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मेरा पहला सम्भोग मेरी अपनी ही सगी मामी के साथ हुआ। मेरी अपनी प्यारी सगी मामी आशा ने अपनी प्यारी सी चूत से मेरे लंड का भोग बड़े ही प्यार से किया और पहले सम्भोग का पहला मजा ज़ोरदार तरीके से दिया।
यह बात बारह साल पहले की है जब मैं 22 वर्ष का था और मेरी सगी मामी आशा लगभग 32 वर्ष की थीं। वो दो बच्चों की माँ थीं फिर भी मेरी प्यारी आशा मामी की मस्त सेक्सी तनाकृति की तो पूछो मत यारो… शरीर भरा हुआ, न तो एकदम दुबला और न ही एकदम मोटा था। उनकी चूची और गांड कुछ ज़्यादा ही बाहर निकले हुए थे। वो कहीं से भी दो बच्चों की माँ नहीं लगती थी। मेरी प्यारी आशा मामी तो एक सेक्सी पटाखा माल थी।
आशा मामी अपने कमरे सो रहीं थीं। जैसे मैंने कमरे की बत्ती जलाई, मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं, मैंने आशा मामी की तरफ देखा, वो अपने पांवों को ऊपर की ओर मोड़कर सो रही थीं। साड़ी और पेटिकोट उनकी जांघों के ऊपर तक उठा हुआ था। उनकी मस्त जाँघें और काली पैन्टी दिख रही थी। उनका पल्लू बिखरा हुआ था, ब्लाउज़ के ऊपर के दो हुक खुले थे और काली ब्रा साफ-साफ दिख रही थी।
आशा मामी एकदम बेसुध सो रहीं थीं।
सेक्सी आशा मामी को इस सेक्सी हालत में देख कर मैं बहकने लगा और मेरा मन अपनी ही सगी मामी को चोदने का करने लगा।
मैं जाकर आशा मामी के पास लेट गया, वो एकदम गहरी नींद में थी। मैंने एक हाथ आशा मामी के गले पर रख दिया और हाथ को नीचे खिसकाने लगा। मेरा हाथ ब्लाउज़ के हुक तक पहुँच गया और मैं आहिस्ते-आहिस्ते हुक खोलने लगा.
तभी आशा मामी पलट गईं इससे मुझे हुक खोलने में और भी आसानी हो गई और मैंने सारे हुक खोल दिए। ब्रा के ऊपर से ही आशा मामी की मस्त चूचियों को सहलाने लगा। मैं अपना हाथ आशा मामी की ब्लाउज़ के पीछे ले गया और ब्रा के हुक को भी खोल दिया। अब मामी के दोनों स्तन एकदम स्वतंत्र थे। मैं उन आज़ाद हो चुके मस्त स्तनों को आहिस्ते से सहलाते हुए एक हाथ उनकी जाँघ पर ले गया और ऊपर की ओर ले जाने लगा पर एक डर सा भी लग रहा था कि कहीं आशा मामी जाग ना जाए!
पर जिसके लंड में आग लगी हो वो हर रिस्क के लिए तैयार रहता है और लंड की आग को सिर्फ चूत का पानी ही बुझा है.
हिम्मत करके मैं अपने हाथ को आशा मामी की जांघों के ऊपर ले जाने लगा। जैसे-जैसे मेरा हाथ आशा मामी की चूत के पास जा रहा था, मेरा लंड और तेज़ हिचकोले मार रहा था।
मेरा हाथ आशा मामी की पैन्टी तक जा पहुँचा था। पैन्टी के ऊपर से ही मैंने हाथ उनकी चूत के ऊपर रख दिया फिर मैंने साड़ी को ऊपर कर दिया और पैन्टी को नीचे खिसकाने लगा।
थोड़ी सी मेहनत के बाद मैं पैन्टी को उनकी टाँगों से अलग करने में कामयाब रहा।
फिर मैं हाथ को आशा मामी की चूत के ऊपर ले गया और उनकी चूत को प्यार से सहलाने लगा। आशा मामी अभी तक शायद गहरी नींद में थी। मैंने एक हाथ उनकी कमर पर रखा और उन्हें सीधा करने लगा, आशा मामी एक ही झटके से सीधी हो गई।
मैं अपनी टाँग को आशा मामी की टाँगों के बीच ले गया और उनकी टाँगों को फैला दिया। फिर मैं नीचे खिसका और आशा मामी की चूत देखने के लिए उनकी चूत के एकदम पास खिसक गया। मैं जीवन में पहली बार किसी औरत की चूत देख रहा था… वो भी अपनी ही सगी मामी आशा की! आशा मामी की चूत बहुत ही प्यारी और सेक्सी लग रही थी, उनकी चूत की मादक महक मेरी नाक समा रही थी। आह…. क्या मस्त खुशबू थी मेरी प्यारी आशा मामी की प्यारी चूत की..!
जैसे ही मैं आशा मामी की चूत को चूमने के लिए अपने होंठ उनकी चूत पास ले गया तभी आशा मामी दोनों हाथ से अपनी चूत को ढक लिया।
मेरी तो डर के मारे गांड फट गई… तना हुआ लंड एकदम मुरझा गया और दिल धाड़-धाड़ धड़कने लगा।
आशा मामी जैसे ही बिस्तर पर से उठी, मैंने हिम्मत करके उनको अपनी बाँहों में भर लिया और उनके होंठों को चूमने लगा। फिर मैंने उनके माथे, आँख, नाक, कान, गालों को चूमा और अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए.
मेरी प्यारी सेक्सी आशा मामी ने भी मेरी इस हरकत का जवाब बड़े ही प्यार से दिया, मेरे चुम्बन को स्वीकार करके आशा मामी भी मेरे होंठों को चूमने लगी और मेरे हाथों को पकड़ कर अपनी चूचियों पर रख दिया।
उनकी चूचियों को पकड़े पकड़े ही मैंने उनकी गर्दन को चूम लिया और उनकी चूचियों को चूसने लगा।
मेरा ऐसे करने पर आशा मामी फिर से बिस्तर पर लेट गई और अपनी चूत के बालों में उंगलियाँ फेरने लगी। फिर मैंने मामी के पेट को चूमा और उनकी नाभि में अपनी जीभ घुमाई।
मैं अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए मैं आगे बढ़ा और आशा मामी की झांटों के बालों को चूमता हुआ जाँघों के अंदर की ओर से चूमा और उनकी टांगों को चौड़ा करके उनकी प्यारी सी चूत की फांकों को चूमने और चूसने लगा।
चूत पर मेरे होंठ लगते ही आशा मामी सिहर उठी और उनकी प्यारी चूत फूलने लगी तथा उसकी फांकें फूल की पत्तियों की तरह खुल गई। चूत की फांकों को जीभ से सहलाना शुरू कर दिया। आशा मामी आह… आह… की आवाजें निकालने लगी।
मैंने अपनी जीभ को मामी की चूत में जितना हो सकता था अन्दर डाल दिया और जीभ हिलाने लगा। आशा मामी की चूत के गुलाबी दाने को जैसे ही मैं चूसता, वह सिहर उठती और उम्म्ह… अहह… हय… याह… करने लगती।
फिर लगभग पांच मिनट के बाद आशा मामी ने मस्ती में मस्त आकर अपनी टाँगों से मेरे सिर को जकड़ लिया और मेरे सिर को अपनी चूत में दबाने लगी। तभी अचानक आशा मामी का मस्ती में शरीर अकड़ने लगा और उनकी चूत ज़ोरदार तरीके से झड़ने लगी, उनकी चूत से रस निकलने लगा। मैं अपनी सगी मामी आशा की चूत का अमृत-रस पीते हुए उनके दोनों स्तनों को मसलता रहा। मैं जीवन में पहली बार किसी औरत की चूत के रस का स्वाद चख रहा था।
लगभग पांच मिनट के बाद मैंने आशा मामी के होंठों को चूमते हुए अपनी टाँगों से उनकी टाँगें चौड़ी कीं और उनको चोदने की मुद्रा में आकर अपना लंड उनकी मस्त चूत पर रखा और धीरे-धीरे नीचे होने लगा। मेरा लंड आशा मामी की मस्त चूत की गहराई में समाने लगा। जीवन में पहली बार मेरा लंड किसी औरत की चूत की आगोश में था। आशा मामी की चूत बिल्कुल गीली थी, एक ही बार में मेरा लंड जड़ तक आशा मामी की मस्त चूत की आगोश में समा गया और हमारी झाँटें आपस में मिल गईं। फिर मेरे झटके शुरु हो गए, जब मेरा लंड उनकी चूत में जाता तो फच्च-फच की आवाज़ होती। मेरा लंड निकलता और एक ही झटके में उनकी चूत में पूरा का पूरा समा जाता।
आशा मामी भी मस्ती में गांड हिला-हिला कर मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैंने हिचकोले मारने की रफ्तार बढ़ा दी, हम दोनों के हिचकोले रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।
हम दोनों ही चुदाई का भरपूर मज़ा ले रहे थे। पूरे कमरे में बस सिसकारियों का राज था। हम दोनों मस्ती में एक-दूसरे की आगोश में समाए जा रहे थे और हमारे शरीर अकड़ने लगे, हम दोनों झड़ने वाले थे। हम दोनों ने मस्ती में एक-दूसरे को भींच लिया।
आशा मामी ने अपनी टाँगों और हाथों को मेरे शरीर पर लपेट दिया। मैंने आशा मामी के कंधों को कसकर पकड़ लिया और ज़ोरदार कमर के झटके मारने लगा।
जब आशा मामी झड़ने वाली थी तो उनका पूरा शरीर अकड़ने लगा और उनकी मस्त चूत ने मेरे लंड को अंदर से और उनकी बाजुओं और टांगों ने मुझे बाहर से जकड़ लिया।
तब मेरे लंड में भी ज़ोरदार झनझनाहट होने लगी और मैंने अपनी सगी मामी आशा की प्यारी चूत के अंदर ही अपने कामरस की पिचकारी चला दी।
जीवन में पहली बार मैं किसी चूत के अंदर बीज गिरा रहा था। आशा मामी की मस्त चूत भी बहुत जोर से सिकुड़ने लगी और मेरे लंड को जकड़ लिया उनकी प्यारी सी चूत मेरे लंड को निचोड़ निचोड़ कर सारा का सारा कामरस निगल लिया।
लगभग पांच मिनट के बाद आशा मामी को जैसे राहत आई… तब उन्होंने मुझे अपनी जकड़न से राहत दी और मैं सांस ले सका। मैं निढाल होकर आशा मामी की आँखों में देखने लगा, उनकी मस्त आँखों में एक अलग सा ही सकून दिख रहा था।
आशा मामी से अलग होने के लिए मुझे अपने लंड उनकी प्यारी चूत से खींच के बाहर निकलना पड़ा, उनकी मस्त चूत तो जैसे मेरे लंड को छोड़ने को तैयार ही नहीं थी।
अलग होने पर हम दोनों उठे तो देखा आशा मामी की चूत के पानी से चादर तो बीच में पूरी गीली हुई पड़ी है।
आशा मामी की आँखों में देखने लगा वो शरमा गई। फिर मैंने उनके होंठों को बड़े ही प्यार से चूम लिया।
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