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दोस्तो, मेरा नाम प्रीति शर्मा है और मैं दिल्ली में रहती हूँ। अभी मैं सिर्फ 27 साल की हूँ, देखने में बहुत सुंदर हूँ, और जितना मेरा चेहरा सुंदर है, उससे ज़्यादा मेरा जिस्म सुंदर है। शादीशुदा हूँ, मेरे पति बहुत प्यार करते हैं। पर मेरी कमजोरी यह है कि एक मर्द के प्यार से मेरा पेट नहीं भरता। या यूं कहूँ के मेरे पेट के नीचे, दोनों टाँगों के बीच जो सुराख है वो नहीं भरता। इसलिए मैं अक्सर इस तरह के लोगों की तलाश में या मौकों की तलाश में रहती हूँ, जब मैं अपने जिस्म की तपिश को किसी मर्द के गरमागरम रस से ठंडा कर सकूँ।
इसी चक्कर में मैंने बहुत से लोगों से सेक्स किया है, ये सब किस्से आप मेरी पहले छप चुकी कहानियों
मेरी कामुकता, मेरे तन की प्यास मेरी चूत का टैटू
आदि में पढ़ चुके हैं। मगर कहानी भी मैंने वो लिखी हैं, जिनमें मुझे लगा कि ये पढ़ के लोगों को मज़ा आयेगा।
सेक्स तो मैंने बहुत किया है, मगर हर सेक्स को कहानी के रूप में नहीं ढाला जा पाता। मैं ढूंढती हूँ कि मेरी कहानी में कुछ खास हो, सबसे अलग। इसलिए कुछ खास घटनाओं को ही कहानी का रूप देकर आपके पढ़ने के लिए भेजती हूँ।
तो लीजिये आज का किस्सा भी पढ़िये।
एक दिन मेरे पति और मैंने शाम को बाहर आऊटिंग का प्रोग्राम बनाया। प्रोग्राम यह था कि पहले बाहर किसी डिस्को में जाकर एक दो वोड्का के पेग मारेंगे, थोड़ा डांस वांस करेंगे, फिर किसी बढ़िया होटल में डिनर करेंगे और मौज मस्ती करते हुये आधी रात के बाद ही घर वापिस आएंगे।
अब जब डिस्को में जाना था, तो मैंने गहरे लाल रंग की ड्रेस पहनी, ऊपर से भी गहरे गले की और नीचे भी छोटी सी टाइट स्कर्ट। मतलब मैं चाह कर भी अपना दिख रहा क्लीवेज और नंगी जांघें किसी से छुपा नहीं सकती थी। बहुत ही बदन उघाडू सी ड्रेस थी। यह पोशाक मेरे पति ने मुझे मेरे जनमदिन पर तोहफे में दी थी मगर पहनी आज।
सुर्ख लाल लिपस्टिक, गहरे लाल रंग की नेल पोलिश, मैचिंग मेकअप। मेरे पति का कहना था- यार आज तो बहुत कयामत ढा रही हो, बच के रहना कहीं कोई इस हुस्न को चुरा न ले। मैंने कहा- आपकी बीवी हूँ, संभाल के, बचा के रखना, अगर आपने मुझे छोड़ कर किसी और का दामन पकड़ा तो सोच लो, मैंने भी नीचे से पेंटी नहीं पहनी है। मेरे पति हंस दिये और बोले- सच में? दिखा?
मैंने अपनी टाँगें खोल कर दिखाई, नीचे बिना चड्डी के शेव की हुई गुलाबी चूत देख कर वो बोले- साली, मादरचोद, तू तो चुदाई की पूरी तैयारी करके चली है। कोई बात नहीं… आज रास्ते में ही कहीं गाड़ी रोक कर तेरी चूत ठंडी करूंगा। मैं भी खुश हो गई कि चलो आज ओपन एयर सेक्स का मज़ा लूँगी।
पहले हम एक डिस्को में गए, अंदर जा कर एक सोफ़े पर बैठ गए। मैं टाँगें क्रोस करके बैठी थी, क्योंकि अगर टाँगें खोल कर बैठती, तो सामने वाले को पता चल जाता कि मैंने नीचे से चड्डी नहीं पहनी है और वो मुफ्त में ही मेरी चूत के दर्शन भी कर जाता। और जब एक दो टकीला शॉट अंदर नहीं जाते तब तक तो मैं सती सावित्री ही बनी रहती हूँ।
हसबेंड ने पहले कुछ खाने का और दो गिलास वोड्का का ऑर्डर किया। ड्रिंक्स आ गई, हम दोनों ने पी और खाया भी। तेज़ आवाज़ में संगीत बज रहा था, बहुत से लोग डांसिंग फ्लोर पे नाच भी रहे थे। वोड्का पीते पीते हम दोनों भी रंगीन हो गए, माहौल बड़ा ही रंगीन और खुला था। बहुत से लड़के लड़कियां सरेआम किसिंग कर रहे थे, तो हमने भी दो तीन बार बिना आस पास का कोई ख्याल करे, होंठों से होंठ जोड़ कर लंबे लंबे किस किए। सच में बड़ा ही मज़ा आता है, अजब सी सनसनी होती है, जब आप अपने प्यार को चूम रहे हों, और आस पास के लोग आपको देख रहे हों, और आपको उनके देखने की कोई चिंता नहीं होती। हम पूरे सुरूर में थे।
थोड़ी देर बाद मेरे पति ने डांस ले लिए कहा। हम दोनों डांस फ्लोर पर जाकर खूब नाचे। मैं क्या नाची… मुझे तो वोड्का नचा रही थी। खूब खुल कर, तड़प कर नाची मैं!
नाचते हुये मुझे लगा कि एक दो लड़के मेरे बदन को पीछे से छू कर गए, पर मैंने कोई बुरा नहीं माना। छू लिया तो छू लिया, मेरा कौन सा कुछ उतार के ले गया।
डांस करते करते जब थोड़ी सी थकावट हुई, तो हम दोनों वापिस आकर सोफ़े पर बैठ गए। मगर इस बार मैंने अपनी टाँगें क्रॉस नहीं की, आराम से पसर गई सोफ़े पर। मेरे सामने बैठे लड़के की नज़र सीधी मेरी स्कर्ट के अंदर गई, और उसने “उफ़्फ़” करके मेरी तरफ देखा, मैं जान गई कि इसने मेरी नंगी चूत देख ली हैं, मगर मुझे कोई परेशानी नहीं थी। मैं वैसे भी बैठी रही कि ‘देख यार… जी भर के देख!’
अब मैं पूरे मूड में थी, नशे में थी, सुरूर में थी तो मुझे अपनी चूत किसी दूसरे को दिखाने में मज़ा ही आ रहा था। डांस करने से मेरी ड्रेस थोड़ी और नीचे की ढिलक गई थी, जिस वजह से मेरा क्लीवेज भी और बड़ा हो गया था। ऐसे लग रहा था, जैसे मेरी ड्रेस से मेरे मम्मे संभाले नहीं जा रहे, वो इस ड्रेस को फाड़ कर बाहर आने को आज़ाद होने को आतुर हों।
हमने ठंडा होने के लिए शेम्पेन मंगवा ली।
अभी शेम्पेन मुंह को लगाई ही थी कि मेरे पति के एक दोस्त और उनके एक और दोस्त भी आ गए। उनके साथ दो लड़कियां भी थी, मगर वो देखने से ही एस्कॉर्ट लग रही थी। मेरे पति को देख कर वो हमारे पास ही आ गए और हमारे ही साथ बैठ गए। गुप्ता जी को मैं पहले से जानती थी मगर गुप्ता जी के साथ आए लंबे चौड़े मर्द को मैंने पहली बार देखा था। उसने भी बड़े गौर से मुझे ऊपर से नीचे तक घूर कर देखा, मेरे क्लीवेज और मेरी नंगी जांघों को। हवस उसकी आँखों में साफ देखी जा सकती थी।
मैंने अपनी टाँगें फिर से क्रॉस कर ली क्योंकि अभी मैं उसको अपनी चूत के दर्शन करवाने के मूड में नहीं थी।
शेम्पेन बीच में ही छोड़ कर अब व्हिस्की आ गई। मगर मैंने अपना शेम्पेन का गिलास ही पकड़े रखा। सबने चियर्ज़ कह कर गिलास टकराए और पीने लगे। मगर गुप्ता जी के दोस्त की निगाह मेरे ही बदन पर चिपकी हुई थी, जैसे वो मेरा जायज़ा ले रहा हो। मुझे उसकी इस बदतमीजी से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था क्योंकि मुझे ये था कि अभी थोड़ी देर में इसने चले जाना है, क्यों मैं इसके कारण अपने मुंह का जायका खराब करूँ।
मगर कुछ देर बातें करने के बाद गुप्ता जी तो मेरे पति को ही उठा कर ले गए, पीछे पीछे वो दोनों एस्कॉर्ट लड़कियां भी चली गई। उनके जाते ही वो आदमी उठा और मेरे पास आ कर बैठ गया- हैलो, मेरा नाम रमेश चड्ढा है! उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया। मैंने भी हाथ मिलाते हुये कहा- प्रीति, प्रीति शर्मा। “अरे वाह, मिसेज़ शर्मा, आपको तो मिस शर्मा कहना चाहिए!” वो बोला। मक्खन लगा दिया उसने!
मैंने मुस्कुरा कर कहा- मिस्टर चड्ढा, आपकी मर्ज़ी, मिस भी कह सकते हैं. मैंने कहा। वो बोला- अरे नहीं, मिस्टर चड्ढा नहीं, काल मी रमेश। मैंने कहा- ओके रमेश।
वो बोला- कब तक ये शेम्पेन पीती रहोगी, एक जाम व्हिस्की का हो जाए? मैंने कहा- मैं व्हिस्की नहीं पीती रमेश। वो बोला- तो शेम्पेन ही क्यों, कुछ और तड़कता भड़कता हो जाए। मैंने कहा- क्या?
उसने वेटर को बुलाया और एक ड्रिंक बना कर लाने को कहा।
थोड़ी ही देर में एक शानदार ड्रिंक मेरे सामने थी, मैंने पूछा- ये क्या है? वो बोला- पी कर देखो प्रीति, ऐसी चीज़ तुमने कभी नहीं पी होगी। मुझे थोड़ी शंका, थोड़ा डर सा लगा। “मगर ये है क्या?” मैंने फिर से ज़ोर देकर पूछा। वो बोला- चिंता मत करो, कोई गलत चीज़ नहीं है, इसमें वोड्का है, टकीला है, जूस है, गलत चीज़ कोई भी नहीं है।
मैंने डरते डरते उसके कहने पर ड्रिंक उठा ली, एक सिप ली, अरे ये तो वाकई बहुत टेस्टी है। मैं सिप सिप करके पीने लगी।
मेरे पति और गुप्ता जी दोनों का कोई पता नहीं। बल्कि मेरे हसबेंड तो अपना मोबाइल भी मेरे पास ही छोड़ गए। अब उनको बुलाऊँ तो कैसे। रमेश बोला- प्रीति, सिगरेट पीती हो? मैंने कहा- नहीं। “कभी भी नहीं?” उसने फिर पूछा। मैंने कहा- बहुत ही रेयर, साल में एक आध बार।
उसने कहा- मेरे लिए एक सिगरेट सुलगा सकती हो? मैंने सामने टेबल से एक सिगरेट और लाइटर उठाया, सिगरेट होंठों में दबाई, लाइटर से सुलगाई और एक लंबा सा कश लगा कर, ये दिखाने के लिए कि मैं सिगरेट भी पी लेती हूँ, धुआँ उसी के मुंह पर मारा और सिगरेट उसे पकड़ा दी। उसने सिगरेट पकड़ी और पहले सिगरेट पर लगी मेरी लिपस्टिक को चूमा और फिर उसने भी एक लंबा सा कश लेकर सारा धुआँ मेरे बूब्स की तरफ फेंका।
मैं समझ गई कि ये साला मुझ पर सेंटी हो गया है और मुझे पटाने के चक्कर में है। मैंने सोचा कि क्यों न इसी के साथ कुछ फ्लर्ट किया जाए, अच्छा खासा नौजवान है, अगर सेटिंग हो गई, तो दबा कर चोदेगा और मेरी चूत में उठ रही ख़लिश को भी शांत कर देगा। उसको लिफ्ट देने के लिए मैंने उसके मुंह से सिगरेट ली और खुद भी कश लगाए, और उसे ये भी जता दिया कि तुमसे मुझे कोई परहेज नहीं है।
उसने मेरे लिए एक और ड्रिंक मँगवाई और अपने लिए व्हिस्की, धीरे धीरे बातें करते करते हम एक दूसरे से खुलने लगे, और बहुत जल्दी वो मेरे टेस्ट, मेरे शौक से मेरी सेक्सुयल चाहतों पर आ गया- ये बताओ प्रीति, सेक्स में तुम किस काम से सबसे ज़्यादा खुश होती हो, या कौनसा एक्ट तुम्हें सबसे ज़्यादा मज़ा देता है? मुझे ये बहुत ही जल्दी लगा क्योंकि 10 मिनट पहले जो बंदा मुझे जी जी कह कर बुला रहा था, अब वो मुझसे सेक्स के बारे में बात कर रहा था।
तभी मुझे आज शाम की वो बात याद आई तो मैंने अपने पति से कही थी कि- आपकी बीवी हूँ, संभाल के बचा के रखना, अगर आपने मुझे छोड़ कर किसी और का दामन पकड़ा तो सोच लो, मैंने भी नीचे से पेंटी नहीं पहनी है। मेरे दिमाग में भी यह विचार आया कि अगर इसका भी मूड है और मैं भी मूड में हूँ, तो दिक्कत क्या है यार।
मैंने उसके सवाल का जवाब तो नहीं दिया, पर उस से पूछा- मेरे हसबेंड कहाँ हैं? वो बोला- उसकी छोड़ो, वो तो मेरी एस्कॉर्ट के टाँगो में मुंह छुपा के लेटा होगा किसी कमरे मे। मुझे उसकी बात सुन कर बड़ी हैरानी हुई।
मेरे चेहरे की तरफ देख कर वो बोला- अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें दिखा सकता हूँ। मैंने कहा- चलो, पहले दिखाओ। वो बोला- अगर तुम्हारा पति किसी और की बाहों में मिला, तो क्या तुम मेरे साथ रात बिताओगी।
अब ये तो उसने मुझे चोदने की खुल्लम खुल्ला ऑफर कर डाली। मैंने कुछ सोचा और फिर कहा- बाद में देखेंगे। वो मेरे पास और सरक कर आया और मेरी नंगी जांघ को अपने हाथ में पकड़ कर बोला- बाद में नहीं जानेमन, अभी बोलो, हाँ या न? मैं उठ खड़ी हुई और बोली- पहले दिखाओ।
वो मुझे उसी डिस्को के ऊपर बने होटल के एक रूम में ले गया। मैं रूम के अंदर दाखिल हुई, तो देखा तो अंदर कोई भी नहीं है। उसने रूम में बत्ती जलाई और दरवाजा बंद कर लिया। मैंने कहा- ये क्या बदतमीजी है, खोलो दरवाजा, मुझे जाना है।
वो बोला- अजी हुज़ूर जाना तो सबने है, पर जाने से पहले अगर दो खूबसूरत लोग आपस में कुछ प्यार मोहब्बत कर लें, तो किसी को क्या दिक्कत है? इरादे तो मैं उसके पहले से जानती थी, मगर मैं तो खुद हरामीपन पे उतरी हुई थी, मैंने भी जानबूझ कर अपना कमजोर दाँव फेंका- देखो, प्लीज़ मुझे जाने दो, मैं शादीशुदा सीधी सादी औरत हूँ, मेरे पति नीचे मुझे देख रहे होंगे। मैं दरवाजे की तरफ बढ़ी तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया- कहाँ जाती हो प्रीति, इधर आओ!
और उसने जो खींचा और मुझे सीधा बेड पे गिरा दिया। जैसे ही मैं बेड पे गिरी तो मेरी टाँगें खुली और मेरी स्कर्ट के अंदर उसने सब कुछ देख लिया। मैं सिमट कर बेड पे बैठ गई।
मेरी चूत चुदाई की कहानी जारी रहेगी. [email protected]
कहानी का अगला भाग: प्रीति भाभी का कैज़ुअल सेक्स-2
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