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मेरी गांड चुदाई की सेक्स कहानी नई जगह, नये दोस्त-3 में मैंने आपको बताया कि मैं एक कस्बे में नौकरी पर गया तो मुझे वहां कैसे कैसे लौंडे, माशूक, गांडू मिले. अब आगे:
मैंने भी चुदाई के समय पूरा मजा दिया, थका नहीं, उसके लंड को गांड से ऐसा चूसा जैसे कोई मुंह से चूस रहा हो! वह ‘अरे सर सर! कहने लगा, मस्त हो गया, फिर अलग हुआ और बैठ गया।
हम सब ने कपड़े पहने हाथ मुंह धोए फ्रेश हुए।
मैं पैन्ट पहनने को हुआ, मैंने कहा- चलो सब लोग चाय पिएं, नाश्ता करें। तो सुमेर मुझे घूर कर देखने लगा, देवेश मुस्कराने लगा. मैं भी प्रश्नाकुल चेहरे से देखने लगा, फिर पूछा- क्या बात है? तब देवेश- बोला सर! अब हमारी बारी है। मैंने कहा- मैं तैयार हूँ, थोड़ा घूम कर आते हैं, मना कहां कर रहा हूं?
तब वे सन्तुष्ट हुए दोनों शांत हो गए। हम घूमने चले, ढाबे की ओर गए, सबने चाय पी, नाश्ता किया.
लौटते समय देवेश बोला- सर आपको हमारा काम कैसा लगा? मैं- अरे यार, मजा आया। तुम दोनों ने कस के रगड़ दी, पूरा जोर लगाया। सुमेर- सर हमने बिल्कुल वैसे ही करने की कोशिश की जैसे आप करते हो. कोई तकलीफ तो नहीं हुई? मैं- नहीं दोस्तो, आप लोगों ने मेरा बहुत ध्यान रखा, गांड मारने में कोई इतना ख्याल नहीं रखता! बहुत मजा आया। आप बरसों से लौंडे निपटा रहे हो, जाने कितने लौडों की मारी होगी, अब पच्चीस छब्बीस के हो, एक्सपर्ट हो गए।
सुमेर- नहीं सर! मार तो बरसों से रहे हैं, कई लौडों की मारी, कई से मरवाई… पर सही में मारना आपसे मरवा कर सीखा। देवेश- और सर! आज आपकी मार कर सीखा कि सही में कैसे मरवानी चाहिए, आपने मरवाते समय जो गांड के झटके दिए, गांड चलाई, मैं हैरान रह गया। आप हम दोनों से ज्यादा माशूक तो हैं ही हमारी किस्मत कि आपकी मारने को मिली. आप गांड मराने के भी मास्टर हैं। आपका बहुत बहुत शुक्रिया।
मैं- बस करो यारो, आप दोनों ने मेरी मार ली। आप को मजा आया, अब ज्यादा मक्खन नहीं। आपकी तबियत खुश हुर्इ कि नहीं या वैसे ही मक्खन लगाए चले जा रहे हो। आप जैसे माशूक लौंडे… आप दोनों की भी माशूकी की अब पूरी उमर हो गई, अब आपकी मारने की कौन हिम्मत करेगा. ऐसे जवान मुस्टंडे मेरे से जाने कैसे तैयार हो गए और इस उमर के लौंडे इस जगह मिलेंगे, मैंने सोचा भी न था. जाने कब हम लोग अब अलग हो जाएं!
देवेश- सर! आप भी इस उमर में भी हम दोनों से ज्यादा माशूक हैं. यह हमारी किस्मत… हम आपका साथ हमेशा याद रखेंगे।
कमरे में आकर मैंने कहा- अब तुम दोनों फैसला कर लो! तब देवेश का तय हुआ. सुमेर रात को मेरे साथ ही सोएगा, वह मान गया. मैंने देवेश की उसी कम्बल पर मारी. मैं भी थका था तो और देर लगी. देवेश गांड मरवा कर चला गया।
रात के बाद सुबह के करीब पांच बजे सुमेर को निपटाया, बन नहीं रहा था, जैसे तैसे मारी।
कुछ दिनों बाद… करीब नवम्बर-दिसम्बर का समय होगा, हमारे यहां एक वर्कशॉप हुई, जिसमें दिल्ली से विशेषज्ञ आये, यही कोई अट्ठाइस तीस के होंगे, बोलने के लहजे से हरयाणवी या पंजाबी लग रहे थे, ऊंचे पूरे गोरे चिट्टे तंदरुस्त जवान खूबसूरत!
आसपास के गांव से करीब दो सौ के करीब प्रशिक्षणार्थी आए, दिन भर वर्कशॉप चली जिसमें सुमेर, देवेश, शशि सहयोग कर रहे थे। मैं भी उपस्थित रहा सम्बोधित भी किया।
शाम को प्रतिभागी चले गए, कार्यकर्ता रहे, रुपए पैसे का हिसाब किया, सामान समेटा, रिपोर्ट बनाई. थोड़े से दस बारह लोग बचे, उन्हें व मेहमान को खाना खिलाना था. मेरे कुछ वर्कर व थोड़े से लोग थे. अन्य लोगों में अधिकतर उन्नीस बीस साल के लड़के व साथी…
सब लोग बोले- मूड फ्रेश करने को गाना हो जाए!
एक लड़का टेबल को तबले सा बजाने लगा, गाना गाया-
आओ गांड मरायें आओ गांड मरायें आओ गांड मरायें
आओ मजे उड़ायें आओ मजे उड़ायें आओ मजे उड़ायें
गोरे चिकने माल को मिलते माशूकों नमकीन को मिलते लौडों को शौकीन को मिलते
क्या लंड के धक्के लंड के धक्के लंड के धक्के…
जिसे तरसते अच्छे अच्छे अच्छे अच्छे…
मोटा भारी लंड भयंकर पिला हो तेरी गांड के अंदर करे खलबली धूम मचाये अंदर जाए बाहर आये शोर न कर तू न चिल्लाये गांड सिकोड़े न घबराये गांड को ढीली कर फैलाये थोड़ी सी टांगें चौड़ाये
अपनी गांड चलाये अजी गांड चलाये अजी गांड चलाये…
कमर हिलाये कमर हिलाये कमर हिलाये…
इस गाने को गाते हुए हम सब दोस्तों ने कमर हिलाई, बड़ी देर तक नाचे, फिर सब खाना खाने गए।
डाक बगंला फुल था, बहुत सारे अन्य लोग ठहरे थे, अतः मेहमान से कहा तो वे मेरे साथ रात्रि विश्राम को मान गए। मैं उन्हें अपने कमरे पर ले आया, कमरा पास ही था, अतः पैदल ही आये.
रास्ते में मेहमान बोले- आपकी फिगर बहुत अच्छी है, आपने मेनटेन कर रखी है. क्या एज होगी? मैंने बताया- लगभग सत्ताइस साल कुछ महीनो का हूं! वे बोले- मेरे से थोड़े छोटे हैं। बिल्कुल स्लिम रखे हैं, और क्या कमर है? मैं डांस में आपके कमर और कूल्हे ही देख रहा था। आप जैसे कमर के मूवमेंट कोई नहीं कर पा रहा था। हिप्स बहुत अट्रेक्टिव हैं। क्या कमाल करते हैं। बीस साल वाले भी नहीं।
मैंने कहा- थैंक यू… प्रेक्टिस की बात है। वे बोले- मारवेलस! आप मुश्किल से बाइस तेइस के लगते हो, क्या परसनेलटी है। वे मेरी प्रशंसा किए जा रहे थे जबकि थोड़ा सा ही परिचय था।
फिर वे मुझे छूने लगे, कभी गले में हाथ डालते, कभी मेरे चूतड़ छू लेते ‘बिल्कुल फैट नहीं…’ कहते हुए कमर में बांह डाल दी. मैं कुछ कुछ समझ गया कि वे मुझ पर मर मिटे है. वे बोले- आप बहुत पोपुलर हैं. आपने क्या एड्रेस किया! वगैरह वगैरह… वे कमरा आते तक लगे ही रहे।
कमरे में एक ही खटिया थी, मैंने कहा- नीचे बिछा लें? वे बोले- ठीक है।
हमने नीचे फर्श पर बिस्तर लगाए, मेरे पास एक ही रजाई थी, मैंने कमरे पर आते ही अपने कपड़े उतार दिए, अंडरवियर बनियान में आ गया. वे भी पैन्ट शर्ट उतार कर लोअर निकाल रहे थे. फिर बोले- आप ऐसे ही सोएंगे? मैंने कहा- हां। तो वे बोले- मैं भी कच्छे में सोऊं? मैंने कहा- कोई बात नहीं, जैसा आप चाहें।
मैंने देखा कि कच्छे में से उनका लंड उचक रहा था. मैंने बहाने से उसमें हाथ फेर दिया तो और तन गया. वे मुस्कुराए, उन्होंने मेरे चूतड़ों पर हाथ फेरते हुए कहा- केवल अंडरवियर में सर्दी नहीं लगेगी? मैंने कहा- पर रजाई में होंगे!
वे फिर मेरे चूतड़ इसी बहाने टटोलते बोले- कपड़ा बहुत पतला है। फिर चूतड़ों में हाथ घुसा दिया- हां, पर ठंडे तो ज्यादा नहीं हैं। मेरा सीना सहलाने लगे- ज्यादा सर्दी आपको नहीं लगती?
फिर हम दोनों लेट गए. मैं चित लेटा था, वे मेरी तरफ करवट लेकर लेटे थे बोले- आप स्लिम हैं पर अपकी जांघें मस्त हैं। वे मेरी जांघों पर हाथ फेर रहे थे, फिर मेरे सीने पर हाथ फेरने लगे- क्या सीना है। पहले कसरत करते होंगे? मुझे तो अब टाईम ही नहीं मिलता, पहले मैं भी करता था।
फिर पेट सहलाने लगे, कमर की प्रशंसा करने लगे, दो चार बार पेड़ू पर भी हाथ फेर दिया.
उन्होंने अब अपनी एक जांघ मेरी जांघों के ऊपर रख दी, वे मेरे से चिपक गए, उनका खड़ा लन्ड मेरी जांघों से टकरा रहा था. वे बड़ी देर तक न रुक सके, अंडरवियर के ऊपर से मेरा लन्ड सहलाने लगे. मेरा खड़ा हो गया तो उन्होने अंडरवियर में हाथ डाल कर पकड़ लिया व मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया. उन्होंने तो ऊपर ही रखा था पर जब वे मेरा लन्ड पकड़े हुए थे तो मैंने भी उनके अंडरवियर में हाथ डाल कर उनका पकड़ लिया और साथ ही उनका अंडरवियर नीचे खिसका दिया.
क्या मस्त लम्बा मोटा हरयाणवी हथियार था… मैंने देखा कि मेरे हाथ के बालिश्त से ज्यादा शायद दस इंच और जब हाथ की मुट्ठी में पकड़ा तो भी मुट्ठी बंद पूरी नहीं होती ‘भारी मोटा।’ मेरे हाथ में आते ही मैं धीरे धीरे सरका मारने लगाा, वे मेरी ओर देखने लगे, मैंने कहा- बहुत मोटा है। तो वे खुश हो गए.
पर जब मैंने कहा- मेरी तो फट जाएगी। तो बोले- ऐसा कुछ नहीं होगा, डरें मत, आप तो बड़े हैं! इसे तो कम उम्र के लौंडे पूरा ले गए, फिर मराने आए। मैंने कहा- वे हरयाणवी लौंडे होंगे, उन्हें इतने बड़े लन्ड की आदत है, मैंने तो पहली बार इतना मोटा हाथ में लेकर देखा है, मेरे हाथ में आ नहीं रहा।
वे मेरे से ऊंचे तो थे ही, थोड़े तंदरुस्त भी थे! मैं धीरे धीरे हाथ में लेकर उनके लंड पर हाथ चला रहा था। वे मेरा लंड छोड़ कर मेरे चूतड़ सहलाने लगे- आप ज्यादा ही घबरा रहे हैं। मैं यह लंड गांड में तो डलवाना चाहता था पर मजे ले रहा था.
वे मेरी गांड के ऊपर उंगली फेरने लगे. फिर मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे चिपका लिया उनका लंड मेरे पेट में गड़ रहा था.
अब मैंने उन्हें ज्यादा परेशान करना ठीक न समझा और मैंने करवट बदल ली अब मेरी पीठ व गांड उनकी तरफ थी. वे खुश हो गए, मेरे चूतड़ सहलाने लगे, फिर थूक लगा कर अपना हथियार मेरी गांड पर टिका दिया.
मैंने उन्हें ठहरने का इशारा किया और उठ कर तेल की शीशी उनके हाथ में दे दी. अब उन्होंने अपने लंड पर तेल चुपड़ा, तेल की भीगी उंगलियाँ मेरी गांड में ठूँस दीं. पहले एक, फिर दो… मैं आ आ आ कर उठा. उनकी उंगलियां भी बहुत मोटी थी, दो उंगलियां ही तीन के बराबर होंगीं!
वे बड़ी देर तक मेरी गांड में उंगली डाले रहे, फिर उन्हें अंदर बाहर करने लगे, फिर गोल गोल घुमाने लगे, फिर डाल कर रुक गए, फिर अंदर बाहर करने लगे. ऐसा लगभग पांच मिनट किया होगा। अब उन्होंने मुझे मेरे कन्धे को हल्का सा धक्का दिया, औंधा होने का इशारा किया, मैं औंधा हो गया. वे फिर मुझे समझाने लगे- अरे जरा भी तकलीफ हो तो रोक दूंगा. बिल्कुल न घबरायें, ये तो दिल का काम है, आपको मजा न आये तो सारी मेहनत बेकार!
यह ठीक है कि उनका लंड बड़ा था पर मैं उतना ही मस्त देवेश के लंड का मजा ले चुका था, दतिया में उस्ताद से मरवा चुका था।
अब वे मेरे ऊपर चढ़ बैठे, उन्होंने अपना तेल से लिपटा लंड मेरी गांड पर टिकाया और धक्का दिया, उन्होंने सुपारा अंदर पेला, मैं आ आ आ करने लगा. अब वे रुक गए, बोले- मैं धीरे धीरे करुंगा! और वे बाकी लंड भी पेलने लगे. वे एक तजरबे वाले पुराने लौंडे बाज थे थे, उन्होंने पूरा पेल ही दिया.
जब पूरा लंड मेरी गांड में घुस गया तो उनके लंड को मेरी ढीली गांड से समझ में गया कि कोई बात नहीं! वे अंदर बाहर… अंदर बाहर… करने लगे, पहले धीरे धीरे किया, फिर मेरी मक्कारी समझ कर दे दनादन… दे दनादन… शुरु हो गए, उनके गांड फाड़ू झटके चालू हो गए.
मैं भी आदत का मारा गांड चलाने लगा, चूतड़ उचकाने लगा. वे मुस्कुराए, बोले- मैं कहता था न कि आप घबरायें ना, आपको मजा आएगा।
अब वे पूरी ताकत से लंड पेल रहे थे, मेरी गांड में जलन हो रही थी, रगड़ाई से दर्द हो रहा था पर मजा भी आ रहा था. मैं जोर जोर से कमर हिला रहा था, गांड चला रहा था. वे बोले- आपने अभी कराई है? मैं बोला- बहुत दिनो से नहीं! वे बोले- दो तीन महीने पहले कराई होगी।
मैं आश्चर्य चकित था. वे बोले- गांड बता रही है कि अभी मराने की प्रेक्टिस में है।
मैं उनके तजरबे को मान गया, मैंने कोई तीन महीने पहले देवेश सुमेर से कराई थी. वे बड़ी देर तक लगे रहे, फिर हम अलग होकर सो गए।
सुबह मेरे सोते में ही वे मेरे चूतड़ सहलाने लगे, फिर मेरे चूतड़ किसी लड़की की छाती की तरह मसलने लगे, दो तीन चुम्मे मेरे चूतड़ों के ले डाले. बहुत उत्तेजित थे. फिर मेरी गांड में अपनी उंगलियां बेरहमी से ठूंस दीं, पहले एक, फिर दो, बाद में तीन… मैं दर्द के मारे जाग तो गया. हय आ आ करने लगा- सर जी, रहने दें!
पर वे सुन नहीं रहे थे, उन्होंने अपना लंड मेरी गांड में ठूंस दिया और चालू हो गए, बड़ी देर तक पेले रहे, गांड फाड़ कर रख दी, इस बार बड़ी जोर जोर से मार रहे थे, फिर झड़ गए, तब अलग हुए.
शायद उन्हें रात को करते समय सावधानी रखनी पड़ी तो मजा कम आया होगा, लगा कसर रह गई थी, वह सुबह पूरी कर ली, सुबह वे पूरे रंग में जोश में थे, अब सन्तुष्ट थे, ठंडे पड़ गए थे। उन्होंने प्रस्ताव किया कि मैं उनकी मार लूं, मेरी ज्यादा इच्छा तो नहीं थी पर उनका अनुरोध टाला नहीं गया. वे बार बार कह रहे थे, कच्छा नीचे कर औंधे लेटे थे, मेरा लंड पकड़ कर मसल रहे थे और उनकी मार दी, वे केवल लंड पिलवाते रहे, चुपचाप लेटे रहे. तंदरुस्त भी थे उनके चूतड़ व कमर मेरे से भारी थे, गांड के नीचे तकिया लगाना पड़ा तब गांड दिखी।
ज्यादा मजा तो नहीं आया पर मार दी. पर वे बड़े सन्तुष्ट थे। अगले दिन वे चले गए!
यह कहानी यहीं समाप्त होती है.
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