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अचानक वो उठी और अपने जीन्स की बेल्ट खोलने लगी। मैं थोड़ा डर गया कि कहीं ये मुझे पीटना तो नहीं चाहती।
लेकिन नहीं… वो अपनी बेल्ट खोलने के बाद अपनी जीन्स भी उतारने लगी और देखते ही देखते उसने अपने बदन से सारे कपड़े उतार कर फेंक दिये और पूरी नंगी होकर फिर से सोफ़े पर बैठ गयी। मैं आँखें फाड़े उसके नंगे बदन को देखने लगा।
वो सर से पैर तक क़यामत थी. उसकी भरी भरी चूचियां बेहद कठोर और गोलाकार थी और उसका पेट एकदम समतल, उसकी नाभि भी बहुत सुन्दर और गहरी थी। लेकिन जहाँ पर जाकर मेरी नज़र थम गयी वो उसकी चुत थी। वह अपनी दोनों टाँगें फैला कर अपनी फूली हुई चुत मुझे दिखा रही थी, उसकी चुत पर एक भी बाल नहीं था।
उसकी चुत देखकर मेरे मुंह में पानी आ गया, मैंने एक ही घूँट में सारा गिलास खाली कर दिया और फिर से उसकी चुत देखने लगा। मैंने आज तक ऐसी चुत नहीं देखी थी। मैं अपने होंठों पर अपनी जीभ घुमाने लगा।
उसने मेरी ओर मुस्कुराकर देखा और फिर अपनी उंगली से इशारा करके मुझे अपने पास बुलाया। मैं किसी गुलाम की तरह उसके पास जाकर घुटने के बल बैठ गया और उसकी चुत को निहारने लगा। मैं बस उसके आदेश की प्रतीक्षा कर रहा था।
तभी उसने अपनी जांघें फैला दी और अपनी क़मर को और आगे कर दिया। “चाटो… इसे!” उसने अपनी चुत पर हाथ फेरते हुए कहा।
उसके बोलने की देरी थी और मैं कुत्ते की तरह उसकी चुत पर टूट पड़ा। मैं पूरा जीभ निकाल कर उसकी चुत को ऊपर से नीचे गांड की होल तक चाटने लगा। वो मेरे सर को सहलाने लगी और धीरे धीरे सिसकारने लगी। मैं लगातार उसकी चुत चाटता रहा।
मैंने चुत चाटते हुए अपनी एक उंगली उसकी चुत में घुसा दी, वो एकदम से चिहुंक उठी- ओह पापा, क्या कर रहे हो? वह बड़बड़ायी। मैं उसकी बात सुनकर चौंक गया, यह अनजान लड़की मुझे पापा क्यों बोल रही है? मैंने अपना सर उठाकर उसको देखा, उसकी आँखें बंद थी, वो दोनों हाथों से अपने बूब्स मसल रही थी।
“ओहह पापा क्या हुआ… रुक क्यों गये… प्लीज मेरी चुत चाटो!” उसने फिर से बड़बड़ाते हुए कहा। फिर उसने आँखें खोल कर मेरी ओर देखा और मेरा सर पकड़ कर अपनी चुत में दबा दिया। मैं फिर से अपना जीभ निकाल कर उसकी चुत चाटने लगा।
दो तीन मिनट बाद ही उसके मुंह से फिर से शब्द निकलने लगे लेकिन इस बार जो शब्द निकले मैं सुनकर हक्का बक्का रह गया। उसके शब्द थे- ओहहह पापा तुम बहुत गंदे हो… यू आर डर्टी फादर… प्लीज मेरी चुत चाटो मेरे गंदे पापा… पापा तुम सच में बहुत गंदे हो! वो बड़बड़ाये जा रही थी, उसकी आवाज़ में एक कम्पन थी और साथ में उतेजना भी।
वो मेरा सर अपनी चुत में दबाने लगी और उसकी बड़बड़ाहट और तेज़ हो गयी- वाह्ह्ह… पॉप… मेरे… गंदे… पापा… पापा तुम गंदे हो! ओह पापा… यू आर वैरी डर्टी, तुम बहुत गंदे हो!” जैसे जैसे उसकी उत्तेजना बढ़ती, उस लड़की की बड़बड़ाहट और तेज़ हो जाती।
उसकी चुत चाटते हुए अब मुझे भी नशा होने लगा था, मैंने अपनी जीभ लम्बी की और उसकी चुत में घुसा दी और जीभ को उसकी चुत में अंदर बाहर करने लगा। “ओहहह… पापा… आई लव यू!” वो लड़की मेरा सर अपनी चुत पर दबाते हुए बोलने लगी, मैं अपनी जीभ धीरे धीरे चुत के अंदर करता रहा। पूरी जीभ अंदर करने के बाद मैं जीभ को उसकी चुत के चारों ओर घुमाने लगा। वो लड़की मस्ती में आकर अपनी क़मर हिलाने लगी और मेरा सर अपनी चुत पर दबाने लगी। उसकी बड़बड़ाहट अभी भी जारी थी। उसकी चुत ने अब पानी छोड़ना शुरू कर दिया था, मैं उसकी चुत से बहता पानी अपने होंठों से पीता जा रहा था, उसका सारा रस अपने अंदर ले रहा था।
अचानक वो लड़की उठ कर खड़ी हो गयी। उसको खड़ा होते देख मैं भी खड़ा हो गया। फिर वो लड़की आगे बढ़ी और मेरी जीन्स उतारने लगी, फिर देखते ही देखते उसने मुझे पूरा नंगा कर दिया। अब हम दोनों पूरी तरह से नंगे खड़े थे।
वो आगे बढ़ी और मेरे गले में अपने बाहों का हार डाल दिया और मेरे होंठों को चूसने लगी। “पापा आपका बैडरूम किधर है?” उसने नशीली आँखों से मुझे देखते हुए कहा। उसकी आवाज़ में ग़ज़ब का नशा था, उसका बदन धूप में पड़े लोहे की तरह गरम था। “उस तरफ…” मैंने उंगली से अपने बैडरूम की तरफ इशारा करते हुए उसे बताया।
उसने अपना एक हाथ मेरे क़मर से लपेट दिया और मुझे खिंचती हुई बैडरूम ले गयी। बैडरूम पहुँचते ही उसने मुझे एक धक्का दिया। मैं पीठ के बल बिस्तर पर गिरा, इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता, वो उछल कर बिस्तर पर आ गयी और पलक झपकते ही मेरे लंड को अपने होंठों के बीच दबा लिया।
मेरा लंड तो पहले से ही टनटनाया हुआ था, उस पर उसके गरम होंठों का स्पर्श मिलते ही रॉड की तरह कड़क हो गया। आधे मिनट से कम समय में मेरा लंड जड़ तक अपने मुंह के अंदर ले चुकी थी वो अनजान लड़की! मेरी आँखें हैरत से फैल गयी। मेरा लम्बा लंड उस लड़की के मुंह में जाने कहाँ ग़ायब हो गया था। उसके होंठ मेरे बॉल्स को चूसने लगे थे।
उसने अपने दोनों होंठों को मेरे लंड पर दबाया और अपने होंठ धीरे धीरे ऊपर करने लगी। जैसे ही उसके होंठ सुपारे तक आये, उसने अपना मुंह खोला और गप से पूरा लंड अपने मुंह में दबोच लिया। उसकी इस हरकत से मैं उछल पड़ा। उसने फिर अपने होंठों को मेरे लंड पर दबाया और फिर धीरे धीरे अपने होंठों को ऊपर करने लगी और फिर जैसे ही उसके होंठ टोपे तक आये, उसने मुंह खोल कर गप से पूरा लंड मुंह में लील लिया। वो लगातार ऐसे ही करने लगी, वो अपने होंठों से मेरे लंड को दबा कर ऐसे चूस रही थी जैसे कोई आयल लेकर मेरे लंड की मालिश कर रहा हो, मैंने सैंकड़ों कॉलगर्ल से सेक्स किया था लेकिन ऐसा मजा मुझे आज तक नहीं मिला था जो यह लड़की दे रही थी।
मैंने मस्ती में अपनी आँखें बंद कर ली और नीचे से अपना क़मर उचका उचका कर अपन लंड चुसवाने लगा। उसकी चुसाई के आगे मैं ज़्यादा देर टिक न सका मेरे लंड अब झड़ने के पोजीशन में आ चुका था, मैंने अपना हाथ बढ़ाया और उसका सर अपने लंड पर दबाने लगा। मैंने यह भी नहीं सोचा कि उस लड़की को यह पसंद है या नहीं… और मैं उसके मुंह में अपना पानी छोड़ने लगा। आज मेरा लंड भी जरूरत से ज़्यादा पानी निकाल रहा था।
मैंने कस के उसका मुंह अपने लौड़े पर दबा दिया और सारा पानी निकल जाने तक उसके सर को दबाये रखा। पानी निकालते ही मैंने एक लम्बी साँस ली और बिस्तर पर सीधा हो गया। मेरे वीर्य से उस लड़की का मुंह भर गया था. उसने एक गटका मारा और लंड का सारा पानी अंदर ले लिया। फिर उसने अपना सर मेरे लंड पर झुका लिया और अपनी जीभ निकाल कर मेरा भीगा हुआ लंड चाटने लगी। उसने मेरे लंड से एक एक बूँद को चाट लिया और फिर मेरे ऊपर आकर लेट गयी।
कुछ देर लेटे रहने के बाद फिर उसने मुझे किस करना शुरू कर दिया। मैं फिर से गरम होने लगा।
इस बार उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरा सर अपनी एक चूची पर रख दिया। मैं उसका इशारा समझते ही उसकी चूची को चूसने लगा। मैं उसके बूब्स चूसते चूसते कभी कभी उसके निप्पल को अपने होंठों से दबाकर खींच देता। मेरा ऐसा करने से वो कराह उठती- ओह्ह पापा… प्लीज आराम से, मैं आपकी बेटी हूँ कुछ तो तरस खाओ!
मैं बारी बारी से उसके बूब्स चूसने लगा और एक हाथ से उसकी चुत सहलाने लगा। मैं दूसरे हाथ से उसका दूसरा उरोज मसलने लगा। उसकी कराहें तेज़ होने लगी, वो मेरे सर को अपने बूब्स पर दबाने लगी। लगभग 5 मिनट अपने बूब्स चुसवाने के बाद वो अचानक से खड़ी हो गयी और मेरा लंड अपने मुंह में भर कर चूसने लगी, 5 मिनट लंड चुसने के बाद उसने अपना मुंह मेरे लंड से हटा लिया और डोगी स्टाइल में बिस्तर पर हो गयी। मैं देर न करते हुए उसके पीछे चला गया और अपना लंड उसकी चुत पर रख कर दबाने लगा, तभी उसने अपना हाथ लाकर मेरा लंड अपने चुत से निकाल लिया और अपनी गांड के छेद पर रख दिया। मुझे यह देखकर थोड़ी हैरानी भी हुई, ज़्यादातर लड़कियां गांड मरवाने से डरती हैं और चुत ही मरवाना पसंद करती हैं लेकिन यह लड़की तो अपनी चुत से लंड निकाल कर अपने गांड में रख रही थी।
मैंने ढेर सारा थूक लिया और उसकी गांड के छेद पर लगा दिया, फिर एक उंगली उसकी गांड में डाल कर थूक लगाने लगा। गांड में उंगली घुसते ही वो सिसकारने लगी। मैंने थूक लगाने के बाद अपने लंड का टोपा उसकी गांड के छेद पर रखा और एक ज़ोरदार धक्का मारा। धक्का इतना तेज़ था कि वो मुंह के बल बिस्तर पर गिर गयी। मैंने उसके क़मर को दोनों हाथों से पकड़ कर फिर से ऊपर उठाया और दूसरा धक्का भी उतने ही ज़ोर का लगाया। अब मेरा पूरा लंड उसकी गांड में घुस चुका था. आप यह कहानी अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
उस लड़की की कराहें निकलने लगी और उसका बदन दर्द से अकड़ने लगा। मैं उसकी तड़प की परवाह न करते हुए उसकी गांड पर लगातार चोट मारने लगा। उसकी चीख़ें तेज़ होती चली गई- ओह… पापा… प्लीज आराम से, मेरी गांड फट जाएगी, आपका लंड बहुत मोटा है! वो मस्ती में बड़बड़ाती हुई बोली।
उसकी आवाज़ में उत्तेजना थी, मैं उसके द्वारा पापा कहे जाने से और जोश में आ गया और मेरी स्पीड पहले से तेज़ हो गयी। मेरे हर धक्के पर वो पापा पापा… बोलती जा रही थी, उसकी बातों से अब मुझे भी लगने लगा था कि मैं सच में उसका बाप हूँ और मैं अपनी ही बेटी की गांड मार रहा हूं, हालाँकि मेरी कोई बेटी नहीं है।
मैं पागलों की तरह उसकी गांड मारता रहा, मेरा बदन पसीने से नहा गया था। लगभग 15 मिनट तक उसकी गांड में अपना लंड पेलने के बाद मेरे लंड ने पिचकारी मारना शुरू कर दिया, मैंने कसके उसके चूतड़ों को अपने लंड से चिपका लिया और लंड का सारा पानी उसकी गांड में छोड़ दिया। कुछ देर लंड को उसी तरह उसके कूल्हों से चिपकाये रखा और फिर अपना लंड निकाल लिया.
जैसे ही मैंने अपना लंड निकाला उस लड़की ने तेज़ी से करवट ली और मेरा लंड अपने मुंह में भर लिया और मेरे लंड को अपने होंठों से साफ़ करने लगी। मैं निढाल होकर बिस्तर पर गिर गया। मैं बहुत थक चुका था, लेकिन वो लड़की अभी भी वैसे ही चुस्ती फुर्ती दिखा रही थी, शायद यह हमारी उम्र का अंतर था। मैंने उसकी तरफ देखा… वो अपनी जीभ अपने होंठों पर फेर रही थी।
“बेटी… में थोड़ा आराम चाहता हूँ… मैं बहुत थक गया हूँ.” मैंने बेटी शब्द का प्रयोग इसलिये किया क्योंकि अभी तक वो मुझे पापा बोलती आयी थी, मुझे लगा कि उसे बेटी बोलने से उसे अच्छा लगेगा और वो ग़ुस्सा नहीं करेगी।
“ओके पापा… वो कहते हुए मेरे ऊपर झुकी और मेरे होंठों को चूम लिया। फिर एकदम से वो खड़ी हो गयी और कमरे से बाहर निकल गयी।
कहानी जारी रहेगी. कहानी आपको कैसी लग रही है, अवश्य बतायें- मेरा ईमेल है। [email protected]
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