This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
अभी तक आपने पढ़ा कि मैं गगन के घर पर गया तो वो डॉक्टर के पास पाइल्स के इलाज के लिए गया हुआ था। मैं उसके भाई सागर के साथ बैठकर मूवी देखने लगा और मूवी देखने के दौरान उत्तेजित होकर उसके लंड को सहलाने लगा। उसने भी मुझे अपना लंड चुसवा दिया लेकिन चुसाई पूरी होने से पहले ही गगन बीच में आ टपका। उस दिन के बाद सागर और मैं काफी क्लोज़ हो गए थे। लेकिन इस बात के बारे में गगन को ख़बर नहीं थी। अब आगे:
मैं दो तीन बार जब भी गगन के घर गया तो उसका भाई सागर मुझे अपना लंड चुसवाने लगता था। वो मेरी गांड भी मारना चाहता था लेकिन मुझे इसका कोई शौक नहीं था। बस चूसकर ही उसको शांत कर देता था।
एक दिन सागर का लंड चूसने के बाद उसने बता ही दिया कि वो गगन के बारे में भी जानता है कि उसका भाई गे है। मैंने कहा- तो फिर आपको मेरे बारे में भी पता होगा। वो बोला- हां, मुझे कंफर्म तो नहीं था लेकिन शक ज़रूर था कि तुम दोनों का कुछ चक्कर ज़रूर है आपस में। लेकिन जब उस दिन तूने मेरे लंड पर हाथ रखा और मेरे लंड को चूसा तो मेरा शक यकीन में बदल गया। इसलिए मैंने भी तुझसे कुछ नहीं कहा।
मैंने पूछा- तो आपको भी लड़कों की गांड मारना पसंद है क्या? उसने कहा- नहीं यार, मेरी तो गर्लफ्रेंड है लेकिन कभी किसी लड़के से नहीं चुसवाया था। उस दिन जब तूने हाथ रख दिया तो मैंने सोचा कि ट्राई करके देखते हैं कितना मज़ा आता है। मैंने कहा- फिर किस नतीजे पर पहुंचे आप? वो बोला- तू तो पागल कर देता है यार… इतना मज़ा आता है मुझे चुसवाने में, मैं बता नहीं सकता, मैंने कभी गर्लफ्रेंड से नहीं चुसवाया था, मन तो करता था लेकिन वो मानती नहीं थी।
मैं उसकी बात सुनकर हंस पड़ा।
तभी गगन की माँ बाहर से आ गईं, हमने कुछ देर बातें की और मैं चला आया। मैं भी हैरान था कि कभी गगन ने मुझे ये बात भी नहीं बताई कि उसके भाई को उसके बारे में पता है। खैर जाने दो, अब जब रिलेशन ही नहीं रहा तो इन सब बातों को सोचने से क्या फायदा।
टाइम बीतता गया और गगन से मेरा ब्रेक-अप हुए 4 साल पुरानी बात हो चुकी थी। अब उसके घर भी कभी कभार ही जाना होता था। क्योंकि उसके बड़े भाई सागर की शादी हो चुकी थी और अब उसके घर जाने मुझे शर्म सी आती थी।
एक दिन की बात है गगन का फोन आया, उसने बताया कि गाज़ियाबाद का कोई लंड फंसाया है… तू चलेगा मेरे साथ? मैंने कहा- नहीं भाई, मुझे माफ कर मैं कहीं नहीं जा रहा। तुझे जहां जाना है जा। मैं तो तुझे समझाकर थक चुका हूं। मेरी बात सुनकर उसने फोन काट दिया।
मुझे पता था वो जाएगा ज़रूर.. हुआ भी ऐसा ही। दो दिन बाद उसका फोन आया, बोला- मज़ा आ गया यार… तीन लोग थे, एक तो बिल्कुल पहलवान टाइप था। मैंने उसे चिढ़ाते हुए कहा- फिर तो तेरी हसरत अच्छे से पूरी की होगी उसने? वो बोला- और क्या… तीनों ने ही मेरी गांड मारी, बहुत मज़ा आया। मैंने कहा- शाबाश..लगा रह।
फिर कुछ दिन तक उससे बात नहीं हुई।
कुछ दिन बाद उसको फोन किया तो पता चला वो बीमार है, उसकी माँ से बात हुई, आंटी ने बताया कि उसको कई दिन से बुखार आ रहा है। मैं उसका हाल-चाल पता करने उसके घर गया। हमारे बीच में रिलेशन जैसा भले ही कुछ नहीं था लेकिन हम दोस्त बहुत अच्छे थे।
वो बेड पर लेटा हुआ था, उसकी आंखें बंद थी। मैं उसके सिरहाने जाकर बैठ गया तो उसने आंखें खोलीं और हल्के से मुस्कुराया… मैंने उसके सिर पर हाथ रखा तो बुखार काफी तेज़ था। मैंने आंटी से बात की तो आंटी ने बताया कि दवाई चल रही है. मैंने कहा- कोई बात नहीं आप चिंता मत करो, सब ठीक हो जाएगा। बुखार ही तो है, आजकल बुखार भी कई तरह के चले हुए हैं। उतर जाएगा. उसकी माँ को थोड़ी तसल्ली हुई।
उसका हाल-चाल जानने के बाद मैं वापस आ गया क्योंकि सागर की तो शादी तो चुकी थी। गगन की भाभी भी मुझे अच्छी तरह जानती थी। लेकिन अब सागर के साथ भी कुछ करने का मेरा मन नहीं करता था। मैं अपने में ही खुश रहता था। बस काम से घर और घर से काम पर। इधर-उधर भटकना मैंने भी छोड़ दिया था।
एक हफ्ते बाद सागर का फोन आता है कि गगन हॉस्पिटल में एडमिट हो गया है। मुझे थोड़ी चिंता हुई, मैं ऑफिस के बाद सीधा हॉस्पिटल जा पहुंचा। सागर ने बताया वो तुझे याद कर रहा था। बुखार के साथ दस्त भी चालू हो गए हैं।
मैं उसके पास जाकर बैठ गया तो उसने आंखें खोलीं, उसका चेहरा काफी मुरझा गया था। मैं पहले तो थोड़ा घबराया क्योंकि कभी उसको इस हालत में नहीं देखा था। फिर उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया, उसकी आंखें नम हो गईं, सागर भी वहीं पर था। उसे पता था कि हम दोनों एक्स-बॉयफ्रेंड हैं। गगन मेरे चेहरे को देख रहा था। मैं मुस्कुराते हुए उसको दिलासा देने की कोशिश कर रहा था।
मैंने कहा- तू जल्दी से ठीक हो जा, तेरे बर्थडे भी आने वाला है। हम सब साथ में तेरा बर्थडे मनाएंगे। उसने मेरा हाथ अपनी छाती पर रख लिया और आंखें बंद करके गहरी सांस ली। कुछ देर मैं उसके पास ही बैठा रहा।
जब उसे नींद आ गई तो मैंने सागर से पूछा कि प्रॉब्लम क्या है… बुखार अब तक ठीक हो जाना चाहिए था। उसने कहा- हां, हम भी डॉक्टर से यही बात बार-बार पूछ रहे हैं। लेकिन डॉक्टर भी कुछ समझ नहीं पा रहे हैं। मैंने सागर को ढांढस बंधाया और कहा- आप चिंता मत करो, वो ठीक हो जाएगा, और जल्दी ही हम उसका बर्थडे साथ में घर पर ही मनाएंगे। मैं घर वापस आ गया.
लेकिन अब रोज़ ऑफिस से आते हुए हॉस्पिटल होकर जाता था। मेरे सबसे अच्छे दोस्त को मेरी ज़रूरत थी। और मैं भी उसको इस हालत में अकेला नहीं छोड़ना चाहता था। उसके दस्त बंद हो गए और हालत में पहले से काफी सुधार होने लगा था। उसका बर्थडे भी आ गया लेकिन अभी हॉस्पिटल से छुट्टी नहीं मिली थी।
सागर का फोन आया कि प्रवेश तू कब तक आएगा? मैंने कहा 6 बजे ऑफिस से छुट्टी होती है और 8 बजे तक मैं पहुंच जाऊंगा।
मैं 8.30 बजे हॉस्पिटल पहुंच गया। उस दिन गगन काफी खुश लग रहा था। अच्छे से बात भी कर रहा था। हमने वहीं पर केक काटा और तीनों ने उसका बर्थडे सेलिब्रेट किया। अगले दिन उसे अस्पताल से छुट्टी भी मिल गई। मेरी भी चिंता दूर हो गई और उसके घरवालों की भी। गगन अपने घर आ गया था। मैं भी दोबारा से अपनी लाइफ में बिज़ी हो गया। एक हफ्ते तक उसके घर नहीं जा पाया।
एक दिन सुबह जब मेट्रो से ऑफिस पहुंच रहा था तो सागर का फोन आया, उसने कहा- प्रवेश… मैंने कहा- हां… सागर बोला- गगन नहीं रहा… मैंने कहा- व्हाट??? उसने कहा- तू घर आ जा…हम उसकी बॉडी को हॉस्पिटल से घर लेकर जा रहे हैं।
मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई, गहरा धक्का लगा… मैट्रो में खड़े-खड़े वहीं आंखों से टप-टप आंसू गिरने लगे। मैं अगले स्टेशन पर ही बाहर निकल गया। अभी तक कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। लेकिन जब भाई ने फोन किया है तो विश्वास करना ही पड़ा। और उस विश्वास के साथ मेरी जिंदगी में जैसे भूचाल आ गया था। दुनिया वहीं थम सी गई थी। मैं खुद को संभाल नहीं पा रहा था।
ऑफिस में एक कलीग को फोन किया तो बताते हुए अंदर का गम बाहर फूट पड़ा, मैं रो पड़ा और रोते हुए उसको बताया कि मैं ऑफिस नहीं आ पाऊंगा, मेरा दोस्त एक्सपायर हो गया है… फोन रखने के बाद मैंने आंसू पोंछे और मेट्रो स्टेशन के बाहर निकलकर ऑटो किया, आधे घंटे के अंदर उसकी गली के बाहर पहुंच गया।
गली में दाखिल हुआ तो उसके घर के सामने सफेद शामियाना टंगा हुआ था जिसके नीचे लोग दरी बिछाकर बैठे हुए थे। भारी कदमों के साथ शामियाने के करीब पहुंचा तो सबसे पहले नज़र उसके पापा से मिली। मैंने उसके पापा की आंखों में देखा तो मुझे देखते ही उनकी आंखों से आंसू बह निकले।
कुछ देर बाद सागर अंदर से निकला और उसने भी रोना शुरू कर दिया, मैं सागर से लिपट गया, कलेजा फट रहा था। उसने मुझे वहीं बैठा दिया। मेरे आंसू रुक ही नहीं रहे थे। मेरा सबसे अच्छा दोस्त चला गया था।
सागर ने बताया कि घर आने के बाद उसकी तबीयत फिर से बिगड़ने लगी थी। हम उसको फिर से हॉस्पिटल ले गए। लेकिन उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था। उसने मुझसे पहली रात कहा कि प्रवेश को फोन कर दो मुझे उसको देखने का मन कर रहा है।
हमने तेरा फोन ट्राय किया तो फोन नहीं लग रहा था… और अगले दिन सुबह उसकी सांसे उखड़ने लगी। और उसने वहीं हॉस्पिटल में दम तोड़ दिया। सोचा नहीं था कि ऐसा भी हो सकता है।
मैं बार-बार उसके पापा की तरफ देख रहा था वो अपने आंसू रोकने की कोशिश करते लेकिन जब आंखों से गिर जाते तो हारकर पौंछ लेते। पूरी गली में गम का माहौल था… आंटी के पास जाने की तो मेरी हिम्मत ही नहीं हो रही थी। मैं कुछ देर वहां बैठा लेकिन फिर चुपके से वहां से उठ कर गली के बाहर आ गया और एक पेड़ को पकड़कर खूब ज़ोर से दिल फाड़कर रोने लगा। उसका जाना मेरी गे लाइफ का तीसरा घाव था..
2-3 घंटे बाद जब रो-रोकर थक गया तो वापस लोगों में आ बैठा। उसकी बॉडी को शमशान के लिए तैयार किया गया। सब लोग इकट्ठा हो गए। औरतें चीखने चिल्लाने लगीं। उसकी लाश को अर्थी पर लेटाते हुए उसका चेहरा देखा तो सूखकर लकड़ी हो चुका था। आंखें बंद थी। अर्थी पर कफन डालकर उसको गाड़ी में रखवा दिया गया।
सब लोग यमुना के निगम बोध घाट की ओर रवाना हो गए। जब वहां उसको उतारा गया तो सामने लिखा था- मुझे यहां तक लाने वालों का शुक्रिया… आगे का सफर अब अकेले ही तय करना है। चिता पर रखने से पहले उसकी माँ उसके मरे हुए सूखे चेहरे को चूमकर रोने बिलखने लगी, लोगों ने उसको पकड़ कर हटाया और गगन की चिता पर लकड़ियां डालीं जाने लगी। मैं भी कैसा अभागा था कि अपने ही दोस्त की चिता पर लकड़ियां डालने का दिन देख रहा था.
क्रिया कर्म की रस्म करने के बाद उसकी चिता में आग लगा दी गई। सब लोग वहीं खड़े होकर आंसू बहा रहे थे। जब चिता पूरी जल गई तो लोग वापस चलने लगे। मैं भीड़ में सबसे पीछे था तभी कंधे पर एक हाथ ने आकर मुझे रोक लिया। मुड़ा तो उसकी माँ पीछे खड़ी थी, मैंने आंटी को गले लगा लिया और दोनों फूट-फटकर रोने लगे। उन्होंने मेरे आंसू पोंछे… बड़े तो आखिर बड़े होते हैं ना, उसकी मां बोली- रो मत बेटा, उसकी जिंदगी इतनी ही थी।
हम दोनों सुबकते हुए शमशान घाट से वापस आ गए। अब दोबारा उसके घर जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। मैंने सबको वहीं छोड़ा और ऑटो करके सीधा घर आ गया। कई दिनों तक उसके जाने के गम में डूबा रहा। हफ्ते भर बाद सोचा कि कम से कम उसके घर तो हो आऊं… उसके घरवालों का गम तो बांट लूं… किसी तरह हिम्मत करके घर गया तो घर में रिश्तेदार इकट्ठा हो रखे थे। सागर मुझे अपने कमरे में ले गया। कुछ देर उससे बातें की तो मन हल्का हो गया। मैंने पूछा- ऐसा क्या हो गया था उसे? तब सागर ने बताया कि उसे एचआईवी था..
मेरी सांसें वहीं सीने में घुटने लगीं, मुझे गहरा धक्का लगा। अब गम की जगह एक डर ने ले ली थी, मैं ज्यादा देर वहां पर रुक नहीं पाया। उसके जाने के गम का घाव अभी भरा भी नहीं था कि एक और सदमे ने मुझे हिलाकर रख दिया। अब मुझे भी दिन रात ये चिंता खाए जा रही थी कि कहीं मुझे भी एचआईवी तो नहीं लग गया.
मैंने खुद को बहुत समझाया लेकिन अंदर ही अंदर ये बात मुझे खाए जा रही थी। मेरी टेस्ट कराने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी। सोचा अगर पॉजीटिव हुआ तो? लेकिन एक दिन मन मजबूत करके एक सरकारी अस्पताल पहुंच गया और टेस्ट के लिए ब्लड सैंपल देकर आ गया। फिर रिपोर्ट के लिए एक हफ्ते बाद जाना था।
डरते-डरते अस्पताल पहुंचा। रिपोर्ट देखकर डॉक्टर ने मेरे बारे में कुछ गंभीर सवाल पूछना शुरू कर दिया। मैंने सब सच तो नहीं बताया लेकिन इतना ज़रूर बता दिया कि मैंने अनसेफ सेक्स किया हुआ है. डॉक्टर ने कहा- आपके खून में एचआईवी पाया गया है।
मैं वहीं सन्न रह गया। कानों में घीं-घीं घंटी सी बजने लगी, वक्त जैसे रुक सा गया हो। दुनिया ठहर गई हो! थोड़ा संभाला और हिम्मत करते हुए डॉक्टर से पूछा- कौन सी स्टेज पर है? उन्होंने कहा- ये तो और आगे टेस्ट करने पर ही पता चल पाएगा।
मैं रिपोर्ट लेकर वहां से चला तो एक-एक कदम हज़ार किलो का महसूस हो रहा था। जिंदगी खत्म हो गई. जैसे गगन चला गया मैं भी जल्दी ही ऐसे ही चला जाऊंगा। मुझे कोढ़ लग गया। खाना-पीना भूख-प्यास सब खत्म हो गई।
दिन-रात इसी सोच में डूबा रहता… अब ज्यादा दिन नहीं बचे हैं। मैंने इंटरनेट पर रिसर्च करना शुरू कर दिया। बहुत स्टडी की और चला कि अगर समय से एचआईवी का पता चल जाए और दवाई चालू कर दी जाए तो उम्र बढ़ सकती है। अब तक मेरे दूसरे टेस्ट की रिपोर्ट भी आ गई थी। वायरस ज्यादा नहीं फैला था। जिंदगी ने मेरा हौसला थोड़ा और बढाया.
डॉक्टर ने मेरा कंसेन्ट लेकर एआरटी शुरू कर दी। जब दवाई लेने जाता तो एआरटी सेंटर पर और भी लोगों की भीड़ लगी रहती थी। जिनको देखकर मुझे भी जीने का हौसला मिल जाता। साल भर लग गया इस सदमे से उबरने में और मैंने एचआइवी के साथ ही जीना शुरू कर दिया।
शुरू में तो लगता था कि जिंदगी में अब कुछ बाकी नहीं रह गया है, लेकिन मैंने वक्त पर भरोसा किया और खुद को जिंदगी के हवाले कर दिया। गगन तो चला गया लेकिन जाते जाते वो मुझे फिर से जीना सिखा गया। मैंने भी इरादा कर लिया कि जिंदगी से हार नहीं मानूंगा। बाकी ऊपरवाले की मर्ज़ी…
दोस्तो, यह थी प्रवेश की दिल दहला देने वाली कहानी… जिसने मुझे भी अंदर तक दहला दिया। गोपनीयता के कारण इस कहानी के सभी पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं।
लेकिन एक गे को ज़िंदगी के किस-किस दौर से गुज़रना पड़ता है ये समाज कभी नहीं समझ पाएगा। भारत जैसे देश में गे होना सबसे बड़ा अभिशाप है क्योंकि यहां न तो समाज को इनकी परवाह है और न ही सरकार को।
लेकिन फिर भी मैं अपने समलैंगिक भाइयों को यही कहूंगा कि कभी जिंदगी से हार न मानें. सुप्रीम कोर्ट भले ही आपकी बात सुने न सुने लेकिन जब उस सुपर पावर ने ही आपको ऐसा बनाकर भेजा है तो फिर किसी का क्या परवाह करनी।
बनाने वाले पर अपना भरोसा हमेशा बनाएं रखें… क्योंकि जिंदगी हमारे हाथ में नहीं है, जो होना है वो तो होकर ही रहेगा… अगर आपकी सांसें हैं जिंदगी में आप बार-बार मौत के मुंह से भी वापस लौटकर आ जाओगे… और अगर नहीं हैं तो भी जब तक दुनिया में हैं खुलकर जिएँ क्योंकि ये जिंदगी आपकी है और आपको इसे जीने का पूरा हक है.
हां लेकिन साथ ही ये भी ध्यान रखें कि जोश में कभी होश न खोएँ और जवानी के जोश में कभी कोई ऐसी ग़लती न करें जिसके लिए आपको उम्र भर पछताना पड़े..ये बात समलैंगिक और गैर समलैंगिक सभी नौजवानों पर लागू होती है।
मैं अन्तर्वासना की टीम का आभारी हूं जो ये संवदेनशील और सच्ची कहानी उन्होंने पाठकों तक पहुंचाने में मेरी पूरी सहायता की। ईश्वर उनको लम्बी आयु दे… मैं अंश बजाज.. फिर लौटूंगा समाज की एक और सच्चाई के साथ! [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000