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अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार! यह मेरे भैया भाभी की सुहागरात की कहानी है. दोस्तो, कैसे हो आप सब लोग! मेरा नाम विपुल कुमार है मैं उत्तर प्रदेश के एक शहर में रहता हूँ गोपनीयता के चलते मैं शहर का नाम नहीं लिखूंगा, मैं अभी 23 साल का हूँ और हाइट भी ठीक है मैं ग्रेजुऐशन के अन्तिम वर्ष में हूँ।
यह अन्तर्वासना पर मेरी पहली कहानी है जो मैंने बहुत ही मेहनत से पहली बार लिखी है, अगर कोई गलती हो जाये तो प्लीज माफ़ कर देना। यह कहानी मेरी नहीं बल्कि मेरे भैया की सुहागरात की चुदाई की कहानी है जिसे मैंने लाइव अपनी आँखों से देखा था और इसको आप सबके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ।
तो आप सभी अपने लंड को हाथ में ले लीजिये और भाभियाँ, लड़कियाँ अपनी पैंटी में हाथ डाल लीजिये क्योंकि आपकी पैंटी और अंडरवियर गीले होने वाले हैं। चलिए तो अब शुरू करते हैं कहानी को … मज़ा लीजिए इस कहानी का।
मेरे भैया मुझसे 3 साल बड़े हैं यानि कि वो 26 साल के हैं, उनकी हाइट लगभग 5 फुट 8 इंच है. वो शुरू से ही आर्मी में भर्ती होना चाहते थे इसीलिए उन्होंने अपने शरीर को फौलादी बनाया था, पर किसी कारण वश उन्हें अपना निर्णय बदलना पड़ा और दूसरी जॉब को चुनना पड़ा।
जैसा कि आप जानते हैं कि नौकरी लगने के बाद घर वाले शादी के लिए कहने लगते हैं, वैसा उनके साथ भी हुआ, घर वालों ने लड़की देखना शुरू कर दिया, भैया ने बहुत मना किया पर घर वालों के आगे उनकी एक ना चलीं। बहुत जगह लड़की देखने के बाद उनकी शादी तय कर दी गयी, शादी की तारीख लगभग तीन महीने बाद की थी। जब हम लड़की देखने गये थे तो मैं भी गया था, वो बहुत सुन्दर थी, भैया ने उनको पहली बार में ही पसन्द कर लिया था।
फिर भैया की फोन पर भाभी से रोज बातें होती थीं. इसी तरह पता नहीं कब 3 महीने निकल गए पता ही नहीं चला और भैया की शादी का दिन आ गया। शादी की पूरी तैयारी बहुत अच्छे से की थी, बहुत से कामों की ज़िम्मेदारी मुझे दी गयी थी। आलीशान फार्म हाउस बुक किया गया था जिसमें शादी होनी थी.
शादी वाले दिन भैया अच्छे से तैयार हुए, बहुत सारे मेहमान आये हुये थे, पूरा घर मेहमानों से भरा हुआ था। फार्म हाउस में शादी हुई, वहां मैंने एक लड़की को चोदा, लेकिन कैसे चोदा, वो कहानी मैं बाद में लिखूँगा।
रात को शादी हुई, सुबह भाभी दुल्हन बनकर घर आ गयी, रात भर जागने के कारण भैया भाभी दिन में आराम करते रहे, सोते रहे.
जब शाम हुई तो वे दोनों उठे और भैया घूमने के लिए निकल गये क्योंकि उनको शर्म लग रही थी, पड़ोस की महिलायें, लड़कियाँ भाभी को देखने के लिए आयीं थीं और उनको शादी की बधाइयाँ दे रहीं थीं. काफी देर बाद भैया आये, ऐसे ही शाम गुजर गयी।
आज उनकी सुहागरात थी तो उनका कमरा सजाया जाने लगा करीब एक घंटे में कमरे को पूरी तरह से फूलों से सजा दिया गया था. फिर खाना खाने के बाद भाभी को तैयार किया गया और भैया भी तैयार हो गए।
जब भाभी तैयार हुयी तो वह बहुत सुन्दर लग रही थी, उनकी ननदें यानी मेरी चचेरी बहनें उनको अन्दर कमरे में ले गयीं और बिस्तर पर बैठा दिया. भाभी अपने पति देव का इन्तजार कर रहीं थीं, अन्दर लड़कियाँ मतलब की भाभी की ननदें भाभी से गंदे मजाक कर रहीं थीं और भाभी बस घूँघट में धीरे-धीरे मुस्कुरा रही थी.
तभी भैया आ गये तो हमारी एक कजिन बोलीं- भैया, आज की रात भाभी को ज्यादा परेशान मत करना! इतना कहते ही सभी लड़कियाँ खिलखिलाने लगीं। अब भैया ने दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया था. फिर सभी लोग अपने अपने बिस्तर पर लेटने की तैयारी करने लगे।
भैया के अंदर से दरवाजा बंद करने के बाद मैंने सोचा कि अब कमरे के अंदर का नजारा कैसे देखा जाए! और मेरा मन सुहागरात देखने का करने लगा था। तभी मेरे मन में कमरे के पीछे जाने का विचार आया. हमारा घर काफी बड़ा है और जिस कमरे में सुहागरात हो रही थी, उसके पीछे की तरफ एक बगीचा है, जहां कुछ पेड़ पौधे लगे हैं, कुछ पुराना सामान भी पड़ा है, वहां ज्यादा कोई आता-जाता नहीं है, रात को तो बिल्कुल भी नहीं! उस कमरे का दूसरा दरवाजा और एक खिड़की उस बगीचे में खुलता है, दरवाजे के ठीक ऊपर एक रोशनदान है.
जब मैं उस बगीचे में पहुँचा तो दरवाजा और खिड़की बिल्कुल बन्द थे, अन्दर का कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था।
शादी से पहले घर की साफ-सफाई और रंगाई-पुताई करायी गयी थी जिस कारण वहां एक सीढ़ी रखी हुई थी मैंने उसी सीढ़ी को दीवार के सहारे रोशनदान से लगा दिया, रोशनदान थोड़ा सा खुला हुआ था. मैं सीढ़ी पर चढ़ कर बैठ गया और अन्दर का नजारा देखने लगा।
दोस्तो, अब जो मैंने देखा वो आपको बताता हूँ:
भैया भाभी से बातें कर रहे थे, भाभी उसका जवाब धीरे-धीरे दे रहीं थीं जो मेरी समझ में नहीं आ रहा था. फिर भैया ने भाभी का घूँघट उठाया और ठोड़ी पकड़ कर उनका चेहरा ऊपर किया, फिर भाभी की तारीफ करने लगे. भाभी सच में किसी चाँद से कम नहीं लग रही थी.
फिर भाभी उठीं और भैया को दूध से भरा हुआ गिलास पीने के लिए देने लगीं. भैया ने आधा गिलास दूध पीया और आधा बचा हुआ भाभी को पिला दिया. फिर भैया ने भाभी को गोद में उठाया और बिस्तर पर बैठा दिया। भैया ने भाभी का पूरा घूँघट हटाया और उनके गाल पर किस करने लगे.
भाभी लाइट बन्द करने के लिए कहने लगी लेकिन भैया बोले- जान, आज की रात तो मैं लाइट बन्द नहीं करूंगा, तुम रोशनी में कितनी सुन्दर लग रही हो! और भैया ने वो लाइट जली रहने दी, उनको नहीं पता था कि कोई उन्हें देख भी रहा है।
कभी गाल पर, कभी ठोड़ी पर, माथे पर किस करने के बाद भैया उठे और अपना कुर्ता पजामा और बनियान उतार दिया. वो सिर्फ अंडरवियर में थे, उनका लंड अंडरवियर में उभार बना रहा था जिसे देखकर भाभी हंसने लगीं।
अब भैया वापिस बिस्तर पर आ गये और भाभी के पीछे बैठ कर उनकी गर्दन पर किस करने लगे. भाभी मचलने लगी. फिर भैया ने भाभी कि ब्लाउज की डोरी पकड़ कर खींच दी और ब्लाउज उतार कर अलग कर दिया, मेरी दुल्हन भाभी अब ब्रा में थी।
दोस्तो, मैं आपको भाभी के बारे में बताना ही भूल गया. मेरी सेक्सी भाभी की उम्र 25 साल और लम्बाई 5 फुट 5 इंच है, भाभी दूध की तरह गोरी हैं, उनकी ब्रा का नम्बर 34 था और पैंटी का 32 जो कि मुझे बाद में पता चला था जब मैंने ब्रा पैंटी छत पर सूखती हुई देखी थी।
भैया भाभी के स्तन ब्रा के ऊपर से दबा रहे थे भाभी धीरे-धीरे विरोध कर रहीं थीं और सिसकारियाँ भी ले रहीं थीं. फिर भैया ने भाभी की साड़ी को निकालना शुरू किया और पूरी साड़ी निकाल दी. इसके बाद भैया ने भाभी के पेटीकोट का नाड़ा खींच कर खोल दिया और फिर भाभी की चिकनी जांघों को उघाड़ते हुए उसे पूरा निकाल दिया.
अन मेरी भाभी ब्रा पैंटी में लेटी थी और भैया उनके ऊपर लेट कर होंठ चूस रहे थे. भाभी भी अब उनका पूरा साथ दे रही थी। भैया ने फिर भाभी को खड़ा किया और उनकी ब्रा पैंटी, अपना अंडरवियर निकाल कर फेंक दिया, अब भैया भाभी दोनों लोग मेरे सामने पूरे नंगे थे.
भैया ने भाभी को बैठा दिया और लंड चूसने के लिए कहने लगे. लेकिन भाभी ने मना कर दिया. बहुत कहने पर भाभी ने लंड पर किस किया और लंड के टोपे पर अपनी जीभ फेरने लगीं।
कुछ देर बाद भैया ने भाभी को लिटा दिया और 69 की अवस्था में आ गये. भैया कभी मेरी भाभी की चूत चाटते, चूत के दाने (क्लीटोरिस, भग्नासा) पर जीभ छुआते. इससे भाभी मचल जाती. फिर भैया ने चूत में अपनी जीभ डाल दी. अब तो भाभी बुरी तरह से छटपटाने लगीं और अपने सिर को दाएँ-बाएँ करने लगीं लेकिन भैया ने अपनी जीभ नहीं निकाली. नतीजा यह हुआ कि भाभी झड़ गयी, पूरे कमरे में दोनों की सिसकारियों की मादक आवाजें गूँज रही थी और इन आवाजों को सुनकर, ऐसा नजारा देखकर मैं भी कामोत्तेजित हो गया था और अपना लंड हाथ में लेकर सहला रहा था।
भाभी के झड़ने के बाद भैया उठे और फिर भाभी के पैरों की तरफ आकर बैठ गए. फिर भैया ने भाभी की दोनों टाँगों को उठा कर खोल दिया और चूत को देखने लगे। अब मेरी भाभी की चिकनी चूत फाड़ने की तैयारी थी तो भैया ने अपना लंड भाभी की चूत के छेद पर लगा दिया और जोर लगाने लगे.
जब भैया ने पहला धक्का लगाया तो लंड फ़िसल कर साइड में हो गया. तभी भाभी हंसने लगीं तो भैया बोले- अभी हंस रही हो … फिर रोना मत! भैया उठे और शीशी में से कुछ लिक्विड शायद तेल निकाल कर अपने लंड और भाभी की चूत पर लगाने लगे। अब भैया ने फिर से लंड को चूत पर सैट किया और भाभी के होंठों को अपने होंठों से कैद करके एक जोर का धक्का लगाया. लंड का सुपारा अन्दर जाते ही भाभी की हल्के से चीख निकल गयी, अगर कहीं भैया ने भाभी के होटों को अपने होटों से बंद नहीं किया होता तो भाभी की चीख शायद दूसरे कमरों तक़ भी चली जाती और कोई ना कोई जरूर उठ जाता।
फिर भैया दो मिनट तक रूके रहे और भाभी के स्तन चूसने लगे व निप्पल पर काटने लगे. लगभग दो मिनट बाद भैया ने फिर से धक्का लगाया और एक ही झटके में पूरा लंड अन्दर डाल दिया, भाभी बुरी तरह जाल में फंसी मछली की तरह तड़पने लगीं और उनकी आँखों में आंसू आ गए, वो भैया से छूटने की कोशिश कर रहीं थीं. लेकिन भैया ने उन्हें नहीं छोड़ा, आखिर वो भी तो भैया के जाल में फंसी हुई थी। भैया उनके स्तन दबा रहे थे और भाभी अपना सिर इधर-उधर हिला रही थी। भाभी की सील टूट चुकी थी.
मेरे भैया बहुत खुशकिस्मत थे जो उन्हें कुँवारी चूत मिली थी. नहीं तो लड़कियाँ आजकल शादी से पहले ही अपनी चूत फड़वा लेतीं हैं।
फिर जब भाभी का दर्द कुछ कम हुआ तो वो अपने चूतड़ उठाने लगीं, भैया समझ गये और फिर वो भी ऊपर से धक्के लगाने लगे. धीरे-धीरे उनकी स्पीड बढ़ती ही जा रही थी और वो लगातार धक्के लगा रहे थे. भाभी भी नीचे से उनका पूरा साथ दे रही थी।
काफी देर की चुदाई के बाद भैया झड़ गये और हाँफते हुए भाभी के ऊपर ही लेट गये.
दस मिनट के बाद भैया उठे और भाभी को फिर से गर्म करने लगे. अब वो भाभी से घोड़ी बनने के लिए कह रहे थे पर भाभी मना कर रहीं थीं. लेकिन भैया नहीं माने और उन्होंने भाभी को घोड़ी बना दिया. अब भैया डबल बैड पर भाभी की चूत पीछे से घोड़ी स्टाइल में चोद रहे थे और भाभी रो रही थी. लेकिन भैया को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था, वो लगातार चोदे जा रहे थे.
भैया तभी हटे जब वो झड़ गये, फिर भैया ने भाभी की पैंटी से अपने लंड और भाभी की चूत को साफ़ किया और भाभी को अपनी बांहों में भर कर चूमने लगे. कुछ देर बाद मेरे भैया मेरी नंगी भाभी के साथ नंगे ही चिपक कर सो गए।
इतना सब देखने के बाद मेरा लंड लोहे की तरह सख्त हो गया था और मैंने वहीं सीढ़ी पर ही बैठे बैठे मुठ मारकर अपना वीर्य निकाल दिया। फिर मैंने अपना मोबाइल निकाल कर टाइम देखा तो रात के 1:30 बज रहे थे, मैं अपने कमरे में आकर लेट गया।
दोस्तो, उसके बाद भैया ने सुबह के समय दो बार फिर से चुदाई की थी. यहय मुझे अगले दिन पता चला जब भाभी अपनी बड़ी ननद यानी मेरी दीदी से बातें कर रहीं थीं और कह रहीं थीं कि उनकी चूत सूज गयी है।
इसके बाद तो भैया रोज ही चुदाई करते थे लेकिन लाइट बन्द कर देते थे और किसी ने उस सीढ़ी को भी वहां से हटा दिया था जिस कारण मुझे दुबारा देखने का मौका नहीं मिला. लेकिन भैया भाभी की सिसकारियों की आवाज़ खिड़की से सुनाई देती थी।
तो यह थी मेरे भाई भाभी की सुहागरात की चुदाई की कहानी, आपको कैसी लगी, मुझे ई-मेल करके जरूर बताएं. दोस्तो, अगर आपके मेल आते हैं तो जल्दी ही मैं दूसरी कहानी लिखूंगा और लड़कियाँ, भाभियाँ मुझे बेहिचक मेल कर सकतीं हैं। मेरी ईमेल आईडी है [email protected]
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