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दोस्तो, मेरी कहानी मेरे गाँव की एक सेक्सी भाभी की है. मेरा नाम अमित है. मेरी लम्बाई 5 फुट 8 इंच है, नार्मल पतले शरीर का मालिक हूँ. मेरा लंड 5.8 इंच का है, मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ. आज मैं आप सब के सामने अपनी जिंदगी की एक सच्ची घटना बताना चाहता हूँ. मैं लगभग 7-8 सालों से हॉस्टल या घर से बाहर ही रहा हूँ और अभी फिलहाल दिल्ली में रहकर पढ़ाई कर रहा हूँ. मेरा घर हरियाणा के एक गाँव में है. जब कभी पढ़ाई से बोर हो जाता हूँ तो अन्तर्वासना की कहानियां पढ़ लेता हूँ.
यह बात आज से लगभग 5 महीने पहले की है, जब मैं अपना एक एग्जाम निपटा के कुछ दिन के लिए अपने गाँव आया था. मेरे पड़ोस में एक भाभी रहती हैं, जिनका नाम सुशी है. दिखने में वो मेरी तरह नार्मल ही हैं, लेकिन उनका फ़िगर बहुत ही जबरदस्त है. गोल और ऊंची उठी हुई छाती, पतली कमर और उभरे हुए कूल्हे. एक बार जो भी उन भाभी देखे, तो उनका दीवाना हो जाए.
इतने दिनों से बाहर रहकर थोड़ा बहुत फ़्लर्ट करना तो मैं सीख ही चुका था और इससे पहले मैं दिल्ली में 3 चूतों को भोग भी लगा चुका था. मैं सुशी भाभी से भी हंसी मजाक कर लेता था और उनसे अच्छी तरह बनती भी थी.
उनके पति किसान थे, तो ज्यादातर घर से बाहर ही रहते थे. उनके घर मेरा आना जाना भी बहुत था. चूंकि मैं बहुत दिन बाद घर जाता था, तो सेवा भी अच्छी होती थी.
ये बात अबकी बार होली की है और हमारे यहाँ होली के 7-8 दिन पहले ही माहौल बनना शुरू हो जाता है. आने जाने वालों पर पानी डालना और रंग लगाना आम बात है. जब मैं घर गया तो होली के 2 दिन शेष थे, तो सोचा भाभी पर पानी डाल कर उन्हें सरप्राइज दे दूँ लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरे लिए ही सरप्राइज तैयार है.
मैं अपने पड़ोस की एक छत से उनके मकान पर गया और जैसे ही छुपकर भाभी को ढूँढने लगा तो देखकर मुझे जोर का झटका लगा. भाभी अपने बाथरूम में नंगी नहा रही थीं और बाथरूम का दरवाजा खुला था. मेरे पूरे बदन में करंट सा दौड़ गया.
मैं ठगा सा खड़ा रह कर सेक्सी भाभी को अपलक देखे जा रहा था. भाभी की गोल चुचियां, सपाट चिकना पेट, गहरी नाभि, केले की तरह चिकनी लम्बी टाँगें और उनके बीच में छुपी वो चिकनी गुफा, जिसके पीछे पूरी दुनिया पागल है. पूरे शरीर पर बाल का कोई निशान नहीं, पानी उनके शरीर पर फिसल रहा था और उसकी वजह से पूरा बदन हीरे की तरह चमक रहा था. चूत बिल्कुल गोरी टांगों के बीच फूली हुई थी, नीचे के दोनों होंठ संतरे की फांक की तरह रस से फूले हुए. चूत के ऊपर चने की तरह एक छोटा सा दाना उभरा हुआ चुत क खूबसूरती में चार चाँद लगा रहा था. साथ में भाभी भी नहाते हुए चूत को धो रही थीं.
एक पल के लिए मैं वहीं बैठ गया और हवस में मेरी आँखें बंद सी होने लगीं क्यूंकि इतने शानदार जिस्म से मेरा पहली बार पाला पड़ा था. मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ. बस फिर मैं हिम्मत करके वहां से उठा और नीचे उतरने लगा. उनका बाथरूम सीढ़ियों के बिल्कुल सामने था. भाभी का ध्यान पड़ने से पहले मैंने पानी की बाल्टी फेंक दी थी और जैसे ही हमारी नजरें मिलीं, सेक्सी भाभी ने अपने आपको ढकने के लिए एकदम से तौलिया लपेट लिया. उनका नंगा जिस्म अभी भी तौलिये से बाहर झाँक रहा था. छाती का उभार छुपातीं, तो चूत दिख जाती और चूत छुपातीं तो चुचियां उछलने लगतीं. बिना ब्रा के भी रसभरे स्तन एकदम तने हुए थे.
मैंने एक नजर से जी भर के उनको देखा और धीरे से ‘हैप्पी होली इन एडवांस..’ बोल के वापस आ गया.
घर आकर मैंने खाना खाया, मम्मी पापा से थोड़ी बात की और आराम करने के लिए लेटा ही था कि भाभी हमारी बाल्टी लेकर आ गईं. मेरी गांड फट के हाथ में आ गयी, लगा कि आज तो सारी दीवानगी एक झटके में खत्म हो जाएगी. लेकिन मुझे क्या मालूम था कि आज तो बहुत कुछ किस्मत में है.
भाभी आते ही बोलीं- देवर जी, ऐसे अकेले खेल से भाग जाना अच्छी बात नहीं. थोड़ी देर रुकते तो होली का मजा ही आ जाता. मैं कुछ समझ पाता उससे पहले ही बोलीं- कितने दिन बाद आये और भाभी के हाथ की चाय पिए बिना ही वापस आ गए. चलो मेरे घर चलो आज तो आपको मेरे हाथ की चाय पीनी ही पड़ेगी.
भाभी की नशीली आँखें देख कर मैं जान गया था कि जो आग लगी है, वो बाल्टी के पानी से नहीं बुझेगी, उसके लिए भाभी के कुएं में मेरा हैंडपंप चलाना पड़ेगा. मैं उठा और भाभी के साथ चल पड़ा, उसी वक़्त मालूम हुआ कि भैया कहीं बाहर गए हुए हैं, शाम तक आएंगे.
उनके घर पहुँचते ही उन्होंने मुख्य द्वार बंद कर दिया और बोलीं- आज जैसी चाहो, होली मना सकते हो. मैं बहुत दिनों से तुमसे यह सब कहना चाहती थी लेकिन कभी हिम्मत नहीं हुई.
उनके इतना कहते ही मैं उन्हें वहीं पर किस करने लगा. भाभी को धकेल के दीवार से लगा दिया और होंठों को जोर जोर से चूसने लगा. इतनी जोर से की हमारे दांत भी टकराने लगे और जीभ से जीभ लड़ने लगी थी. वहीं पर मैंने उनके कुर्ते के अन्दर हाथ डाल दिया और पेट से सहलाते हुए एक चूची को दबोच लिया, भाभी की आह निकल गयी. वहीं पर मैंने उनके कुर्ते को उतार दिया, फिर एक दूसरे को चूमते हुए बेडरूम में जा पहुंचे. मैंने सेक्सी भाभी को उठा के बेड पर पटक दिया और अपनी लोअर और टी-शर्ट उतार दी.
भाभी मेरे सामने सलवार और ब्रा में पड़ी हुयी कामुक नजरों से मुझे देख रही थीं. हम दोनों की आँखें लाल हो चुकी थीं. मैं भाभी के ऊपर लेट गया और उन्हें फिर से किस करने लगा, एक हाथ को भाभी की ब्रा में डाल के उनके निप्पल को उंगलियों से पकड़ के सहलाने लगा. मैंने उनकी ब्रा उतार दी और दोनों चुचियों को आज़ाद कर दिया.
दूध की तरह गोरा बदन था उनका.. और उन पर बिल्कुल गोल और टाइट चुचियां मुझे दीवाना बना रही थीं. उससे भी खूबसूरत गोरे निप्पल मुझे वहशी बनने को मजबूर कर रहे थे. मैं भाभी का ये रूप देखते ही पागल हो गया और उनके एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा. मैं दूसरे निप्पल को हाथ से मसल रहा था. साथ में निप्पलों को दांतों से हल्का हल्का काटता, तो भाभी की सिसकारियां निकल जातीं. मैं भाभी के दोनों मम्मों को बारी बारी से चूस रहा था और निप्पलों को कभी रगड़ता, कभी काटता.
फिर मैंने भाभी के दोनों हाथों को ऊपर कर दिया और उनकी चिकनी बगलों को जीभ से रगड़ने लगा. मेरे ऐसा करते ही भाभी पागलों की तरह सर पटकने लगीं. उनकी बगल को कभी चूमता तो कभी टॉफी की तरह चूसता. भाभी बस कसमसा रही थीं, उनकी टाँगें कांप रही थीं.
भाभी की दोनों बगलों को जी भर के चूसने के बाद फिर मैं थोड़ा नीचे आया और भाभी की पतली कमर पर हाथ फिराकर चूमने लगा. भाभी ने मेरे सर को जोर से पकड़ लिया और लम्बी लम्बी साँसें लेने लगीं. मैंने एक ही झटके में भाभी की सलवार और पैंटी उतार दी. नीचे चूत का पानी निकल निकल के बुरा हाल था.
फिर मैंने भाभी को उल्टा लेटा दिया और उनकी गांड को सहलाने लगा, बिल्कुल गोल मांसल कूल्हे जैसे इन्हें संगमरमर के पत्थर की तरह तराशा गया हो.
भाभी के बालों को एक तरफ हटा कर मैं पीठ को चूमने लगा और हल्के हल्के उंगलियां घुमाने लगा. जैसे ही मैंने उनकी गर्दन को चूमा, भाभी की चुदासी सी सिसकारियां निकलने लगीं और वो अपनी चूत उठाकर पटकने लगीं. इसके बाद जब मैंने कानों की लौ को मुँह में लिया, तो भाभी की गांड जोर से भिंची और चूत को इतनी जोर से बेड पर पटका कि पानी की धार ने पेंटी को चीर कर उनकी बेडशीट को तर कर दिया.
भाभी हांफ़ने लगीं तो मैंने उन्हें सीधा करके एक पल के लिए चूत को हल्के से सहलाया और फिर भाभी की चिकनी चौड़ी जांघों को होंठों से काट काट कर चूमने लगा. भाभी ने समर्पण कर दिया और निढाल होकर फिर से पानी छोड़ने लगीं.
उसके बाद मैंने अपना अंडरवियर उतार दिया और हम दोनों जन्मजात नंगे हो गए. भाभी को दुबारा से चार्ज करने के लिए होंठ चूमते हुए चुचियां रगड़ने लगा और साथ में चूत से लंड रगड़ने लगा. भाभी की मादक सिसकारियां फिर से शुरू हो गईं.
उसके बाद मैंने भाभी की टाँगें चौड़ी करके चूत पर अपनी जीभ रख दी और चूत की फांकों को बिल्कुल संतरे की तरह चूसने लगा. फिर मैंने धीरे धीरे अपनी जीभ भाभी की गरम चूत में घुसा दी और गहराई तक डाल कर गोल गोल घुमाने लगा. मैं आइसक्रीम की तरह भाभी की चूत को चाट रहा था, जैसे ही जीभ चूत की दीवारों से टकराती, भाभी की आह निकल जाती. साथ ही साथ में मैं चुत के दाने को भी अंगूठे से दबा रहा था और बीच बीच में जीभ निकाल कर दाना चूस रहा था.
अब भाभी से कण्ट्रोल नहीं हो रहा था, वो बार बार लंड डालने की गुजारिश कर रही थीं. मैंने लंड को चूत के मुँह पर रखा और ऊपर से नीचे रगड़ने लगा, चूत का मुँह हल्के से खुलता और बंद हो जाता साथ में मेरा लंड दाने को भी सहला देता. भाभी की आँखें अंगारों की तरह लाल थीं. जब रसीले चूत के होंठों पर लंड रगड़ता, तो भाभी बस उफ़ करतीं और तकिये को हाथों से दबोच लेतीं. भाभी की चूत सुर्ख लाल अंगारे की तरह दहक़ रही थी.
मैंने ज्यादा वक़्त ना लगाते हुए लंड को चूत पर सैट किया और हल्के से अन्दर धकेल दिया, भाभी ने लम्बी सी सांस छोड़ कर पूरा लौड़ा निगल लिया. चूत ने बड़े आराम से लंड को भींच लिया. मैंने झटके शुरू कर दिए और भाभी को ठोकने लगा. मेरा लंड पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था और भाभी के मस्त चुचे तूफ़ान मचा रहे थे. उनको मुँह में लेकर नीचे से झटके मार रहा था और निप्पल को दांत से हल्के से काट भी रहा था.
मैंने भाभी को पूरी तरह अपने नीचे दबोच लिया और होंठों को चूसते हुए धक्कों की गति बढ़ा दी. हर झटके से भाभी की बस आह निकल रही थी. उनकी आँखें बंद थीं और भाभी ने मुझे कस कर भींच रखा था. अपनी टाँगें ऊपर उठा के मेरी कमर पर लपेट रखी थीं. मेरे हर झटके से भाभी कराह उठतीं और उनकी गांड बेड में धंस जाती.
थोड़ी देर ऐसे ही भाभी की चुदाई करने के बाद मैंने उनको घोड़ी बना दिया और गांड पर 3-5 चांटे मारते हुए एक झटके में लंड घुसा दिया. भाभी की हल्के से चीख निकल गयी तो बोलीं- आराम से करो डार्लिंग, अब मैं तेरी ही हूँ.
मैंने भाभी के बाल पकड़ लिए और तेज़ तेज़ धक्के मारने लगा. मैंने उत्तेजना में उनके कंधों पर अपने दांत गड़ा दिए. सेक्सी भाभी ने टाँगें फैला दीं और बेड पर अधलेटी होकर बोलीं कि मैं आने वाली हूँ.
मैं भी इसके लिए तैयार था और तेज़ और गहरे झटके मारने लगा. भाभी बस ज़ोरों से आहें भर रही थीं, तभी एकदम से भाभी का शरीर अकड़ा और झटके मारती हुयी एक ज़ोरदार चीख के साथ वो निढाल होकर बेड पर गिर पड़ीं और साथ के साथ ही मेरा लंड भी झटके मारकर उनकी गरम चूत में खाली होने लगा.
भाभी मेरे नीचे पड़ी हांफ रही थीं और मैं बड़े बड़े धक्कों से उनकी चूत को नहला रहा था. इस वक्त ऐसे लग रहा था चूत और लंड एक दूसरे को भिगो रहे हैं.
पूरी तरह खाली होने के बाद भी उनके ऊपर पड़ा हुआ साँसें काबू में कर रहा था. कुछ देर तक हम ऐसे ही पड़े रहे. फिर मैंने उनकी गर्दन पर किस किया और उनके ऊपर से हट गया. बेड की चादर पूरी तरह भीग गयी थी.
भाभी ने मुस्कुरा कर मेरी आँखों में देखा और बोलीं- हैप्पी होली इन एडवांस. मैं हंस पड़ा. फिर हम एक साथ बाथरूम में गए और एक दूसरे को अच्छी तरह साफ़ करके साथ नहाए, चाय पी और बातें करने लगे.
इस बार जब तक मैंने घर पर रहा, मैंने भाभी के साथ हर रोज मस्त चुदाई का मजा लिया.
भाभी के साथ बहुत कुछ हुआ.. वो सब बाकी की कहानी फिर कभी लिखने का प्रयास करूँगा.
उम्मीद है आप सबको मेरी सेक्सी भाभी की कहानी पसंद आई होगी.
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