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दोस्तो, मेरा नाम प्राची है और मेरा नाम तो आपने पहले सुना ही होगा! तो मैं आज आपको एक बहुत ही ख़ास इंसान के लंड के बारे में कहानी सुनाने वाली हूँ. शिवदयाल जी का लंड… असल में यह स्टोरी मेरी माँ और शिवदयाल जी की है और काफी हद तक … काफी हद तक क्यों बोलूँ … बिल्कुल सौ प्रतिशत रीयल है.
मेरी माँ इन्कम टेक्स डेपार्टमेन्ट में अफसर हैं और पापा का अपना बिज़नेस है. मैं शुरू से ही मम्मी पापा को साथ साथ वक्त गुजारते हुये देखती रही हूँ. लेकिन कभी यह अहसास नहीं हुआ कि ऐसा भी हो सकता है
अब क्या बताऊँ … मुझे शर्म भी आ रही है यह बताते हुये … पर मेरी मम्मी को ये सब करते हुये शर्म नही आई तो मैं बोलने में क्यों शरमाऊँ! है ना? और मुझे भी तो कोई चाहिए चीजें शेयर करने वाला… तो मैंने सोचा कि अपने दोस्तों को ही क्यों ना बता दूँ.
माँ के बारे में बताती हूँ आपको … मेरी माँ काफी स्मार्ट और खूबसूरत है, उनका फिगर 36-32-37 है, क्योंकि मैं और मेरी माँ ब्रा और पेंटी एक साथ में खरीदते हैं तो कन्फर्म साइज़ पता है. उनकी हाईट 5′ 4″ है और रंग बहुत गोरा है. और मैं क्या बताऊँ … मुझसे ज्यादा तो लोग मेरी मम्मी को भाव देते हैं. तो आप सोच ही सकते हो कि वे कैसी होंगी और यह काफी हद तक पैसे की ही माया है.
अब मैं आपको शिवदयाल के बारे में बताती हूँ. जनाब हमारे यहाँ नौकर हैं .पर दर्जा उनको फैमिली मेम्बर का ही हासिल है. हमारे घर में खाना भी वे ही बनाते हैं और दादाजी के ख़ास दोस्त भी हैं. दिखने में नार्मल, सीधे सादे कलर हल्का सांवला हाईट 5’7″ के आस पास. शरीर में थोड़े हलके हैं पर शरीर में जान बहुत है, देख के लगता नहीं है कि इतनी जान होगी उनमें!
उस दिन इतवार था और पापा बाहर गए हुए थे. घर में मैं मां, दादाजी, मेरा भाई ऋषभ और शिवदयाल ही थे. दोपहर का टाइम था और मैं अपने कमरे में पढ़ रही थी. माँ मेरे रूम में आई और बिना कुछ बोले चली गयी. मुझे ऐसा लगा कि जैसे देखने आई थी कि मैं क्या कर रही हूँ.
दादा जी और शिवदयाल लॉन में बैठ के ताश खेल रहे थे. मेरा मन नहीं था पढ़ने को पर मैं पढ़ रही थी.
तभी मम्मी ने शिवदयाल को आवाज लगाई जो मुझे सुनाई दी, पैर दबाने के लिए बुला रही थी. शिवदयालजी को मैंने तेल की बोतल के साथ ऊपर जाते देखा तो सोचा कि सर में लगवायेंगी.
फिर मैं पढ़ने लगी पर मन नहीं लगा तो सोचा कि ऋषभ के साथ वीडियो गेम ही खेल लेती हूँ. पर जाकर रूम में देखा तो वो सो रहा था. फिर सोचा कि मैं भी भी मालिश करा लेती हूँ. ऊपर गई तो देखा कि शिवदयाल जी माँ के पैरों में की मालिश कर रहे थे, बिना कुछ बोले मैं नीचे आ गई कि पता नहीं कब तक यह मालिश चलेगी, मैं थोड़ी देर लेटी पर नीन्द नही आई. सुबह लेट उठी थी, मैं ऐसे ही कुछ देर लेटे रही.
फिर मैं सोचने लगी कि शिवदयाल नीचे क्यों नहीं आए, मुझे भी मालिश करानी है. तो मैं उठकर ऊपर गई, देखा तो मुझे विश्वास नहीं हुआ क्योंकि मेरी मम्मी शिवदयाल के सामने उलटी नंगी लेटी हुई थी और शिवदयाल मॉम की कमर की कास के मालिश कर रहे थे. मुझे बहुत ज्यादा गंदा लगा पर मैं रुक गई और अंदर नहीं गई.
पूरी बातचीत प्राची के मुख से ही सुन कर मजा लीजिये.
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