाई करने में ऐसे लगता है, जैसे दोनों लोग कोई रसीली चीज को चूस रहे हैं.
इसके बाद वो मेरे होंठों को चूसने लगा. फिर उसने मेरे कपड़ों को एक एक करके आराम से निकालना शुरू कर दिया. उसने जल्द ही मेरा सलवार सूट निकाल दिया. मैं अब उसके सामने ब्रा और पेंटी में आ गयी थी. मेरी चूची मेरे ब्रा में से बाहर आना चाहती थी. उसे मेरी ब्रा को निकाल दिया और मेरी चूची को चूसने लगा. वो मेरी चूची को ऐसे चूस रहा था, जैसे उसको आज ही पूरा खा जाएगा.
मेरी चूची चूसते चुसवाते और मसलवाने की वजह से थोड़ी बड़ी हो गई हैं, इसलिए मेरी चूची उसके हाथ में अच्छे से नहीं आ रही थीं. उसने मेरी चूची को चूसने के बाद मेरी पेंटी को भी निकाल दिया. मेरी चूत एकदम साफ़ थी क्योंकि मैंने आज ही अपने चूत को बाथरूम में जाकर साफ़ किया था. आज मेरा मन पहले से ही चुत चुदाई करवाने का था तो मैंने सोचा कि आज अपनी दीदी के देवर से अपनी चुत को चटवाने का मजा भी ले लूँ.
मैंने चुत खोली तो मेरी दीदी का देवर मेरी चूत चाटने लगा. मैं भी मस्त हो गई और थोड़ा सा खुलते हुए उसको गाली देने लगी ‘चल साले कुत्ते.. मेरी चूत चाट…’ वो भी कुत्ते की तरह मेरी चूत चाट रहा था.
हम लोग कभी कभी मजाक में एक दूसरे को गाली भी देते थे. वो भी बोल रहा था- हां मेरी कुतिया तेरी चूत को आज आज बहुत अच्छे से चाट चाट कर चोदूँगा. कुछ देर बाद मेरी चुत की खुजली बढ़ गई तो मैंने उससे कहा कि अब चोद भी दे यार.. बहुत आग लग रही है.
वो मेरी दोनों टांगों के बीच में आ गया और मेरी चूत में उंगली करने लगा. उसके बाद उसने अपना लंड मेरी चूत पर रख दिया, उसने अपना खड़ा लंड मेरी चूत में एक बार में ही पूरा डाल दिया. मेरी तो चीख निकल गयी. वो बिना मेरी परवाह किये मेरी चूत को चोदने लगा. चूंकि मेरी चुत तो खेली खायी थी सो थोड़ा चीखने का ड्रामा करना जरूरी भी था.
अब हम दोनों लोग चुदाई का मजा ले रहे थे. वो मुझे किस कर रहा था और मेरी चूत में अपना मोटा लंड डाल कर मुझे आराम से चोद रहा था. वो मेरे ऊपर पूरी तरह से छा गया और मुझे बहुत हचक कर चोद रहा था. बीच बीच में वो लंड निकाल कर मेरी चूत को चाट कर मुझे चोदे जा रहा था. इसी तरह चोदते वक्त एक बार तो उसने मेरी चूत में पूरे लंड के साथ साथ एक उंगली भी घुसा दी. मुझे इस तरह से बड़ा मजा आया और मैंने इस तरकीब से आगे भी खेलने का मन बना लिया.
अभी वो मुझे जोरों से चोदने लगा. मैं भी उसका साथ दे रही थी और कभी कभी उसको मना भी कर रही थी क्योंकि वो जब चोद रहा था, तो मुझे दर्द भी हो रहा था. जब मुझे दर्द होता था तो वो बार बार मेरी चूत में से लंड निकाल कर मेरी चूत को चाटने लगता. उसके बाद जब मेरा दर्द कम हो होता था तो वो मेरी चूत में अपना एकदम से पूरा लंड डाल मुझे चोदने लगता.
हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर सेक्स कर रहे थे. हम दोनों लोग बहुत देर तक चुदाई करने के बाद हम दोनों का माल निकल गया. मैंने उसके लंड को चाट कर साफ़ किया और उसने मेरी चूत को चाट कर साफ़ कर दिया.
हम दोनों लोग रियल चुदाई करने के बाद काफी फ्रेश महसूस कर रहे थे. मुझे अपने दीदी के देवर से चुदवाकर बहुत अच्छा लग रहा था. हम दोनों लोग कुछ देर के बाद एक दूसरे को किस करने लगे. थोड़ी देर के बाद हम दोनों लोग एक बार गरम हो गए और फिर से सम्भोग किया.
काफी देर तक मजा करने के बाद हम दोनों तृप्त हो गए और अपने अपने कपड़े पहन कर तैयार हो गए, क्योंकि मेरी मम्मी के आने का समय हो चला था. वो मुझे चूम कर चला गया और मैं बैठ कर टीवी देखने लगी. कुछ देर बाद मम्मी आ गईं.
इसके बाद हम दोनों को जब भी मौका मिलता था, दोनों लोग एक दूसरे की वासना को शांत कर लेते हैं.
आप सब मेरी यह रियल चुदाई स्टोरी कैसी लगी. आप सब मुझे इस सेक्स स्टोरी के लिए अपने फीडबैक देकर जरूर बताएं, इससे मैं और भी जल्दी कहानी आपको बताउंगी. आपके फीडबैक से मुझे अपने सम्भोग की कहानी, आप सबको बताने में बहुत प्रोत्साहन मिलता है. [email protected]
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