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मैं राजस्थान के एक छोटे से गॉंव का रहने वाला हूँ। यह कहानी तब की है जब मैं अठारह साल का था और शहर के एक अच्छे हास्टल में रह कर अपनी पढ़ाई कर रहा था। उस समय गर्मी की छुट्टियाँ बिताने मैं अपनी मौसी के गॉंव में जाया करता था। मेरी मौसी एक सम्पन्न परिवार में ब्याही गयी थीं। मेरी मौसी के दो छोटे छोटे बच्चे थे। गॉंव में उनका बड़ा आलीशान घर था और एक बड़ा सा फार्म हाउस भी वहीं पास में ही था।
पिछली छुट्टियों की बात है। मैं अपनी मौसी के घर हर साल की तरह गर्मी की छट्टियाँ बिताने गया हुआ था। मेरी मौसी के घर मेरे मौसा जी की भानजी भी आयी हुई थी। उसका नाम जूही था। जूही की उमर भी यही कोई 18 साल रही होगी मेरी ही तरह। मैं तो खैर अठारह का होने के बावजूद निरा अनाड़ी ही था। मगर जूही काफी होशियार थी। वहीं मौसी के घर उस गर्मी की छुट्टियों में मेरी जिन्दगी के साथ कुछ ऐसा वाकया घटा जिसको मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ।
मेरी मौसी के गांव में कुछ दूरी पर एक हाट बाजार लगती थी। एक रोज की बात है कि मेरे मौसी और मौसा घर की कुछ खरीदारी करने के लिए हाट बाजार गए हुए थे। घर में केवल मैं था और मौसा जी की भानजी जूही थी। बस दो ही लोग थे अकेले और घर बहुत बड़ा था। दोपहर का वक्त था। मौसी जी के दोनों बच्चे सो रहे थे। हम दोनों का टाइम पास नहीं हो रहा था, इसलिए हम लोग आपस में बदल बदल कर कई खेल खेल रहे थे।
जब हम लोग सारे खेल खेल कर बोर हो चुके थे तभी जूही ने कहा- चलो, हम लोग एकदम नया खेल खेलते हैं। मैंने कहा- कौन सा खेल? उसने कहा- बैट बॉल। मैंने कहा- यहाँ कहाँ इतनी जगह में बैट बाल खेलेगे। उसके लिए तो मैदान में चलना होगा। जूही हँसने लगी। मैंने पूछा- हँस क्यों रही हो? जूही बोली- तुम निरे बुद्धू हो।
मैं जरा खिसिया सा गया, फिर मैंने पूछा- यहाँ कहाँ क्रिकेट का मैदान है जो मैच खेलोगी। कभी तुमने क्रिकेट खेला भी है। क्रिकेट तो लड़कों का खेल है। तुम लड़कियाँ क्या जानो क्रिकेट कैसे खेला जाता है।
जूही मेरी बातों को सुन कर इतरा रही थी। फिर उसने कहा- अच्छा तुम ही बताओ, कैसे खेला जाता है क्रिकेट? मैंने कहा- क्रिकेट खेलने के लिए मैदान, बॉल, पिच, विकेट, बैट सब कुछ होना चाहिए। यहाँ मैदान कहाँ है, बॉल कहाँ है, पिच कहाँ है, विकेट बैट यह सब कहाँ है।
अब जूही खिलखिला कर हँसने लगी। कहने लगी- मेरे पास बैट छोड़कर सारा इन्तजाम है। तुम बस बैट का इन्तजाम कर लो।
उस समय मैं 18 साल का जरूर थ मगर सम्भोग के बारे में बिल्कुल अनभिज्ञ था जब कि जूही एकदम एक्सपर्ट थी जो मुझे बाद में पता चला। मेरी सकपकाहट देख कर जूही ने कहा- देखो बॉल और पिच दोनों एकदम रेडी है। तुम बैट रेडी करो। मैंने कहा- मैं समझा नहीं। इस पर जूही ने कहा- मैं सब समझा दूंगी।
इतना कहते ही उसने मुझे अपने हाथों में जकड़ कर एकदम से मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया। पहले तो मैं चौंका मगर फिर मुझे भी अच्छा लगने लगा। मैं भी उसके चुम्बन का जवाब चुम्बन से देने लगा। इस तरह आपस में चूमाचाटी करते हुए कब मेरा हाथ जूही के स्तनों पर चला गया, मुझे खुद भी पता नहीं लगा। मैंने उसके स्तनों को कुछ ज्यादा ही जोर से दबा दिया। जूही के मुँह से अकस्मात आह.. की आवाज निकली और हम दोनों अलग हो गए। मैं अभी भी कुछ समझ नहीं पा रहा था। बस अपने दिमाग को कन्ट्रोल करने की कोशिश कर रहा था।
इस बार मैंने पहल की- अच्छा बोलो, कैसे बैट बॉल खेलना है? उसने मुझे इशारे से पास बुलाया और बोली- पहले अपने बैट को बाहर निकालो। बॉल और पिच का इन्तेजाम हो जाएगा।
मैं उसकी बातों का मतलब जब तक समझने की कोशिश करता तब तक उसने मेरा लोअर हाथ से खींच कर नीचे कर दिया। मैंने अन्दर अंडरवियर नहीं पहनी हुई थी। लोअर नीचे करने से मेरा लिंग हवा में झूलने लगा।
जूही ने लिंग की तरफ इशारा करते हुए कहा- यह रहा तुम्हारा बैट। मैंने कहा- यह कहाँ बैट है। उसने कहा- यही बैट है। मैंने कहा- चलो मान लिया कि यही बैट है। मगर इससे खेलेंगे कैसे? मैं अभी भी जूही के खेल का मतलब समझ नहीं पा रहा था।
जूही ने कहा- बैट के इन्तजाम के बाद बॉल और पिच की जिम्मेदारी मेरी। यह कहते हुए जूही अपने कपड़े उतारती जा रही थी। अब वह मेरे सामने केवल ब्रा और पैण्टी में थी।
उसने अपने गोल गोल सुडौल स्तनों की तरफ इशारा करते हुए कहा- देखो ये बॉल है। फिर पैण्टी की तरफ इशारा करते हुए बोली- ये रही पिच। मैं उसकी बातों से बिल्कुल हक्का बक्का था, मैंने कहा- करना क्या है कुछ समझ में आ नहीं रहा है। जूही बोली- मैं सब समझा देती हूँ।
मैं अभी भी असमंजस में था। जूही बोली- देख तू सामने खड़ा हो जा, मेरे ठीक सामने एकदम। मैंने चुपचाप वैसा किया जैसा जूही ने कहा था।
जूही ने मेरे दोनों हाथों को पकड़ कर अपने स्तनों पर रख दिया। जूही बोली- चल पकड़ बॉल। मैंने उसके दोनों स्तनों पर अपना दोनों हाथ जमा दिया। मैंने जूही से पूछा- पकड़ लिया, अब क्या करना है। जूही ने कहा- कस के पकड़ जैसे बॉल पकड़ते हैं। जोर लगा के पकड़। मैंने जूही के दोनों स्तनों पर अपने दोनों हाथों का दबाव बढ़ाया। मैंने जूही से कहा- अब क्या करूँ आगे। जूही मुझसे बोली- कस कर दबोचो दोनों बॉल और घुमाओं अँगूठा दबा कर जैसे घुमाते हो क्रिकेट की बॉल।
मैंने जूही के स्तनों को दबाना और घुमाना शुरू किया। जूही की आवाज जो अब तक कड़क थी वह मेरे दबाने और घुमाने से थोड़ी नरम पड़ती जा रही थी। जूही कह रही थी- हाँ ऐसे ही हाथों से रगड़ कर खूब गरम करो बॉल। क्रिकेट खेलने के पहले रिहर्सल करनी पड़ती है। और अच्छे से रगड़ो।
मैं जूही के दोनों स्तनों को क्रिकेट बॉल की मानिन्द मसल रहा था। करीब दस मिनट बाद उसने कहा- चलो, हो गया रिहर्सल, अब मैदान पे चलो।
इतना कहते हुए उसने बगल रूम में पड़े एक बेड की तरफ इशारा किया। मैं उसके स्तनों को छोड़ कर उसके पीछे पीछे बेडरूम की तरफ बढ़ा।
बेड पर बैठ कर उसने मुझे कहा- रिहर्सल के बाद थोड़ा लेट कर आराम कर लो, तब तक मैं तुम्हारा बैट चेक करती हूँ।
मैं जूही के कहे अनुसार चुपचाप बेड पर पैर सिकोड़ कर लेट गया। जूही ने मेरे नंगे पेट पर हाथ रखा। फिर मेरी जॉंघों पर हाथ रख कर मेरे पैरों को पूरा बेड पर फैलाया। इसके बाद वह मेरे लिंग को चेक करने लगी। मेरे लिंग और गोलियों को छूने के बाद उसने मुझसे कहा चुपचाप ऐसे लेटे रहो, मैं बस अभी आती हूँ।
जूही ने मुझ पर कुछ ऐसा असर कर दिया था कि मैं कुछ और सोच ही नहीं पा रहा था। जैसा उसने कहा मैं वैसे ही चुपचाप बेड पर लेटा रहा। मैं देख रहा था कि जूही अंदर किचन की तरफ जा रही है। किचन का दरवाजा खोल कर जूही अंदर गयी और जब वह बाहर लौट रही थी तब उसके हाथ में एक कटोरी थी। मैं बेड पर लेटा हुआ जूही को अपनी तरफ आते हुए देख रहा था। जूही के बदन पर सिर्फ एक पैण्टी थी। जूही के चलने के साथ ही उसके नंगे स्तन भी हिल रहे थे।
बेड के पास पहुँच कर जूही ने कहा- तुम अपने बैट की देखभाल ठीक से नहीं करते हो। इसको तेल लगा कर चिकना करना पड़ेगा।
यह कहते कहते जूही बेड पर बैठ गयी और कटोरी का तेल हाथ में निकाल कर उसने मेरे लिंग पर चुपड़ दिया। थोड़ा सा तेल गोलियों पर भी गिर गया। अब जूही मेरी गोलियों पर गिरे हुए तेल को साफ करने के लिए मेरी गोलियों पर तेल मालिश करते हुए मेरे लिंग की तरफ बढ़ रही थी। मुझे अब धीरे धीरे अजीब सी सेंसेशन हो रही थी और मेरे लण्ड का आकार बढ़ रहा था। मुझे अब हल्का हल्का दर्द भी हो रहा था क्योंकि मेरे लिंग के ऊपर की खाल खिंच रही थी। मैं दॉंत को दबाये हुए आँख मूँद कर उस दर्द को सहन कर रहा था। तभी जूही ने मेरे सख्त हो रहे लिंग को कस कर मुट्ठी में पकड़ा। मैंने आँख खोल कर देखा। उसके लिंग को थामने से मुझे यह महसूस हुआ कि मेरा लिंग फूल भी रहा है।
जूही ने तेल की दो बूँद मेरे लिंग के ऊपर टपकाया फिर लिंग की खाल की धीरे धीरे खींच कर नीचे करने लगी। खाल को नीचे खींचने से मुझे दर्द फिर बढ़ने लगा इसलिए दांत भींच कर दर्द सहन करने की कोशिश करने लगा। जूही मेरी तरफ देख कर नाक भौं सिकोड़ रही थी और मेरे लिंग की खाल को उंगलियों के सहारे से फैला रही थी। जूही को नाक भौं सिकोड़ता देख कर मुझे ऐसा लग रहा था जैसे वह मुझे गिरी निगाह से देख रही थी।
मुझे लगा शायद बैट की देखभाल ठीक तरह से न करने के कारण जूही मुझे नाराज है। फिलहाल दो तीन बार तेल की बूँदें डालने और खाल हटाने की कोशिश करने में आखिरकार जूही कामयाब हो ही गयी। मुझे दर्द बहुत हो रहा था मगर मैं सारा दर्द जूही की नाराजगी के डर से चुपचाप सहन कर गया। लिंग के पूरी तरह से खुल जाने के बाद जूही ने खूब तेल लगा कर मेरे लिंग को साफ किया। दर्द के मारे मेरा लिंग जो फिर से सिकुड़ गया था, धीरे धीरे फूल कर तन गया।
अब मुझे दर्द नहीं हो रहा था बल्कि लिंग में एक अजीब सी सनसनी महसूस हो रही थी। जूही मेरे लिंग पर बहुत कौशल से हाथ चला रही थी। मुझे जी के अंदर अजीब सी हलचल महसूस हो रही थी मगर मैं चुपचाप लेटा हुआ अपने लिंग की तरफ जूही की झुकी हुई गर्दन देख रहा था।
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे पेशाब आने वाला हो। मगर जूही पर मेरा कोई जोर नहीं चल रहा था। अचानक मुझे लगा कि जैसे मेरे अंदर एक भूचाल सा आ गया हो। एक ज्वार सा महसूस हुआ और मेरे लिंग से उछल कर सफेद सफेद तरल पदार्थ जूही के चेहरे पर पड़ा। मैं एकदम से डर गया और सन्न रह गया। मुझे लग रहा था कि पहले से ही नाराज जूही पता नहीं अब मेरी क्या दुर्गत करेगी। मैं स्वयं अपराधबोध से पूरी तरह ग्रस्त महसूस कर रहा था किन्तु साथ ही साथ एक अनिर्वचनीय आनन्द की अनुभूति मेरे चेहरे पर खेल रही थी।
जूही ने मेरे लिंग से हाथ हटा लिया था। वह हाथ पर गिरे हुए तरल पदार्थ को अपने होठों तक ले गयी और उसे चाट गयी। मैं जूही से निगाह नहीं मिला पा रहा था।
तभी जूही की आवाज मेरे कानों में पड़ी- तू बहुत गन्दा है। मैंने निगाह ऊपर की तो देखा जूही मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रही है।
जूही ने मुझसे कहा- कपड़े पहन ले और सुन अपना बैट रोज साफ किया कर। मैंने कहा- क्रिकेट! उसने कहा- बाद में खेलेंगे और वह बाथरूम की तरफ चली गयी।
कुछ देर बाद जूही बाथरूम से नंगी ही बाहर आई और आते ही उसने मेरे लिंग को जोर से पकड़ लिया और अपने मुख में लेकर चूसने लगी. मैं हैरान था कि यह लड़की कैसे मेरे पेशाब वाली जगह को अपने मुंह में लेकर चूस रही है, मैंने उससे अपना लिंग छुड़वाने की कोशिश की लेकिन उसने नहीं छोड़ा. मेरा लिंग डंडे की भान्ति सख्त हो गया.
कुछ देर बाद उसने मुझे ठीक से सीधा लेटाया और अपनी दोनों टांगें मेरी कमर के दोनों ओर करके मेरे लिंग पर बैठने लगी. उसने मेरे लिंग का निशाना अपनी योनि के छेद में लगाया और बैठती चली गयी. मेरा लिंग अंदर घुसा और मुझे तो बहुत ही ज्यादा दर्द हुआ, मैं उसे हटने को कहने लगा मगर वो नहीं हटी. तो उसने मेरे को जबरदस्ती टाइट पकड़ लिया और मेरे लिंग को पूरा अपनी योनि में डाल दिया. मैं भी दर्द के मारे उसके स्तनों को मुंह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगा और इस तरह से करने में मेरे को भी अब दर्द थोड़ा कम होने लगा और अच्छा लगने लगा.
इसी दौरान मेरे को लगा कि मेरे को पेशाब आने वाला है तो मैंने उसको बोला तो वह बोली- मेरे अंदर ही कर दो. वो मेरे ऊपर जोर से ऊपर नीचे होकर धक्के मार रही थी, ये झटके अब मुझको अच्छे लग रहे थे और उसको भी ऐसे करने में अच्छा लग रहा था और उसी समय जैसे कुछ मेरे लिंग से निकल कर उसकी योनि में गया और मेरे को बहुत ही अच्छा लगा. साथ ही उसकी योनि में से कुछ गरम गरम सा बहने लगा और वो मेरे ऊपर ऐसे ही लेट गई.
वह बोली- पहले ही मैच में तुमने मुझे आउट कर दिया. तो मैं बोला- यह मैच तो बड़ा अच्छा लगा! ऐसे तो अपन रोज खेल सकते हैं. तो जूही बोली- हाँ अपन अब रोज बैट बॉल खेलेंगे!
फिर मेरे को बाद में दोस्तों से पता चला कि वह बैट बॉल का खेल नहीं है वह तो सेक्स है. तो मैंने इस तरह नादानी में मेरे जीवन के पहले सेक्स किया जो मुझे जिंदगी भर याद रहेगा.
यारो, मेरे फर्स्ट सेक्स की यह मेरी कहानी आपको कैसी लगी, कमेंट्स कीजिएगा।
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