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नमस्कार दोस्तो.. मैं इस साईट का बहुत पुराना शैदाई हूं और बड़े ही प्यार से और उत्सुकता से कहानियों को पढ़ता हूं.
वैसे तो मेरे जीवन में मैंने कई बार सेक्स का अनुभव लिया है, जैसे हर कोई लेता है. लेकिन हाल ही में मैंने कुछ ऐसा अनुभव किया है, जो सभी को नसीब नहीं होता. आज वही अनुभव मैं आप सभी के साथ बांटना चाहता हूँ.
इस कहानी में सिर्फ मैं और मेरी प्रेमिका यही दो कॅरेक्टर हैं. इन सभी (ये और आगे आने वाली) कहानियों में कोई भी प्रसंग मनघड़त नहीं है, सारे वास्तव में हुए किस्से ही हैं.
हम दोनों ने जो जो गुल खिलाए हैं वो मैं सब आपके साथ बांटना चाहता हूँ. आपके प्रतीक्रियाओं की अपेक्षा हम दोनों ही रखते हैं.
ये सारी कहानियां वास्तविक ही होंगी. आशा करता हूँ कि आपको ये अनुभव पसंद आयेंगे. अगर किसी को ये झूठ लगती हैं तो वो हमारे साथ मेल आईडी शेयर करके सच्चाई के बारे में पता कर सकते हैं.
इन कहानियों में तीन स्तर हैं. पहला स्तर मेरी और उसकी जान पहचान, दोस्ती और फोन सेक्स तक सीमित है. दूसरे स्तर में हमारी पहली मुलाकात और पहला स्पर्श है. तीसरे स्तर में आप जान सकेंगे कि कैसे हमने एक दूसरे को चोदा.
हमारा वाईल्ड सेक्स, नॅस्टी-डर्टी सेक्स का अनुभव है. वो सब अनुभव आगे इस कहानी के अगले पार्ट्स में आयेंगे.
जैसे इस साईट के रुल्स रेग्यूलेशन्स में कहा गया है कि कोई वास्तविक नाम, स्थल का उल्लेख नहीं होगा तो ये बात ध्यान में रखते हुए आवश्यक बदलाव किए गए हैं.
मैं एक साधारण सा दिखने वाला 35 की उम्र का शादीशुदा आदमी हूँ. मुझे पहले से ही गठीले बदन वाली, शादीशुदा, उम्र में मुझसे बड़ी औरतें अच्छी लगती हैं. मैं कुंवारी लड़कियों में ज्यादा दिलचस्पी नहीं रखता. मेरी सेक्स के प्रति जो रूचि है, वो थोड़ी अलग सी है. शायद किसी को वो गंदी लगेगी, किसी को अच्छी. जो भी है, वो आपके सामने रखता जाऊंगा.
वैसे तो मुझे औरतों के पसीने की महक मदहोश कर देती है. जब किसी आंटी या भाभी की पसीने से गीली हुई अंडरआर्म्स को देखता हूं, तो मुझे उसे सूंघने का, चूमने का मन करता है. जब किसी मस्त आंटी के पीठ या पेट पर पसीने की बूंदें देखता हूँ, तो मेरा लौड़ा अपने आप तैयार होने लगता है. मुझे सेक्स में गालियां देना और सुनना, नंगेपन की हद तक जाना बेहद पसंद है. औरत का मुझे एग्रेसिव रहना बहुत ही पसंद है. आज तक कई महिलाओं के साथ मेरे शारीरिक संबंध बने लेकिन उन में कोई भी ऐसी नहीं थी, जो मुझे डॉमीनेट करे.
लेकिन मधु की बात ही अलग थी. वो बहुत ही हॉट है. शुरू में जब उससे सेक्स पर बात हुई, तब पता नहीं था कि यही वो है, जो मुझे दुनिया के सारे मजे दे सकती है. इससे ऐसा सुख और संतोष प्राप्त होगा, जिससे किसी दूसरी औरत की तरफ देखने का भी मन नहीं होगा. मधु है ही ऐसी. दिखने में सांवली, गठीला बदन, परफेक्ट शेप में गांड, बड़े बड़े मम्मे, तेज आंखें.. सेक्स में किसी भी पागलपन तक जाने का खुमार. सच बताऊं दोस्तो तो मेरे जैसे नसीब वालों को ही मधु जैसी प्यार करने वाली मिलती है.
लव यू मधु..
हमारी पहचान फेसबुक पर हुई, मैसेंजर पर बातें होने लगीं, बाद में व्हॉट्सैप नंबर शेयर हुए और वहां देर रात तक बातें होती रहती थीं. धीरे धीरे हमारी बातों में सेक्स आने लगा. हमारी पसंद नापसंद एक दूसरे से काफी मिलती जुलती थी. लेकिन हमारे बीच में 250 किमी की दूरी था, जो हर वक्त तोड़ना असंभव था.
हम दोनों ही मिलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे और वो दिन आ ही गया.
एक दिन मधु, उसका पति मोहन और उनकी छोटी सी गुड़िया मेरे शहर में घूमने के लिए आए. मधु ने दिमाग लगा कर उसके पति से मेरी 2-3 बार बात एक ट्रेक गाइड के रूप में करवा दी थी. उसका पति भी बहुत ही खुले विचारों का मनमौजी इन्सान था, अपनी पत्नी के पुरुष दोस्तों से उसे ज्याद परहेज नहीं था. हम दोनों भी बहुत जल्द दोस्त बन गए. मुझे ठीक से याद है, जब मुझे मधु का कॉल आया.
मधु- अरे कहां हो तुम?
उसकी आवाज सुनते ही मेरे लौड़े ने अपना काम चालू कर दिया था. आज तक जिसे सिर्फ सपने में चोदा था, जिसके साथ बात करते हुए, फोन सेक्स करते हुए अपना लौड़ा हिलाया था, वो मधु, मेरी प्रेम की देवी, आज मुझे दर्शन देने वाली थी.
मेरे दिमाग में एक ही मिनट में सारी कहानी घूम गयी. मैं- अरे.. मैं बस अभी आया..
ऐसा कह कर मैंने कॉल कट कर दिया और जहां मधु की कार थी, वहां गया. बाहर तो उसका पति था. मैंने उससे जोश से हाथ मिलाया, हालचाल पूछा. तभी पीछे का दरवाजा खुला और मेरी मल्लिका, मेरी कामदेवी, मेरी मधु बाहर आयी.
वैसे तो हम दोनों ने ही जाहिर तौर कुछ नहीं होने दिया लेकिन उसे देखते ही मेरा लौड़ा काफी तूफान मचा रहा था. उसका गदराया बदन, टाइट जीन्स और टी-शर्ट में से दिखने वाला उसका फिगर.. आह.. क्या कहूँ दोस्तों मुझे पक्का यकीन है कि आने जाने वालों में से बहुत लोगों के लौड़े उसने खड़े किए होंगे.
ख्यालों से फिर वास्तविकता में आने के बाद हमने एक दूसरे को हैलो किया. कुछ बातें हुईं और मैं उन्हें लेकर होटल में आ गया. उनके लिए कमरा पहले से ही बुक था. उन्हें वहां छोड़ कर मैं फिर अपने घर आ गया. दोपहर के बाद हम सब घूमने जाने वाले थे.
उस दिन कुछ नहीं हो सका, उसका पति हमारे ही साथ था. हमारा असली खेल तो दूसरे दिन शुरू होने वाला था. हम दोनों ने मोहन से वन डे ट्रेक की परमीशन ली थी. ज्यादा से ज्यादा समय मिले इसलिये सुबह चार बजे ही निकलने का प्लान था. उस रात तो नींद आने वाली ही नहीं थी. रात को मधु से ठीक से बात भी नहीं हो पायी. सुबह जल्दी जो निकलना था.
वासना की आंधी आपसे कुछ भी करवा सकती है. नहीं तो सुबह चार बजे हम दोनों ट्रेक के लिये निकलते ही नहीं. वो तो बिल्कुल तैयार थी, ताजी ताजी नहायी हुई, उसकी गंध, होंठों पे लाईट शेड की लिपस्टिक, सफेद टी-शर्ट और प्लाझो पहन कर वो मेरा ही इंतजार कर रही थी. उसके मम्मे टी-शर्ट से बाहर आने के लिये तरस रहे थे. मेरी आंखें उसके मम्मों पर टिकी थीं. न जाने कब ये हाथ में आएंगे क्या पता?
देखते ही देखते वो मेरी बुलेट पर बैठी थी और मेरी बुलेट फुल स्पीड से शहर से बाहर जा रही थी.
“इतनी दूर क्यों बैठी हो जान? शरमा रही हो क्या? व्हॉट्सैप पर कितना बोलती थीं, सामने आजा, फिर देखो तुम्हें ये करूँगी वो करूँगी.. क्या हुआ वो सब? डर गयी क्या?” मेरे कान के पास चेहरा लाके वो बोल रही थी- नहीं.. मैं डरी बिल्कुल नहीं हूं लेकिन मुझे थोड़ी शरम आ रही है, मुझे मालूम है, कल पहली बार जब हम दोनों ने एक दूसरे को देखा, तब तुम्हारी नजर मेरे शरीर पर कहां पर थी. मैंने मुश्किल स्वर में कहा- कहां थी बताओ? उसने शरमाते कहा- चल हट.. मैं नहीं बताऊंगी, तुम्हारी नजर थी, तुम्हें ही पता होना चाहिये.
उसकी सांसें मेरे कान पर अजीब सा सुकून दे रही थीं, उसके मम्मों का हल्का सा स्पर्श मेरे पीठ पर हो रहा था. मुझे खुद को रोक पाना नामुमकिन हो रहा था. मैंने उसका हाथ पकड़ कर अचानक से मेरे लौड़े पे रखा, तो उसने झट से हाथ छुड़ा लिया और पीठ पर जोरदार मुक्का मारा.
अब वो थोड़ा पीछे को सरक कर बैठ गयी. उसने हाथ तो छुड़ा लिया लेकिन उसे मेरे खड़े औजार का अंदाजा आ गया था. मैं कोई भी जल्दबाजी नहीं करना चाहता था, जिससे वो असहज हो जाए. मैंने फिर से उसका हाथ पकड़ा और उसे सहलाने लगा. धीरे धीरे वो थोड़ी नॉर्मल हो गयी. “अरे डरो मत, मैं कुछ नहीं करूँगा.”
उसका हाथ सहलाते सहलाते इधर उधर की बातें होने लगीं.
“मधु थोड़ा आगे खिसक कर बैठो ना, मुझे सुनाई नहीं दे रहा है, तुम क्या बात कर रही हो?” “बिल्कुल नहीं.. मुझे मालूम है तुम ये क्यों कह रहे हो. मैं जैसे बैठी हूं, वैसे ही ठीक है. तुम अपना काम करो और आगे देखो.. नहीं तो एक्सिडेंट हो जायेगा.”
मैं थोड़ा डर गया था और मैंने वैसा ही किया, जैसे उसने कहा. ऐसे ही कुछ पल गए और मुझे मेरे पीठ पर कुछ मखमली स्पर्श होने लगा था. मधु मुझे पीछे से चिपक कर बैठी थी.
“हां क्या बोल रहे थे तुम?” मधु की आवाज मेरे कानों में आ रही थी. उसके होंठ बिल्कुल मेरे कान के पास थे, मैं उसका हाथ सहला रहा था. “अरे कुछ नहीं आज थोड़ी ज्यादा ही ठंड है ना?” ऐसा कहकर मैंने उसका हाथ मेरे सीने पर रख दिया.
“तुम्हारी धड़कन बढ़ गयी है विकी.” ऐसा कह कर उसने मेरे सीने पर हाथ फेरना चालू किया. मुझे एहसास हुआ कि वो और ज्यादा करीब बैठी थी. उसके गोल मटोल मम्मों की चोंचें मेरे पीठ पर चुभ रही थीं. वो बहुत ही खूबसूरत लम्हा था. सर्द हवा, हल्का सा कोहरा. वो बिल्कुल चिपक कर बैठी हुई थी. मधु का मखमली स्पर्श, उसकी गरम सांसें, सीने पर घूमते उसके हाथ, कानों में पड़ने वाली उसकी मादक आवाज, शरीर को छूकर जाने वाली उसके स्पर्श मुझे मदहोश किये जा रहे थे.
अब उसके हाथ मेरी जाँघों पे थे.. और चेहरा मेरे कंधे पर टिक गया था.
हम दोनों बिल्कुल शांत थे, कोई भी बात नहीं कर रहा था. मैंने धीरे से उसका हाथ मेरे लौड़े पर रखा, उसने थोड़ा हाथ छुड़ाने का नाटक किया लेकिन अब वो भी मेरे खड़े लौड़े का आनन्द ले रही थी. मेरे ट्रैक सूट की पैन्ट के ऊपर से ही मेरा लौड़ा सहला रही थी. उसके मम्मे मेरी पीठ पर लग रहे थे, मेरा लौड़ा उफान पर था.
हम लोग हाईवे पर थे और कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे.. तो इससे ज्यादा कुछ कर नहीं पा रहे थे. वो भी अब अपने मम्मे मेरी पीठ पर घिस रही थी, अपने हाथों से मेरे लौड़े को सहला रही थी.
ऐसे करते करते ही हम लोग हाईवे छोड़ कर गांव के रास्ते पे आ गए थे. तब करीब करीब पांच बजने वाले थे. थोड़ी सी ठंड भी थी और कोहरा भी था. जैसे जैसे हम आगे जाते गए, तैसे तैसे कोहरा भी घना होता गया. उसके हाथ अब मेरी टी- शर्ट के अन्दर से मेरे निप्पलों को कुरेद रहे थे, बीच बीच में वो मेरे कानों को काटती और अपनी जुबान कान में घुमा रही थी.
मैं भी एक हाथ पीछे लेकर उसके मम्मे सहला रहा था. बीच बीच में उसका एक हाथ मेरे खड़े लंड पर रख लेता. वो उसे बड़े ही प्यार से सहलाती. इस तरह हमारा सफर तो बढ़िया शुरू हुआ था.
फिर गांव का रास्ता भी पीछे छूट गया और हम दोनों कच्चे रास्ते पे थे. अब हमें कोई भी देखने वाला नहीं था. ट्रेकिंग की वजह से मैं उस सारे इलाके से बहुत अच्छे तरह से वाकिफ था, इसलिये अब कोई खतरा नहीं था.
एक ऐसे पॉइंट पे मैंने बुलेट रोकी थी जहां बहुत ही शार्प मोड़ था. हॉर्न बजाए बिना कोई भी नहीं आ सकता था, न ही कोई जा सकता था.
हम दोनों नीचे उतरे. वो थोड़ा फोटोग्राफी करने के लिये थोड़ा आगे गयी और फोटो निकालने लगी थी. मैं पीछे से उसकी मदमस्त गांड देख रहा था. ऐसी फूली हुई गांड मैंने पहले कभी नहीं देखी थी. एकदम राउंड शेप में बड़ी मस्त लग रही थी.
मैं उसी धुन में आगे गया और उसे पीछे से पकड़ लिया.
इसके आगे की कहानी अब खुद मधु बताएगी. हमने ऐसा तय किया है कि सारी कहानियां हम दोनों मिलकर लिखेंगे, ताकि पढ़ने वालों का मजा दुगना हो जाए और दोनों को अपनी बात रखने का मौका मिले.
विकी अचानक मुझसे पीछे से चिपक गया. उसका मूसल जैसा लौड़ा मेरी गांड की दरार में था. उसकी गर्म सांसें मेरे गालों पर आ रही थीं. जिस बात का डर और इंतजार था, वो समय शुरू हो चुका था. उसके स्पर्श से ही मेरी आंखें बंद हो गईं, मैं पलट गयी. विकी शायद इसी का इंतजार कर रहा था.
हमारे होंठ आपस में भिड़ गए, मेरे निचले होंठ को विकी चूस रहा था, परमानंद अवस्था में मेरी आंखें पूरी तरह से बंद थीं, मैंने मेरी जुबान उसके मुँह में घुसा दी. उसके हाथ मेरी पीठ सहला रहे थे, मैं पूरी तरह से उसके आगोश में थी. उसका मूसल मेरी जांघों के बीच चुभ रहा था. मेरी चूत पूरी तरह से गीली हो गयी थी. निप्पल एकदम कड़क हो गए थे. बीच बीच में वो भी अपनी जुबान मेरे मुँह में घुसा रहा था. मैं भी उसकी जुबान चूस रही थी.. उसके होंठों पे काट रही थी. कभी वो मेरे होंठों को चूसता, कभी जुबान को.. तो कभी मेरे पूरे गाल को चाट लेता.
तभी किसी गाड़ी की आवाज सुनाई दी.. जिससे हमें अलग होना पड़ा. विकी की तरफ देखने में मुझे शरम आ रही थी.. जिंदगी में शायद ही ये चुम्बन भूल सकती हूं.
अरे देखो, इस चक्कर में मैं अपना परिचय तो देना भूल ही गयी. तो वो मधु मैं ही हूं, जिसके बारे में विकी ने आप सबको बताया है. उसकी बताई बातों को मैं दोहराऊँगी नहीं. वैसे मेरी उम्र 32 साल है. एक छोटी बेटी, मैं और मेरे पति मोहन ऐसा छोटा सा परिवार है. हम बहुत ही सम्मान से जिंदगी बिता रहे हैं. मैं एक कॉर्पोरेट सेक्टर में जॉब करती हूं और मोहन एक मेडिकल कंपनी में हैं. बचपन से ही कबड्डी मेरा पसंदीदा खेल है. जवानी में भी बिस्तर पर यही कबड्डी का खेल मुझे पसंद आने लगा था. यूनीवर्सिटी लेवल तक मैंने मेरे कॉलेज को रिप्रेजेंट किया है. उसी की बदौलत मेरी फिगर आज भी अच्छे अच्छों के लौड़े खड़े कर देती है.
जब हमारी व्हॉटसैप की बातें सेक्स तक पहुंची और मैंने जान लिया कि एक ना एक दिन विकी से चुदना तो तय है. तभी मैंने फैसला किया कि विकी के बारे में मोहन को बताना जरूरी है. मोहन एक कैरियर ओरीएंटेड पर्सन है.. उसका बहुत ही शांत और खुला स्वभाव है. मुझे उससे कोई शिकायत नहीं है.
मेरे सब दोस्त मोहन के भी दोस्त है. इसलिये विकी के बारे में मोहन को बताना आसान हुआ. विकी को मिलाने के लिये मैंने शानदार तरीका निकाला.
विकी कोंकण इलाके से है और कोंकण तो प्राकृतिक सुन्दरता के लिये जाना जाता है. तो मैंने एक बार मोहन को बताया कि इस बार दो तीन दिन कोंकण घूमने जाते हैं. मोहन भी तैयार हुआ. वहां की सब अरेंजमेंट विकी ने ही की थी. मोहन से मुझे आज भी कोई शिकायत नहीं है, सिवाए सेक्स के. मेरी सेक्स की भूख अजीब है. उत्तेजित होने के बाद मैं बहुत एग्रेसिव हो जाती हूं. मेरी इस एग्रेसिवनैस मोहन नहीं झेल पाता है.
विकी से मिलने से पहले मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरी ये भूख कभी नहीं मिटने वाली है. लेकिन जब आज आते आते उसने जब पहली बार मेरा हाथ उसके मूसल पर रखा था. मेरा मन तो चाहता था कि उसके लौड़े को वहीं बाहर निकाल लूँ और मुँह में भरके चूस लूँ. लेकिन थोड़ी शरम, थोड़ा डर भी था. मैं चाहते हुए भी कुछ नहीं कर सकी, लेकिन बाद में मैं नॉर्मल हो गयी और मैंने सोचा कि देखा जाएगा, क्या होता है. आज पूरा मजा ले ही लेती हूँ. मालूम नहीं फिर कब मौक़ा मिलेगा.
इसी विचार में मैं उससे चिपक कर बैठ गयी. मैंने अपने मम्मे उसकी पीठ पर गाड़ दिये थे. जब उसने मेरे हाथ उसके सीने पर रखे, तब मैं मेरे हाथ नहीं निकाल सकी और मेरे हाथ उसके छाती से खेलने लगे थे. मैं उत्तेजित होती जा रही थी. मैं कभी उसके कानों में जीभ घुमाती थी, तो कभी उसके निप्पलों को मसलती थी. कभी उसके लौड़े पर हाथ घुमाती थी. रास्ते पर आने जाने वाली गाड़ियों का खयाल रखते हुए ही मैं ये सब कर रही थी. उसके लौड़े के साईज से मुझे ये मालूम हुआ कि आज के बाद सारी भूख मिटने वाली है.
अगर वो गाड़ी नहीं आती तो क्या पता क्या हो जाता. मैं विकी की तरफ देखना तो चाहती थी, लेकिन शर्म आ रही थी.. और वो नालायक हंस रहा था. “चलो ना विकी, ऐसे मत देखो.” “क्यों? क्या हुआ? अरे अभी तो शुरू हुआ है और तुम इतने में ही शरमा गयी?”
ऐसा कह कर उसने मुझे फिर से बांहों में ले लिया. फिर से एक हल्का सा चुंबन हुआ और हम आगे निकल पड़े. मैं उससे बिल्कुल चिपक कर बैठी थी. दोनों ही मस्त हो चुके थे. शर्म का पर्दा हट चुका था. अब पीछे बैठ कर मेरी शरारतें शुरू हो गई थीं. जब मेरा मन करता तो मैं उसके कान काट लेती, कभी पीछे से जुबान फिराती, कभी उसके निप्पलों को मसल लेती. उसका तो बुरा हाल था.
फिर ऐसे ही वो स्पॉट आ गया, जहां हमें जाना था.
“अभी सिर्फ 6 बजे हैं और हमारे पास 6 घंटे बाकी हैं. यहां कोई नहीं आएगा. डरो मत!”
ऐसा सुनकर मैं कमर में हाथ डाल के चलने लगी. अब हम एक ऐसे मैदान में आ गए थे, जहां आजू बाजू में जंगल था, गांव से दूर और जहां इतने जल्दी किसी के आने की संभावना ना के समान ही थी. उसका हाथ अब कमर से नीचे मेरी गांड पर घूम रहा था. मैं थोड़ा असहज महसूस कर रही थी.
उसने मुझे बड़े ही प्यार से अपने पास खींच लिया. अब मेरे होंठ उसके होंठों पर रुक गए थे. मैं पागलों की तरह उसे किस कर रही थी, उसका एक होंठ मैंने अपने दांतों में लेकर उसे मस्ती से काट रही थी. उसका एक हाथ मेरे निप्पलों को मींज रहा था और एक हाथ मेरी गांड पर घूम रहा था. शायद उसका दिल मेरी गांड पर आया था. अचानक से उसने किस ब्रेक किया और मुझे उल्टा घुमा दिया. मेरे गले पर किस करते हुए मेरे कानों की लौ को जीभ से सहलाने लगा. उसके दोनों हाथ मेरे प्यासे मम्मों को बड़ी ही बेदर्दी से मसल रहे थे. मेरी बरसों की वासना जाग चुकी थी. अब मैं रूकने वाली नहीं थी.
आगे क्या क्या हुआ? क्या विकी ने मुझे वहीं चोद दिया या कुछ और घटित हुआ? बाद में हमने क्या क्या जंगलीपन किया, ये सब आगे के भाग में आप पढ़ सकेंगे.
कृपया आप अपनी प्रतिक्रियाएं हमें [email protected] पर भेजना न भूलें, हम दोनों ही बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.
कहानी का अगला भाग: पराई नार की चूत चुदाई का मजा-2
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