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मेरा नाम नेहा है, मेरी हाइट भी ठीक है और मैं भी जवानी के दौर में हूँ। मैं गाँव में रही हूँ लेकिन मेरे घर वाले शहर में रहने लगे क्यूंकि हम लोगों का घर शहर में हमारे पापा जी ने ख़रीदा और हम शहर में रहने चले गए। मैं शहर में गयी तो मुझे पता चला कि यहाँ तो बहुत लोग झूठे हैं और झूठे वादे भी करते हैं।
मेरी बहुत सारी सहेलियां भी बन गयी जो मेरी पड़ोसी थी. वो लड़कियाँ शहर के बारे में मुझे सब बताती थी कि शहर में कैसे लोग रहते हैं। मैं भी धीरे धीरे शहर में घुल मिल गयी।
मेरे गाँव में मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं था और न ही मुझे ये सब ज्यादा पता था। मेरी सहेलियां अपने अपने बॉयफ्रेंड के बारे में बातें करती थी तो मैं वहां से चली जाती थी और अपने घर में आकर सो जाती थी। मुझे भी अब अकेलापन महसूस होता था क्योंकि मेरी सहेलियाँ तो अपने बॉयफ्रेंड ने फ़ोन पर बातें करती थी और मैं अकेली चुपचाप रहती थी। मैं कभी कभी अपनी मम्मी का किचन में काम करवा देती थी जिससे मेरा दिन भी निकल जाता था।
शहर में पापा का बिज़नस भी चलने लगा था तो वो मुझे कभी कभी अपने साथ अपने बिज़नस वाले जगह पर ले जाते थे और मुझे शहर घुमाते थे। मैं जब भी अकेलापन महसूस करती थी तो अपने पापा के साथ शहर घूमने चली जाती थी।
मेरे पापा के अंडर में एक लड़का मिंटू काम करता था जो हमारे बिज़नेस का लेन देन और हिसाब का काम करता था। मेरी उससे दोस्ती हो गयी। मैं भी शहर में रह कर अब अनजान लड़कों से बातें करना सीख गयी थी।
मेरे पापा इस बात से अनजान थे कि मैं उनके अंडर में काम करने वाले लड़के मिंटू से बातें करती हूँ। अब मैं जब भी अपने पापा के साथ घूमने जाती थी तो उससे मेरी मुलाकात हो जाती थी क्योंकि पापा मुझे हमेशा अपने बिज़नस वाला जगह पर ले जाते थे और मुझे अपने ऑफिस में बैठा देते थे और अपना बिज़नस का काम करते थे। मिंटू भी मेरा इंतजार करता था कि कब मैं अपने पापा के साथ घूमने आऊँ और उनके ऑफिस में आकर बैठूँ।
मुझे पापा ने अपने बिज़नेस में काम सिखा दिया और मैं जब भी घर पर अकेलापन महसूस करती थी तो मैं अपने पापा का उनके बिज़नस में काम करने लगती थी और पापा की सहायता करती थी। पापा ने मुझे कंप्यूटर सिखाया था तो मुझे कंप्यूटर में हिसाब करने आता था।
अब पापा का काम आसान हो गया था क्योंकि मैं और वो लड़का मिंटू हम दोनों लोग अब हिसाब का काम देखते थे जिससे पापा का बिज़नेस का काम आसान हो गया था।
एक दिन हम दोनों लोग काम कर रहे थे और पापा अपने बिज़नेस के काम से बाहर गए थे मीटिंग के लिए तो हम दोनों लोग को ही हिसाब का काम देखना था और बाकी सब नौकर लोग अपना काम कर रहे थे। पापा का कपड़े का काम था तो बहुत लोगों को वो अपने दुकान में रखे थे और हम दोनों लोग केवल हिसाब का काम करते थे।
मुझे उस दिन मिंटू ने फूल दिया और बोला- तुम मेरी दोस्त बनोगी? मैंने भी हँसते हुए उससे फूल ले लिया और उसको बोली- हाँ, मैं तुम्हारी दोस्ती बनूँगी। अब हम दोनों लोग दोस्त बन गए थे।
मिंटू अक्सर लेट आता था काम पर… और पापा बोलते थे कि वो मिंटू को काम से निकल देंगे. लेकिन जबसे मैं उसकी दोस्त बनी थी, वो रोज जल्दी काम पर आ जाता था और हिसाब का काम करने लगता था और उसके बाद मैं भी हिसाब के काम में उसकी सहायता करती थी।
पापा भी खुश हो गए थे कि अब मिंटू जल्दी दुकान पर आ जाता है और हिसाब का काम करने लगता है और बाद में उनकी बेटी भी उनके काम में उनकी सहायता करने लगती है. इसलिए वो हम दोनों लोग पर अपना दुकान छोड़ कर बाहर चले जाते थे व्यापारियों से सामान खरीदने के लिए और हम दोनों लोग पापा की दुकान चलाते थे।
हम दोनों दुकान को कभी कभी जल्दी बंद करके घूमने चले जाते थे।
एक दिन वो मुझे घुमाने ले गया और वो मुझे होटल में ले गया यह बोल कर कि हम दोनों लोग लंच करेंगे उसके बाद दुकान पर चलेंगे। मैं भी उस पर विश्वास करने लगी थी और मैं उसके साथ होटल में चली गयी। मैं वहाँ गयी तो देखा कि वहाँ कई लड़के अपनी अपनी गर्लफ्रेंड को लेकर आये थे और उनकी गर्लफ्रेंड अपने चेहरे पर दुप्पटा डाले हुए थी जिससे उनका चेहरा दिख नहीं रहा था।
मिंटू ने मुझे बताया कि ये सब लोग यहीं के रहने वाले हैं और बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड हैं तो लड़कियाँ पहचाने जाने के डर से अपने चेहरे पर दुप्पटा डाले हुए हैं। मुझे बहुत अजीब लग रहा था ये सब!
मिंटू ने मुझे बताया कि ये शहर है… यहाँ बिना शादी के ही सब कुछ हो जाता था। मैं अब सारी बातें समझ गयी थी कि यहाँ लड़के और लड़कियां होटल में सेक्स करने के लिए आते हैं।
मिंटू भी मुझे यहाँ इसलिए यानि मेरे साथ सेक्स करने के लिए ही लाया था। मैं थोड़ा डर रही थी क्योंकि मैंने पहले कभी ये सब नहीं किया था। वो मुझसे बोला- तुमको मुझ पर भरोसा है तो मेरे साथ होटल के कमरे में चलो! तो मैं उस लड़के पर भरोसा करती थी क्योंकि वो मेरे पापा के दुकान में काम करता था इसलिए मैं उसके साथ डरते हुए होटल के कमरे में उसके साथ चली गयी।
वो बिस्तर पर आकर बैठ गया और मुझे भी बिस्तर पर आने के लिए बोला और मैं भी बिस्तर पर आकर बैठ गयी। होटल में बिस्तर तो बहुत अच्छा था।
वो मेरी तरफ देख रहा था और मैं उसकी तरफ नहीं देख रही थी क्योंकि मुझे लाज लग रही थी। मैंने उसकी पैन्ट की तरफ देखा तो उसके लंड में तनाव आ गया था जिससे उसकी पैन्ट टेंट की तरह बन गयी थी।
मिंटू ने धीरे से मेरे कंधे पर हाथ रखा और मेरी गर्दन पर हाथ फिराने लगा. मुझे बहुत घबराहट हो रही इथी लेकिन मुझे गुदगुदी भी हो रही थी, मेरे बदना में कुछ कुछ होने लगा था. कुछ ही देर बाद मिंटू मेरी गर्दन को चूमने लगा, वो मेरे चेहरे को देख रहा था, वो मेरी चेहरे की तारीफ करने लगा- तुम्हारा चेहरा कितना खूबसूरत है।
जल्दी ही वो मेरे कोमल बदन को अपने होंठों से चूमने लगा जिससे मुझे भी कुछ कुछ होने लगा। हम दोनों लोग के अन्दर अब चुदाई वाली आग लग गयी थी। हम दोनों लोग चुदाई के लिए अन्दर अन्दर की तड़पने लगे मचलने लगे।
मेरा पहली बार था इसलिए मुझे थोड़ा डर लग रहा था। वो मेरे लाल लाल होंठों को चूसने लगा, मुझे थोड़ी लाज लग रही थी क्योंकि मुझे कोई पहली बार चुम्मा दे रहा था।
मैं भी हिम्मत करके उसको किस करने लगी तो वो भी मुझे और जोर से किस करने लगा। कूच देर में ही उसने मेरे दुप्पटे को मेरी शरीर से अलग किया जिससे मैं बिना दुप्पटे के उसके सामने थी। उसको मेरी चूची की साइज़ पता चल रही थी और वो मेरी चूची का आकार देख रहा था। वो मेरी नजरों से नजर मिला कर मुझे बहुत देर तक देखता रहा।
हम दोनों लोग एक दूसरे को चूम रहे थे तो हम दोनों की साँसें गर्म हो गयी थी जिसको हम दोनों लोग महसूस कर रहे थे।
उसने बड़े प्यार से मुझे बिस्तर पर लेता दिया और वो अब मेरे ऊपर आकर मुझे चूम रहा था और मैं चुपचाप से बिस्तर पर लेटी थी। अब मैं उसके सामने एकदम निडर होकर उसका साथ दे रही थी, मुझे अब डर नहीं लग रहा था। हम दोनों अब हवस में घुलकर एक दूसरे को चूम रहे थे। वो मेरी चूची को मेरे कपड़ों के ऊपर से ही दबाने लगा। मैं उसको मना भी नहीं कर सकती थी क्योंकि मैं भी अब कामुकता के जोश में आ गयी थी और मेरे ऊपर भी चुदाई का असर हो गया था, मैं भी चुदासी हो गयी थी, वो मेरे साथ जो भी कर रहा था मैं उसको कुछ नहीं बोल रही थी बल्कि मैं भी उसका साथ दे रही थी।
वो मुझे जब चूम रहा था तो मैं उसके लंड को महसूस कर रही थी क्योंकि उसका लंड मेरी चूत पर लग रहा था। वो मेरे ऊपर आकर मुझे चूम रहा था और अपना लंड मेरी चूत के ऊपर रगड़ रहा था।
जल्दी ही उसने मेरी शर्ट को निकाल दिया था और साथ ही मेरी सफ़ेद रंग की ब्रा के हुक को उसने खोल दिया। मेरी नंगी चूची उसके सामने अपना सर उठाये खड़ी थी और वो मेरी चूची को घूर घूर के देख रहा था। मेरी चूची को देखने के बाद मिंटू ने मेरी एक चूची को अपने मुख में ले लिया और बड़े प्यार से मेरी चूची को चूसने लगा। मैं अपने दोनों हाथों से बिस्तर की बेडशीट को नोच रही थी और वो मेरी चूची के निप्पल को कभी कभी काट रहा था अपने दाँतों से जिससे कि मैं सिहर जा रही थी।
वो मेरी चूची को चूस रहा था और हम दोनों की जांघें एक दूसरे से मिल रही थी और हम दोनों के शरीर से निकलने वाला पसीना भी एक दूसरे से मिल रहा था। मैं आपको बता नहीं सकती कि जब वो मेरी चूची को दबा रहा था तो मेरे शरीर में कैसी चुदाई का मन कर रहा था। मैं एकदम चुदासी हो गयी थी। वो मेरी चूची को दबा कर और मेरी चूची को चूसकर मुझे और चुदासी बना रहा था। मेरी चूची एक दम तन गई थी और मेरे निप्पल भी एक दम उभर गए थे। मेरी चूची अब बड़ी हो गयी थी और सख्त हो गयी थी।
अब उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया और मेरी टांगों से मेरी सलवार को सरका कर अलग कर दिया. वो मेरी नंगी गोरी टांगों को अपनी जीभ से चाटने लगा। वो मेरी जांघ तक अपनी जीभ से चाट रहा था जिससे मैं और चुदासी हो रही थी।
मैं लाल रंग की पेंटी में थी। वो मेरी पेंटी को भी चाट रहा था जिससे मेरी पेंटी भीग गयी थी और मेरी चूत से पानी निकल रहा था तो मेरी पेंटी पूरी तरह से भीग गयी थी। वो मेरी पेंटी के ऊपर से मेरी चूत के पानी को चाट रहा था। उसने मेरी टांगों को और मेरी जांघ को अपनी जीभ से चाट कर भीगा दिया था।
उसके बाद मिंटू ने मेरी पेंटी को भी निकाल दिया, वो मेरी चूत को सूंघ रहा था. मुझे एसा लगा रहा था कि उसको बहुत दिन से चूत नहीं मिली थी या उसने कभी ऐसी चूत नहीं देखी थी। मेरी चूत को सूंघने के बाद उसने मेरी चूत को अपनी उंगलियों से खोल दिया। मेरी चूत को खोलने के बाद वो अपनी जीभ मेरी चूत में डालने लगा जिससे मैं एक दम सिहर गयी और उसके सर को अपनी चूत में दबाने लगी।
यह मेरे लिए पहला अनुभव था, मेरे साथ ऐसा कभी नहीं हुआ था। मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं थोड़ी वाइल्ड होने लगी थी। मैं उसकी पीठ को अपने नाख़ूनों से नोचने लगी थी और वो मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा।
अब उसने मेरी जांघों को फैला दिया और अपनी नाक को मेरी चूत पर रख दिया और अपनी नाक को मेरी चूत पर रगड़ने लगा। मैं अब इतना चुदासी हो गयी थी कि मेरा शरीर मेरे वश में नहीं था और मुझे चुदवाने का मन हो रहा था।
वो मेरे चूतड़ों को पकड़ कर मेरी चूत को चूसने लगा. वो मेरी चूत को बहुत जोर से चूस रहा था और कभी कभी वो मेरी चूत के ऊपरी हिस्से को अपने दांतों से थोड़ा सा दबा दे रहा था जिससे मैं तड़प जाती थी चुदवाने के लिए और उसके सर के बालों को नोचने लगती थी।
मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैं अपनी चूत उसके मुंह में डालने लगी और वो मेरी चूत को चाटने लगा। मैं बहुत कामुक हो गयी थी अब मुझे चुदाई के बिना रहा नहीं जा रहा था। मैं उसको चोदने के लिए बोल रही थी तो वो मुझे बोल रहा था कि वो मुझे तड़पाना चाहता है, उसके बाद वो मुझे चोदेगा। उसको तड़पाने में मजा आ रहा था, वो मेरी चूत को चाट कर मुझे तड़पा रहा था।
वो मेरी चूत को चाटने के बाद अपने कपड़े निकालने लगा और मैं बिस्तर पर पूरी नंगी लेटी थी। वो मेरे नंगे जिस्म को देखते हुए अपने कपड़ों को निकाल रहा था। उसका लंड भी उसके पानी से भीग गया था और उसके लंड से भी पानी निकल रहा था.
उसने अपने लंड को कपड़े से साफ़ किया, उसके बाद वो मेरे ऊपर आ गया और मुझे चूमने लगा। मिंटू ने अपना लंड मेरी चूत के छेद में टिकाया और धक्का मारा… उसका लंड थोड़ा सा मेरी चूत में चला गया और मैं दर्द के मारे दोहरी हो गयी. लेकिन उस मिंटू को पटा था कि मुझे दर्द होगा तो उसने पहले ही अपने होंठ मेरे होंठों पर रख कर मेरा मुंह दबा लिया था, तो मैं चीख नहीं पायी.
कुछ पल के लिए मिंटू ठहरा लेकिन जल्दी ही उसने एक और झटका मारा और उसका लंड मेरी चूत को फाड़ते हुए मेरे शरीर के अंदर घुस गया. मेरी तकलीफ असहनीय थी, मैं मन ही मन सोच रही थी कि मैं यहाँ क्यों आयी.
अब मिंटू ने मुझे चोदना शुरू किया, उसका लंड मेरी बेचारी सी चूत में अपनी जगह बनाने लगा तो मुझे भी कुछ रहत मिली दर्द से… कुछ ही देर बाद मैं उसकी पीठ को पकड़ कर उससे चुदवा रही थी। वो धक्के देने लगा और मैं उसका साथ देने लगी।
वो मेरी चूत को चोदते हुए झड़ गया और मैं भी उसके साथ झड़ गयी।
हम दोनों कुछ देर लेटे रहे फिर बाथरूम में गए और एक दूसरे को साफ़ किया.
उसके बाद हम दोनों दुकान पर गए और दुकान में हिसाब का काम करने लगे।
आप सब मुझे फीडबैक दीजिये और बतायें कि मेरी पहली चुदाई की कहानी आप सबको कैसी लगी। [email protected]
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