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दो तीन दिन बीते तो साधना का मन एक बार फिर से लाइव चुदाई के लिए मचलने लगा। उसने रमिता को कुछ नहीं कहा पर रमिता ने उसके मन की बात जान ली थी। रमिता अपनी सास को सेक्स की आग में ऐसे जलते हुए नहीं देख पा रही थी पर उसके पास इस बात का कोई इलाज भी तो नहीं था। साधना की आग एक लंड से ही ठंडी हो सकती थी पर अब रमिता अपनी सास के लिए लंड कहा से ढूंढें।
रमिता ने एक बार और रिस्क लेते हुए साधना को अपनी और अशोक की लाइव चुदाई दिखाई। इससे साधना की आग ठंडी होने बजाए और ज्यादा भड़क उठी थी। रमिता बार बार सोचती कि किसका लंड दिलवाए वो अपनी प्यारी सासू माँ को।
उधर साधना के मन के किसी कोने में अब लंड लेने की चाहत सर उठाने लगी थी पर वो शर्म के मारे कह नहीं सकती थी। बस रमिता अशोक की लाइव चुदाई के पलों को याद कर कर के अपनी चुत से पानी निकालती रहती थी।
अचानक एक दिन रमिता ने अन्तर्वासना पर कुछ कहानियाँ पढ़ी जिनमें माँ बेटे की चुदाई की कहानियाँ भी थी। आज का समाज ऐसा ही है। आज औरत को लंड और मर्द को चुत चाहिए बस… चाहे वो किसी की भी क्यों ना हो। बहन भाई से चुदने को तैयार है तो भाई भी बहन को चोदने के लिए लंड खड़ा किये तैयार है। ऐसे ही सास दामाद, माँ बेटा, बाप बेटी सब एक दूसरे को भोगने के लिए तैयार बैठे हैं।
यह इक्कीसवीं सदी की दुनिया है, लोक-लाज, शर्म-लिहाज पुराने जमाने की बातें हो गई है। कानून का डर ना हो तो ये सब सरेआम होने लगे।
रमिता का भी दिमाग घूम गया था। उसके दिमाग में भी साधना और अशोक की चुदाई के सीन घूमने लगे थे। कहानियाँ पढ़ पढ़ कर वो भी सोचने लगी थी कि क्यों ना साधना की चुत अशोक के लंड से ठण्डी करवा दी जाए। पर क्या अशोक अपनी माँ को चोदने को तैयार होगा? क्या साधना मान जायेगी अशोक का लंड लेने के लिए? साधना तो शायद मान भी जाए पर अशोक का मानना मुश्किल लग रहा था।
सारा दिन अब रमिता के दिमाग में बस यही सब घूमता रहता। दिन रात अब वो इसी प्लानिंग में लगी रहती कि कैसे वो साधना की चुत अशोक के लंड से चुदवाये। इसी प्लानिंग के तहत उसने अशोक को भी दो तीन बार माँ बेटे की चुदाई की कहानियाँ पढ़वाई। अब अक्सर वो अशोक के सामने साधना की बातें करने लगी थी। जैसे कि मम्मी जी इस उम्र में भी कितनी मस्त है, कड़क है, सेक्सी है इत्यादि इत्यादि।
एक दिन दोनों चुदाई करने के बाद साथ साथ लेटे हुए थे तो रमिता ने फिर से साधना की बात छेड़ दी- अशोक, एक बात पूछूँ? “पूछो…” “मम्मी जी ने इतने साल कैसे निकालें होंगे बिना चुदाई के?” “मतलब…??” “मतलब यह कि मम्मी जी खूबसूरत हैं और बदन भी तुमने देखा होगा कितना मस्त है… तो बस यही देख कर मन में ख्याल आया कि मम्मी जी का दिल नहीं करता होगा क्या चुदाई के लिए?”
“क्या सारा दिन बस इन्ही बातों में लगी रहती हो…” “अरे… मैं बिना सिर पैर की बात थोड़े ही कर रही हूँ… मैंने मम्मी जी को एक दो बार देखा है कमरे में अपनी चुत को मसलते हुए… उंगली करते हुए… तभी मुझे लगा कि हो सकता है कि उनका भी मन हो चुदाई का… वैसे भी ज्यादा उम्र थोड़े ही हुई है उनकी…” रमिता ने अपनी बात अशोक के सामने रख दी।
तभी रमिता उठ कर कमरे से बाहर रसोई में पानी लेने गई पर तुरन्त ही वापिस आ गई। अशोक ने जब पूछा कि पानी नहीं लेकर आई तो रमिता ने अशोक को अपने साथ चलने को कहा।
अशोक पूछता रह गया कि कहाँ ले जा रही हो पर रमिता उसको लगभग खींचते हुए साधना के कमरे के सामने ले गई। साधना के कमरे का दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था। रमिता ने अशोक को अन्दर देखने को कहा तो पहले तो अशोक मना करने लगा पर रमिता ने जब जिद की तो अशोक ने जैसे ही कमरे में झाँक कर देखा तो हक्काबक्का रह गया।
साधना अपने पलंग पर बिल्कुल नंगी पड़ी अपनी चुत सहला रही थी। कमरे की लाइट भी जली हुई थी जिस कारण साधना का बदन रोशनी में चमक रहा था।
यह रमिता की प्लानिंग का हिस्सा नहीं था। यह तो जब रमिता और अशोक चुदाई कर रहे थे तो साधना उनके कमरे के दरवाजे के छेद से उनकी चुदाई देख रही थी और जब चुदाई का खेल खत्म हुआ तो साधना अपने कमरे में जाकर अपनी चुत सहला कर पानी निकाल रही थी। साधना को कोई अंदाजा भी नहीं था कि रमिता या अशोक में से कोई भी इस समय उसके कमरे में आ सकता है या झाँक सकता है। वो तो पूरी मस्ती में अपनी चुत को उंगली से रगड़ रगड़ कर अपना पानी निकालने की कोशिश कर रही थी।
अशोक अपने कमरे में जाना चाहता था पर रमिता ने उसे रोक के रखा। तभी अन्दर से साधना के बड़बड़ाने की आवाज आई। जब ध्यान से सुना तो अशोक और रमिता दोनों ही सन्न रह गए। साधना कह रही थी- रमिता कमीनी अकेले अकेले अशोक के मोटे कड़क लंड का मजा लेती रहती है… कमीनी कभी मेरी चुत का भी तो सोच… मुझे भी अशोक जैसा कड़क लंड चाहिए अपनी चुत की आग को ठण्डा करने के लिए… तेरह साल से प्यासी है… कुछ तो इंतजाम कर कमीनी मेरी चुत के लिए भी!
रमिता समझ सकती थी कि साधना को अब लंड चाहिए पर अशोक के लिए ये सब बिल्कुल नया था। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी माँ इतनी कामुक होगी और लंड लेने के लिए तड़प रही होगी। और लंड भी अपने बेटे अशोक के लंड जैसा।
उसी दिन से अशोक के दिमाग में भी साधना का वो रात वाला सीन घूमने लगा था। जब भी वो अकेला बैठा होता तो उसका ध्यान ना चाहते हुए भी साधना पर पहुँच जाता। रमिता को भी ये सब समझते देर नहीं लगी कि अशोक साधना की तरफ आकर्षित होने लगा है। माँ बेटा दोनों एक दूसरे की तरफ आकर्षित हो रहे थे पर सामाजिक बंदिशों के कारण दोनों ही चुप थे।
दिन बीतते जा रहे थे, आग दोनों ही तरफ बढ़ रही थी। रमिता भी अशोक के मन को हर रोज टटोल रही थी। साधना ऊपरी मन से तो मना कर रही थी पर अब उसका मन करने लगा था चुदाई का। रमिता हर रोज उससे भी चुदाई की बात कर कर के उसकी आग में घी डालती रहती थी।
फिर एक दिन… शाम का समय था, रमिता और साधना साथ साथ बैठी रात के खाने की तैयारी कर रही थी। रमिता ने फिर से चुदाई की चर्चा शुरू कर दी- मम्मी जी… कब तक इस तरह सेक्स की आग में जलती रहोगी… मैं तो बोलती हूँ चुदवा लो किसी से! “तुम फिर से शुरू हो गई… कितनी बार बोला कि मैं नहीं चुदवा सकती… बदनाम नहीं होना मुझे इस उम्र में!” “मम्मी जी… आप हाँ करो तो कोई ऐसा लंड ढूँढ दूँ आपकी चुत के लिए जिससे चुदने पर बदनामी का भी डर ना हो?” “तू ये बात हर बार बोलती है… चल ठीक है, मैं तैयार हूँ चुदवाने के लिए अब बता किससे चुदवायेगी मुझे जिसमे बदनामी नहीं होगी… बोल… बोल ना?” साधना हल्का गुस्सा दिखाती हुई बोली।
“मम्मी जी… मैं आपकी पक्के वाली सहेली हूँ… मुझे अच्छे से पता है कि आप भी चुदवाना चाहती है… जल रही हैं चुदाई की आग में… इसी लिए मैंने सोचा है कि आपके लिए अब लंड का इंतजाम कर ही देती हूँ.” “पर… किसका???” “अशोक का…” रमिता ने जैसे बम्ब फोड़ दिया था साधना के ऊपर। “क्या… हरामजादी तू होश में तो है… तुझे पता भी है तू क्या बोल रही है?” साधना गुस्से में चिल्लाई।
“मम्मी जी… मुझे पता है कि आपको अशोक का लंड पसंद है… आप यह भी जानती हो कि अशोक का लंड कितना मस्त कड़क लंड है… तो आपकी पसंद का लंड ही तो दिलवाना चाह रही हूँ मैं… उसमें क्या दिक्कत है?” “दिक्कत… क्यों दिक्कत नहीं है… एक माँ को अपने बेटे से चुदवाने को बोल रही हो और पूछ रही हो कि क्या दिक्कत है… पाप है ये!” “कोई पाप नहीं है… आज रात को मैं आपको कुछ पढ़ने को दूँगी फिर सुबह बताना कि कहाँ दिक्कत है?” “कमीनी ये बात अशोक से मत करना… वर्ना पता नहीं क्या सोचेगा वो मेरे बारे में!” “उनसे क्या बात करनी… वो तो पहले ही अपनी माँ के हुस्न का दीवाना हुआ घूम रहा है.” “मतलब??” साधना ने चौंकते हुए पूछा.
रमिता ने साधना को उस रात वाली सारी बात बता दी तो साधना अचम्भित होकर रमिता को देखने लगी थी, साधना से कुछ कहते नहीं बन रहा था। वो चुपचाप उठकर बाथरूम में चली गई और टॉयलेट सीट पर बैठे बैठे रमिता की कही बातों को याद कर कर बेचैन हो रही थी। कभी उसको अपने ऊपर गुस्सा आता और वो शर्मिंदा महसूस करने लगती पर अगले ही पल उसे रमिता की कही ये बात याद आती कि अशोक भी उसके हुस्न का दीवाना हुआ घूम रहा है तो वो अशोक के बारे में सोच कर उत्तेजित हो जाती। उसे गर्व सा महसूस होता की क्या वो सच में इतनी खूबसूरत है कि उसका खुद का बेटा भी उसकी और आकर्षित हो रहा है।
लगभग बीस मिनट बाद जब रमिता ने बाथरूम का दरवाजा खटखटाया तो साधना विचारों की दुनिया से बाहर आई। बाहर आते ही साधना अपने कमरे में चली गई और रमिता रसोई में काम निपटाने लगी। रात हुई और बीत गई। उस रात साधना पूरी रात नहीं सो पाई थी, वो समझ ही नहीं पा रही थी रमिता उसे कहाँ ले जा रही है। क्या उसे सच में लंड की जरूरत है। क्या उसे अब चुदवा लेना चाहिए। पर किससे… क्या अशोक से… नहीं… नहीं… वो बेटा है मेरा, मैं उससे कैसे चुदवा सकती हूँ।
दूसरी तरफ रमिता अशोक से चुदवाते हुए यही बातें कर रही थी कि क्या अशोक भी साधना को चोदने की सोच रहा है। अशोक उसको कभी गुस्से से तो कभी प्यार से चुप करवाने की नाकाम सी कोशिश कर रहा था- रमिता… प्लीज यार मत करो ऐसी बातें… माँ है वो मेरी! “वो तो मुझे भी पता है कि माँ है वो तुम्हारी पर तुमने खुद देखा और सुना कि वो कैसे तड़प रही है लंड लेने के लिए…” “तो मैं क्या कर सकता हूँ?”
“क्यों नहीं कर सकते… सुना नहीं वो कह रही थी कि उसको चुदवाने के लिए आप जैसा ही कड़क लंड चाहिए… मतलब साफ़ है कि वो आपके लंड को पसंद करती है और चुदवाना चाहती हैं.” “मैं इसमें उनकी कोई मदद नहीं कर सकता… और अब तुम भी ऐसी बातें करना बंद करो और सो जाओ… पता नहीं क्या क्या सोचती रहती हो सारा दिन!” “सच बताना… क्या तुम्हें मम्मी जी अच्छी नहीं लगती… क्या तुम उन्हें सिर्फ इसीलिए तड़पते देखते रहोगे क्योंकि तुम उनके बेटे हो… और सोच कर देखो अगर उन्होंने बाहर किसी से चुदवा लिया और कुछ गड़बड़ हो गई तो कितनी बदनामी होगी तुम्हारी और इस घर की?” “प्लीज… मुझे कोई बात नहीं करनी इस बारे में…” कहकर अशोक मुँह फेर कर सो गया।
कहानी जारी रहेगी.
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