This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
यह कहानी मेरी बुआ की है. उनकी उम्र 38 वर्ष है. वो दिखने में गोरी थोड़ी भरी हुई मस्त आंटी लगती हैं. बुआ सरकारी स्कूल में टीचर हैं और अपने गाँव में ही पोस्टेड हैं. उनकी शादी हुए 15 साल हो गए हैं और दो बेटियां हैं. वो पास के शहर में रहती हैं और स्कूल के लिए रोज गाँव जाती हैं.
यह बात 7-8 साल पहले की है, जब मैं बुआ के घर गया था. उन्हीं दिनों एक बार बुआ ने मुझसे वॉशरूम में बुलाकर चुदवाया. उसके बाद हम दोनों आपस में बहुत खुल गए. मैंने बुआ से पूछा कि उन्होंने और किस किस से करवाया है… तो बुआ ने मुझे कुछ किस्से सुनाए. उन्हीं में से एक किस्सा उन्हीं की ज़बानी आपके सामने पेश कर रहा हूँ.
एक बार मैं स्कूल में बैठी थी, बरसात का मौसम था… बच्चे भी बहुत कम आए थे. बारिश की वजह से आस पास कोई और भी नहीं था. स्कूल में मेरा साथी टीचर बृजेश भी था. वो एक शादीशुदा आदमी है और मेरा हमउम्र है. साथी टीचर होने के बाद भी हम नाम मात्र की बात करते थे क्योंकि गांव में हमारे परिवार का दबदबा है, तो लोग मुझसे बात करने से डरते थे और बहू होने का लिहाज भी करते थे. इसी वजह से स्कूल टाइम में स्कूल के आस पास कोई नहीं आता था.
बारिश में अचानक मुझे ज़ोर की पेशाब लगी. बारिश की वजह से घर भी नहीं जा सकती थी और स्कूल का टॉयलेट मैं इस्तेमाल नहीं करती थी. थोड़ी देर बाद जब बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया, तो मैंने इधर उधर देखा कि कहीं करने की जगह मिल जाए.. हर तरफ बारिश हो रही थी.
थोड़े से बच्चे बाहर हॉल में बैठे थे और बृजेश उन्हें कुछ पढ़ा रहा था. मैं चुपके से उठी और स्कूल के पीछे की तरफ चली गयी. वहाँ एक खंडहर सा कमरा और उसमें झाड़ उगे थे, मैं वहाँ चली गयी. एक जगह जा कर अपनी साड़ी और पेटीकोट उठाकर मैंने पैंटी नीचे की और बैठ गयी. जब मैं उठी तो दंग रह गयी. वहाँ बृजेश खड़ा था, वो अपना लिंग हाथ में लिए था. उसकी नज़र मेरे नंगे चूतड़ों पर थी. मैंने तुरंत साड़ी छोड़ दी.
वो बोला- मुझे पता नहीं था कि आप यहाँ बैठी हैं वरना मैं नहीं आता. यह कहकर वो वापस जाने लगा. मैं भी एकदम चल दी और भूल गयी कि पैंटी तो नीचे पैरों में फँसी है. एकदम से चल देने के कारण मेरे पैर लड़खड़ाए और मैं सीधा बृजेश के ऊपर जा गिरी. इत्तेफ़ाक से उसका लिंग जो पैंट से बाहर था, मेरा हाथ सीधा वहीं लगा. इस कारण उसका लिंग मेरे हाथ में आ गया, वो मेरी तरफ देखने लगा.
मैंने खुद को संभाला और फिर अपने हाथ पर ध्यान दिया कि उसका लिंग झटके खाने लगा था. मैंने एकदम से उसका लिंग छोड़ दिया और उसकी तरफ देखने लगी. अचानक उसकी हिम्मत पता नहीं कैसे बढ़ गयी, उसने पूछा- भाभी जी, क्या हुआ पसंद नहीं आया? मैं मुस्कुरा दी और आगे चल पड़ी.
उसने पीछे से मेरा हाथ पकड़ लिया और मैं वापस उसकी तरफ चली गयी. बाहर बारिश हो रही थी, कुछ दिखाई और सुनाई नहीं दे रहा था. हम एक कोने में आ गए. उसने मेरी तरफ़ हाथ बढ़ाया मैंने रोक दिया, वो मुझे बहुत मिन्नत के साथ देखने लगा. मैंने भी ज़्यादा देर नहीं लगाई क्योंकि स्कूल का टाइम था कोई भी बच्चा आ सकता था. मैंने उसे इशारे से शुरू करने को कहा. उसने मेरी चुचियों पर हाथ लगाया और ब्लाउज खोलने लगा. मैं बोली- उतारूंगी कुछ नहीं.
वो समझ गया और मेरी साड़ी ऊपर करने लगा. पेंटी तो पहले से पैरों में थी उसके साड़ी उठाते ही चूतड़ नंगे हो गए. उसने मुझे वहीं दीवार के सहारे झुका दिया और बोला- भाभी जी आप कहें, तो बिछाने को कुछ ले आऊं. मैंने कहा- इतना टाइम नहीं है, जल्दी करो.
मुझे तुरंत अपनी चुत पर कुछ दस्तक महसूस हुई. उसने अपना लिंग मेरी चुत पर टिका दिया. मैंने पास की झाड़ी को हाथ से पकड़ लिया. मैं झटका झेलने को तैयार थी, तभी वो बोला- भाभी जी कंडोम नहीं है. मैंने उसे पलट कर देखा और पूछा- अब इतनी बारिश में कहाँ से लाओगे? ऐसे ही कर लो.
वो खुश हो गया और मेरी गर्दन आगे घुमाने से पहले ही एक धक्का आया और आधा लिंग मेरे अन्दर घुस गया. मैं आगे देखने लगी और दो झटकों में उसने पूरा घुसा दिया और धक्के देने लगा. मैं भी साड़ी हवा में उठाए अपने दोनों हाथों को दीवार से लगाकर खड़ी थी और हर धक्के पर हिल रही थी.
बाहर बारिश हो रही थी और हम यहाँ अपने प्रोग्राम में मस्त थे. थोड़ी देर बाद वो झड़ गया और हम दोनों वापस स्कूल आ गए. पर मेरा मन अभी भरा नहीं था. थोड़ी देर बाद वो आया और बोला- भाभी, चलिए थोड़ी देर अन्दर बैठते हैं?
मैंने उसकी तरफ देखा और अन्दर चली गयी. वहाँ दो बच्चे पट्टियाँ बिछा रहे थे. वो मेरे पास आकर बोला- भाभी जी एक बार लेटकर भी दे दीजिए. यह कहकर उसने मेरे चूतड़ दबा दिए.
मैंने बच्चों की तरफ इशारा किया और आगे बढ़ गयी. उसने बच्चों को बाहर भेज दिया और चुपचाप बैठने को बोला. फिर मुझे नीचे बैठने का इशारा किया. मैं बैठ गयी और उसकी तरफ देखने लगी. उसने मुझे लिटाया और ब्लाउज खोलने लगा मैंने बोला- नहीं.. बाहर बच्चे हैं कुछ नहीं खोलना.
उसने मजबूरी में साड़ी उठाई और चूत देखने लगा. फिर मेरी तरफ देखा, मैं ऊपर छत देखने लगी. अब वो मेरे ऊपर चढ़ गया और अपना लंड मेरी चुत पर लगाकर धक्का मारने लगा. मैं अब अपने स्कूल में जो ससुराल के पास ही था वहाँ बारिश में खुले दरवाज़ों के अन्दर ज़मीन पर पट्टी बिछाकर चुद रही थी.
थोड़ी देर में वो झड़ गया. दोनों बार झड़ने से पहले उसने लंड बाहर निकाल लिया था और ज़मीन पर माल छोड़ दिया था. इसके बाद हम दोनों बाहर आ गए. थोड़ी देर में बारिश बंद हुई और छुट्टी हो गयी, सब अपने घर चले गए.
अगले दिन सामान्य तरीके से सब अपना काम कर रहे थे कि फिर से बारिश शुरू हो गयी. थोड़ी देर में एक आदमी बारिश से बचकर भागता हुआ स्कूल की तरफ आया और बाहर छज्जे के नीचे खड़ा हो गया. थोड़ी देर बाद मैंने देखा तो वो मुझे घूर रहा था.
मुझे बड़ा गुस्सा आया इसकी इतनी हिम्मत? मैंने थोड़ी देर उसे नज़रअंदाज किया, पर वो नहीं माना. मैंने उसे बुलाया और पूछा- कैसे खड़े हो?
तो वो मेरी टेबल के पास आ गया और उसने अपना नाम बताया. उसका नाम लल्लन था. मैंने उसे गाँव में आते जाते एक दो बार देखा था. उसका बेटा मेरे ही स्कूल में पढ़ता था. मुझे लगा वो शायद अपने बेटे से मिलने आया होगा इसलिए मैंने उसे बैठने को बोल दिया, पर वो मेरे पास आया और बोला- मुझे आपसे कुछ बात करनी है. मैंने कहा- बोलो?
मुझे लगा कि वो अपने बच्चे के बारे में कोई बात करना चाहता होगा. उसने कहा- यहां नहीं.. अन्दर चलो. मैंने कहा- क्या बात है.. यहीं बोलो? तो उसने धीरे से कहा- आपके बारे में बात करनी है.
मैं उसके साथ उठकर अन्दर गयी और कहा- बोलो? उसने कहा- कल आप यहाँ कुछ अलग सी ड्यूटी कर रही थीं. मैं हैरान रह गयी कि इसे कैसे पता? फिर भी मैंने बोला- क्या बोल रहे हो साफ साफ बोलो? वो साफ ही बोल दिया- अरे कल चुद गयी आप मास्टर से.. मुझे पता चल गया. मैं हक्की बक्की रह गयी.
उसने आगे बोला- अरे क्या सोच रही हैं मैडम जी कल मेरे ही बालक ने आपकी चुदाई के लिए पट्टी बिछाई थी. मैंने कल उसको अपने दोस्त से बात करते सुना कि मैडम जी के चूतड़ बहुत गोरे हैं और मोटे हैं.. एकदम भरे हुए. उन दोनों की बातों से पता चला कि मास्टर ने पट्टियाँ लगवाई थीं और मैडम जी को अन्दर ले गए थे. तभी उन्होंने खिड़की से आपकी चुदाई देखी. मैं घबरा गयी.
उसने कहा- डरो मत मैं किसी से नहीं कहूँगा, पर थोड़ी देर में पीछे वाले कमरे में पेशाब के बहाने से आ जाना और ये पट्टी ले आना.
मैंने सोचा वो कमरा तो मेरी चुदाई का अड्डा बन गया है. कल कोई और चोद रहा था और आज चोदने के लिए कोई और बुला रहा है.
खैर वो चला गया, मैं थोड़ी देर बाद उठी और एक फोल्ड की हुई पट्टी चुपचाप उठा कर धीरे से पीछे कमरे में चली गयी. वहाँ वो खड़ा था. मुझे देखते ही मेरे पास आया और बोला- पता है ये पट्टी मैंने क्यों मंगाई है? मुझे पता था, फिर भी बोला- हाँ बैठने के लिए. वो हंसा बोला- नहीं… मैं तुम्हें चोदूँगा, अपने चुदाई के लिए खुद इंतज़ाम लाई हो.. वाह.. माल मिले तो ऐसा.
फिर उसने पट्टी बिछा दी और मुझे लेटने का इशारा किया. मैं लेट गयी, अब उसने लुंगी हटाई. मेरी नज़र उसके लिंग पर पड़ी, मैं एकदम से उठकर बैठ गयी. उसका लंड काफ़ी बड़ा था. वो हंसा और बोला- झेल जाओगी इतना बड़ा. बारिश में यहाँ इतने अच्छे से चोदूँगा कि हमेशा याद रखोगी.
यह कहकर उसने मुझे वापस लिटा दिया और साड़ी उठाकर मेरी पैंटी निकाल दी. फिर साड़ी को पूरा ऊपर कर दिया, अब मेरी कमर से नीचे पूरी नुमाइश हो रही थी. मैं नीचे पूरी नंगी लेटी थी. अचानक उसने चूत पर हाथ फेरा, मैं हिली तो वो हंसा और बोला- बहुत खेली खाई हो.. आज मज़ा आएगा.
फिर उसने मेरी चूत पर जीभ लगा दी. मैं उछल पड़ी. उसने मुझे पकड़ा और चूत चाटना शुरू कर दिया. मैं पागल हो रही थी, मेरी कमर उठने लगी. फिर जब वो मेरे ऊपर आया तो मैं बोली- मैं बिना कंडोम नहीं करवाती. वो हंस दिया, बोला- तो पर्स में रखती हो? टांगें तो कहीं भी फैला देती हो.
मैं यह सुनकर शर्म से गड़ रही थी, पर पूरी तरह से मज़े ले रही थी क्योंकि उसने मेरी चूत चाट कर मुझे पागल कर दिया था.
वो बोला- घबरा मत, आज तो अगर तू दूसरा लंड भी माँग ले तो दे दूँगा. यह कहकर जेब से कंडोम निकाल कर खोलने लगा. मैं उसके दूसरे लंड वाली बात पर चौंकी. उसने कंडोम चढ़ाते हुए बोला- क्या देख रही हो चाहिए क्या? दोनों एक साथ ले लेना. मैं यह सुनकर हंस दी, उसने इसे मेरी हां समझा और आवाज़ दी- भूरे आ जा.
एक और आदमी अन्दर आ गया, लल्लन ने उसे देख कर कहा- आजा तेरी क़िस्मत खुल गयी. अब अन्दर झाँक के मुट्ठी नहीं मारनी पड़ेगी.. इसकी लेने को मिलेगी. ये आज हम दोनों से चुदेगी.
मैं बहुत गरम हो चुकी थी. वो दोनों आगे बढ़े और मुझे नंगी करने लगे. मैंने मना किया, पर फिर भी ब्लाउज उतर गया और ब्रा का हुक खुल गया. अब साड़ी भी ऊपर हो गयी. मैं कमर से ऊपर और नीचे पूरी नंगी थी.. सिर्फ़ कमर पर साड़ी थी.
वे दोनों मेरे पास आए और अपने लिंग निकाल कर मेरे हाथों में पकड़ा दिए. मैं हल्के हल्के से उनके लंड सहलाने लगी. लंड बड़े होने लगे. फिर दोनों के लंड एकदम सख़्त रॉड जैसे हो गए. उन्होंने मुझे लिटा दिया.. अब चुदाई की बारी थी. मैं डर रही थी कि एक तो इनके लिंग इतने बड़े.. ऊपर से दो.
मैं बोली- एक एक करके आना. लल्लन बोला- तुम तो दोनों साथ में लेने वाली थी ना, कोशिश तो करो. मैंने बोला- पागल हो.. बकवास मत करो एक एक करके आओ. उसने कहा- अच्छा..! बकवास तो तू कर रही है. एक तुझे चोदेगा तो दूसरा मुट्ठी मारेगा क्या? मैंने कहा- लाओ मैं मार देती हूँ.
तब उसने मुझे लिटाया और ऊपर आ गया. उसने मेरी चूत पर लिंग टिकाया और मेरी चुचियों पर हाथ मार के बोला- घुसा दूं?
मैं चुपचाप ऊपर देखने लगी, तभी दूसरे आदमी जिसका नाम भूरे था.. उसने अपना लिंग हाथ में दे दिया और कहा- जो पूछ रहा है, बताती क्यों नहीं? उसने फिर से पूछा- घुसेड़ दूँ अपना लंड तुम्हारे अन्दर? मैंने धीरे से इशारा किया- हां.
बस एक ही झटके में पूरा लिंग अन्दर हो गया. मेरी कमर दर्द से उठ गयी. मैंने मुट्ठी भींच लीं, जिससे भूरे के लंड पर ज़ोर पड़ गया. उसने मेरी चुची दबाते हुए कहा- क्या हुआ, फट रही है? मैं चुप रही और धक्के झेलने लगी. थोड़ी देर बाद उन्होंने पोज़िशन बदल ली और अब भूरे मेरे ऊपर चढ़ गया था और लल्लन का मेरे हाथ में था.
बाहर बारिश हो रही थी और अन्दर हम लगे हुए थे. कुछ देर बाद हम तीनों झड़ गए और अलग हो गए.
हम तीनों को करीब आधा घंटा हो चुका था. मैं इतनी देर बाहर नहीं रह सकती थी. मैंने जल्दी से कपड़े पहने और स्कूल चली गयी. मैंने उन्हें पलट के भी नहीं देखा.
स्कूल में आते ही बृजेश ने पूछा- भाभी जी, कहाँ गयी थीं? मैंने बोला- कहीं नहीं घर (ससुराल, जो स्कूल के पास ही है) चली गयी थी. उसने कहा- ठीक है. तभी लल्लन अन्दर आया और बोला- मैडम जी पट्टी वहीं भूल आई थीं आप.
बृजेश ने मुझे देखा, तो मैं शर्म से पानी पानी हो गई थी. लल्लन पट्टी रख कर चला गया.
बृजेश ने पूछा- भाभी मुझसे कोई ग़लती हो गयी क्या? मैंने कहा- हां तुम्हारी वजह से ही मुझे जाना पड़ा. उसने सवालिया निगाह से मुझे देखा. तब मैंने उसे पूरी बात बताई. उसने मुझसे माफी माँगी क्योंकि स्कूल के अन्दर मेरी चुदाई करने की वजह से ही उन बच्चों ने हमें देखा था और मैं फिर चुद गयी थी.
इस कहानी के बाद मैंने बुआ से पूछा- क्या वो दोबारा भी आए. उन्होंने कहा- हां दो चार बार और आए. एक बार तो उन दोनों ने मुझे खेत में ही चोदा था. “बताओ न बुआ कैसे?” “वो अगली बार…”
पाठको! यह मेरी पहली कहानी है. कहानी आपको कैसी लगी, ये ज़रूर बताएं ताकि अगला किस्सा आपके लिए और बेहतर तरीके से पेश हो सके. धन्यवाद. [email protected]
कहानी का अगला भाग: मेरी बुआ की चुदाई के किस्से-2
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000